RE: Hindi Kamuk Kahani मेरे पिताजी की मस्तानी �...
बस ऐसे दिन कट रहे थे
कभी कभी उंगली का इस्तेमाल करती
दिन भर सहेली की बाते सुनकर रात मे अपने आप मेरा हाथ चूत पर चला जाता
मेरा भाई मेरे बगल मे ही सोने के बाद भी मैं खुद को रोक नही पाती
पर जैसे ही चूत को टच करती तो मैं गीली गीली हो जाती
डर भी लगा रहता कि कहीं मेरा छोटा भाई उठ ना जाए
वो साइड मे सो रहा होता और मैं चूत मे उंगली करती रहती
उंगली करने के बाद पानी निकलते ही मुझ मे तो ताक़त नही होती कि उठ कर बातरूम मे जाउ
और वैसे ही सो जाती
पर जब सुबह मेरी नींद खुलती तो देखती कि मैं अपने भाई से चिपक कर सो रही हूँ
मेरा भाई तो घोड़े बेच कर सोता था
ऐसे मे मुझे कभी कभी उसका लंड टच हो जाता
जब आँखे खोलती तो अच्छा भी लगता कि किसी मर्द की बाहों मे हूँ
कभी कभी तो मेरा भाई नींद मे होता है तो उसके खड़े लंड को टच भी करती थी
उसको तो पता ही नही चला
बड़ा अच्छा लगता
अब समझ मे आता कि मेरी सहेली हर दूसरे तीसरे दिन अपने बाय्फ्रेंड के साथ चुदाई क्यूँ करती है
काश मेरी भी शादी जल्दी हो
मेरी भी प्यास भुज़ाने वाला जल्दी आ जाए
मैं तो बस सपने ही देख रही थी
मेरी सील टूटने की तरस रही थी
ऐसे मे मेरा ग्रड्यूशन कंप्लीट हो गया
मेरी पढ़ाई पूरी होते ही पिताजी ने मेरी शादी करने की सोची
मैं ने तो शरमाने की जगह हाँ कर दी
मेरे अंदर आग जो लगी हुई थी
उस आग को बुझाना भी तो था
जितनी जल्दी भुजेगी उतना अच्छा था
वरना भीड़ वाली बस मे झटके खाते खाते एक दिन खुद नंगी होकेर लोगो को कहूँगी कि मारो धक्के
बड़ी मुश्किल होती है बस मे
खुल के बोल भी नही सकती कि मेरे अंदर भी आग लगी है , लड़की हूँ ना
पर माँ ने तो मेरे लिए लड़के भी देखने सुरू कर दिए
पिताजी ने ये काम माँ को ही दिया और पिताजी बिज़ी थे दोपहर के कामो मे
माँ ने कई रिश्ते निकाल लिए
पर उसमे टीचर वाला लड़का सबको पसंद आया
टीचर होने से वो भी गॉव कॉलेज मे क्या कहने
ना कोई डिमॅंड थी और ना ज़्यादा उमीदे थी
लड़का अच्छा था , सिंपल था , अकेला था ,, ना कोई शौक था
मेरी माँ को तो लड़का पसंद आ गया
गॉव जॉब जो थी
और अकेला लड़का होने से मैं राज करूँगी घर पर
तो माँ ने लड़के वाले से बात की
पिताजी को भी रिश्ता पसंद आया
पिताजी ने एक झटके मे हाँ कर दी
सब तय होने लगा
मैं तो खुश थी शादी से
अब मेरी उंगली को आराम मिलेगा
मेरी सील भी टूटेगी
मेरी सुहागरात होगी
मेरी सहेली तो मुझे डरा रही थी सुहागरात के लिए
पर मैं इसका ही इंतज़ार कर रही थी
एक अच्छा दिन देख कर मेरी शादी भी कर दी घर वालो ने
मेरी शादी हो गयी ये सपने जैसा ही था
शादी अच्छी हुई पिताजी की एकलौती बेटी जो थी
पर मेरी शादी तो ऐसे लग रही थी जैसे कोई फैशन शो हो
सभी सोसायटी की औरत ऐसे तय्यार होकर आई थी जैसे आज मेरी नही उनकी सुहागरात हो
पर मुझे क्या मैं तो अपने नये घर जाते दूल्हे का कमरे मे आने का इंतज़ार कर रही थी
मेरी दडकने बढ़ रही थी ये सोच कि कैसे होगी मेरी सुहागरात
लेकिन इस प्यार को मुझे पाना ही था चाहे कितना भी दर्द हो
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