Maa ki Chudai ये कैसा संजोग माँ बेटे का
01-02-2019, 02:23 PM,
#4
RE: Maa ki Chudai ये कैसा संजोग माँ बेटे का
वो काफ़ी समय वहाँ बैठी रही, अंत में बोलते हुए उठ खड़ी हुई "ओफफ्फ़! रात बहुत गुज़र गयी है. मैं अब सोने जा रही हूँ" 

मैं कुछ नही बोला. वो उठ कर मेरे पास गुडनाइट बोलने को आई. नॉर्मली रात को माँ विदा लेते हुए मेरे होंठो पर एक हल्का सा चुंबन लेती थी जैसा मेरे बचपन से चला आ रहा था. वो सिर्फ़ सूखे होंठो से सूखे होंठो का क्षणिक स्पर्श मात्र होता था और उस रात भी कुछ ऐसा ही था, एक सूखा, हल्का सा लगभग ना मालूम होने वाला चुंबन. मगर उस रात उस चुंबन के अर्थ बदल गये थे, क्योंकि मेरे दिमाग़ में उसके कामुक अंगो की धुंधली सी तस्वीरें उभर रही थीं. वो एक हल्का सा अच्छी महक वाला पर्फ्यूम डाले हुए थी जिसने मेरी दशा और भी खराब कर दी. मैं उत्तेजित होने लगा था. 

मैं उसे मूड कर रूम की ओर जाते देखता रहा. उसका सिल्की, सॉफ्ट नाइट्गाउन उसके बदन के हर कटाव हर मोड़ हर गोलाई का अनुसरण कर रहा था. वो उसकी गान्ड के उभार और ढलान से चिपका हुआ उसके चुतड़ों के बीच की खाई में हल्का सा धंसा हुआ था. उस दृश्य से माँ को एक सुंदर, कामनीय नारी के रूप में देखने के मेरे बदलाव को पूर्ण कर दिया था. 

"माँ कितनी सुंदर है, कितनी सेक्सी है" मैं खुद से दोहराता जा रहा था. मगर उसकी सुंदरता किस काम की! वो आकर्षक और कामनीय नारी हर रात मेरे पिताजी के पास उनके बेड पर होती थी मगर फिर भी उनके अंदर वो इच्छा नही होती थी कि उस कामोत्तेजित नारी से कुछ करें. मुझे पिताजी के इस रवैये पर वाकाई में बहुत हैरत हो रही थी. 

मुझे इस बात पर भी ताज्जुब हो रहा था कि मेरी माँ अचानक से मुझे इतनी सुंदर और आकर्षक क्यों लगने लगी थी. वैसे ये इतना भी अचानक से नही था मगर यकायक माँ मेरे लिए इतनी खूबसूरत, इतनी कामनीय हो गयी थी इस बात का कुछ मतलब तो निकलता था. क्यों मुझे वो इतनी आकर्षक और सेक्सी लगने लगी थी? मुझे एहसास था कि इस सबकी शुरुआत मुझे माँ की अपूर्ण जिस्मानी ख्वाहिशों की जानकारी होने के बाद हुई थी, लेकिन फिर भी वो मेरी माँ थी और मैं उसका बेटा और एक बेटा होने के नाते मेरे लिए उन बातों का ज़्यादा मतलब नही होना चाहिए था. उसकी हसरतें किसी और के लिए थीं, मेरे लिए नही, मेरे लिए बिल्कुल भी नही. 

अगर उस समय मैं कुछ सोच सकता था तो सिर्फ़ अपनी हसरतों के बारे में, और माँ के लिए मेरे दिल में पैदा हो रही हसरतें. मगर फिर मैं उसकी ख्वाहिश क्यों कर रहा था? क्या वाकाई वो मेरी खावहिश बन गयी थी? मेरे पास किसी सवाल का जवाब नही था. यह बात कि वो कभी कभी बहुत उत्तेजित हो जाती थी और यह बात कि उसकी जिस्मानी हसरतें पूरी नही होती थीं, 

इसी बात ना माँ के प्रति मेरे अंदर कुछ एहसास जगा दिए थे. यह बात कि वो चुदवाने के लिए तरसती है, मगर मेरा पिता उसे चोदता नही है, इस बात से मेरे दिमाग़ में यह विचार आने लगा कि शायद इसमे मैं उसकी कुछ मदद कर सकता था. मगर हमारा रिश्ता रास्ते में एक बहुत बड़ी बढ़ा थी, इसलिए वास्तव में उसके साथ कुछ कर पाने की संभावना मेरे लिए नाबराबार ही थी. मगर मेरे दिमाग़ के किसी कोने में यह विचार ज़रूर जनम ले चुका था कि कोशिस करने में कोई हर्ज नही है. उस संभावना ने एक मर्द होने के नाते माँ के लिए मेरे जज़्बातों को और भी मज़बूत कर दिया था चाहे वो संभावना ना के बराबर थी. 

ज़्यादातर मैं रात को काफ़ी लेट सोता था, यह आदत मेरी स्कूल दिनो से बन गयी थी जब मैं आधी रात तक पढ़ाई करता था, कॉलेज जाय्न करने के बाद से यह आदत और भी पक्की हो गयी थी. मेरा ज़्यादातर वक़्त कंप्यूटर पर काम करते गुज़रता था मगर माँ के बारे में वो जानकारी हासिल होने के बाद, और जब से मुझे इस बात का एहसास हुया था कि माँ का बदन कितना कामुक है वो कितनी सेक्सी है, और उसकी उपस्थिति में जो कामनीय आनंद मुझे प्राप्त होने लगा था उससे मैं अब टीवी देखने को महत्व देने लगा था. मैं अक्सर ड्रॉयिंग रूम में बैठ कर टीवी देखता और आशा करता कि वो आएगी और मुझे फिर से वोही आनंद प्राप्त होगा.

माँ का ध्यान मेरी नयी दिनचर्या की ओर जाने में थोड़ा वक़्त लगा. शुरू शुरू में वो कभी कभी संयोग से वहाँ आ जाती और थोड़ा वेकार बैठती, और टीवी पर मेर साथ कुछ देखती. मगर जल्द ही वो नियमित तौर पर मेरे साथ बैठने लगी. मगर वो कभी भी लंबे समय तक नही बैठती थी मगर इतना समय काफ़ी होता था एक सुखद एहसास के लिए. मुझे लगा वो घर में अपनी मोजूदगी का किसी को एहसास करवाना चाहती थी

रात को जाने के टाइम उसकी विशेज़ कयि बार ज़ुबानी होती थी, वो हल्के से गुडनाइट बोल देती थी और कयि बार वो हल्का सा होंठो से होंठो का स्पर्श, वो एक सूखा सा स्पर्श मात्र होता था और मेरे ख्याल से वो किसी भी प्रकार चुंबन कह कर नही पुकारा जा सकता था. जो गर्माहट मुझे पहले पहले माँ के चुंबन से होती थी वो समय के साथ उनकी आदत होने से जाती रही. उन चुंबनो में ना कोई असर होता था और ना ही उनका कोई खास मतलब होता था. वो तो सिर्फ़ हमारे विदा लेने की औपचारिकता मात्र थी, एक ऐसी औपचारिकता जिसकी मुझे कोई खास परवाह नही थी.

क्रमशः......................................
Reply


Messages In This Thread
RE: Maa ki Chudai ये कैसा संजोग माँ बेटे का - by sexstories - 01-02-2019, 02:23 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,574,946 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 552,748 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,264,578 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 956,136 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,695,693 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,116,318 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,012,694 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,263,195 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,104,416 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 291,982 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 4 Guest(s)