Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:58 PM,
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--119

गतान्क से आगे.................

“अरे शालिनी को क्या हुआ…वो बिना कुछ कहे चली गयी.?” मोहित ने कहा.

“जाने दो उसे…ए एस पी साहिबा हैं वो बहुत बिज़ी रहती हैं काम में. आ गया होगा कोई काम.” रोहित ने कहा.

“नही वो रोते हुए गयी है यहाँ से.” पूजा तुरंत बोली.

“रोते हुए पर क्यों?” मोहित ने कहा.

“ये तो रोहित ही बता सकता है. बहुत देर से ढूंड रही थी तुम्हे वो रोहित. और मैने नोट किया कि तुमने उसके साथ बात तक नही की.” पद्‍मिनी ने कहा.

“मुझे ढूंड रही थी. तुम्हे कोई ग़लत फ़हमी हुई होगी.” रोहित ने कहा.

मोहित उठा अपनी सीट से और रोहित का हाथ पकड़ कर एक तरफ ले गया.

“बात क्या है रोहित…क्या मुझे बताओगे.”

“कुछ नही है यार. कुछ मत पूछ मुझसे. मैं कोई बात नही करना चाहता इस बारे में.” रोहित ने कहा.

“अच्छा मुझे कुछ जान-ने का हक़ नही है क्या. क्या दोस्ती सिर्फ़ नाम की है ये. बताओ मुझे क्या बात है.”

“प्यार करती है वो मुझसे और अपने मा-बाप के कारण शादी कहीं और कर रही है. इसीलिए मैं ये शहर और नौकरी छोड़ कर जा रहा हूँ.”

“देखो हर कोई प्यार में बोल्ड स्टेप नही उठा सकता. मा-बाप को इग्नोर करना इतना आसान नही होता. उसकी सिचुयेशन तुम नही समझ रहे हो.”

“समझ रहा हूँ पर यार इतना भी कोई मजबूर नही हो सकता कि अपने प्यार का गला घोंट दे.”

“वो सब ठीक है. अब जब तुम जा ही रहे हो यहाँ से तो क्या नाराज़ हो कर जाना ज़रूरी है. ख़ुसी ख़ुसी उस से मिल कर जाओ.”

“वही करना चाहता था. कल मेरी उस से बहस हो गयी और उसने मुझे अपने कमरे से दफ़ा हो जाने को कहा. प्यार के दो बोल तो बोले नही आज तक ‘गेट आउट’ बड़ी जल्दी बोल दिया. खुद को पता नही क्या समझती है. बहुत दुख हुआ मुझे कल. कल मुझे अहसास हुआ कि मैने किस जालिम से प्यार किया है.”

“वो जालिम होती तो रो कर ना जाती यहाँ से.”

“पूजा को कोई ग़लत फ़हमी हुई होगी. वो रो ही नही सकती मैं शर्त लगा सकता हूँ इस बात की.”

“पूजा इधर आना.” मोहित ने पूजा को आवाज़ दी.

पूजा भी उठ कर उनके पास आ गयी.

“क्या बात है मोहित?”

“तुमने देखा था ना अपनी आँखो से शालिनी को रोते हुए.” मोहित ने पूछा.

“हां मैने देखा था.”

“अरे उसकी आँख में कुछ गिर गया होगा…इसलिए नाम हो गयी होंगी आँखे.” रोहित मान-ने को तैयार नही था.

“उसकी आँखे बरस रही थी रोहित. होंटो तक आँसू आ गये थे उसके. ऐसा आँखो में कुछ गिरने से नही होता. ऐसा तभी होता है जब किसी के दिल पर चोट लगती है. तुमने उसे इग्नोर क्यों किया रोहित?”

“पूजा तुम नही समझोगी” रोहित ने कहा.

“रोहित जाओ यार उसके पीछे…बात करो उस से. जिसे प्यार करते हो उसे ऐसे दुख देना सही नही है.”

“दुख तो मुझे मिल रहा है. उसे क्या दुख मिलेगा. मैं किसी के पीछे नही जाने वाला. मैं कल यहाँ से जा रहा हूँ कोई टेन्षन नही चाहता मैं जाते जाते. कोई रोता है तो रोता रहे. खुद को मजबूर उसने बना रखा है मैने नही. अपने आँसुओ के लिए वो खुद ज़िम्मेदार है.”

“ये आँसू तुमने उसे दिए हैं…उसे इग्नोर करके.” पूजा ने कहा.

मोहित ने पूजा का हाथ पकड़ा और बोला, “छोड़ो रोहित…तुम शादी एंजाय करो…हम क्यों बेकार की बहस कर रहे हैं…चलो पूजा बैठते हैं अपनी हॉट सीट पर.”

पूजा ने मोहित को सवालिया नज़रो से देखा. सीट पर बैठ कर मोहित ने पूजा के कान में कहा, “नाटक कर रहा है ये. अभी देखना कैसे दौड़ के जाएगा उसके पीछे. उसके चेहरे पर हल्की से शिकन भी ये बर्दास्त नही कर सकता आँसू तो बहुत बड़ी चीज़ है.”

“अच्छा…काश ऐसा प्यार हमें भी करे कोई.” पूजा हंसते हुए बोली.

“तुम रो कर तो दीखाओ…मैं तुम्हारे हर आँसू के लिए प्यार की एक दास्तान लिख दूँगा. बहुत प्यार करता हूँ तुम्हे.”

“पता है मुझे.”

“हम भी हैं यहाँ गुरु. तुम दोनो हमें इग्नोर करोगे तो मेडम की तरह हम भी रो कर उतर जाएँगे स्टेज से.”

“उतर जाओ यार जल्दी. डिस्टर्ब मत करो हमें.” मोहित ने कहा.

“चलो पद्‍मिनी यहाँ हमारी किसी को ज़रूरत नही है.” राज शर्मा ने पद्‍मिनी का हाथ पकड़ कर कहा.

“अरे रूको मोहित मज़ाक कर रहा है” पूजा ने आवाज़ दी.

“जानता हूँ….मगर दूसरे लोग वेट कर रहे हैं. हम ही स्टेज घेरे रहेंगे तो बाकी लोग सगन कैसे देंगे….अरे रोहित सर कहाँ गये.” राज शर्मा ने कहा.

मोहित और पूजा ने तुरंत पीछे मूड कर देखा. “देखा गया ना शालिनी के पीछे.” मोहित ने कहा.

“क्या पता कही और गया हो?” पूजा ने कहा.

“हो ही नही सकता. वो उसी के पीछे गया है. तुमने उस रात नही देखा. जब साइको शालिनी को बार्ब वाइयर लिपटे बेसबॉल बॅट से पीटने वाला था तो रोहित शालिनी के उपर लेट गया था. पूरी कमर छिल गयी थी उसकी मगर हटा नही था शालिनी के उपर से.”

“जब रोहित इतना प्यार करता है शालिनी से तो वो कही और शादी क्यों कर रही है.” पूजा ने पूछा.

“कुछ तो मजबूरी है उनकी वरना यू ही कोई बेवफा नही होता.” मोहित ने कहा.

“ये बात भी है. मुझसे तो देखे ही नही गये उसके आँसू. एक पल को तो मैं हैरान रह गयी. मुझे यकीन ही नही हुआ कि शालिनी ऐसे रो सकती थी.”

“प्यार इंसान से सब कुछ करवा देता है. वैसे आँसू तुम्हारे भी निकलेंगे थोड़ी देर में.”

“हां बापू बहुत खुश हैं. दीदी भी बहुत खुश है. मैं सबसे ज़्यादा खुस हूँ. रोने का मन नही है पर रोना आ जाएगा क्योंकि खुशी ही इतनी ज़्यादा है.” पूजा ने कहा.

………………………………………………………………………

शालिनी स्टेज से उतर कर सीधी अपनी कार के पास आ गयी थी. आँसुओ को थाम रही थी वो पर जब भावनाओं का उफान आता था तो उसकी हर कोशिस बेकार जाती थी.

“मेरी तरफ देखा तक नही तुमने. कितनी बेचैन थी तुमसे मिलने के लिए मैं. पर तुम्हे क्या फरक पड़ता है. कहने को तुम मुझे प्यार करते हो पर मेरी बिल्कुल परवाह नही तुम्हे. आइ हेट यू…”

रोहित जब वहाँ पहुँचा तो शालिनी अपनी कार का दरवाजा खोल रही थी. रोहित ने तुरंत भाग कर उसका हाथ पकड़ लिया.

“कैसी हो तुम.” रोहित ने पूछा.

“हाथ छोड़ो मेरा.” शालिनी ने बिना पीछे मुड़े कहा. वो अपने आँसू रोहित को नही दीखाना चाहती थी.

रोहित ने शालिनी के हाथ पर पकड़ और मजबूत कर दी. “तुम रो क्यों रही थी.”

“तुमने कब देखा मुझे रोते हुए…तुम तो मुझे देख भी नही रहे थे.” शालिनी की आवाज़ में दर्द था.

“माफ़ करदो मुझे उस गुस्ताख़ी के लिए. तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ मैं. तुम्हे ना देख कर खुद को ही सज़ा दी मैने.”

“मुझे कुछ नही सुन-ना तुमसे. छोड़ो मेरा हाथ.” शालिनी ने हाथ को ज़ोर से झटका. रोहित ने हाथ छोड़ दिया.

“लो छोड़ दिया हाथ तुम्हारा. मुझे कोई शॉंक नही है तुम्हारा हाथ पकड़ने का.”

शालिनी ने कार का दरवाजा खोला और अंदर बैठ कर कार स्टार्ट करके वहाँ से निकल गयी. शालिनी बहुत स्पीड से निकली वहाँ से.

“पागल हो गयी है लगता है. इतनी स्पीड से भागने की क्या ज़रूरत थी.” रोहित भी भाग कर अपनी कार में आया और कार स्टार्ट करके शालिनी के पीछे चल दिया.

शालिनी इतने गुस्से में थी कि उसे ध्यान ही नही रहा की वो ग़लत रास्ते से मूड गयी है. उसने कार जंगल के रास्ते पर मोड़ ली थी. उसे पता चल गया था कि रोहित पीछे आ रहा है इसलिए उसने कार घुमाने की कोशिस नही की. वैसे जंगल पार करके एक सड़क उसके घर तक जाती थी, इसलिए भी उसने गाड़ी नही मोडी.

“अब क्यों आ रहे हो तुम मेरे पीछे. कल से तो ना जाने कहाँ गायब हो गये थे. पहली बार इतना रोई मैं जिंदगी में. तुम्हे कभी माफ़ नही करूँगी मैं.”

अचानक शालिनी की नज़र सड़क के बीचो बीच खड़ी कार पर गयी. अभी वो कार से बहुत दूर थी मगर उसे ये सॉफ दीखाई दे रहा था की कार सड़क के बीच में खड़ी है.

“ये सड़क के बीच में किसने पार्क कर रखी है कार.” शालिनी हैरत में पड़ गयी.

ना चाहते हुए भी शालिनी को ब्रेक लगाने पड़े. शालिनी ने कार में बैठे बैठे देखा गौर से उस कार को.

“कोई नज़र नही आ रहा कार में.”

चारो तरफ अंधेरा था. बस अपनी कार की लाइट की रंगे में ही देख पा रही थी शालिनी.

अचानक एक चीन्ख सुनाई दी शालिनी को. “हेल्प…आहह ओह नो प्लीज़.”

शालिनी ने अपने पर्स से गन निकाली और कार से बाहर आ कर जंगल की तरफ बढ़ी. तब तक रोहित भी पहुँच गया था वहाँ. रोहित तुरंत अपनी कार से बाहर आया शालिनी का हाथ पकड़ लिया, “रूको कहाँ जा रही हो तुम?”

“श्ह्ह्ह चुप रहो….संबडी नीड्स हेल्प.”

“आ स प हो पर अकल एक धेले की नही है. पहले देख तो लें कि माजरा क्या है.”

रोहित सड़क के बीच खड़ी कार के पास आया. उसने झाँक कर देखा कार में. अगली सीट पर ड्राइवर की लाश पड़ी थी. उसके सर से खून बह रहा था.

“सर में गोली मारी गयी है इसके.”

तभी फिर से एक चीन्ख सुनाई दी, “नहियीईई….प्लीज़……”

“किसी लड़की की आवाज़ है ये.” रोहित ने कहा.

“तुम जाओ यहाँ से मैं संभाल लूँगी.”

“अकेली क्या संभालॉगी तुम यहाँ.”

“पोलीस पार्टी बुला रही हूँ. तुम जाओ अपना काम देखो…क्या भूल गये तुम कि तुम रिज़ाइन कर चुके हो. तुम्हे यहाँ रुकने का कोई हक़ नही है.”

“कैसे बुलाओगी यहाँ जंगल में सिग्नल ही नही आता फोन पर.” रोहित ने कहा.

“तो मैं खुद देख लूँगी कि क्या करना है. यू गेट दा हेल आउट ऑफ हियर.” शालिनी ने कहा.

तभी एक और चीन्ख सुनाई दी उन्हे. इस बार चीन्ख किसी आदमी की थी.

शालिनी भाग कर जंगल में घुस गयी. रोहित भाग कर अपनी कार के पास आया.

“मेरी गन कहा है यार. ये ए एस पी साहिबा मेरी जान ले लेगी.”

गन सीट के नीचे पड़ी थी. 1 मिनिट खराब हुआ गन ढूँडने में. गन मिलते ही रोहित शालिनी के पीछे जंगल में घुस गया.

अंधेरा बहुत था जंगल में. रोहित भाग कर आया था जंगल में. शालिनी दीखाई नही दी और टकरा गया उस से. गिरते-गिरते बची वो.

“ये क्या बदतमीज़ी है.” शालिनी छील्लाई.

“श्ह्ह… चुप रहो मेडम जी. ग़लती से टक्कर लग गयी. जान बुझ कर नही मारी मैने.”

तभी गोली चलने की आवाज़ आई. रोहित ने शालिनी का हाथ पकड़ा और उसे एक पेड़ के पीछे ले आया.

“क्या कर रहे हो तुम.”

“गोली चली…सुना नही क्या तुम्हे. हो सकता है हम पर चलाई गयी हो. पेड़ के पीछे रहना ठीक है.”

शालिनी भी गुस्से में थी और रोहित भी गुस्से में था. दोनो एक दूसरे से खफा थे. पेड़ से सत कर खड़े थे दोनो साथ साथ. उनका आधा ध्यान क्राइम को हॅंडल करने पर था और आधा ध्यान अपने बीच हो रही कसंकश पर था. कुछ-कुछ कोल्ड वॉर जैसी स्तिथि बनी हुई थी.

क्रमशः..........................
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