Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:53 PM,
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--100

गतान्क से आगे.................

"राज शर्मा तुम पद्‍मिनी के साथ ही रहो...नीचे हर तरफ नज़र रखना."

"जी सर." राज शर्मा ने कहा.

रोहित उपर पहुँचा तो हैरान रह गया. पद्‍मिनी के कमरे में बिस्तर पर एक पैंटिंग पड़ी थी. साइको कहीं नही दीख रहा था.

"हर तरफ ध्यान से देखो...वो ज़रूर यही कही होगा." रोहित ने कहा.

रोहित ने पैंटिंग को गौर से देखा. पैंटिंग में घुटनो पर सर टीका कर एक लड़की बैठी थी. उसकी पीठ में खंजर गढ़ा था. लड़की का चेहरा पद्‍मिनी से मिलता जुलता था. लड़की के चारो तरफ हरी हरी घास थी.

"सर यहाँ कोई भी नही है."

"ऐसा कैसे हो सकता है. दुबारा अच्छे से चेक करो."

रोहित ने खुद उपर के फ्लोर को अच्छे से चेक किया पर वहाँ साइको का नामो निसान नही था.

"हमारे आते ही निकल गया क्या वो. इतना डरपोक है तो क्यों करता है ये काम." रोहित ने सोचा.

"राज शर्मा ने कहा कि वो बहुत देर से उपर ही था. क्या कर रहा था वो यहा? क्या वो पद्‍मिनी के लिए नही आया था यहाँ? क्या उसे सिर्फ़ ये पैंटिंग रखनी थी यहाँ? या फिर हो सकता है कि हमारे साइरन की आवाज़ सुन कर भागा हो. साइको का मायाजाल है ये...कुछ भी हो सकता है."

घर के आस-पास हर तरफ देखा गया मगर साइको नही मिला.

“वो पद्‍मिनी के कमरे की खिड़की से दाखिल हुआ था अंदर. खिड़की का दरवाजा टूटा हुआ है.” रोहित ने कहा.

“सर बहुत देर रहा उपर वो…क्या किया होगा उसने उपर इतनी देर?” राज शर्मा ने पूछा

“उपर एक पैंटिंग पड़ी है…लेकिन वो यहाँ आकर तो नही बनाई उसने. कलर फ्रेश तो नही हैं. पता नही क्या किया उसने इतनी देर उपर. शायद दहशत फैलाना चाहता हो पद्‍मिनी के मन में. या फिर वो नीचे आता थोड़ी देर में पर पोलीस के आते ही भाग गया.”

“सर यहाँ जो लोग भी थे मेरे साथ सब मार दिए उसने. बंदूक की गोली की एक आवाज़ तक नही सुनाई दी. सभी को सूट किया उसने छुप कर.” राज शर्मा ने कहा.

“ह्म्‍म्म…बहुत बुरा हुआ…ये पोलीस वालो को मारे जा रहा है और हम कुछ नही कर पा रहे.”

“सर आज बचता नही वो अगर नीचे आता तो. हमने आयिल गिराया था सीढ़ियों पर लेकिन वो हमारे जाल में फँसा ही नही.”

“मैं तुम्हे दूसरे लोग दे देता हूँ…फिलहाल निकलता हूँ. सहर में एक राउंड ले लेता हूँ. कही से तो भागा होगा वो.” रोहित ने कहा.

रोहित 4 कॉन्स्टेबल और 2 गन्मन वही छोड़ कर चला गया. मोबाइल जॅमर का कुछ पता नही चला. वैसे फोन में सिग्नल वापिस आ गया था. शायद साइको अपना जॅमर वापिस ले गया था.

रोहित के जाने के बाद राज शर्मा ने कॉन्स्टेबल्स और गन्मन को तैनात कर दिया. बाहर अच्छे से सभी को सतर्कता का आदेश दे कर राज शर्मा वापिस पद्‍मिनी के पास आया और बोला, “अगर आपकी इज़ाज़त हो तो मैं आपके साथ ही रहना चाहूँगा”

“नही तुम मेरे साथ नही रह सकते. तुम्हारा कोई भरोसा नही है.”

“पर मैं आपको अब अकेला नही छोड़ सकता. पता नही क्या गेम खेल रहा है साइको. मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है.”

“कैसी गड़बड़?”

“देखिए ना उसने सभी को मार दिया था यहा. सिर्फ़ मैं और आप बचे थे. सब कुछ उसके कंट्रोल में था…फिर भी वो बस एक पैंटिंग रख कर चला गया. कुछ अजीब सा लगता है. कोई बहुत ही ख़तरनाक गेम लगती है उसकी जो कि हम समझ नही पा रहे.”

“डराओ मत मुझे.”

“देखिए आप कुछ भी कहें पर मैं आपको अकेले छोड़ने वाला नही हूँ अब. हर वक्त आपके साथ ही रहूँगा…यही अंदर.”

“तुम ये सब जान बुझ कर बोल रहे हो ताकि तुम्हे मेरे साथ छेड़कानी के मोके मिलते रहें हैं ना?”

“आपकी कसम खा कर कहता हूँ ऐसा कुछ नही है. मुझे सच में गड़बड़ लग रही है.”

“ठीक है फिर…मैं मम्मी-डेडी के कमरे में सो जाती हूँ तुम उस कमरे में सो जाओ.”

“नही ये नही चलेगा.”

“तो क्या मुझसे चिपक कर रहोगे तुम”

राज शर्मा ने पद्‍मिनी को बाहों में भर लिया और बोला, “बुराई क्या है आपके साथ रहने में. हम प्यार करते हैं एक दूसरे से.”

“हां पर हमारी शादी नही हुई अभी और तुम पागलपन सवार है. मुझे तुमसे डर लगता है.”

“किस बात का डर?”

“छोड़ो तुम नही समझोगे…”

“ठीक है ऐसा करते हैं आप अपने पेरेंट्स के बेडरूम में सो जाओ मैं चदडार बिछा कर उसके बाहर लेट जाता हूँ. ये तो ठीक रहेगा ना. या फिर इसमे भी कोई दिक्कत है.”

“पर तुम ज़मीन पर कैसे सो पाओगे.”

“आपके लिए कही भी सो जाउन्गा. और वैसे भी मुझे जागना है. दिमाग़ की दही कर दी है इस साइको ने. सब को मार कर घर में घुसा और बिना किसी हंगामे के चुपचाप चला गया. इस पहेली को सुलझाना होगा. मुझे नींद नही आएगी…आप निसचिंत हो कर सो जाओ.”

“ठीक है जैसी तुम्हारी मर्ज़ी. नींद तो मुझे भी नही आएगी शायद. फिर भी सोने की कोशिस करती हूँ. सर बहुत भारी हो रहा है.”

“हां आप सो जाओ…लेकिन एक गुड नाइट किस तो देती जाओ.” राज शर्मा ने पद्‍मिनी के होंटो को जाकड़ लिया अपने होंटो के बीच.

पद्‍मिनी ने कोई ज़्यादा विरोध नही किया.

“बस अब जाउ…हर वक्त एक ही काम में मन रहता है तुम्हारा.”

“क्या करें ये प्यार मजबूर कर देता है इस सब के लिए.” राज शर्मा ने कहा.

“रहने दो प्यार मैं भी करती हूँ पर तुम तो पागल हो गये हो.”

पद्‍मिनी ने राज शर्मा को एक चदडार और तकिया दे दिया और अपने बेडरूम में जाते वक्त बोली, “यहा नींद ना आए तो उस बेडरूम में सो जाना जाकर.”

“जी बिल्कुल. आपको नींद ना आए तो मेरी बाहों में चली आना मैं लोरी सुना कर सुना दूँगा आपको.”

“पता है मुझे तुम क्या सूनाओगे…गुड नाइट.” पद्‍मिनी बेडरूम में घुस गयी.

राज शर्मा चदडार बीचा कर लेट गया. वो गहरे ख़यालों में खो गया.

“क्या चाहता है ये साइको…हर बार कुछ अलग सा करता है. इस बार क्या गेम है इसकी. पता लगा कर रहूँगा मैं भी चाहे कुछ हो जाए.”

राज शर्मा के मन में उथल पुथल चल रही थी. नींद कोसो दूर थी उसकी आँखो से. उसकी आँखो के सामने सब कुछ हुआ था. इसलिए उसके दिमाग़ का इन सवालों में उलझना लाज़मी था.

“वो सिर्फ़ पैंटिंग रखने के लिए तो यहा नही आया था. इतने पोलीस वालो को मारा उसने. इतना ख़तरा मोल लिया. और जब सिचुयेशन उसके कंट्रोल में थी तो चला गया. इट्स वेरी…वेरी स्ट्रेंज.” राज शर्मा ने सोचा.

नींद पद्‍मिनी की आँखो से भी कोसो दूर थी. साइको का ख़ौफ़ उसके दिलो दिमाग़ को घेरे हुए था.अचानक उसे ख्याल आया, “मुझे कंफर्टबल बिस्तर पर नींद नही आ रही तो राज शर्मा को ज़मीन पर कैसे नींद आ रही होगी.”

कुछ सोच कर वो उठी और बेडरूम का दरवाजा खोल कर बाहर आई, “तुम जाग रहे हो.”

“आपके बिना नींद कैसे आएगी.”

“रहने दो…मैं ये कहने आई थी कि दूसरे बेडरूम से गद्दा ले आओ यहा फर्श पर नींद नही आएगी.”

राज शर्मा उठा और पद्‍मिनी के पास आ कर उसके चेहरे पर हाथ रख कर बोला, “गद्दे को मारिए गोली और आप आ जाओ यहाँ. सच तो ये है कि हमें एक दूसरे के बिना नींद नही आएगी.” राज शर्मा ने कहा

“ऐसा कुछ नही है…मुझे तो इस साइको ने जगा रखा है. पता नही क्या चाहता है?”

“तो क्या मुझसे दूरी बर्दास्त कर लेती हैं आप.”

“हां बल्कि तुमसे दूरियाँ तो दिल को सुकून देती हैं” पद्‍मिनी ने हंसते हुए कहा.

“अच्छा अगर हमेशा के लिए दूर हो गये आपसे तो सुकून से भर जाएगी जींदगी आपकी.”

पद्‍मिनी ने राज शर्मा के मुँह पर हाथ रखा, “चुप रहो…मज़ाक कर रही थी मैं.”

राज शर्मा ने पद्‍मिनी का हाथ पकड़ा और बोला, “आओ ना साथ लेट कर प्यारी-प्यारी बाते करेंगे. वैसे भी नींद तो आएगी नही हमें क्यों ना साथ रह कर ये पल हसीन बना दें.”

“नही राज शर्मा मुझे नींद आ रही है…जाने दो”

“झूठ…प्यार में साथ रहना चाहिए ना कि अलग-अलग. नींद आएगी तो यही सो जाना”

“राज शर्मा मज़ाक नही है ये कोई…छोड़ो.” पद्‍मिनी ने गुस्से में कहा.

“आप को साथ रहने को बोल रहा हूँ…कोई सुहागरात मनाने को नही बोल रहा. जाओ जाना है तो…मुझे तो नींद नही आ रही.” राज शर्मा ने पद्‍मिनी का हाथ छोड़ दिया.

राज शर्मा फर्श पर पड़ी चदडार पर आ कर लेट गया पद्‍मिनी खड़ी-खड़ी देखती रही. अजीब सी स्थिति में फँस गयी थी वो. राज शर्मा की नाराज़ भी नही देख सकती थी और उसके पास भी नही जा सकती थी.

“कैसे लेट जाउ इसके पास जाकर…इसका भरोसा तो कोई है नही.” पद्‍मिनी ने सोचा.

राज शर्मा आँखो पर बाजू रख कर पड़ा था. ऐसा लग रहा था जैसे कि बहुत नाराज़ है पद्‍मिनी से. पद्‍मिनी खड़े-खड़े उसे देख रही थी. अजीब कसंकश में थी वो. ना वो राज शर्मा को नाराज़ छोड़ कर वापिस बेडरूम में जा सकती थी और ना राज शर्मा के पास जा कर लेट सकती थी. कुछ सोच कर वो आगे बढ़ी और राज शर्मा के पास आकर बैठ गयी और धीरे से बोली, “नाराज़ हो गये मुझसे?”

राज शर्मा ने कोई जवाब नही दिया. चुपचाप पड़ा रहा.

“बात नही करोगे मुझसे…” पद्‍मिनी ने बड़ी मासूमियत से कहा.

“ओह आप…आप कब आई. मुझे तो नींद आ गयी थी.” राज शर्मा ने कहा.

“नाराज़ हो गये मुझसे?”

राज शर्मा अचानक उठा और पद्‍मिनी को बिस्तर पर लेटा कर चढ़ गया उसके उपर.

“आपसे नाराज़ हो कर कहाँ जाउन्गा. मुझे पता था कि आप ज़रूर आएँगी.”

“मैं बात करने आई हूँ ना कि ये सब करने…हटो.” पद्‍मिनी छटपटाते हुए बोली.

राज शर्मा ने बिना कुछ कहे पद्‍मिनी की गर्दन पर अपने गरम-गरम होन्ट टिका दिए. पद्‍मिनी के शरीर में बीजली की लहर दौड़ गयी. वो बोली, “हट जाओ राज शर्मा…प्लीज़.”

मगर राज शर्मा पद्‍मिनी की गर्दन को यहाँ वहाँ चूमता रहा. पद्‍मिनी छटपटाती रही उसके नीचे.

अचानक वो रुक गया और अपने होन्ट हटा लिए पद्‍मिनी की गर्दन से.

“क्या बात है. आपके हर अंग में कामुक रस है. म्रिग्नय्नि सी आँखें हैं आपकी और म्रिग्नय्नि सी ही गर्दन है. मज़ा आ गया”

“अब हटने का कष्ट करोगे?”

राज शर्मा हँसने लगा और बोला, “बिल्कुल नही…आज थोड़ा आगे बढ़ेंगे प्यार में.”

“क्या मतलब?”

राज शर्मा ने पद्‍मिनी के उभारो को थाम लिया दोनो हाथो से. पद्‍मिनी के पैरो के नीचे से ज़मीन निकल गयी.

“राज शर्मा…ये क्या कर रहे हो…हटो.” पद्‍मिनी ने राज शर्मा के हाथ दूर झटक दिए.

“छू लेने दीजिए ना…प्यार करते हैं हम आपसे कोई मज़ाक नही.”

“अब तो ये सब मज़ाक ही बन चुका है. तुम मेरे शरीर से खेल रहे हो और कुछ नही. शक होता है मुझे कि ये प्यार है तुम्हारा या हवस.”

“लव ईज़ प्यूरेस्ट फॉर्म ऑफ लस्ट…आइ गेस. जब प्यार हो गया आपको मुझसे तो खुद को बंधनों में क्यों जाकड़ रखा है आपने. आज़ाद कीजिए खुद को और मेरे साथ प्यार के हसीन सफ़र पर चलिए. यकीन दिलाता हूँ आपको कि आप निराश नही होंगी.”

क्रमशः........................
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