Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:32 PM,
#82
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--77

गतान्क से आगे.................

रीमा ने रोहित की आँखो में देखा और बोली, “आइ लव यू, क्या मज़ाक में कहता है कोई किसी को.”

रोहित रीमा को अपने से अलग कर देता है, “रीमा दिस ईज़ टू मच. दोस्त हैं हम. दोस्त ही रहेंगे. तुम्हे पता है मैं किस से प्यार करता हूँ फिर भी.”

“हां पर वो तुमसे बात तक नही करती. क्यों पीछे पड़े हो उसके. क्या पता वो किसी और को चाहती हो.”

“रीमा प्लीज़ ये सब बोलने की ज़रूरत नही है तुम्हे. अगर तुम सच में प्यार करती हो मुझे तो धन्यवाद है तुम्हारा. मगर मैं झूठ नही बोलूँगा. मेरे दिल में तुम्हारे लिए कोई अहसास नही है. तुम्हे धोका नही दे सकता. मैं तुम्हे दोस्त के रूप में देखता हूँ और कुछ नही.”

रीमा की आँखे टपकने लगी ये सुन कर. रोहित ने ये देख कर उसे बाहों में भर लिया और बोला, “पागल हो गयी हो तुम क्या. रो क्यों रही हो. मैने तुम्हे सच बोल दिया रीमा. झुत बोलने से फ़ायडा क्या है. कभी तुमसे प्यार हुआ तो ज़रूर कहूँगा. अभी वो अहसास नही है तो कैसे कह दूं.”

“कोई बात नही रोहित. चलो छोड़ो. लाओ कुछ खाने के लिए भूक लगी है मुझे. वैसे सच ही कहा था तुमने, बिल्लू और ऋतु के जैसा प्यार हर किसी को नसीब नही हो सकता. काश मेरी छोटी सी भूल भी प्यार में बदल जाती. मेरी तुम्हारी गाड़ी तो सेक्स पर ही रुक गयी है. एक दूसरे के शरीर से खेले और बाइ-बाइ करके चलते बने.”

“अब कैसे सम्झाउ तुम्हे.”

“कुछ समझाने की ज़रूरत नही है. चलो कुछ खाने को ले आओ. भूक लग रही है मुझे.”

“यार खाना तो बनाना पड़ेगा. ऐसा करता हूँ बाहर से मॅंगा देता हूँ.”

“नही…बाहर से क्यों मँगाओगे. मैं बना देती हूँ.”

रीमा ने प्यार से स्वदिस्त खाना बनाया.

“वाह यार बहुत अच्छा खाना बनाती हो तुम तो. मज़ा आ गया.”

रोहित मुझे कॉलेज जाना होगा. एक असाइनमेंट सब्मिट करनी थी शाम तक. वो सब्मिट करके घर चली जाउन्गि.”

“ठीक है मैं तुम्हे छोड़ दूँगा. अभी तो 2 ही बजे हैं.”

“बस अभी छ्चोड़ दो तो अतचा है. असाइनमेंट लिखनी भी तो है अभी. लाइब्ररी में बैठ कर लिख लूँगी.”

“ओके…जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.”

रोहित रीमा को कॉलेज छ्चोड़ कर घर वापिस आ जाता है और बेड पर लेट जाता है. उसके दिमाग़ में रीमा की कही बाते ही घूम रही थी. जब वो उसे कॉलेज छोड़ने गया था तो रीमा रास्ते भर चुप रही थी. रोहित की जीप से उतर कर उसने रोहित को एक दर्द भारी मुस्कान से बाइ किया था.

“ओह रीमा मुझे वक्त दो. झुत नही बोल सकता था तुमसे. तुम आतची लड़की हो. सुंदर हो. काश तुमसे ही प्यार हो जाए मुझे. प्यार भी अजीब चीज़ है. जहा ढूँढते हैं वहाँ नही मिलता. जहा पाने की तम्मन्ना भी नही होती वहाँ मिल जाता है. सोचूँगा रीमा तुम्हारे बारे में. थोडा सा वक्त दो मुझे.”

सोचते-सोचते रोहित की आँख लग गयी. बहुत गहरी नींद शो गया वो. शाम के 8 बजे उसे डोर बेल ने जगा दिया.

रोहित ने घड़ी में टाइम देखा, “ऑम्ग 8 बाज गये. इतनी देर तक शोता रहा मैं. कौन है इस वक्त.”

रोहित ने दरवाजा खोला तो उसे दरवाजे पर एक लिफ़ाफ़ा पड़ा हुआ मिला. रोहित ने दायें बायें देखा पर उसे कोई दिखाई नही दिया.

रोहित ने लिफ़ाफ़ा खोला उसने जो देखा उसे देख कर उसके पाँव के नीचे से ज़मीन निकल गयी. रीमा की फोटो थी उसमें. रीमा के शरीर पर एक भी कपड़ा नही था और उसे बेड पर बाँध रखा था. एक चिट्ठी भी थी लिफाफे में. उसमें लिखा था.

“हेलो मिस्टर पांडे,

मिलने का वक्त आ गया है. आपके किसी करीबी को ढूँढ रहा था मैं. इस लड़की को आप कॉलेज छ्चोड़ कर गये और मैं इसे उठा लाया. ऐसा कीजिए आप उसी खंदार में आ जाइए चुपचाप जहा आपको निसा और रामू की खूबसूरत डेड बॉडीस मिली थी. कोई चालाकी दिखाई तो रीमा का जो हाल करूँगा वो तो तुम जानते ही हो. और घबराना मत. मेरी आर्ट का हिस्सा बन-ने जा रहे हो तुम. तुम्हे फकर होगा कि तुम मेरे हाथो मारे गये. जल्दी आइए आपके लिए एक गेम तैयार है. तुम्हारे घर से बस आधे घंटे का रास्ता है. तुरंत पहुँच जाओ वरना अंजाम तुम जानते ही हो.”

रोहित के पास कुछ भी सोचने का वक्त नही था. उसे हर हाल में टाइम से खंदार पहुँचना था. उसने सोचा भी नही था की साइको रीमा को उठा लेगा उसे अपने जाल में फँसाने के लिए. रोहित ने मोबाइल निकाला एएसपी साहिबा को फोन करने के लिए. मगर तभी उसका फोन बज उठा.

“हेलो” रोहित ने कहा.

“किसे फोन कर रहे हो मिस्टर रोहित पांडे. आप से ऐसी उम्मीद नही की थी मैने. आपकी हर हरकत पर नज़र है मेरी.”

रोहित ने चारो तरफ देखा नज़रे दौड़ा कर पर कोई दिखाई नही दिया. “ज़रूर कोई कॅमरा लगा रखा है कामीने ने.” रोहित ने सोचा.

“क्या सोच रहे हो मिस्टर पांडे. लगता है रीमा कि कोई चिंता नही तुम्हे. ये मोबाइल एक तरफ फेंक दो और बिना किसी चालाकी के खंदार आ जाओ. ”

“ओके आ रहा हूँ. मेरी जीप की चाबी अंदर पड़ी है. वो तो उठा सकता हूँ ना.”

“हां उठा लो. मगर कोई चालाकी मत करना. तुम्हारे हर मूव पर नज़र है मेरी”

रोहित घर के अंदर गया और थोड़ी देर में बाहर आ गया. मगर बाहर आते ही उसने देखा कि मिनी रिपोर्टर माइक लिए खड़ी है.

“इनस्पेक्टर रोहित पांडे जी क्या आप बता सकते हैं कि ये साइको कौन हो सकता है.” मिनी ने पूछा.

“देखिए मैं इस वक्त बहुत जल्दी में हूँ. प्लीज़ अभी कुछ मत पूछिए.” रोहित अपनी जीप की तरफ बढ़ा.

“देखिए लोगो को साइको के बारे में जान-ने का पूरा हक़ है ताकि वो सतर्क रह सकें..” मिनी ने कहा.

रोहित ने आगे बढ़ कर मिनी को गले लगा लिया और बोला, “तुम्हारी जेब में एक चिट्ठी डाल रहा हूँ. एएसपी साहिबा से कॉंटॅक्ट करना. यहाँ मत पढ़ना.”

मिनी को कुछ समझ नही आया. रोहित फ़ौरन जीप ले कर निकल गया वहाँ से.

“क्यों किया उसने ऐसा …. कुछ गड़बड़ है. चिट्ठी कही और जा कर पढ़ती हूँ.” मिनी ने मन ही मन कहा.

………………………………………………………………………

रोहित फुल स्पीड से 20 मिनिट में ही पहुँच गया खंदार पर. बड़ी सावधानी से उतरा वो जीप से. हाथ में गन तान कर खंदार में घुस गया. कोई हलचल, कोई आवाज़ नही हो रही थी वहाँ. बिल्कुल सुनसान पड़ा था वो खंदार.

रोहित पूरी सतर्कता से आगे बढ़ रहा था. खंदार के हर कोने में ध्यान से देख रहा था. जब वो उसी टूटे हुए कमरे में पहुँचा जिसमे की निसा और रामू की लाश मिली थी तो उसके होश उड़ गये.

“रीमा!” रोहित चिल्लाया.

रीमा नही थी वो. कोई और थी. पीठ में खंजर गाड़ कर उसे दीवार के सहारे खड़ा कर रखा था. उसकी पीठ थी रोहित की तरफ. पहली नज़र में वो उसे रीमा ही लगी.

रोहित भाग कर आया उसके पास. उसने उस लड़की के कंधे पर हाथ रखा ही था कि उसके गले पर कोई नुकीली चीज़ आ कर गढ़ गयी. उसने तुरंत पीछे मूड कर देखा तो पाया कि एक नकाब पोश बिल्कुल उसके पीछे खड़ा है. ज़्यादा कुछ नही देख पाया वो. कुछ ही देर में वो बेहोश हो गया.

………………………………………………………………………………

मिनी ने रोहित के घर से थोड़ा दूर जाकर पढ़ी वो चिट्ठी. “ऑम्ग…साइको ने इनस्पेक्टर की गर्ल फ्रेंड को किडनॅप कर लिया …..और इनस्पेक्टर को बुलाया है खंदार में.”

मिनी के पास एएसपी साहिबा का नंबर नही था. वो तुरंर कॅमरमन को साथ लेकर थाने पहुँची और शालिनी को वो चिट्ठी दिखाई.

“ओह नो….” शालिनी ने तुरंत बेल बजाई.

एक कॉन्स्टेबल अंदर आया.

“चौहान को भेजो जल्दी अंदर…और सभी को इक्कथा होने के लिए बोलो. हमें एक ऑपरेशन पे निकलना है.”

“जी मेडम”

चौहान अंदर आया तो शालिनी ने उसे वो चिट्ठी दिखाई.

“ये रीमा कौन है…मेडम.” चौहान ने पूछा.

“ये सोचने का वक्त नही है…जल्दी से ऑपरेशन की तैयारी करो. 2 मिनिट में निकलना है हमें.”

चौहान ने कुछ ध्यान नही दिया शालिनी की बात पर और अपनी बहन रीमा को फोन मिलाया. मगर फोन स्विच्ड ऑफ मिला.

“कही ये मेरी बहन रीमा तो नही….रोहित का उस से क्या लेना देना… …”

“ये सब बाद में सोचेंगे बेवकूफ़. जल्दी से ऑपरेशन के लिए रेडी करो सबको. ये साइको बचके नही जाना चाहिए आज.” शालिनी ने दृढ़ता से कहा. “थॅंक यू मिनी. प्लीज़ अभी कुछ मत दिखना टीवी पर. और हमारे साथ भी मत आना. बहुत ख़तरा है वहाँ.”

“ख़तरा माल लेना ही हमारी जॉब है मेडम. डॉन’ट वरी अबौट मी.”

“ओक आस यू विस”

5 मिनिट बाद शालिनी पोलीस की बहुत बड़ी पार्टी ले कर निकल पड़ी खंदार की ओर.

मगर जब वो वहाँ पहुँचे तो वहाँ उन्हे बस एक लड़की की लाश मिली. जिसकी पीठ में खंजर गढ़ा था.

“ओह शूकर है ये मेरी बहन नही है.” चौहान लड़की के चेहरे को देख कर बोला.

“मगर रोहित कहा है?” शालिनी ने कहा.

“डर कर भाग गया होगा वो मेडम” चौहान ने कहा.

“पागल हो गये हो क्या तुम. बिना सोचे समझे कुछ भी बोले जा रहे हो. अच्छे से हर तरफ देखो.” शालिनी ने चौहान को डाँट दिया.

खंदार में कर तरफ देखा गया. खंदार के पीछे जो जंगल था वहाँ भी हर तरफ देखा गया. मगर रोहित का कुछ पता नही चला.

“ऐसा करो पूरा जंगल छान मारो. लगता है हमें आने में देरी हो गयी. कुछ अनहोनी की आशंका हो रही है मुझे.” शालिनी ने कहा.

पूरा जंगल भी छान लिया पोलीस ने मगर उन्हे रोहित का कुछ शुराग नही मिला. मगर फिर भी पोलीस की तलाश जारी रही.

“खंदार में बुलाया उसने रोहित को. खंदार बिल्कुल जंगल के पास है. इस जंगल में ही गड़बड़ लगती है. पर कुछ मिल क्यों नही रहा.” शालिनी प्रेशान हो रही थी.

…………………………………………………………………………….

.

रोहित की जब आँख खुली तो उसने खुद को एक बंद कमरे में पाया. तुरंत उसकी नज़र कमरे में बिछे बेड पर गयी. रीमा निर्वस्त्र पड़ी थी उसके उपर. उसके हाथ पाँव बँधे हुए थे. बिस्तर पर ही उसके कपड़े भी पड़े थे.

“रीमा!” रोहित चिल्लाया.

“रोहित प्लीज़ मुझे बचा लो. मैं मरना नही चाहती.” रीमा रोते हुए बोली.

रोहित तुरंत उठ कर रीमा के पास आया और उसके हाथ पाँव खोल दिए.

“रीमा तुम बिल्कुल चिंता मत करो…मैं हूँ ना”

“ये वही कमरा लग रहा है जो कि हमने उस ड्व्ड में देखा था.”

“हां वही है ये. बिल्कुल वही है.” रोहित ने कहा.

“बहुत खूब मिस्टर पांडे…तुमने तो मेरे कहे बिना ही गेम शुरू कर दी. मैं भी तुम्हे यही बोलना चाहता था कि रीमा के हाथ पाँव खोलो पहले.” कमरे में आवाज़ गूँज उठी. आवाज़ एक छोटे से स्पीकर से आ रही थी जो कि दीवार पर टंगा था.

“तुम चाहते क्या हो?” रोहित ने कहा.

“बहुत ही सिंपल सी गेम है. हाथ तुमने खोल ही दिए हैं रीमा के. अब इसकी गर्दन काट कर उस डब्बे में रख दो जो कि बिस्तर के पास रखा है.”

क्रमशः..............................
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