Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:27 PM,
#68
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की-- 63

गतान्क से आगे...........

"वाह भाई वाह एक साथ दोनो का मज़ा. बहुत खूब."

परवीन चोंक गया और पीछे मूड कर देखा. एक नकाब पोश खड़ा था पीछे.

"कौन हो तुम? ये नकाब उतार कर बात करो." परवीन ने नीचे वाली लड़की की गान्ड से लंड बाहर खींच लिया.

"मेरे नाम, और पहचान में क्या रखा है. तुम मेरा काम देखो." नकाब पोश ने एक तेज धार चाकू निकाल लिया.

परवीन के तो होश उड़ गये. लड़कियाँ भी डर गयी. उन्होने फटाफट कपड़े पहने और रफू चक्कर हो गयी वहाँ से.

"क्या चाहते हो तुम मुझसे." परवीन डरता हुआ बोला.

"मुझे कुछ नही चाहिए. इस चाकू से बात करो. ये तुम्हारे खून का प्यासा है."

परवीन ये सुनते ही भागा मगर जल्द ही नकाब पोश ने उसे दबोच लिया. और फिर चाकू की बोछार हो गयी परवीन पर. खून की नादिया बह गयी वहाँ. तड़प-तड़प कर दम तौड दिया परवीन ने.

..............................

...............................

रोहित विक्की के घर से फार्म हाउस पहुँचा.

"यहाँ भी खून की नादिया बह रही है. सर क्या ये दोनो खून साइको ने ही किए हैं." भोलू ने पूछा.

"और कौन कर सकता है. इतनी दरिंदगी सिर्फ़ वही कर सकता है" रोहित ने कहा.

"हां सर, दरिन्दा है ये साइको, इंसान नही है" भोलू ने कहा.

"इस लाश को भी पोस्ट मॉर्टेम के लिए भेज दो." रोहित ने भोलू से कहा.

"जी सर."

रोहित फार्म हाउस से सीधा थाने पहुँचता है और ए एस पी साहिबा से मिलता है. वो शालिनी को क्राइम सीन की डीटेल्स बताता है.

“क्या ये साइको का ही काम है?” शालिनी ने पूछा.

“प्रीमा फेसी तो यही लगता है. दोनो लोगो के शरीर पर बड़ी बेरहमी से वार हुए हैं चाकू के. बाकी पोस्ट-मॉर्टेम में पता चलेगा.”

“एसपी साहिब आ रहे हैं आज यहाँ, और हमारे पास फिर से कुछ भी दिखाने को नही है. तुम भी ये केस हॅंडल नही कर पा रहे हो.”

“सॉरी तो से मेडम, पर मुझे दिन ही कितने हुए हैं अभी. मुझे थोडा वक्त और दीजिए.” रोहित ने कहा.

“वक्त ही नही है हमारे पास. एसपी साहिब आएँगे तो बताओ क्या बोलूं मैं उन्हे.”

तभी शालिनी के कमरे में पीयान आया, “मेडम एसपी साहिब आए हैं.”

शालिनी फ़ौरन खड़ी हुई और कॅबिन से बाहर आई. रोहित भी उसी के साथ बाहर आ गया.

“ह्म्म, ए एस पी साहिबा क्या चल रहा है. पूरे शहर को मरवा देंगी क्या आप. कब पकड़ा जाएगा ये साइको.” एसपी ने कहा.

“हम पूरी कोशिस कर रहें हैं सर.”

“कोशिस कर रहें हैं. कैसी कोशिस है ये जिसका कोई नतीजा नही निकलता. एंपी की बेटी भी मार डाली उस दरिंदे ने. सारी डाँट मुझे खानी पड़ती है. कोई आल्टर्नेटिव नही है वरना तुम्हे उठा कर बाहर फेंक देता.” एसपी ने बड़े कठोर शब्दो में कहा.

शालिनी चुपचाप खड़ी रही. अहसास था उसे भी कि एसपी साहिब पर भी दबाव है वरना वो ऐसी बाते नही करते. उसने कुछ भी कहना सही नही समझा.

“मैं बस यही कहने आया था कि डू वॉटेवर यू कॅन. मुझे जल्द से जल्द वो साइको सलाखो के पीछे चाहिए.” एसपी ने कहा और चला गया.

शालिनी ने राहत की साँस ली और वापिस अपने कॅबिन में आ गयी. रोहित भी उसके पीछे-पीछे कॅबिन में आ गया.

“सुना तुमने रोहित. अब जाओ और कुछ करो. वरना एसपी साहिब मुझे बाहर फेंके या ना फेंके मैं तुम्हे ज़रूर फेंक दूँगी बाहर.” शालिनी ने कठोर शब्दो में कहा.

रोहित गहरी साँस लेकर बाहर आ गया. उसके माथे पर पसीने थे.

“कुछ भी हो बात घूम फिर कर मेरे सर पर ही आनी है. ये केस मैं जो हॅंडल कर रहा हूँ. उफ्फ मेडम जब डाँट-ती हैं तो जान निकाल देती हैं. कुछ करना होगा अब. ये स्कॉर्पियो कार के बारे में पता करता हूँ. ”

रोहित निकल पड़ा ब्लॅक स्कॉर्पियो कार की जाँच पड़ताल में. उसने एजेन्सी से सभी ओनर्स की लिस्ट निकलवाई. बाहर में ब्लॅक स्कॉर्पियो केवल 4 लोगो के पास थी. एक स्कॉर्पियो का ओनर था गुआराव मेहरा, वो एक बिज़्नेसमॅन था और बाहर में उसका काफ़ी नाम था. एक ब्लॅक स्कॉर्पियो आर्मी के कर्नल देवेंदर के पास थी. एक ब्लॅक स्कॉर्पियो एक लेडी के नाम थी, नाम था सिमरन. वो इcइcइ बॅंक में काम करती थी. सबसे ख़ास बात ये थी की एक ब्लॅक स्कॉर्पियो सब-इनपेक्टोर विजय के नाम भी थी.

“ विजय के पास ब्लॅक स्कॉर्पियो राज शर्मा का शक सही है शायद. इस विजय पर नज़र रखनी पड़ेगी.” रोहित ने सोचा और एजेन्सी से वापिस थाने की तरफ चल दिया.

……………………………………………………………………………………………………………………

पद्‍मिनी की तबीयत खराब हो गयी थी अचानक. बहुत तेज टेंप्रेचर था. पड़ी हुई थी बिस्तर पर. डॉक्टर को बुलाया गया था घर पर ही. क्योंकि पद्‍मिनी के डेडी पद्‍मिनी को डॉक्टर के पास नही ले जाना चाहते थे. उन्हे साइको का डर जो था.

पद्‍मिनी के दर्शन मुस्किल हो गये राज शर्मा के लिए. आखरी बार तब ही देखा था उसने पद्‍मिनी को जब इनस्पेक्टर रोहित पांडे ने आकर अपनी टाँग अड़ा दी थी . देखता रहता था बार-बार खिड़की की तरफ पर हमेशा निराशा ही हाथ लगती थी. राज शर्मा ने काई बार सोचा की जाकर तबीयत पूछ आए मगर उसकी हिम्मत नही हुई. उसे डर था की कही पद्‍मिनी बुरा मान जाए. इसलिए नही गया पूछने कुछ भी.

पद्‍मिनी मेडिसिन ले कर लेती हुई थी. खोई हुई थी किन्ही ख़यालो में. रोहित से बड़े दिनो बाद मिली थी वो इसलिए कॉलेज के दिन याद आ गये थे उसे. बार बार सोच रही थी उन दिनो को पद्‍मिनी.

“तुम अपनी शकल ना ही दिखाते मुझे तो अच्छा था. मैं तुमसे बात क्यों करूगी. दुबारा सामने मत आना मेरे. दगाबाज हो तुम.” पद्‍मिनी ने रोहित के लिए कहा.

……………………………………………………

रोहित एजेन्सी से ब्लॅक स्कॉर्पियो के ओनर्स की लिस्ट ले कर थाने की तरफ बढ़ रहा था. वो कॉलेज के सामने से निकला तो अचानक एक लड़की पर नज़र पड़ी उसकी.

“ये तो रीमा है, मिलता हूँ इस से. ट्रेन की मुलाकात के बाद बात ही नही हुई इस से.” रोहित ने सोचा.

रोहित ने जीप रोक दी कॉलेज के बाहर और रीमा को आवाज़ दी. वो अकेली ही निकल रही थी कॉलेज से. रोहित को देख कर चोंक गयी. रोहित के पास आई और बोली, “तुम पोलीस की जीप में क्या कर रहे हो.”

“तुम्हारे निक्कम्मे भैया की तरह मैं भी पोलीस वाला हूँ.”

“मेरे भैया को निकम्मा मत कहो. दिन रात ड्यूटी करते हैं वो.”

“वो तो है चलो छोड़ो…और बताओ कैसी हो. ट्रेन की उस मुलाकात के बाद तो आपने याद ही नही किया मुझे.”

“ठीक हूँ मैं. वक्त ही नही मिला. वैसे भी आपने कौन सा नंबर या पता दिया था अपना जो याद करती.”

“ऐसा है क्या, ठीक है आज अपना अड्रेस और नंबर दे देता हूँ. पर मेरे घर पर जगह नही रहती. मेरे पेरेंट्स साथ रहते हैं. एक छोटी बहन भी है ज्योति. वहाँ काम-क्रीड़ा नही की जा सकती.”

“भैया अक्सर बाहर रहते हैं मेरे. घर पर अकेली ही रहती हूँ अक्सर. आज भी अकेली हूँ. भैया देल्ही गये हुए हैं. अभी घर ही जा रही हूँ.”

“यार अभी कैसे मुमकिन होगा…मैं इस साइको के केस में उलझा हुआ हूँ.”

“पहले छोटी सी भूल में उलझे हुए थे अब साइको के केस में उलझ गये.”

“क्या करू अपनी लाइफ ही कुछ ऐसी है. पढ़ रहा हूँ छोटी सी भूल भी धीरे-धीरे टाइम की कमी रहती है.”

“मैं चलूं फिर. आपके पास तो वक्त ही नही है.” रीमा ने कहा.

रोहित ने रीमा की तरफ देखा. रीमा के होंठो पर एक सेडक्टिव मुस्कान थी.

“ऐसे मत देखिए मेरी नौकरी दिक्कत में पड़ जाएगी. कभी भी सस्पेंड हो सकता हूँ मैं.”

“मैने तो कुछ नही कहा आपसे. जनाब आप चलिए…हमें देर हो रही है.” रीमा ने मुस्कुराते हुए कहा.

“उफ्फ आप नही मानेंगी…लगता है फिर से रेल बनानी पड़ेगी आपकी. आओ बैठो आपके घर चलते हैं.” रोहित ने कहा.

“ना बाबा ना, मुझे अपनी रेल नही बनवानी है. मैं तो मज़ाक कर रही थी. मुझे कही नही जाना आपके साथ.” रीमा ने शरारती अंदाज़ में कहा.

“उफ्फ क्या अदा है आपकी. देखिए अब तो रेल बनके रहेगी आपकी. आप अब हमसे बच नही सकती. एक बार लंड हरकत में आ जाए हमारा तो हम पीछे नही हट-ते. आपने लंड खड़ा कर दिया हमारा. अब ये आपकी रेल बना कर ही बैठेगा.”

“कैसी बात करते हैं आप आपको शरम नही आती.” रीमा शर्मा कर बोली.

“उफ्फ शरमाती भी हैं आप तो. गुड…मज़ा आएगा अब. चलो बैठो जल्दी. काम-क्रीड़ा का ऐसा रूप दिखाउन्गा आपको आज कि सब कुछ भूल जाओगी.”

“आपके इरादे नेक नही लगते, आपके साथ नही जाउन्गि मैं.” रीमा ने कहा.

“अब बैठिए भी. हम तड़प रहें है और आप समझ नही रही.”

रीमा मुस्कुराते हुए जीप में बैठ जाती है. “वैसे मुझे आपसे डर लग रहा है…मगर फिर भी चल रही हूँ आपके साथ. ज़्यादा परेशान मत करना मुझे.”

“रीमा जी परेशानी में ही तो मज़ा आता है. कैसी बात करती हैं आप भी. जो परेशानी मैं दूँगा आपको वो आप जिंदगी भर याद रखेंगी.” रोहित ने रीमा की तरफ देख कर कहा.

रीमा कुछ नही बोली. बस अपने निचले होन्ट को दांतो तले दबा कर हल्का सा मुस्कुरा दी.

“उफ्फ आज तो आप शितम ढा रही हैं. रेल में कहाँ छुपा रखी थी ये जालिम अदायें आपने. मेरे लंड में तूफान खड़ा कर दिया आपने.” रोहित ने फिर से रीमा की तरफ देख कर कहा.

“सामने देख कर चलिए कही आक्सिडेंट ना हो जाए.” रीमा ने कहा.

“आक्सिडेंट तो हो ही चुका है आपके साथ. बस अब जान जानी बाकी है. घर पहुँच कर इन जालिम अदाओं से वो भी निकाल देना. उफ्फ यू आर टू हॉट”

“रहने दीजिए हर लड़की को यही बोलते होंगे आप.”

“जिसमे जो दिखता है वही बोलता हूँ मैं. आपमे जो दिखा बोल दिया. आपका घर कब आएगा?”

“बस पहुँच गये हम. अगले वाली गली से अंदर मोड़ लीजिए.”

घर में पहुँचते ही रोहित ने रीमा को बाहों में भर लिया.

“रुकिये चाय पानी तो पी लीजिए, पहली बार घर आए हैं हमारे.”

“आपके हुश्न का रस पीना है मुझे. चाय पानी मज़ा खराब करेगा.”

“आप तो बहुत बेचैन हो रहे हैं.”

“क्या आप नही हैं?”

“बिल्कुल भी नही…मुझे तो ऐसा कुछ नही हो रहा.”

“अच्छा अभी आपकी चूत में उंगली डाल कर देखता हूँ. सब क्लियर हो जाएगा. खोलिए नाडा अपना.”

“पागल नही हूँ मैं जो एक दम से नाडा खोल दूँगी अपना. क्या समझते हैं आप खुद को.” रीमा मुस्कुराते हुए बोली.

“उफ्फ अब कब तक बिजली गिराएँगी आप. चलिए आपके बेड रूम में चलते हैं.”

रोहित ने रीमा को अपनी गोदी में उठा लिया और बोला, “कहा है बेडरूम आपका. आज आपके खुद के बेडरूम में रेल बनाता हूँ आपकी.”

“ढूँढ लीजिए खुद ही. मैं आपका साथ क्यों दूं आपके मकसद में.”

“क्योंकि आपको भी अपनी रेल बनवानी है इसलिए.”

“मुझे कोई रेल नही बनवानी छोड़िए मुझे.”

रोहित ने रीमा का कमरा ढूँढ ही लिया. और उसे लाकर बिस्तर पर लेटा दिया और टूट पड़ा उस पर. उसने रीमा के होंठो को जाकड़ लिया होंठो में और दोनो के बीच बहुत ही गहरी किस हुई. किस करते करते ही रोहित ने अपने दोनो हाथ नीचे बढ़ाए और रीमा का नाडा खोल दिया. नाडा खुलते ही उसने पनटी में हाथ डाल कर रीमा की चूत में उंगली डाल दी.

“मुझसे भी ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो तुम तो. इतनी गीली चूत नही देखी मैने आज तक. अफ मज़ा आएगा आज बहुत.” रोहित ने कहा और रीमा के सारे कपड़े उतारने लगा.

जब रीमा पूरी तरह निर्वस्त्र हो गयी तो रोहित तो देखता ही रह गया, “रेल में नही देख पाया था ये मदहोश जवानी आपकी. आपका शरीर तो बहुत सुंदर है. कमर का कटाव उफ्फ…जालिम है जालिम. इन उभारो का तो क्या कहना. मॅग्निफिसेंट टिट्स इनडीड. तोड़ा सा घूमिएे आपकी गान्ड भी देखना चाहता हूँ मैं.”

“रहने दीजिए मुझे शरम आती है. आप ज़्यादा मत बोलिए.”

“इन्ही अदाओ पे तो मर मिटा हूँ मैं. घूमिएे ना. क्या मुझे आपकी सुंदर गान्ड के दर्शन नही करवाएँगी.” रोहित ने कहा.

रीमा घूम गयी रोहित के सामने. “अफ जैसा सोचा था उस से कही ज़्यादा कामुक गान्ड है आपकी.” रोहित ने कहा.

“आप इतना मत बोलिए. मुझे शरम आती है.” रीमा ने अपना चेहरा छुपा लिया हाथो में.

रोहित ने दोनो हाथो से रीमा की गान्ड को थाम लिया और उसे सहलाने लगा, “नाइस आंड सॉफ्ट आस चीक्स.”

रोहित ने अपने कपड़े भी उतार दिया फटाफट और चढ़ गया रीमा के उपर. उसने रीमा की गान्ड पर लंड रगड़ना शुरू कर दिया.

“क्या कर रहे हैं आप.”

“आग लगाने की कोशिस कर रहा हूँ इस गान्ड में. ये गरम हो जाएगी तो चोदा जा सकता है इसे भी.”

“नही ऐसा नही होगा कुछ भी. मैने आज तक अनल नही किया है. और करने का इरादा नही है.”

“क्या बात करती है आप भी. इतनी सुंदर गान्ड को आप लंड के सुख से दूर रखेंगी. ऐसा जुलम मत कीजिए इस बेचारी मासूम सी गान्ड पर.”

“आप कैसी बाते कर रहे हैं हटिए.”

मगर हटने की बजाए रोहित ने आगे बढ़ कर रीमा की आस चीक्स को चूमना शुरू कर दिया. रीमा सिहर उठी.

“आअहह…..मत कीजिए ऐसा.”

“क्यों कुछ-कुछ होता है क्या?”

“हां”

“दट मीन्स दिस आस डिज़र्व्स आ डिक इनसाइड. ट्रस्ट मी यू विल लाइक इट. चलिए आज आपकी गान्ड को भी काम-क्रीड़ा का आनंद दे दिया जाए.”

क्रमशः.........................
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