Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:16 PM,
#42
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--36

गतान्क से आगे.................

जब घर पहुँच कर पद्‍मिनी ने घर की बेल बजाई तो उसके पिता जी ने दरवाजा खोला. उन्हे विस्वास ही नही हुआ कि सामने पद्‍मिनी खड़ी है.

"पापा ऐसे क्या देख रहे हैं मैं हू पद्‍मिनी."

"बेटा" बस इतना ही कह पाए पद्‍मिनी के पिता जी और पद्‍मिनी को गले लगा लिया.

"ये सब क्या हो रहा है बेटा"

"पापा सब बताती हूँ...इनसे मिलिए ये है राज...इन्होने मेरी बड़ी मदद की है."

राज ने पद्‍मिनी के पिता जी के पाँव छुए और कहा, "ठीक है पद्‍मिनी जी अब आप अपने घर पहुँच गयी हैं...मुझे बहुत ख़ुसी है."

"आओ बेटा कुछ चाय पानी लो."

"नही अंकल रात बहुत हो चुकी है फिर कभी."

चौहान दूर खड़ा सब सुन रहा था. "ये तो साला हीरो बन गया पोलीस में आते ही अच्छी किस्मत पाई है"

पद्‍मिनी को छ्चोड़ कर राज और चौहान वापिस चल दिए. चौहान ने चार कॉन्स्टेबल पद्‍मिनी की सुरक्षा के लिए वाहा छ्चोड़ दिए.

..............................

..........................

नगमा भोलू के बिस्तर पर सो चुकी थी. भोलू की भी आँख लग गयी थी. भोलू को टाय्लेट का प्रेशर हुआ तो उसकी आँख खुल गयी.

"नींद ही आ गयी थी" भोलू ने आँखे मलते हुए कहा.

भोलू टाय्लेट से वापिस आया तो उसकी नज़र नगमा पर गयी. वो पेट के बल पड़ी थी. उसकी नंगी गान्ड भोलू पर अजीब सा असर कर रही थी.

भोलू के लंड में हरकत होने लगी.

"क्या करूँ...कैसे सेक्सी पोज़ में लेटी हुई है ये...अब कोई गान्ड ना मारे तो क्या करे."

भोलू का लंड पूरा तन गया. भोलू नगमा के उपर लेट गया. उसका लंड नगमा की गान्ड पर लेट गया.

नगमा गहरी नींद में थी और वो यू ही पड़ी रही.

भोलू ने हाथ पे थूक लगाया और नगमा की गान्ड फैला कर उसके होल को चिकना कर दिया. थोड़ा सा थूक उसने अपने लंड पर भी रगड़ लिया. फिर उसने दोनो हाथो से गान्ड को फैलाया और लंड को नगमा की गान्ड के छेद पर टीका दिया. नगमा की गान्ड पीछले 2 दिन की थुकाइ से थोड़ा खुली हुई थी. जैसे ही भोलू ने धक्का मारा आधा लंड नगमा की गान्ड में घुस्स गया.

"उूउऊययययययीीईईईई मा कौन है...कौन है." नगमा की आँख खुल गयी.

"मैं हूँ भोलू...हे..हे..हे"

"आआहह क्या कर रहे हो तुम ऊओ."

"सोती हुई लड़की की गान्ड मार रहा हूँ...आअहह.. ऊऊहह"

"आआहह....ऊऊहह ऐसा क्यों कर रहे हो तुम."

भोलू ने पूरा लंड नगमा की गान्ड में घुस्सा दिया और बोला,"तुम्हारी गान्ड अछी लगती है इसलिए."

"ऊओह मुझे उठा कर नही डाल सकते थे...मुझे डरा दिया."

"तेरी गान्ड देख कर कुछ होश ही नही रहा.... थूक लगा कर घुस्सा दिया"

"तुम हमेशा चालाकी से गान्ड मारते हो आआहह"

भोलू ने लंड बाहर की और खींचा और दुबारा अंदर डाल दिया, "तेरी गान्ड के लिए कुछ भी करूँगा आअहह."

भोलू तेज तेज नगमा की गान्ड ठोकने लगा. कमरे में नगमा की सिसकिया गूंजने लगी.

"कुतिया बन जा और ज़्यादा मज़ा आएगा तुझे क्या बोलती है आअहह"

"किसी कुतिया की ले ले जाके मैं कुतिया नही बनूँगी आअहह"

"कुतिया तो तू है ही बन-ने की क्या ज़रूरत है आअहह" भोलू नगमा की गान्ड में लंड अंदर धकेलते हुए बोला.

"तो तू कौन सा कुत्ते से कम है...आअहह"

भोलू ने अपनी स्पीड बढ़ा दी. हर धक्के के साथ नगमा की गान्ड चालक रही थी. नगमा ने मद-होशी में बिस्तर की चादर को मुथि में कश लिया था.

भोलू नगमा की गान्ड में झाड़ गया. दोनो यू ही पड़े रहे. कब दोनो को नींद आ गयी पता ही नही चला. भोलू का लंड नगमा की गान्ड की गहराई में ही सो गया.

.............................................................................................

इधर पद्‍मिनी अपने पेरेंट्स को पूरी कहानी सुनाती है.

"उस लड़के मोहित को भी कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए...ऐसा तो कोई पागल ही कर सकता है"

"छोड़िए पापा जो हो गया सो हो गया...अब बस यही दुवा कीजिए कि वो कातिल पकड़ा जाए."

पद्‍मिनी अपने पेरेंट्स के साथ काफ़ी देर तक बैठी रही. सभी खुस थे.

"चलो बेटा सो जाओ आँखे लाल लग रही हैं तुम्हारी ठीक से सोई भी नही शायद" पद्‍मिनी की मदर ने कहा.

"ठीक है...मुझे बहुत गहरी नींद आ रही है."

सभी अपने-अपने बेडरूम में चले गये. पद्‍मिनी ने खिड़की से झाँक कर देखा. बाहर रात का सन्नाटा था. 3 पोलीस वाले सो रहे थे और एक अपने मोबाइल पे कुछ देख रहा था.

"ऐसी सुरक्षा से तो सुरक्षा ना होना बेहतर है. कम से कम इंसान अपने भरोसे तो रहे." पद्‍मिनी ने सोचा.

पद्‍मिनी अपने बेडरूम में आ गयी और अपने बिस्तर में घुस गयी. "मुझे अलर्ट रहना होगा" पद्‍मिनी ने कहा.

पद्‍मिनी घर तो पहुँच गयी पर रह रह कर उसका दिल घबरा रहा था. वो डर रही थी कि कही वो कातिल वाहा ना पहुँच जाए.

..............................................................

"यार बस और नही...बहुत पी ली" मोहित ने कहा.

"पी ना यार रोज रोज कहा हम पीते हैं...आज पी रहे हैं तो क्यों ना जी भर के पिए."

"वो तो ठीक है...पर यार बहुत नशा हो रहा है."

"दूसरे नशे की जगह बाकी है कि नही"

"दूसरा नशा...कौन सा दूसरा नशा."

"मेरे पड़ोसी की बीवी बड़ी मस्त है कहे तो बुला लू...बोल क्या कहता है...अभी आ जाएगी वो."

"नया माल फ़साया है क्या...बताया नही तूने कामीने."

"तू मिला ही कहा इतने दिन से बस अभी 2 हफ्ते पहले ही फ़साई है."

"बबलू तू शादी भी करेगा या फिर यू ही काम चलाता रहेगा."

"तुझे शादी करके क्या मिल गया...कहाँ है तेरी बीवी."

"यार तू उसकी बात मत कर वो अलग ही कहानी है."

"बता दे हमे भी...हमे भी तो पता चले."

"छ्चोड़ यार मूड खराब हो जाएगा"

"बता फिर बुलाउ क्या पड़ोसन को...मस्त आइटम है."

"साले रात के दो बज रहे हैं...वो क्यों आएगी इस वक्त."

"आएगी...आएगी क्यों नही उसकी दुखती रग मेरे हाथ में है."

"ब्लॅकमेल कर रहा है क्या बे...मुझे ज़बरदस्ती किसी की लेना अच्छा नही लगता."

"अरे नही...उसका एक लोंडे से चक्कर था. मैने एक दिन उन्हे छत पर पकड़ लिया. बस तभी से मुझे भी मिल रही है उसकी. बस मैं डराता रहता हूँ उसे कि तेरे पति को सब बता दूँगा...डर कर बहुत अच्छे से देती है वो."

"जो भी हो है तो ये एक तरह की ब्लॅकमेलिंग ही."

"वो क्या सती सावित्री है कोई...ऐसा मोका कोई गवाता है क्या."

"देख यार इतनी रात को उसे मत बुला...सहर में वैसे ही का आतंक फैला हुआ है."

"अरे उसे कौन सा सड़क से आना है...छत टाप कर आ जाएगी यहा."

"वैसे सच कहु तो मेरा अभी मन नही है...एक लड़की पे दिल आ गया है यार."

"भाई मुझे तो शराब के साथ शबाब भी चाहिए अभी फोन करता हूँ साली को"

मोहित नशे में टल्ली हो रहा था. उसे सॉफ सॉफ दीखाई भी नही दे रहा था. पर वो बात ठीक से कर रहा था.

बबलू ने फोन किया, "साली उठा नही रही है...कहा मर गयी."

"रहने दे यार क्यों इतनी रात को परेशान करता है. सो रही होगी बेचारी."

"उसे परेशान करना मेरा हक है यार...मेरी बात नही मानेगी तो कल ही फँसा दूँगा साली को."

मोहित खड़ा हुआ और फोन बबलू के हाथ से छीन लिया.

"समझा कर मेरा बिल्कुल मन नही है." मोहित ने कहा.

"अच्छा तू रहने देना...पर मैं तो लूँगा साली की आज फिर...वैसे ये बता कौन है वो लड़की जो तेरा दिल ले उड़ी...और तेरा मन खराब कर दिया."

"है एक लड़की...पहले पटा लू फिर उसके बारे में बताउन्गा."

बबलू ने मोहित से फोन वापिस ले लिया और बोला, " मुझे तो मज़ा करने दे भाई मेरे...मेरा बहुत मन है अभी."

"उसका पति नही है क्या घर में जो वो इस वक्त आएगी."

"पति पोलीस में है और अक्सर अपनी ड्यूटी के कारण बाहर ही रहता है. नाइट ड्यूटी ज़्यादा रहती है उसकी."

"सेयेल तू पोलीस वाले की बीवी ठोक रहा है..किसी दिन पकड़ा गया ना तो वो तुझे ठोक देगा."

"देखा जाएगा यार...ऐसा माल क्या रोज मिलता है...तू देखेगा ना तो तेरा भी मन हो जाएगा हे..हे..हे."

"तू सच में पागल है...तेरा कुछ नही हो सकता." मोहित ने कहा.

बबलू ने फिर से फोन मिलाया, "सरिता जी क्या बात है फोन क्यों नही उठा रही"

"क्या है इतनी रात को क्यों फोन किया." सरिता ने कहा.

"फोन कब करता हूँ मैं तुझे हे..हे..हे."

"देखो मैं इस वक्त नही आ सकती...मुझे रात को घर से निकालने में डर लगता है."

"मैं तुझे रिक्वेस्ट नही कर रहा हूँ... ऑर्डर दे रहा हूँ तुझे समझी जल्दी आजा यहा वरना कल तेरे पति को तेरे कारनामे सुना दूँगा."

"देखो बाहर बहुत हलचल हो रही है आज...मुझे डर लग रहा है...कही वो कातिल यहा आस पास हुई तो."

"तुझे कौन सा सड़क पार करके आना है...छत क्रॉस करके आजा...भाने मत बना वरना मेरा दीमाग घूम जाएगा."

"ठीक है बाबा मैं 10 मिनट में आ रही हूँ."

"ये हुई ना बात...और सुन सारी पहन के आना मुझे तेरी साड़ी उतारनी अछी लगती है...हे..हे..हे."

"आधा घंटा लगेगा सारी पहन-ने में कोई मज़ाक है क्या."

"मुझे कुछ नही पता... सारी पहन कर जल्दी आ जा." बबलू ने फोन काट दिया.

"तू तो बहुत हुकुम चलाता है बेचारी पे." मोहित ने कहा.

"हुकुम चलाना पड़ता है यार वरना वो क्यों देगी मुझे...तेरे जैसा स्मार्ट तो हू नही मैं हे..हे..हे."

...................................................

"उफ्फ क्या करूँ इस कामीने का मैं...किसी भी वक्त बुला लेता है...मैं तो तंग आ गयी हूँ इस से." सरिता ने सोचा.

सरिता अपनी आल्मिरा खोल कर सारी ढूँढने लगी.

"कौन सी पहनु....क्या मुसीबत है." सरिता झल्ला कर बोली और आल्मिरा का दरवाजा पटक दिया.

"ये वक्त है किसी को बुलाने का...कितनी अछी नींद आ रही थी...उफ्फ क्या करूँ"

जैसे तैसे सरिता ने सारी पहनी और अपने बॉल-वाल सेट करके अपने घर की छत पर आ गयी.

"कितना सन्नाटा है बाहर...और ये कुत्ते पता नही क्यों भोंक रहे हैं आज. कुछ ज़्यादा ही शोर मच्चा रहे हैं."

सरिता अपने घर की छत से बबलू के घर की छत पर आ गयी.

"कही ये आ गये तो...नही नही उनकी नाइट ड्यूटी है सुबह से पहले नही आएँगे और आएँगे भी तो भी बबलू के घर से बेल तो सुन ही जाएगी...भाग कर छत के रास्ते वापिस आ जाउन्गि." सरिता चलते चलते सोच रही थी.

सरिता बबलू के घर की सीढ़ियों से नीचे आ गयी और उसने पीछे का दरवाजा खड़काया.

"लो आ गया मेरा माल...देखता जा...उसे देख कर डिसाइड करना की मन है कि नही..हे..हे..हे."

बबलू सरिता के लिए दरवाजा खोलने चल दिया. उसके कदम नशे की वजह से लड़खड़ा रहे थे.

क्रमशः..............................
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RE: Raj sharma stories बात एक रात की - by sexstories - 01-01-2019, 12:16 PM

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