Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:16 PM,
#40
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--34

गतान्क से आगे.................

मैं दो दिन देल्ही रही और अंकल ने मेरी चार बार ली. उसके बाद मुझे बार इच्छा होने लगी. फिर मेरा टांका दिनेश से भीड़ गया. उसके बाद राज मिल गया. राज के साथ कैसे हुआ वो बड़ी मज़ेदार कहानी है सुनोगी क्या?

नगमा ने ध्यान से देखा तो पाया कि पूजा सो चुकी है.

"ये भी पद्‍मिनी जैसी है मेरी बातो में कोई रूचि नही लेती हा...और ना अपनी बताती है."

नगमा ने घड़ी में देखा की रात के 10 बज चुके थे.

बाहर कुत्तो के भोंकने की आवाज़ से नगमा सहम गयी.

"कही वो यही कही तो नही घूम रहा." नगमा ने सोचा.

"अफ पहले पता होता की आज बापू नही आ रहे तो राज के साथ कोई प्रोग्राम बना लेती आज की रात बेकार जाएगी."

अचानक नगमा को घर के बाहर कुछ हलचल सुनाई देती है. वो लाइट बंद करके खिड़की से बाहर झाँक कर देखती है.

"ये भोलू यहा क्या कर रहा है?" नगमा ने सोचा.

मुझे तो ये भोलू ही कातिल लगता है. राज और मोहित को बेवकूफ़ बनाया है इसने. पर ये इस वक्त मेरे घर के बाहर क्या कर रहा है." नगमा ने सोचा.

बाहर सन्नाटा फैला था और कुत्ते बार बार भोंक रहे थे. भोलू नगमा के घर के बाहर खड़ा था.

"आख़िर ये चाहता क्या है, क्यों खड़ा है मेरे घर के बाहर"

नगमा भोलू पर बराबर नज़र रखे हुए थी. अचानक भोलू वाहा से चल दिया.

"कहा जा रहा है ये, इसका घर तो उस तरफ है" नगमा सोच में डूब गयी.

कुछ देर तक नगमा खिड़की पर खड़ी खड़ी बाहर झाँकति रही. जब उसे कुछ नज़र नही आया तो वापिस अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी.

"कुछ तो गड़बड़ है भोलू के साथ.....कामीने ने मेरी गान्ड ले ली. पर इस बात का शूकर है की मेरी जान तो नही ली. राज को आज की बात बताउन्गि. पर वो खड़ा ही तो था मेरे घर के बाहर...कही वो मेरे चक्कर में तो यहा नही था. नही नही पर आज मैं उसके साथ नही जाती बड़ी चालाकी से गान्ड मारता है....अफ पर मेरी रात तो बेकार जा रही है" नगमा पड़े पड़े कुछ ना कुछ सोचे जा रही है.

..............................

..........................................

"ये गुरु कहाँ रह गया...10 बज चुके हैं." राज ने कहा.

पद्‍मिनी अपने ही ख़यालो में खोई थी. उसने कोई रिक्ट नही किया.

"पद्‍मिनी जी आप खाना खाओ ना कब तक आप यू ही चुपचाप बैठी रहेंगी."

"मुझे भूक नही है तुम खा लो"

"आपके बिना नही खाउन्गा मैं"

पद्‍मिनी ने राज की तरफ देखा और बोली,"मुझे भूक नही है कहा ना"

"थोड़ा तो ले लीजिए ऐसा कैसे चलेगा...आज भूक क्यों नही है"

"मुझे अब पोलीस में जा कर सारी सच्चाई बता देनी चाहिए"

"बात तो ठीक है मैं आपके साथ हूँ...पर इस से कुछ हाँसिल नही होगा. आपको पकड़ कर बंद कर दिया जाएगा और केस क्लोज़ कर दिया जाएगा."

"तो मैं क्या करूँ यही पड़ी रहू सारी उमर"

"मुझ पर यकीन रखिए मैं हू ना. मैं उसी इनस्पेक्टर के साथ हूँ जो इस केस को हॅंडल कर रहा है"

"तुम्हारा गुरु कहा है?"

"पता नही पूजा को छ्चोड़ने गया था...ना जाने कहा रह गया"

तभी राज का मोबाइल बज उठा. राज ने फोन उठाया और सुन कर रख दिया.

"गुरु घर नही आएगा आज" राज ने कहा.

"क्यों क्या हुआ?"

"अपने किसी दोस्त के साथ बैठा पी रहा है."

"बहुत बढ़िया मुझे मुसीबत में फँसा के जनाब दारू पी रहे हैं"

"आप कुछ खाओ ना" राज ने कहा.

राज के इतना कहने के बाद थोड़ा खा लेती है. राज भी खा लेता है.

"कल रात सुरिंदर के साथ कोई लड़की थी. उसे ढूँढना पड़ेगा. हो सकता है उसे कुछ पता हो के बारे में"

"वो वाहा क्या कर रही थी." पद्‍मिनी ने पूछा.

"बेडरूम का बिस्तर उथल पुथल था और...."

"बस बस समझ गयी" पद्‍मिनी ने राज को टोक दिया.

"अभी उस लड़की का कुछ आता पता नही लेकिन उम्मीद है की जल्दी पता चल जाएगा."

"ह्म....ठीक है राज तुम अब जाओ...मुझे नींद आ रही है"

"मैं आपको अकेला छ्चोड़ कर नही जाउन्गा"

"नही तुम जाओ मुझे अकेला छ्चोड़ दो" पद्‍मिनी बोल ही रही थी कि उसके सर से अचानक कुछ टकराया.

"आअहह" पद्‍मिनी दर्द से कराह उठी

राज ने ध्यान से देखा तो पाया कि पद्‍मिनी के पैरो में काग़ज़ में लिपटा एक पत्थर पड़ा था. राज ने फ़ौरन उसे उठाया और काग़ज़ को पत्थर से अलग करके पत्थर एक तरफ फेंक दिया. राज ने काग़ज़ फैलाया. उस पर लिखा था "यू कॅन रन बट यू कॅन नेवेर हाइड"

राज ने काग़ज़ पद्‍मिनी को दिया और फ़ौरन बाहर आकर देखा. कुत्ते ज़ोर ज़ोर से भोंक रहे थे और चारो तरफ सन्नाटा था. राज को कुछ दीखाई नही दिया.

पद्‍मिनी ने काग़ज़ पर लिखे शब्द पढ़े तो वो थर थर काँपने लगी. रौ दरवाजा बंद करके वापिस अंदर आ गया. थोड़ा वो भी डरा हुआ था.

"उस रात जंगल में वो चिल्ला चिल्ला कर यही बोल रहा था जो इस काग़ज़ पर लिखा है" पद्‍मिनी ने कहा.

राज ने फ़ौरन खिड़की बंद की और बोला,"उफ्फ वो कॅटा भी नही है आज...गुरु को भी आज ही पीनी थी"

"अरे आपके सर से तो खून निकल आया है" राज ने कहा.

पद्‍मिनी ने सर पर हाथ रखा तो उसकी उंगली पर खून की कुछ बूंदे लग गयी.

राज ने फोन निकाला और इनस्पेक्टर चौहान को फोन लगाया. पर उनका नंबर नही मिला. फिर उसने सब इनस्पेक्टर विजय को फोन किया. उन्होने फोन नही उठाया.

"उफ्फ कैसे पोलीस वाले हैं ये...कोई भी एमर्जेन्सी हो ये नही मिलेंगे" राज बड़बड़ाया.

हार कर राज ने मोहित को फोन किया. पर नशे की हालत में उसने भी फोन नही उठाया.

"सब के सब निक्कममे हैं मुझे ही कुछ करना होगा." राज ने कहा और कुण्डी खोलने लगा.

"क्या कर रहे हो बाहर मत जाओ...वो बहुत ख़तरनाक है" पद्‍मिनी ने कहा.

राज रुक गया और बोला, "पर उसे पकड़ने को अच्छा मोका था."

पद्‍मिनी जी यहा कुछ नही है सर पे लगाने को आप ऐसा करो थोड़ा ठंडा पानी डाल लो चोट पर खून बंद हो जाएगा."

"कोई बात नही खून बंद हो चुका है मामूली सी चोट है ठीक हो जाएगी"

"पद्‍मिनी जी आप की जगह कोई और होता तो ना जाने क्या हाल होता उसका. आप बड़ी बहादुरी से सब सह रही हो"

"बस बस मक्खन मत लगाओ मैं जानती हूँ तुम क्या कोशिस कर रहे हो"

"आप ऐसा क्यों बोलती हैं मुझे...मैं तो बस..."

"उसे पता है की मैं यहा हूँ" पद्‍मिनी ने कहा.

"शायद"

"शायद नही...उसे पता है वरना वो ये पत्थर क्यों फेंकता"

"नगमा के पीछे आया था वह कल यहा...हो सकता है वो उसके पीछे हो. कल आपको उसने नही पहचाना होगा. आज तो वो खिड़की के पास आया ही नही बस पत्थर फेंका है दूर से."

"हां पर ये तुम्हारा अंदाज़ा है...मैं एक पल भी यहा नही रुकूंगी मैं इसी वक्त घर जा रही हूँ"

"ये आप क्या कह रही हैं...ये वक्त कही आने जाने का नही है"

"तो क्या करूँ इस कमरे में बैठे बैठे अपनी किस्मत को रोती रहूं...मुझे अब यहा से जाना ही होगा."

"पद्‍मिनी जी आप समझ नही रही हैं वो बाहर ही कही है" राज ने कहा.

"तुम भी नही समझ रहे हो मेरा यहा रहना भी ठीक नही है"

"मैं समझ रहा हूँ पर...एक मिनट"

"क्या हुआ" पद्‍मिनी ने पूछा.

"एक काम हो सकता है"

"क्या?"

"हम एएसपी शालिनी जी से मिलते हैं और उन्हे सारी बात बताते हैं. मुझे यकीन है कि वो हमारी बात समझेंगी."

"ह्म्म कैसी हैं ये शालिनी."

"बहुत कड़क ऑफीसर है. उनके कारण ही मेरी जाय्निंग हुई है. मुझे यकीन है को वो हमारा साथ देंगी."

"ह्म्म...चलो फिर."

"रुकिये मैं पोलीस की जीप बुलाअता हूँ. एक कॉन्स्टेबल का नंबर है मेरे पास जो की जीप ला सकता है."

राज कॉन्स्टेबल को फोन मिलाता है और उसे जीप लाने को बोलता है.

"शूकर है उसने तो फोन उठाया...वो 20 मिनट में यहा पहुँच जाएगा."

20 मिनट में तो नही पर आधे घंटे में जीप वाहा आ गयी. राज पद्‍मिनी को लेकर कमरे से बाहर निकला. उसने चारो तरफ देखा... कोई दीखाई नही दिया. राज ने कमरे का ताला लगाया और पद्‍मिनी के साथ जीप में बैठ गया.

"हमे एएसपी साहिबा के घर ले चलो" राज ने कॉन्स्टेबल से कहा.

"जी सर"

अंधेरी रात में जीप सड़क पर आगे बढ़े जा रही थी. चारो तरफ सन्नाटा फैला था.

.............................................................

नगमा रह रह कर करवट बदल रही थी.

"नींद क्यों नही आ रही मुझे?" नगमा धीरे से बोली.

उसे फिर से घर के बाहर कुछ हलचल सुनाई दी. वो फ़ौरन उठ कर खिड़की पर आ गयी.

"क्या ये भोलू अभी भी यही घूम रहा है" नगमा ने सोचा.

बाहर कुछ दीखाई नही दिया. पर आस पास कुछ हलचल ज़रूर हो रही थी.

"कही राज तो नही...उसे पता चल गया होगा कि मेरा बापू यहा नही है आज भी...शायद वो मेरे लिए यहा आया हो...पर वो आएगा तो धीरे से दरवाजा तो खड़काएगा ही. वैसे उसका कुछ नही पता एक बार बहुत देर तक खड़ा रहा था बाहर और मुझे खबर भी नही लगी...दरवाजा खोल कर देखूं क्या...नही...नही...दरवाजा खोलना ठीक नही होगा."

पर नगमा को लग रहा था कि बाहर कोई है ज़रूर. ना जाने उसे क्या सूझी...उसने हल्का सा दरवाजा खोला और बाहर झाँक कर दाए बाए देखा. "यहा तो कोई भी नही है बस कुत्ते भोंक रहे हैं."

नगमा दो कदम बाहर आ गयी और चारो तरफ देखने लगी. अचानक उसे किसी ने पीछे से दबोच लिया. उसके मूह को भी दबोच लिया गया था इसलिए वो चिल्ला नही पाई.

"घबराओ मत मैं हूँ... भोलू" भोलू ने कहा और नगमा के मूह से हाथ हटा लिया.

"तुम यहा क्या कर रहे हो...छ्चोड़ो मुझे." नगमा ने कहा.

"कल तू बड़ी जल्दी भाग गयी थी...मेरा तो एक बार और मन था."

नगमा को अपनी गान्ड पर भोलू का लंड महसूस हुआ. "इस लंड को मेरी गान्ड से हटाओ"

"क्यों अच्छा नही लग रहा क्या."

"पहले ये बताओ तुम यहा कर क्या रहे हो इतनी रात को."

"तेरे लिए भटक रहा था यहा. किसी ने मुझे बताया कि तेरा बापू आज नही आया तो मैने सोचा क्यों ना तेरे साथ एक और रात बिताई जाए."

"तुम झूठ बोल रहे हो छ्चोड़ो मुझे." नगमा ने कहा.

"चल ना नखरे मत कर...चल मेरे घर चलते हैं"

"ना बाबा ना मैं वाहा नही जाउन्गि."

"तो चल तेरे घर में ही करते हैं."

"मेरी छोटी बहन है साथ वो सो रही है"

"उसकी भी ले लूँगा चिंता क्यों करती है."

"चुप कर मेरी बहन के बारे में कुछ भी बोला तो ज़ुबान खींच लूँगी"

"फिर चल ना मेरे घर चलते हैं."

नगमा को अपनी गान्ड पर भोलू का लंड लगातार फील हो रहा था और वो धीरे धीरे बहकने लगी थी. उसका मन भी चुदाई के लिए तड़प रहा था पर वो भोलू के साथ जाने से डर रही थी.

क्रमशः..............................
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