Raj sharma stories बात एक रात की
01-01-2019, 12:12 PM,
#27
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
raj sharma stories

बात एक रात की--21

गतान्क से आगे.................

"चूत फॅट जाएगी तेरी...इतना बड़ा ले भी लेगी" मोहित फिर धीरे से बोला

"जब गान्ड में ले लिया तेरा पूरा तो क्या चूत में नही जाएगा" नगमा ज़ोर से बोली.

"चुप कर मैं कुछ और पूछ रहा हूँ और तू कुछ और जवाब दे रही है" मोहित ने पद्‍मिनी की ओर देखते हुए कहा.

"तुम लोग मेरा मज़ाक उड़ा रहे हो मैं जा रही हूँ" नगमा ने कहा.

तभी उन्हे दरवाजे के बाहर कुछ आहट सुनाई दी.

"सस्शह लगता है बाहर कोई है...." राज ने धीरे से कहा.

मोहित ने तुरंत कमरे की लाइट बंद कर दी.

"कॅटा कहा है?" मोहित ने राज से पूछा.

"तुम्हे ही तो दिया था भोलू के घर पे वही छोड़ आए क्या"

मोहित ने अपने कपड़े टटोले.

"उफ्फ वो मैने भोलू से बात करते करते टाय्लेट के वॉश बेसिन पर रख दिया था. उठाना याद ही नही रहा.

"गयी भंस पानी में अब बाहर निकलना ठीक नही है" राज ने कहा.

"कोई बात नही हॉकी तो है ना अपने पास"

"देख लो मुझ बाहर निकलना ठीक नही लग रहा बाकी तुम्हारी मर्ज़ी" राज ने कहा.

"तू चिंता मत कर देखा जाएगा जो होगा"

"ठीक है फिर खोलो दरवाजा" राज ने कहा.

मोहित धीरे से दरवाजा खोलता है और दाए बाए झाँक कर देखता है, "यहा तो कोई नही है"

"गुरु चलो अंदर वो गेम खेल रहा है हमारे साथ...हम इस गेम में नही फसेंगे...चलो सुबह देखेंगे कि आगे क्या करना है"

"ठीक कह रहे हो" मोहित कहकर दरवाजा बंद कर देता है.

"क्या हुआ....दीखा कोई" पद्‍मिनी ने पूछा.

"नही कोई नही दीखा" मोहित ने कहा.

"मुझे घर छोड़ आओ मैं यहा एक पल भी नही रुकूंगी....तुम लोगो के पीछे है वो ." नगमा ने कहा.

"भूल गयी यहा तक उसे तू लेकर आई थी" मोहित ने कहा.

"मुझे नही पता मुझे अपने घर जाना है" नगमा ने कहा.

"नगमा इस वक्त घर से बाहर निकलना ठीक नही है....वो बाहर ही घूम रहा है...तुम आज यही रूको"

"पर पूजा घर में अकेली है" नगमा ने कहा.

"तो क्या हुआ...वो कल भी तो अकेली थी....तू यही सो जा आज...मैं भी यही रुक रहा हूँ" राज ने कहा.

"चल ठीक है तू कहता है तो रुक जाती हूँ....पर अपने गुरु को समझा देना मेरे साथ कोई ऐसी वैसी हरकत ना करे" नगमा ने मोहित की ओर देखते हुए कहा.

"हे भगवान अब ये रात कैसे कटेगी ये तो कल से भी ज़्यादा भयानक बन गयी है" पद्‍मिनी ने डबल मीनिंग बात कही.

"बीत जाएगी मैं हूँ ना साथ तुम्हारे...तुम डरो मत" नगमा ने कहा.

"तुम हो तभी तो डर है" पद्‍मिनी धीरे से बड़बड़ाई.

"क्या कहा तुमने?" नगमा ने पूछा.

"कुछ नही यही की बिस्तर एक है और हम चार" पद्‍मिनी ने कहा.

"कोई बात नही हम दोनो यहा बिस्तर पर लेट जाएँगे और ये दोनो नीचे चटाई पर"

"तुम्हारे साथ नही लेटुंगी मैं" पद्‍मिनी ने कहा.

"तो क्या इन दोनो के साथ लेटोगी हे..हे..."

"चुप करो नगमा परेशान मत करो पद्‍मिनी जी को" राज बोला.

"भाई मैं तो सोने जा रही हूँ जिसे मेरे साथ सोना हो आ जाए" नगमा ने कहा और रज़ाई में घुस्स गयी. घुसते हुए उसने मोहित को आँख मारी. मोहित उसकी तरफ हंस दिया.

मरती क्या ना करती पद्‍मिनी पैर पटक कर रज़ाई का दूसरा कौना पकड़ कर घुस गयी. रज़ाई डबल बेड वाली थी इसलिए दोनो आराम से उसमे समा गये.

..............................

................................

"आ रही हो क्या"

"हां आ तो रही हूँ पर तुम्हारे घर के बाहर जो पोलीस वाले हैं उसका क्या"

"उनकी चिंता मत कर वो मेरी सुरक्षा के लिए हैं ना कि मज़ा खराब करने के लिए"

"कल रात तो मुझे अकेला छोड़ कर चले गये थे अब तुम्हे बेचैनी हो रही है"

"कल जाना ज़रूरी था तू नही समझेगी....तडपा मत जल्दी आजा अब"

"कल कितना अच्छा मोका था.....आज रात मेरे पति देव भी आ जाएँगे...पहली बार पूरी रात थी हमारे पास......तुमने सब गड़बड़ कर दिया"

"रात के 2 बजे पहुँचेगी उसकी ट्रेन...तब तक तो 2-3 बार कर लेंगे"

"अच्छा 2-3 बार नही बस एक बार करके में आ जाउन्गि...मुझे मेरे पति की भी तो सेवा करनी है.....2-3 बार में तो तक जाउन्गि मैं"

"अब आ भी जाओ मेरी प्यारी मोनिका....वरना बातो बातो में ही 2 बज जाएँगे"

"ठीक है मैं आ रही हूँ....पर ध्यान रखना मेरी इज़्ज़त का सवाल है...पोलीस वाले तो मुझे देखेंगे ही घर में आते हुए"

"तू चिंता मत कर मैं उन्हे संभाल लूँगा"

"ठीक है...मैं 15 मिनट में पहुँच रही हूँ"

"कैसे आओगी?"

"स्कूटी है ना"

"ठीक है जल्दी आओ" ये कह कर सुरिंदर फोन काट देता है.

सुरिंदर बाहर आता है और एक कॉन्स्टेबल से कहता है, "देखो भाई...मुझसे मिलने मेरा कोई गेस्ट आ रहा है"

"कौन आ रहा है?"

"उस से तुम्हे क्या?"

"देखो सब इनस्पेक्टर साहब का हूकम है कि उनसे पूछे बिना कोई आपसे नही मिलेगा"

"अजीब बात कर रहे हो तुम भी.....मैं तो विटनेस बन के फँस गया....तभी तो कोई पोलीस के पचदे में नही पड़ना चाहता"

"क्यों महेंदर तू क्या कहता है....विजय सर से बात करूँ क्या"

"छोड़ ना रमेश....आने दे इसके गेस्ट को....क्या दिक्कत है"

मुझे क्यों दिक्कत होगी...कहीं विजय सर से ना डाँट पड़े"

"तुम्हारा गेस्ट स्टे तो नही करेगा ना?" महेंदर ने पूछा.

"नही-नही बस हाल चाल पूछ कर चला जाएगा मेरा गेस्ट"

"ह्म्म ठीक है फिर कोई दिक्कत नही" महेंदर ने कहा.

तभी घर के बाहर एक स्कूटी आ कर रुकी.

"क्या यही गेस्ट है तुम्हारी" रमेश ने मोनिका को देख कर कहा.

"हां" सुरिंदर ने जवाब दिया.

"पहले ही बता देते की गेस्ट एक महिला है तो हम इतना कुछ पूछते ही नही" रमेश ने कहा.

सुरिंदर ने रमेश की बात का कोई जवाब नही दिया. "आओ मोनिका...मैं तुम्हारा ही वेट कर रहा था"

मोनिका सुरिंदर के साथ अंदर आ गयी. अंदर आते ही सुरिंदर ने दरवाजा अच्छे से बंद कर लिया.

"उन पोलीस वालो के सामने मेरा नाम लेने की क्या ज़रूरत थी" मोनिका ने थोड़ा गुस्से में कहा.

"अचानक मूह से निकल गया......छोड़ ना ये सब"

"बिस्तर वैसे का वैसा पड़ा है जैसा मैं छोड़ कर गयी थी"

"तुम किस वक्त गयी थी"

"सुबह 6 बजे तक वेट किया तुम्हारा....थक हार कर जाना ही पड़ा"

"चिंता मत करो सारी कसर पूरी कर दूँगा अब" सुरिंदर ने मोनिका को बाहों में भर के कहा.

बाहर रमेश, महेंदर से कहता है, "लगता है गरमा गर्मी का सीन बनेगा अंदर....कुछ आइडिया लगा देखने का, टाइम पास हो जाएगा वैसे भी यहा खड़े खड़े बोर ही होना है"

"मैं खुद यही सोच रहा हूँ पर कोई राउंड पे आ गया तो दिक्कत हो जाएगी"

"देखी जाएगी यार....हम क्या यहा बोर होते रहेंगे"

"ठीक है चल फिर करते हैं कुछ"

घर के अंदर सुरिंदर और मोनिका बाहों में बाहें डाले खड़े थे.

"पोलीस वाले बड़ी गंदी नज़र से देख रहे थे मुझे" मोनिका ने कहा.

"उनकी क्या ग़लती है...तू चीज़ ही ऐसी है"

"अच्छा इसका कोई भी ऐरा ग़ैरा मुझे कैसे भी घुरेगा"

"छ्चोड़ ना पोलीस वालो को...इनकी तो नज़रे ही गंदी होती हैं"

"वैसे तुम्हारी भी नज़रे कम गंदी नही हैं अभी...क्या देख रहे हो"

"तुम्हारे बूब्स पर टिकी हैं निगाहे ये...यू हॅव गॉट वेरी नाइस टिट्स"

"शुक्रिया जनाब....अब जब इनकी इतनी तारीफ़ कर रहे हो तो इनको थोड़ा प्यार दे दो"

"बिल्कुल जी बिल्कुल....अभी सक करता हूँ...निकालो इन्हे बाहर"

मोनिका अपने उपर के सभी कपड़े उतार देती है.

"हाई रे क्या चुचियाँ हैं काश हमे भी मिल जायें ये चूसने को" महेंदर ने रमेश से कहा.

"सच में...इतनी सेक्सी चुचियाँ मैने कभी नही देखी" रमेश ने कहा.

दोनो ने घर में झाँकने का इंतज़ाम कर ही लिया था.

सुरिंदर मोनिका के बूब्स को दोनो हाथो से मसल्ने लगता है

"आअहह....क्या तुम्हे अच्छे लगते हैं बूब्स मेरे"

"अच्छे....ये तो कयामत हैं....पोलीस वालो की कोई ग़लती नही है....इतने बड़े बड़े चुचो को कोई भी घुरेगा" सुरिंदर ने कहा.

महेंदर और रमेश उनकी बाते सुन कर मुस्कुरा रहे थे.

क्रमशः..............................
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