RE: Raj sharma stories बात एक रात की
raj sharma stories
बात एक रात की--14
गतान्क से आगे.................
"बहुत खराब है ये राज मुझे बदनाम करने पे तुला है...वैसे तुम्हारे कारण करना होगा मुझे उसके साथ" नगमा ने कहा.
"तो क्या हुआ एक और साइज़ आजमा लेना, तेरा क्या बिगड़ेगा...तुझे तो लत है इस सब की""
"तुम अगर भोलू को देखोगी तो तुम्हे पता चलेगा कि इतना आसान नही है ये काम"
"तो रहने दे" पद्मिनी ने कहा
"मैं राज के लिए करूँगी"
"वाह-वाह ये खूब रही...यकीन नही होता"
"देखो बहुत भद्दा है वो भोलू, मेरा बिल्कुल मन नही है उसे देने का"
"ह्म्म फिर रहने दो ना."
"नही मुझे राज के लिए जाना होगा. और क्या पता उसका लंड भी तगड़ा हो. आँखे मीच कर कर लूँगी"
"आ गयी ना हक़ीकत ज़ुबान पे"
"देखो जब मुझे ये काम करना ही है तो थोड़ा अपने मज़े के बारे में तो सोचूँगी ही"
"अभी फिलहाल अपने यहा के काम पे ध्यान दे" पद्मिनी ने कहा.
"मेरा पूरा ध्यान है यहा, थोड़ा मूह उपर करो...वैसे एक बात है"
"अब क्या है?"
"तुम्हारी चुचियाँ मुझ से बड़ी हैं, आदमी तो मरते होंगे इन चुचियों पर"
"चुप कर" पद्मिनी ने गुस्से में कहा
"पर मैं सच कह रही हूँ, अगर मैं लड़का होती तो अभी इन्हे बाहर निकाल कर खूब चूस्ति"
"हे भगवान यू आर टू मच..." पद्मिनी ने कहा.
"क्या कहा आपने"
"कुछ नही यही की मुझे देर हो रही है"
"बस हो गया काम, 15 मिनट और लगेंगे इन बालो को ध्यान से करना होगा"
"ह्म्म जल्दी करो"
थोड़ी देर नगमा चुप रही फिर अचानक बोली, "राज बहुत अच्छे से चूस्ता है मेरे निपल"
"तो मैं क्या करूँ, मैं भी चुस्वा लूँ क्या जाकर उस से"
"नही-नही मैने ऐसा तो नही कहा...आप ऐसा सोचना भी मत राज सिर्फ़ मेरा है"
"अपने राज को अपने पास रख मुझे कोई शौक नही है"
"मोहित आपके लिए ठीक रहेगा बहुत मोटा लंड है उसका भी, बिल्कुल राज की तरह पर मुझे पता नही कि उसे चुचियाँ चूसनी आती है की नही, अभी तक एक बार ही मिली हूँ उस से. उसने बिना कुछ किए मेरी गान्ड में डाल दिया था. दुबारा कोई मोका नही मिला उस से मिलने का"
"तुम्हे कोई और बात भी सूझती है इन बातो के अलावा"
"मुझे बस अपने राज की चिंता है, उस से दूर रहना, बहुत सुंदर हो तुम कहीं मेरा राज बहक जाए."
"अरे मेरी मा मुझे तेरे राज से कुछ लेना देना नही है और ना ही मोहित से कुछ लेना देना है. मैं यहा मजबूरी में फँसी हूँ और तुम ऐसी बाते कर रही हो"
"फिर ठीक है"
उसके बाद नगमा ने कोई बात नही की और चुपचाप अपने काम में लगी रही. जब काम ख़तम हो गया तो वो बोली, " लो हो गया तुम्हारा हुलिया चेंज, कोई नही पहचान पाएगा तुम्हे अब"
पद्मिनी ने खुद को शीसे में देखा और बोली, "बहुत बढ़िया, मैं तो खुद को पहचान ही नही पा रही हूँ"
"सब मेरा कमाल है"
"थॅंक यू नगमा इस सबके लिए"
"कोई बात नही...मुझे माफ़ करना मैं बात बहुत करती हूँ"
"वो तो ठीक है पर तुम्हारी बाते बहुत गंदी थी...मुझे अच्छा नही लगा"
ये सुन कर नगमा का चेहरा उतर गया और बोली, "ठीक है मैं चलती हूँ. भगवान आपको जल्द से जल्द आपको इस मुसीबत से निकाले"
"थॅंक यू" पद्मिनी ने कहा
नगमा के जाने के बाद मोहित और राज कमरे में वापिस आ जाते हैं. मोहित पद्मिनी को देख कर कहता है, "बहुत खूब, तेरी नगमा ने तो सच में हुलिया चेंज कर दिया"
"मुझे यकीन था कि नगमा ये काम कर सकती है" राज ने कहा.
"चला जाए फिर अब"
"हां बिल्कुल, मैने कार अरेंज कर ली है" मोहित ने कहा.
कुछ देर बाद पद्मिनी, मोहित और राज कार में थे, मोहित ड्राइव कर रहा था, राज उसके बगल में बैठा था और पद्मिनी पिछली सीट पर बैठी थी. कार अपनी मंज़िल की ओर बढ़े जा रही थी.
"तुझे पता है ना रास्ता" मोहित ने राज से पूछा.
"हां गुरु अभी सीधा चलो आगे जो गली आएगी उसी में है उसका घर" राज ने कहा.
"ह्म्म कॅटा कहा है" मोहित ने पूछा.
"मेरे पास है, चिंता मत करो" राज ने कहा.
"ध्यान रखना कहीं चल जाए ये देसी बंदूक बहुत ख़तरनाक होती है" मोहित ने कहा.
"तुम लोग बंदूक साथ लाए हो!" पद्मिनी ने हैरानी मे पूछा.
"हां मेडम ख़तरनाक कातिल है वो, हमे भी तो कुछ रखना होगा, क्या पता ज़रूरत पड़ जाए"
"हां पद्मिनी जी गुरु ठीक कह रहा है, ये देसी कॅटा बहुत काम आएगा"
"ठीक है जैसा तुम ठीक समझो" पद्मिनी ने कहा.
"गुरु बस मोड़ लो इस गली में" राज ने कहा.
जैसे ही मोहित ने कार को गली में मोड़ा राज बोला, "वो रहा उसका घर जहा 2 आदमी खड़े हैं"
"ये दोनो पोलीस वाले लगते हैं मुझे"
"ठीक कहा गुरु ये पोलीस वाले ही हैं"
"अब हम क्या करेंगे" पद्मिनी ने कहा.
"मैं ये लेटर लाया हूँ, मैं कौरीएर वाला बन कर जाउन्गा और उसे बाहर बुलाउन्गा साइन के लिए आप पहचान-ने की कोशिस करना कि वो वही है की नही"
"ये विटनेस उस के अलावा और कौन हो सकता है ये बिल्कुल वही है" पद्मिनी ने कहा
"वो तो है फिर भी एक बार उसे देख तो ले" मोहित ने कहा.
"अगर वो बाहर नही आया तो" पद्मिनी ने कहा.
"अपना लेटर रिसेव करने तो वो आएगा ही, राज जैसे मैने समझाया है वैसे ही करना"
"ठीक है गुरु" राज ने कहा.
राज कार से उतर कर एक लेटर हाथ में लेकर उस घर की तरफ बढ़ता है.
"श्री सुरिंदर जी यही रहते हैं?" राज ने सिविल कपड़े पहने पोलीस वाले से पूछा.
"हां यही रहते हैं वो, क्या काम है?"
"उनका कौरीएर है बुला दीजिए उन्हे रिसेव करना होगा ये"
पोलीस वाले ने घर की बेल बजाई. थोड़ी देर बाद एक आदमी बाहर निकला.
"आप ही सुरिंदर हो?" राज ने पूछा.
"हां बोलो क्या बात है?"
"आपका करियर है यहा साइन कर दीजिए" राज ने एक कागज उसकी ओर बढ़ा कर कहा.
दूर से पद्मिनी ने उस आदमी को देखा और तुरंत बोली, "ये वो नही है"
"क्या! ऐसा कैसे हो सकता है ध्यान से देखो" मोहित ने कहा.
"कार थोड़ी आगे लो" पद्मिनी ने कहा.
"ठीक है मैं कार उसके घर के आगे से निकालता हूँ फिर देख कर बताना" मोहित ने कहा.
कार को अपनी और आते देख राज ने मन ही मन कहा, "ये गुरु कार आगे क्यों ला रहा है मरवाएगा क्या"
कार उस घर के आगे से निकल गयी. पद्मिनी ने बड़े गौर से उस आदमी को देखा.
"ये वो नही है, आइ आम 100 पर्सेंट शुवर" पद्मिनी ने कहा.
"फिर इसने क्यों झुटि गवाही दी" मोहित ने कहा.
"इसका जवाब तो यही दे सकता है." पद्मिनी ने कहा.
मोहित ने कार गली के बाहर निकाल कर रोक ली ताकि राज को पिक कर सके.
राज ने आते ही पूछा, "वही था ना वो"
"नही, ये वो नही है" पद्मिनी ने कहा.
"क्या!" राज भी हैरान रह गया.
"अब क्या करें" राज ने कहा.
"पहले घर वापिस चलते हैं, मुझे तो ये कोई बहुत बड़ी सोची समझी साजिस लगती है. घर पर बैठ कर आराम से सोचेंगे कि आगे क्या करें"
क्रमशः..............................
|