RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--12
गतान्क से आगे.................
थप्पड़ लगते ही रामू पागल हो गया और जाने कहा से उसने एक बड़ा सा चाकू उठाया और बोला, "साली तुझे पता नही मैं कौन हूँ...काट डालूँगा तुझे"
पूजा भाग कर टाय्लेट में घुस गयी और फ़ौरन चटकनी चढ़ा ली. उसकी साँसे बहुत तेज चल रही थी.
"बाहर तो आएगी ना?"
"मैं तुम्हारे मालिक को सब कुछ बता दूँगी...तुम्हारी खाल उधेड़ देंगे वो" पूजा अंदर से बोली.
"तू जानती ही कितना है मालिक को हहे..हो..हो" रामू हँसने लगा.
"मैं अच्छे से जानती हूँ कि वही खूनी है और हो ना हो ये नौकर भी उसके साथ सामिल है...कैसे चाकू दीखा रहा था...हे भगवान मेरा ये दिन कब बीतेगा." पूजा ने मन ही मन कहा.
जब पूजा को यकीन हो गया कि वो रामू उसके टाय्लेट के बाहर नही है तो वो फ़ौरन दरवाजा खोल कर भागी.
"अरे क्या हुआ इसे...क्या चमगादड़ ने काट लिया जो की ऐसे भागी आ रही है." चौहान ने कहा.
परवीन ने रामू की तरफ देखा. रामू के चेहरे पर एक अजीब सी हँसी उभर आई, "मालिक डर गयी होगी अकेली...मैने कुछ नही किया."
"ठीक है-ठीक है तू जा यहा से" चौहान ने कहा.
पूजा भाग कर चौहान के पास आई और बोली, "इसने मुझे चाकू दीखा कर डराया."
"लगता है हर किसी पर सीरियल किल्लर का भूत सवार है" चौहान ने कहा.
"ह्म छोड़ ये सब...मज़ाक किया होगा उसने ये यू ही बात का बतंगड़ बना रही है."
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
"तूने तो बेज़्जती करा दी मेरी राज ये सब क्या है, पूरा फर्श गीला कर दिया" मोहित ने कहा.
"गुरु य.य..ये यहा कैसे."
"मैं बताती हूँ...तेरा खून करने आई हूँ मैं यहा." पद्मिनी ने कहा.
"गुरु ये सब क्या है?"
"समझाया था ना मैने कि दीवारो के भी कान होते हैं...भुगत अब"
"नही गुरु ऐसा मत कहो."
"क्यों कर रहे थे इतनी बकवास तुम?" पद्मिनी ने कहा
"मुझे क्या पता था कि आप यहा हो."
"तो क्या पीठ पीछे किसी लड़की के बारे में कुछ भी बोलॉगे."
"ग़लती हो गयी...माफ़ कर दो मुझे" राज गिड़गिदाया
"बस बहुत हो गया...छोड़ो मेरे दोस्त को" मोहित ने कहा.
"तुम्हारे दोस्त से कहो ज़ुबान पर लगाम रखा करे वरना किसी दिन भारी पड़ेगा इसे"
राज चुपचाप खड़ा सुन रहा था. उसकी समझ में कुछ नही आ रहा था.
मोहित राज को सारी बात बताता है और बोलता है, "ये कहानी है सारी...पद्मिनी को फँसाने की चाल है ये उस कातिल की, वो बौखलाया हुआ है कि हम उसके हाथ से बच गये."
"ह्म...मुझे तो पहले से ही यकीन था कि इतनी हस....."
"खबरदार जो आगे बोले तो." पद्मिनी बोली.
"म..मेरा मतलब आप कैसे खून कर सकते हो...आप को तो चाकू चलाना भी नही आएगा" राज बोला.
राज जाओ और बाहर ध्यान से देख कर आओ कि कही पोलीस तो नही है. और हां पोछा उठा कर पहले ये फर्श सॉफ कर्दे बदबू हो जाएगी वरना.
राज ने पहली बार फ़राश पर देखा. "सॉरी गुरु पता नही कैसे हो गया."
"मैं समझ सकता हूँ." मोहित ने कहा.
राज ने कमरे को सॉफ किया और बाहर चला गया. 15 मिनट बाद वो नये कपड़े पहन कर आया. पद्मिनी उसे नये कपड़ो में देख कर हँसे बिना ना रह सकी.
"पहले तो डराती हो फिर हँसती हो...अच्छा नही किया आपने मेरे साथ."
"तुमने बड़ा अच्छा किया था मेरे साथ...क्या-क्या बक रहे थे." पद्मिनी ने कहा.
"छोड़ो ये सब...राज कैसा माहॉल है बाहर" मोहित ने कहा
"गुरु नुक्कड़ पर पोलीस की जिप्सी खड़ी है"
"पर मुझे हर हाल में अपने घर वालो से बात करनी है."
"ऐसी बेवकूफी मत करना...पोलीस फ़ौरन तुम्हारी लोकेशन ढूँढ कर तुम्हे पकड़ लेगी."
"पर मैने किसी का खून नही किया मैं क्यों डर के बैठी रहू यहा."
"देखो पोलीस को इस बात से कोई मतलब नही होगा कि तुम वाकाई में कातिल हो की नही...उनका केस सॉल्व हो गया बस...ऐसे ही काम करती है पोलीस"
"हां पद्मिनी जी गुरु ठीक कह रहा है...पहले हमे ये पता लगाना होगा कि वो विटनेस कौन है"
"ठीक कहा राज...उसका पता लगाना बहुत ज़रूरी है. इसके साथ-साथ ये भी पता करना होगा कि इसके पीछे उसका प्लान क्या है."
"सीधी से बात है पद्मिनी जी ने उसे देखा है...और वो उसके चंगुल से बच गयी है...अब वो एक तीर से 2 निसाने कर रहा है. तुम लोगो को समझ नही आता क्या ये सब करके वो सॉफ बच जाएगा."
"मुझे लगा था कि तुम सिर्फ़ बेहूदा बाते ही कर सकते हो." पद्मिनी.
"पद्मिनी जी वो तो मैं गुरु के साथ रह कर बिगड़ गया वरना मैं अच्छा लड़का हूँ."
"क्या बोला साले...मैने बिगाड़ा है तुझे...एक दूँगा कान के नीचे."
"सॉरी गुरु ज़ुबान फिसल गयी...माफ़ करदो...पर मेरे पास एक धांसु आइडिया है सुनो."
"जल्दी बोलो" पद्मिनी ने उत्सुकता से कहा.
"हमे इस विटनेस के खिलाफ सबूत सबूत इकट्ठे करने होंगे."
"इतना आसान नही है ये" मोहित ने कहा.
"हां ठीक कहा." पद्मिनी ने हामी भरी.
"सुनो तो...विटनेस के घर में कुछ ना कुछ तो मिल ही जाएगा जिससे कि हम साबित कर पायें कि वही कातिल है...जैसे कि चाकू. न्यूज़ के मुताबिक, हर कतल में एक जैसे चाकू का इस्तेमाल हुआ है. मुझे यकीन है कि कहीं तो रखता होगा वो चाकू."
"मुझे ये आइडिया बिल्कुल पसंद नही आया." मोहित ने कहा.
"लेकिन हमे कुछ तो करना होगा...यू हाथ पर हाथ रख कर बैठने से कुछ हाँसिल नही होगा." पद्मिनी ने कहा.
"पर ये विटनेस मतलब कि कातिल कहाँ रहता है...हमे कुछ नही पता."
"भोलू हवलदार कब काम आएगा गुरु." राज ने कहा.
"वो निकम्मा किसी काम का नही."
"एक बार ट्राइ करने में क्या हर्ज है." राज ने कहा.
"हां बिल्कुल कोई ना कोई रास्ता निकल ही जाएगा...वैसे भी इस कातिल को सज़ा दिलवाना हमारा फर्ज़ बनता है. जो होगा देखा जाएगा." पद्मिनी ने कहा.
"ह्म...तुम दौनो का जोश देख कर मुझे भी जोश आ रहा है. ठीक है इस कातिल को उसके अंजाम तक हम ले जाएँगे."
"गुरु ने कह दिया तो समझो काम हो गया...पद्मिनी जी आप अब बिल्कुल चिंता मत करो...वो नही बच्चेगा अब." राज ने कहा.
"कितनी देर हो गई राज को गये हुए, पता नही कहा रह गया" मोहित ने कहा.
"तुम्हे क्या लगता है उसे पता होगा इस विटनेस के बारे में"
"उसे पता तो होना चाहिए, वैसे वो बहुत निकम्मा है, अगर उसे ना भी पता हो तो मुझे हैरानी नही होगी"
"फिर कैसे पता चलेगा उसके बारे में"
"पहले राज को आ जाने दो, फिर देखते हैं कि आगे क्या करना है"
"पर वो राज को क्यों बताएगा" पद्मिनी ने पूछा.
"वो सब राज संभाल लेगा" मोहित ने जवाब दिया.
तभी कमरे का दरवाजा खड़का. जैसे ही मोहित ने दरवाजा खोला राज सरपट अंदर आ गया.
"गुरु पता चल गया उस विटनेस का मतलब कि कातिल का" राज ने कहा.
पद्मिनी चुपचाप खड़ी सब सुन रही थी
"कौन है कहाँ रहता है जल्दी बता" मोहित ने कहा.
"सुरिंदर नाम है उसका और बस स्टॅंड के पीछे जो कॉलोनी है वाहा रहता है. पूरा अड्रेस लिख के लाया हूँ मैं" राज ने कहा
" इतना कुछ कैसे बता दिया उसने" मोहित ने पूछा.
राज ने पद्मिनी की तरफ देखा और बोला, "छ्चोड़ो ना गुरु पता तो चल गया. मैने उसे कहा था कि मेरे एक रिपोर्टर फ़्रेंड को इंटरव्यू लेना है उसका"
"फिर भी वो इतनी जल्दी बताने वाला नही था" मोहित ने कहा.
"नगमा की गान्ड चाहिए उसे, पद्मिनी जी के सामने कैसे बोलू" राज ने मोहित के कान में कहा.
"क्या बात है कुछ प्राब्लम है क्या" पद्मिनी ने पूछा.
"कुछ नही यू ही" मोहित ने कहा.
"नही कुछ तो बात ज़रूर है, राज तुम बताओ क्या प्राब्लम है" पद्मिनी ने कहा.
"वो भोलू हवलदार को नगमा....." राज ने कहा पर पद्मिनी ने उसकी बात बीच में ही काट दी. "ठीक है-ठीक है जाने दो"
"चल गुरु चलते हैं और असली कातिल का परदा-फास करते हैं"
"क्या मतलब... क्या मैं तुम दौनो के साथ नही चलूंगी"
"तुम क्या करोगी...पोलीस ढूँढ रही है तुम्हे...और वाहा ख़तरा भी हो सकता है" मोहित ने कहा.
"नही मुझे जाना ही होगा...तुम कैसे पहचानोगे कातिल को...उसे मैने बहुत नज़दीक से देखा है"
"हां गुरु बात तो ठीक है, पद्मिनी जी का साथ होना ज़रूरी है"
"पर ये बाहर निकली तो पोलीस का ख़तरा है" मोहित ने कहा.
"अगर पद्मिनी जी हुलिया बदल के जाए तो"
"वो कैसे होगा" पद्मिनी ने पूछा.
क्रमशः..............................
|