RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--36
"ये क्या कह रही हो,कामिनी!",विकास हैरत से उसे देख रहा था.
"प्लीज़ विकास..मेरी बात समझ..अगर ऐसा नही किया तो असली मुजरिम क़ानून की पकड़ से भाग सकता है.",कामिनी उसके ऑफीस मे बैठी थी.
"विकास,हम दोनो की राहे अलग हो गयी हैं मगर दोनो अभी भी क़ानून की रखवाली को अपना फ़र्ज़ ही नही धर्म भी मानते हैं & क़ानून क्या ये नही कहता की 1 मासूम को हमेशा इंसाफ़ मिलना चाहिए."
"क्या जड्ज कवास इस बात के लिए तैय्यार होंगे?"
"अगर दोनो मिलके उनसे बात करे तो शायद मान जाएँ."
"ठीक है,चलो उनसे मिलते हैं."
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"आप समझ रही हैं,कामिनी आप क्या कह रही हैं?ऐसा पहले कभी नही हुआ है & अगर कुच्छ गड़बड़ हुई तो मेरी ज़िंदगी भर की कमाई हुई इज़्ज़त सब मिट्टी मे मिल जाएगी."
"मुझपे भरोसा रखिए,सर.अगर ज़रूरी नही होता तो क्या मैं कभी ऐसी अजीब बात करती."
"ओके,पर्मिशन ग्रॅंटेड."
"थॅंक यू सो मच,सर."
आख़िर कामिनी ने दोनो को मना ही लिया था दोनो केसस की सुनवाई 1 साथ करने के लिए.यही 1 तरीका था जिस से वो असली मुजरिम को पकड़े जाने की भनक भी नही लगने दे सकती थी.शायद ही कभी पहले ऐसा हुआ हो-2 केसस की सुनवाई 1 साथ 1 ही कोर्टरूम मे!
अब उसे जगबीर ठुकराल को अदालत मे बुलाने के लिए मनाना था,तभी उसका मोबाइल बजा,देखा तो ठुकराल का ही नंबर था..शैतान का नाम लो & शैतान हाज़िर!
"कहिए जनाब.",कामिनी ने बड़ी अदा से कहा.
"क्या कहें!हम तो आपकी जुदाई मे पागल हो रहे हैं."
"अब क्या कर सकते हैं!",कामिनी ने आह भारी,"..हमारी तक़दीर ही ऐसी है.",इतने नाटकिया ढंग से बात कही गयी की दोनो हंस पड़े.
"वैसे तुम्हारा क्लाइंट तो अब खुद अपने केस की पैरवी करने की सोच रहा है.अब क्या होगा?"
"कुच्छ नही होगा,जगबीर डार्लिंग.मैं उसे किसी ना किसी तरह मना लूँगी.देखो कल ही उसके केस की पेशी है & इतनी जल्दी वो कुच्छ तैय्यारि भी नही कर पाया होगा..अगर बुरा ना मानो तो 1 बात कहु."
"क्या मेरी जान?"
"तुम कल कोर्ट आ सकते हो?"
"मैं!क्यू?"
"देखो,मैने सोचा है कि शत्रुजीत को अपना गुनाह मानने के लिए तैय्यार कर लू & फिर उसे थोड़ी हल्की सज़ा देने के लिए जड्ज से कहु.मैं चाहती हू क़ी तुम उसकी अच्छाई के बारे मे कहो..लोग तुम्हे उसका दुश्मन समझते हैं,ऐसे मे तुम्हारा उसके साथ खड़ा होने से उसकी सज़ा तो कम होगी ही तुम्हारी भी इज़्ज़त लोगो की नज़रो मे बढ़ जाएगी."
"मान गये,वकील साहिबा!अब तो तुम्हे किसी एलेक्षन का टिकेट देना ही पड़ेगा."
"ओह्ह..थॅंक्स जगबीर!तो तुम आओगे ना!"
"हां,जानेमन."
"आइ लव यू,जगबीर डार्लिंग..",कामिनी ने थोड़ी देर उस से और उस से प्यार भरी बातो का नाटक किया & फिर फोन रख दिया.अब बस 1 ही काम बाकी था-आंतनी डाइयास को अपनी तरफ करने का.
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