RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--34
"हेलो,कामिनी जी.क्या हाल है?"
"मैं ठीक हू,ठुकराल साहब.आप सुनाए.",कामिनी ने मोबाइल कान से लगाए हुए खिड़की से बाहर देखा.
"हमारा हाल तो बिल्कुल भी ठीक नही.अब आप मिलिए तो कुच्छ चैन पड़े."
"आप तो बहुत बीमार लगते हैं,ठुकराल साहब.",कामिनी को उसके साथ ये खेल खेलने मे मज़ा आ रहा था.
"आपने बिल्कुल ठीक समझा & मेरी बीमारी की दवा तो आप ही के पास है.तो कहिए कब आ रही हैं मुझे दुरुस्त करने?"
"ठुकराल साहब,मिलना तो मैं भी चाहती हू मगर आप तो जाने हैं ना मेरी मुश्किल के बारे मे."
"उसका हल मैने ढूंड लिया है."
"अच्छा!क्या?"
"आप इस शनिवार को सेंट्रल मार्केट की पार्किंग मे पहुँच जाइए,वाहा से मेरा ड्राइवर आपको मेरे घर ले आएगा,फिर ये वीकेंड हमारे ही साथ गुज़ारिए.",ठुकराल अब सीधे-2 उसे उसके साथ सोने को कह रहा था.
"मगर किसी ने देख लिया तो?"
"आप 1 बुर्क़ा पहन लीजिए,उसके बाद किसी ने देखा भी तो यही देखेगा की 1 बुर्क़ा नॅशिन मेरे घर आई थी ना कि कामिनी शरण."
कामिनी थोड़ी देर तक इस बारे मे सोचती रही,ठुकराल के खिलाफ सबूत जुटाने का इस से अच्छा मौका उसे नही मिल सकता था & अपने जिस्म का इस्तेमाल करने के बारे मे तो वो पहले ही तय कर चुकी थी,"ओके,ठुकराल साहब.कितने बजे सेंट्रल मार्केट पहुचना है?"
"थॅंक यू,कामिनी जी!मेरा ड्राइवर 11 बजे पार्किंग मे आपका इंतेज़ार करेगा."
"ओके,ठुकराल साहब,बाइ!"
शनिवार को शॅरन अपने बेटे से मिलने उसके बोरडिंग स्कूल जा रही थी & फिर दूसरे दिन लौटते समय उसे टोनी से भी मिलना था.इस वजह से ठुकराल के पास शनिवार सुबह से रविवार शाम तक का समय था कामिनी के साथ रंगरलिया मनाने का.
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शनिवार को कामिनी 11 बजे ठुकराल की कार मे बैठ गयी & 40 मिनिट बाद वो उस कार से उसके बंगल के अंदर उतर रही थी.माधो ने उसे पहली मंज़िल पे बने ठुकराल की ऐषगाह तक पहुँचा दिया & खुद वाहा से चला गया.कामिनी अभी भी बुर्क़ा पहने हुए थी.
"वाउ!",उसने ऐषगाह को हैरत भरी निगाहो से देखा.
"वेलकम,कामिनी जी,वेलकम!",ठुकराल 1 बातरोब पहने हुए था & उसके चेहरे पे मुस्कान खेल रही थी,"..आपने तो आज इस खाकसार के ग़रीबखाने की इज़्ज़त बढ़ा दी."
"ये ग़रीबखाना है,ठुकराल साहब?!",ऐशागाह की हर 1 चीज़ वैसे भी बस जिस्मो के खेल को ध्यान मे रख के बनाई गयी थी & सोफे के उपर की नंगी मूर्तिया & बाकी नंगी पेंटिंग्स देख के कामिनी का वो शक़ की ठुकराल औरतो का रसिया है अब पूरे यकीन मे बदल गया.
"आपके हुस्न के सामने तो ये कुच्छ भी नही,कामिनी जी,..अब इस बुर्क़े को हटा के हम पर मेहेरबानी कीजिए & हमारी प्यासी आँखो को अपने बेमिसाल हुस्न का दीदार कराईए."
कामिनी ने मुस्कुराते हुए अपना बुर्क़ा उतार दिया.ऐसा करते ही ठुकराल के चेहरे की मुस्कान गायब हो गयी & उसके चेहरे पे वासना की परच्छाई आ गयी.कामिनी ने 1 गोलडेन कलर की स्लीव्ले,शॉर्ट ड्रेस पहनी थी जोकि उसके घुटनो से करीब 8 इंच उपर थी,उसके पैरो मे घुटनो तक के बूट्स थे.कसे लिबास मे उसके सारे उभार और निखर के सामने आ रहे थे.कामिनी ने ठुकराल की हालत तो देख ली थी मगर अंजान बनते हुए वो उसकी तरफ पीठ कर 1 बार फिर से ऐषगाह को निहारने लगी.
"ओह्ह्ह....क्या कर रहे हैं?!",ठुकराल ने उसे पीछे से अपनी बाहो मे भर लिया था & उसके बॉल चूमने लगा था,"..घर आए मेहमान से आप ऐसा ही सलूक करते हैं क्या?ना पानी पुचछा ना ही बैठने को कहा बस शुरू हो गये!",कामिनी ने नखरे भरे अंदाज़ मे कहा.
"आइए बैठ के बात करते हैं.",ठुकराल ने उसे खींचा & सोफे पे बैठ उसे अपनी गोद मे बिठा लिया & अपनी बाई बाँह उसकी पतली कमर मे डाल दी,"..& ये लीजिए,अंगूर का पानी पीजिए.",उसने मेज़ से उठा के वाइन का ग्लास उसकी ओर बढ़ाया.
"उउन्ण....बस..मैं दिन मे नही पीती.",कामिनी ने 1 घूँट भर के ग्लास वापस मेज़ पे रख दिया.
"सही कहा,आपके जैसी नशीली चीज़ को नशे की क्या ज़रूरत!",ठुकराल ने दाए हाथ से उसके चेहरे को नीचे झुकाया & उसके होंठो को अपने होंठो से सटा दिया.
"अफ....कितने बेसबरे हैं आप.",कामिनी ने किस तोड़ कर अपनी डाई बाँह उसके गले मे डाल दी & बाए हाथ से उसके चेहरे को सहलाने लगी.
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