RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
"कामिनी जी,अब अगर आप मेरे साथ होती तो शायद आपका ये सपना अभी तक पूरा भी हो चुका होता..मगर होनी को कुच्छ और मंज़ूर था."
"ह्म्म.",कामिनी वैसे ही सर झुकाए रही.
"अब आप शत्रुजीत के इतना करीब थी फिर भी देखिए.."
"आपको कैसे पता की मैं शत्रुजीत के कितना करीब थी?",कामिनी ने सर उठाया & उसकी ओर गहरी निगाहो से देखा.
"वो कहते हैं ना कामिनी जी..की इंसान को अपने दोस्तो को करीब रखना चाहिए & दुश्मनो को उस से भी ज़्यादाद करीब."
"तो बात सच है की आप शत्रुजीत के दुश्मन हैं?"
ठुकराल हंसा,"वैसा नही जैसा आप सोचती हैं..मुझे बस लगता है की उसे अपने बाप के बल पे सब मिल रहा है."
"ये तो सच है.",कामिनी ने फिर सर झुका लिया.
"कामिनी जी आपको उदास होने की ज़रूरत नही..",ठुकराल अब उसकी पूरी पीठ सहला रहा था,"..आप चाहे तो अभी भी आपका सपना सच हो सकता है."
"क्या?!",कामिनी ने झटके सर उठाया,"..मगर कैसे?"
"केस के बाद आप मुझे जाय्न कर लीजिए."
"ओह्ह!थॅंक्स,ठुकराल साहब..थॅंक यू सो मच!",कामिनी ने उसका बाया हाथ अपने कोमल हाथो मे पकड़ लिया.उन नाज़ुक उंगलियो को देखते ही ठुकराल को ख़याल आया की इसी तरह अगर वो उसके लंड को थाम के रगडे तो उसे उन गुलाबी हथेलियो को अपने पानी से भिगोने मे कोई देर नही लगेगी.
"वैसे आपको क्या लगता है..शत्रुजीत सिंग को कितनी सज़ा होगी?"
"उसे तो पक्का फाँसी लगेगी मगर मैं किसी ना किसी तरह उसे कम करके उम्र क़ैद तक ले आऊँगी."
"अच्छा.मगर आपको क्या लगता है,उसकी बीवी का खून उसी ने लिया है?"
"बिल्कुल.इसमे कोई शुभा नही है मुझे.अब आप ही बताइए,ठुकराल साहब..",कामिनी अभी उसका हाथ थामे थी,"..उसके बंगल मे उसी के कमरे मे घुस के और कौन क़त्ल कर सकता है..और कर भी देतो बच के कैसे जाएगा!ये तो शत्रुजीत का ही काम है..& बेवकूफ़ मुझसे भी झूठ बोल रहा है."
"ओह्ह,तो क्या इसलिए आप उसके घर से चली आई?..आप तो उसके काफ़ी करीब थी?"
"आपको काफ़ी पता है,ठुकराल साहब!",कामिनी उसका हाथ हल्के से सहलाते हुए शोखी से मुस्कुराइ,"वैसे आपकी भी मेहेरबानी की वजह पुच्छ सकती हू?"
ठुकराल थोडा सोच मे पड़ गया,उसने पहले कभी नही सोचा था की कामिनी के दिल मे ऐसे पॉलिटीशियन बनने के अरमान होंगे & वो भी उसी की तरह अपने मतलब को अपना ईमान मानने वाली इंसान होगी.उसने अभी तक उसके हाथो की हर्कतो पे भी कोई ऐतराज़ नही जताया था मगर क्या वो उस से खुल के अपने दिल की बात कह सकता था?
"मेहेरबानी तो आपने मुझपे की है मेरा ऑफर कबुक करके."
"अच्छा."
"जी,हां!बंदा तो सिर्फ़ आपकी दोस्ती चाहता है."
"सिर्फ़ दोस्ती?",कामिनी वैसे ही शोख निगाहो से उसे देख रही थी.
"जी हां..",ठुकराल उसके तोड़ा और करीब आ गया & उसकी गहरी निगाहो मे झाँकने लगा & उसका हाथ वापस सहलाया,"..बस अपना खाली वक़्त मेरे साथ गुज़र लिया करें."
कामिनी बस मुस्कुराती रही,"बोलिए,गुज़रेंगी?"
"हां,ठुकराल साहब.आपके जैसे दिलवाले दोस्त के साथ कौन वक़्त नही गुज़ारना चाहेगा."
"तो यहा से कही और चलें?"
"ना-ना,आज नही."
"मगर क्यू?",ठुकराल ने अपना दाया हाथ उसकी पीठ से उसके दाए कंधे पे लगाके उसे पूरा ही अपनी ओर घुमा लिया.
"अरे!आप तो बेसबरे होने लगे.",कामिनी ने अपने दोनो हाथ उसके बाए हाथ से अलग किए & उसके सीने पे रख के उसे और करीब आने से रोका..1 बात तो तय थी ठुकराल काफ़ी कामुक आदमी था.
"प्लीज़!",ठुकराल ने उसके कंधे को दबाया.
"नही,ठुकराल साहब.जब तक केस चलता है,हम नही मिल सकते.आप मीडीया वालो को तो जानते ही हैं..कही किसी को भनक लग गयी..तो मेरे केसस तो चौपट होंगे ही,मेरी प्रॅक्टीस पे भी बुरा असर पड़ेगा..& फिर आप भी शायद मुझसे पल्ला झाड़ लेंगे.",कामिनी ने उसे छेड़ा.
"ऐसा कभी नही होगा..& फिर हमारे मुल्क मे तो आदमी की उम्र गुज़र जाती है मगर क़ानूनी केस नही ख़त्म होते..मैं इतना लंबा इंतेज़ार नही कर सकता!",उसने 1 बार फिर कामिनी को अपनी ओर खींचना चाहा.
"ओह्ह....प्लीज़ ठुकराल साहब बात को समझिए.आज मैं आपके साथ नही जा सकती....& फिर अगर आप मुझ से मिलना चाहते हैं तो किसी महफूज़ जगह का इंतेज़ाम कीजिए."
"मेरे घर से महफूज़ कौन सी जगह हो सकती है!"
"और मुझे किसी ने वाहा आते देख लिया तो?"
"वो सब मुझ पे छ्चोड़ दीजिए."
"तो ठीक है,आज तो नही पर आगे आप जब कहेंगे मैं हाज़िर हो जाऊंगी."
"ठीक है,मैं आपको फोन करूँगा."
"ओके.तो अब मैं चलती हू.",कामिनी धीरे से उसकी बाहो से निकल के खड़ी हो गयी.
"कामिनी जी,दोस्ती की शुरुआत मे अपने इस दोस्त को कोई निशानी तो देते जाइए.",ठुकराल ने इस बार उसे सीधा अपनी बाहो मे जाकड़ लिया.
"ऑफ....ओह्ह..!",कामिनी हंसते हुए उसे परे धकेलने लगी,"..आप बड़े बेसबरे हैं!..अच्छा रुकिये..ये लीजिए..!",ठुकराल उसके होंठो पे झुकता इस से पहले ही उसने उसके गाल को चूमा & उसे परे धकेल खिलखिलाती हुई वाहा से निकल ली.लाउंज के दरवाज़े पे रुक के 1 बार पलट के उसने ठुकराल की ओर 1 शोख मुस्कान फेंकी & वाहा से चली गयी.ठुकराल की खुशी का ठिकाना नही था,इतनी खूबसूरत लड़की उसके जाल मे फँस गयी थी..उसका दिमाग़ जल्द से जल्द उस से खुल के मिलने & उसके जिस्म का जम के लुत्फ़ उठाने का रास्ता ढूँदने लगा.
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