RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--33
लंच के बाद कामिनी करण से मिलने लॉक-अप पहुँची.उसने देखा की वाहा संजीव मेहरा भी मौजूद हैं,थोड़ी देर करण के साथ बाते करने के बाद वो उसके चाहचहा को 1 तरफ ले गयी,"मिस्टर.मेहरा,मुझे आपसे 1 काम है?"
"हां,कामिनी जी,बोलिए."
"देखिए,मेहरा साहब,इस काम से करण को बचाने मे हमे काफ़ी मदद मिल सकती है,इसलिए मैं चाहती हू कि आप जल्द से जल्द इस काम को पूरा करें."
"आप काम बताइए तो कामिनी जी,अपने भतीजे को यहा से निकालने के लिए मैं कुच्छ भी करूँगा."
"मिस्टर.मेहरा,मुझे शीना के लंडन के उसके फोने की कॉल डीटेल्स चाहिए."
संजीव मेहरा थोड़ी सोच मे पड़ गये,"क्या हुआ,मेहरा साहब?"
"जी..",वो अपने ख़यालो से बाहर आए,उनके चेहरे पे थोड़ी झिझक दिख रही थी,लेकिन फिर जैसे उन्होने पक्का इरादा कर लिया,"..इस से करण को निकालने मे हमे मदद मिलेगी ना?'
"आप मुझपे भरोसा रखिए,मिस्टर.मेहरा.अब कारण को मैं यहा से निकाल के ही रहूंगी."
"ठीक है,मैं अभी ही लंडन बात करता हू."
"1 बात का ख़याल रखिएगा,मेहरा साहब..इस बात का आप चाहे जैसे भी पता लगाएँ,शीना & उसके परिवार वालो को इसकी भनक भी नही लगनी चाहिए."
"आओ बेफ़िक्र रहें,कामिनी जी."
कामिनी वाहा से निकल कर वापस अपने ऑफीस पहुँची,आज शाम उसके प्लान का पहला हिस्सा शुरू होने वाला था,मगर उसके पहले उसे फिर से मोहसिन जमाल से 1 काम करवाना था,"हेलो,मोहसिन?"
"हां,कामिनी जी,बोलिए."
"1 और काम है."
"बताइए."
"मोहसिन,तुम्हे जगबीर ठुकराल का पीछा कर के ये पता लगाना है कि वो कहा-2 जाता है..खास तौर से कोई रेस्टोरेंट,होटेल..वग़ैरह."
"ओके,कामिनी जी,समझिए काम शुरू हो गया."
"थॅंक्स,मोहसिन.",कामिनी ने फोन बंद कर दिया.
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"आउच...!",षत्रुजीत सिंग के कमरे की ओर जाती कामिनी वाहा से निकल रहे किसी आदमी से टकरा गयी थी.कुच्छ सिक्के खनखनाने की आवाज़ आई तो उसने देखा की वो अपना बटुआ ठीक करते हुए निकल रहे अब्दुल पाशा से टकरा गयी थी,"सॉरी!",उसने ज़मीन पे पड़े 1-2 सिक्के उठाके उसके हवाले किए & अंदर चली गयी.शत्रुजीत शायद बाथरूम मे था,कामिनी ने अपना सूटकेस खोला & अपना समान उसमे डालने लगी.
"अब कहा जा रही हो?",शत्रुजीत बाथरूम से बाहर आया.
"अपने घर.",कामिनी कपड़े तह लगाके बक्से मे डाल रही थी.
"मगर क्यू?..तुम जानती हो तुम्हारी जान को ख़तरा है..ऐसे मे तुम वाहा अकेले कैसे रहोगी?!"
"तुम्हे फ़िक्र करने की कोई ज़रूरत नही शत्रुजीत,तुम बस अपनी फ़िक्र करो."
"कामिनी..",शत्रुजीत की थयोरियाँ चढ़ गयी,"..ये क्या तरीका है बात करने का!"
"जो भी है,बिल्कुल सही है..",कामिनी ने सूटकेस बंद किया,"..तुम 1 झूठे & 1 खूनी हो शत्रुजीत सिंग..& मैं तुमसे नफ़रत करती हू."
"क्या झूठ बोला है मैने?",शत्रुजीत बाहे अपने सीने पे बँधे उसे घूर रहा था.
"नंदिता का खून तुम ही ने किया है..अब तक तुम मुझसे झूठ बोलते आ रहे हो कि तुम बेकसूर हो..तुम मुझसे शादी करना चाहते थे मगर नंदिता के रहते ऐसा नही कर सकते थे,इसलिए तुमने उस बेचारी को मार दिया."
"क्या सबूत है तुम्हरे पास?"
"वो तो मैं अदालत मे पेश करूँगी!",कामिनी ने सूटकेस उठाया & निकल गयी.शत्रुजीत बस उसे जाते देखता रहा.
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इस सबके 2 दिन बाद मोहसिन ने दोपहर को कामिनी को फोन किया,"कामिनी जी,ठुकराल वैसे तो अपने घर से अपने दफ़्तर & पार्टी ऑफीस के अलावा दिन मे कही नही जाता मगर हर शाम को बरटन होटेल के लावा लाउंज बार मे ज़रूर जाता है..वाहा उसका अपना 1 प्राइवेट लाउंज है."
"ओके,मोहसिन,ऐसा करो की आज शाम भी वी जैसे ही वाहा पहुँचे मुझे खबर करना,बस तुम्हारा काम पूरा हो गया समझो."
"ओके,कामिनी जी."
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कामिनी बरटन होटेल की बेसमेंट पार्किंग मे अपनी कार मे बैठी मोहसिन के फोन का इंतेज़ार कर रही थी,तभी घंटी बजी,"बोलो,मोहसिन!"
"उसकी कार होटेल के गेट पे है,कामिनी जी."
"थॅंक्स,मोहसिन.अब उसका पीचछा करने की कोई ज़रूरत नही.तुम कल आके अपनी फीस ले लेना."
"ओके,कामिनी जी,थॅंक्स."
कामिनी तेज़ी से अपनी कार से उतरी & लिफ्ट से थोड़ी ही देर मे लावा मे पहुँच गयी.वाहा पहुँच के बार पे उसने 1 कॉकटेल का ऑर्डर दिया & फिर 1 बरस्तूल पे काफ़ी परेशान सी सूरत बनाके बैठ गयी.बारटेंडर ने कॉकटेल उसके सामने रख दिया तो वो उसे बेमन से पीने का नाटक करने लगी.
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