RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--30
चंद्रा साहब कामिनी के उपर अभी भी चढ़े हुए थे & उसके चेहरे & गर्दन को चूम रहे थे,"उफ़फ्फ़....बस यही करते रहेंगे क्या!..मुझे भूख लग रही है,कुच्छ खाने को तो मँगवैइए."
"अभी लो.",चंद्रा साहब ने वैसे ही उसके उपर से हटे बिना,हाथ बढ़कर साइड-टेबल से मेनू कार्ड उठाया & नीचे दबी कामिनी को थमाया,फिर उसी साइड-टेबल पे रखे फोन से खाने का ऑर्डर कर दिया.
थोड़े ही देर बाद कमरे की घंटी बजी,"चलिए..अब हटिए.",चंद्रा साहब कामिनी के उपर से हटे & वॉर्डरोब से निकल के 1 बेदिंग गाउन पहन लिया,कामिनी वैसे ही नंगी बातरूम मे चली गयी.वेटर के जाने के बाद चंद्रा साहब दरवाज़ा बंद कर मुड़े तो देखा की कामिनी अभी तक बाथरूम से बाहर नही आई है.
वो बाथरूम के दरवाज़े के पास गये तो पाया की कामिनी ने दरवाज़ लॉक नही किया था बस भिड़ा दिया था.उन्होने हौले से बिना आवाज़ किए दरवाज़ा खोला तो देखा की कामिनी वॉशबेसिन पे झुक के अपना मुँह धो रही है.झुके हुए होने के कारण उसकी चौड़ी गंद कुच्छ और ज़्यादा उभर आई थी & उसकी फांको के बीच उपर उसकी गंद का गुलाबी छेद & नीचे उसकी चूत दिखा रहे थे जिसमे से अभी भी उनके लंड के पानी की बूंदे टपकती दिख रही थी.
इस मस्त नज़ारे को देखते ही चंद्रा साहब का लंड 1 बार फिर जोश मे आने लगा.उन्होने बातरोब उतारा & चुपके से कामिनी के पीछे पहुँच गये,फिर उसकी कमर को थाम कर 1 ही झटके मे उसकी गीली चूत मे अपना लंड पूरा घुसा दिया,"हााअ.....!",कामिनी अचानक हुए इस हमले से चौंक के सीधी होने लगी तो वॉशबेसिन के उपर के शीशे मे उसे अपने गुरु का चेहरा नज़र आया जिसके हर पोर मे बस उसके जिस्म की चाहत नज़र आ रही थी.
कामिनी ने झुक के वॉशबेसिन के किनारो पे अपनी बाहे टीका के फौसेट के नॉब्स को सहारे के लिए थाम लिया & उनके धक्को का मज़ा लेने लगी,"..ऊओन्नह.....आअनन्नह....!"
चंद्रा साहब उसकी कमर को थामे उसकी चूत चोद रहे थे मगर उनका इरादा उसकी चूत मे झड़ने का नही था.कामिनी की मस्त,भारी गंद ने उन्हे पहले दिन से ही दीवाना बना लिया था & इस बार वो उसी का लुत्फ़ उठाने की फिराक़ मे थे.उन्होने शीशे के पास के शेल्फ से 1 क्रीम उठाई & अपनी उंगली मे लगा कामिनी को चोद्ते हुए उस उंगली को उसकी गंद मे अंदर-बाहर करने लगे,"....हाऐईयईईईईईईई....!",कामिनी भी उनका इरादा भाँप गयी & उसके बदन मे और भी मस्ती भर गयी & नतीजतन उसकी आहे & तेज़ हो गयी.
चंद्रा साहब गहरे धक्को से कामिनी की चूत की चुदाई करते हुए उंगली से क्रीम को उसकी गंद के छेद मे अंदर तक लिसेद रहे थे.जब उनकी उंगली गंद के छेद के अंदर तक जाती तो कामिनी की गंद अपनेआप सिकुड कर उंगली को चारो तरफ से दबा लेती.उसकी इस हरकत से चंद्रा साहब को ख़याल आया की इस उंगली की जगह जब उनका लंड लेगा तो उसे कैसा महसूस होगा!इस ख़याल से उनका दिल & मदहोशी से भर उठा & उन्होने फ़ौरन लंड को बाहर खींच लिया.
फिर अपनी दाई टांग को वॉशबेसिन के स्लॅब पे चढ़ाया & कामिनी की टांगे और फैला दी.कामिनी अब वॉशबेसिन के उपर बिल्कुल दोहरी होके खड़ी थी.चंद्रा साहब ने बाए हाथ से उसकी नाज़ुक कमर को थामा & दाए हाथ से उसके पानी से भीगे लंड को उसकी गंद पे लगा के 1 धक्का दिया,"...ऊओउउउइईईईई.....!",कुछ दर्द & कुच्छ मज़े से कामिनी करही.
लंड का सूपड़ा उसकी गंद मे दाखिल हो चुका था.कामिनी ने फॉसट को कस के बाए हाथ से थामा & अपना सर उठा के शीशे मे अपने गुरु की ओर मदमस्त निगाहो से देखा & होंठो को गोल कर के उन्हे चूमने का इशारा किया & फिर अपने दाए हाथ को नीचे ले जाके अपनी चूत के दाने को रगड़ने लगी.चंद्रा साहब अपनी शिष्या की इस अदा से पागल हो गये & उन्होने बहुत तेज़ी से लंड को गंद मे अंदर धकेलना शुरू कर दिया.कामिनी अब मस्ती मे चीखने लगी.बाथरूम की टाइल्स लगी दीवारो से टकरा के गूँजती उसके गले से निकल रही कामुक आवाज़ें माहौल को मस्ताना बना रही थी & उसके गुरु को और जोशीला.
उसकी गंद का छेद वैसे ही सिकुड-2 कर उनके लंड को बहुत ज़ोर से कस के अपनी गिरफ़्त मे ले रहा था.कामिनी की चूत बहुत कसी हुई थी & चंद्रा साहब जब भी उसे चोद्ते तो हर बार इस बात पे हैरान & खुश हुए बिना नही रह पाते,मगर उसकी गंद की तो बात ही कुच्छ और थी!चंद्रा साहब का लंड बहुत फूल गया था & उनके अंडे भी बिल्कुल कस चुके थे & उनमे उबाल रहा लावा धीरे-2 आगे बढ़ रहा था.
चंद्रा साहब ने टांग स्लॅब से उतरी & झुक के उसकी पीठ से अपने सीने को सटा उसके सर & उसकी पीठ पे फैले उसके बालो कॉ चूमने लगे.कामिनी ऐसे झुकी थी की उसकी भारी-भरकम छातिया वॉशबेसिन के अंदर लटकी हुई थी.चंद्रा साहब के हर धक्के पे दोनो के जिस्म टकराते & कामिनी की आहो के साथ-2 जिस्मो की ठप-2 की आवाज़ भी गूँज उठती,मगर उसके साथ 1 और ठप-2 की आवाज़ गूँजती-उसकी चूचियो का वॉशबेसिन से टकराने से पैदा हुई ठप-2 की आवाज़.
चंद्रा साहब ने उसके बालो को हटा के उसके बाए कंधे के उपर से आगे की ओर कर दिया & फिर उसके दाए कंधे को चूमते हुए उसी तरफ से उसके चेहरे & कान पे अपनी जीभ चलाने लगे.कामिनी ने आहे भरते हुए अपना चेहरा घुमाया & अपने बूढ़े प्रेमी के होंठो को अपने गुलाबी भरे-2 लबो की क़ैद मे गिरफ्तार कर लिया.जवाब मे चंद्रा साहब के धक्के और तेज़ हो गये & उन्होने वॉशबेसिन से टकराती उसकी चूचियो को अपने हाथो मे भर लिया & बेरहमी से दबाने लगे.कामिनी भी बहुत तेज़ी से अपने दाने को रगड़ रही थी.
चंदर साहब का बदन कड़ा होने लगा था तो कामिनी समझ गयी की वो अब झाड़ जाएँगे,वो उनके साथ-2 झड़ना चाहती थी,सो उसने अपनी उंगली की रफ़्तार और तेज़ कर दी.चंद्रा साहब ने उसे चूमना छ्चोड़ दिया था & वैसे ही उसकी पीठ से सटे आईने मे उसके प्यारे चेहरे को देखते हुए आहे भरते हुए धक्के लगा रहे थे.
"आहह....आअहह...आहह...आअहह...!",चंद्रा साहब ज़ोरो से कराहने लगे & उनके लंड से आंडो मे पैदा हुआ लावा बलबला के निकालने लगा & कामिनी की गंद मे भरने लगा,ठीक उसी वक़्त कामिनी की उंगली की मेहनत भी रंग लाई & उसके जिस्म मे झदने से पैदा हुए मज़े की फुलझारिया ज़ोरो से छूटने लगी.
झाड़ते ही दोनो वॉशबेसिन के उपर झुक के हाँफने लगे.थोड़ी देर बाद,चंद्रा साहब की साँसे संभाली तो उन्होने कामिनी के दाए कंधे के नीचे उसकी मखमली पीठ पे 1 प्यार भरी किस ठोनकी,"खाना खाने चले?",कामिनी ने बस हां मे सर हिला दिया.
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आज रविवार का दिन था & सुबह के सात बजे थे.मोहसिन जमाल 1 रेडियो टॅक्सी ड्राइवर की वर्दी पहने 1 कार की ड्राइविंग सीट पे उंघ रहा था.कार पे भी रेडियो टॅक्सी कंपनी के लोगो & नाम पैंट किए हुए थे,अंदर 1 वाइरीयल्स भी लगा हुआ था मगर जैसे मोहसिन टॅक्सी ड्राइवर नही था वैसे ही कार भी टॅक्सी नही थी.ये तो बस खुद को शक़ की निगाहो से बचाने के लिए 1 पैंतरा था.टॅक्सी तो कही भी खड़ी रहे कोई शक़ नही करता & रेडियो टॅक्सी को कोई ऐसे ही हाथ दे के रोक के कही चलने के लिए भी नही कहता.वाइर्ले सरकारी इजाज़त से लगाया गया था & मोहसिन की एजेन्सी के जासूसो के काम के लिए था.मगर मोहसिन उसका 1 इस्तेमाल और भी करता था जोकि थोड़ा ग़ैरक़ानूनी था,वो वाइर्ले की फ्रीक्वेन्सी चेंज कर कभी-2 पोलीस वाइर्ले पे कंट्रोल रूम & बाकी थानो & पेट्रोल क़ार्स की बाते भी सुनता था.इस से उसे ना जाने कितने केसस मे मदद मिली थी & सबसे बड़ी मदद तो ये थी की ट्रॅफिक जॅम्स की खबर उसे फ़ौरन मिल जाती थी & वो उनसे बच के निकल जाता था!
टॅक्सी इस वक़्त षत्रुजीत सिंग के बंगल से कुच्छ दूरी पे 1 पेड़ के नीचे खड़ी थी.पिच्छले 2 दीनो से मोहसिन & उसके साथी बारी-2 से टोनी का पीछा कर रहे थे मगर उसने अभी तक कुच्छ ऐसा नही किया था जोकि कामिनी को बताने लायक हो,वो तो शत्रुजीत की कार लेके उसके साथ निकलता & उसी के साथ घर वापस आ जाता,बहुत हुआ तो कभी-कभार सिगरेट खरीदने घर से बाहर आ जाता.मोहसिन को लगने लगा था की इस शख्स से कुच्छ नही पता चलने वाला,ये तो कमाल का नमकहलाल ड्राइवर था-साला कभी मलिक की बुराई भी नही करता था और ड्राइवर्स के साथ मिलके!
तभी बंगल का दरवाज़ा खुला & सफेद कमीज़ & हल्की नीली जीन्स पहने टोनी बाहर आया.मोहसिन ने वैसे ही उंघते रहने का नाटक करते हुए अपनी आँखो के कोने से उसे देखा..ये साला नहा धो के तैय्यार होके कहा जा रहा है?उसने देखा की टोनी रास्ते के मोड़ पे बनी फ्लवर शॉप से फूल खरीद रहा है.फूल खरीदने के बाद वो टॅक्सी ढूँदने लगा तो मोहसिन ने कार स्टार्ट की.जैसे ही टोनी 1 टॅक्सी मे बैठा मोहसिन ने अपनी कार उसके पीछे लगा दी.
कोई 45 मिनिट बाद टॅक्सी शहर के बीचोबीच बने चर्च पे आ रुकी..इसके घर के पास भी तो चर्च है वाहा ना जाके यहा क्यू आया है?मोहसिन ने अपनी शर्ट उतार दी,नीचे 1 टी-शर्ट थी,ड्राइवर की वर्दी की पॅंट की जगह वो हुमेशा जीन्स पहनता था.टॅक्सी पार्क कर के वो चर्च मे दाखिल हुआ तो वो बस 1 आम इंसान था जोकि सनडे को चर्च आया था ना की टॅक्सी ड्राइवर.वो सबसे आख़िरी बेंच पे बैठ गया.उसने देखा की बाहर से 1 कॅंडल खरीद कर टोनी अंदर आया & हाथ मे पकड़ा गुलदस्ता 1 बेंच पे रख के आगे गया & जाकर आल्टर पे कॅंडल जलाने लगा.
वाहा पहले से ही 1 पीले रंग की घुटनो तक की ड्रेस पहने लड़की खड़ी थी....मोहसिन सोच रहा था धर्म की आस्था भी अजीब चीज़ है!..ना जाने क्यू इंसान को किसी खास इबादट्गाह या उपरवाले के किसी 1 खास रूप मे इतना ज़्यादा विश्वास हो जाता है..हो सकता है टोनी को भी इस चर्च पे वैसा ही भरोसा हो.
मगर अगले पल मोहसिन ये सारी फलसफाई बाते भूल गया.वो लड़की & टोनी आल्टर से वापस आते समय आगे-पीछे चल रहे थे.लड़की आई & जहा फूल रखे थे उस बेंच पे अंदर की तरफ बैठ गयी,फिर मोहसिन आया,फूल उठाए & बैठ गया & फिर फूल उस लड़की की गोद मे रख दिए.अब मोहसिन पूरी तरह चौकन्ना था.उसने चर्च का जायज़ा लिया & ये पक्का किया की अंदर आने & बाहर जाने का 1 ही रास्ता है,फिर उठा & बाहर आके अपने मोबाइल से फोन मिलाया,"सुखी?"
"जी,सर."
"स्ट्रीट.थॉमस चर्च के पास आ जा."
"ओके,सर."
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