RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
थोड़ी देर बाद कामिनी लाल साहब के साथ मिश्रा के ऑफीस से बाहर निकल रही थी.उसने चंद्रा साहब को अपने दोस्त से बाते करने के लिए छ्चोड़ दिया था.लाल साहब 50-55 साल के छ्होटे कद के पतले-दुबले इंसान थे,उनकी नाक पे चढ़ा चश्मा बार-2 आगे आ जाता था जिसे वो बार-2 पीछे कर नाक पे चढ़ाते थे,"कॉलेज के करीब-2 सारे रेकॉर्ड्स कंप्यूटराइस्ड हैं इसलिए आपके काम मे हमे ज़्यादा परेशानी नही होगी..आइए",लाल साहब ने अपने ऑफीस का दरवाज़ा खोला.
"रवि,ज़रा मेडम की मदद कर दो.इन्हे 1 स्टूडेंट का रेकॉर्ड देखना है.",लाल साहब ने अपने ऑफीस मे ही 1 दूसरी टेबल पे बैठे काम कर रहे शख्स से कहा.
"जी,सर..आइए मेडम.",कामिनी उसके साथ बैठ गयी & उसे शीना के बारे मे बताया.रवि ने अपने कंप्यूटर मे सीणा का नाम,सब्जेक्ट & साल डाला तो उसका रेकॉर्ड स्क्रीन पे आ गया,"ये देखिए,मेडम."
"रवि जी,इसने फाइनल एग्ज़ॅम देर से क्यू दिया था?"
"मेडम,यहा तो कारण मे लोंग इलनेस लिखा हुआ है."
"अच्छा.",कामिनी सोच मे पड़ गयी.
"मेडम.",उसे सोच मे डूबी देख रवि ने उस से कहा.
"ह्म्म."
"वैसे आप इस लड़की के बारे मे क्या जानना चाहती हैं?"
"बस इतना की जीतने दीनो ये कॉलेज मे रही तो कुच्छ ऐसी बात या घटना तो नही हुई थी जिसकी वजह से कुच्छ चर्चा हुई हो."
"तो फिर आप इसके सब्जेक्ट के प्रोफेस्सर्स से क्यू नही बात करती?"
"आप ठीक कह रहे हैं..",कामिनी की आँखो मे चमक आ गयी,"..टीचर से बेहतर स्टूडेंट के बारे मे और कौन बता सकता है..थॅंक्स,रवि जी!अब आइडिया दिया है तो आगे ये भी बता दीजिए की किस टीचर से मिलू?"
"एकनॉमिक्स होनोर्स की हेड ऑफ डिपार्टमेंट रागिनी शर्मा जी से मिल लीजिए.वो पिच्छले 15 सालो से कॉलेज के साथ जुड़ी हैं.इस वक़्त आपको कॉलेज के पीछे की ओर बने नये विंग के ग्राउंड फ्लोर पे मिल जाएँगी..",उसने अपनी कलाई पे बँधी घड़ी पे नज़र डाली,"..वाहा एम.ए स्टूडेंट्स की क्लास ले रही होंगी."
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"रागिनी मॅ'म?",सारे स्टूडेंट्स क्लास ख़त्म होने पे बाहर निकल गये थे & 1 मोटी सी औरत अपने टेबल पे से कागज समेत रही थी.
"जी,कहिए."
"मेरा नाम कामिनी शरण है,मैं 1 वकील हू..",& कामिनी ने उन्हे अपने वाहा आने का मक़सद बताया.
"शीना मित्तल....ह्म्म्म.",रागिनी जी अपनी ठुड्डी पे हाथ रखे सोचने लगी,उनके माथे पे शिकन पड़ गयी थी.कामिनी ने अपने मोबाइल को अपने बॅग से निकाला & उसमे स्टोर्ड शीना की फोटो उन्हे दिखाई,ये फोटो उसे करण के चाचा संजीव मेहरा ने अपने मोबाइल से दी थी.
"अच्छा ये....हां-2 अब याद आया...ऐसी बात मैं भूल भी कैसे सकती हू..?अब क्या करे उम्र जो हो रही है!",चलिए स्टाफ-रूम मे चलते हैं,वाहा मैं आपको सारी बात बताती हू.
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"मित्तल साहब का परिवार आवंतिपुर मे ना जाने कब से रह रहा है & उनकी भी यहा बहुत इज़्ज़त है,बड़े सज्जन आदमी हैं..",रागिनी जी ने अपनी चाइ की प्याली से 1 घूँट लिया.कामिनी को दुबरे कॉलेज कॅंटीन की बेस्वाद चाइ पीनी पड़ रही थी,"..शीना मे भी अपने परिवार के सभी गुण थे मगर ये सारे गुण हवा हो गये जब वो समीर नाम के 1 लड़के के चक्कर मे पड़ गयी.अब जैसा की आमतौर पे इस उम्र मे होता है दोनो 1 दूसरे के बिल्कुल दीवाने हो चुके थे.."
"..मित्तल साहब को बात पता चली तो उन्होने अपनी बेटी को समझाया मगर वो तो जैसे कुच्छ सुनना-समझना ही नही चाहती थी..हार कर उन्होने बेटी पे बंदिशे लगाई.इसका नतीजा ये हुआ की वो बागी हो गयी & 1 दिन समीर के साथ भाग गयी.मित्तल साहब उसे ढूँढते हुए पंचमहल पहुँचे..समीर वही का था ना!"
"..उन्होने समीर के घर वालो को सारी बात बताई तो उन्होने भी समीर को काफ़ी लताड़ा..इसके बाद दोनो प्रेमियो को जुदा कर दिया गया..इसी सब चक्कर मे शीना का एग्ज़ॅम लेट हो गया था.",उन्होने कप से 1 और घूँट लिया.
"मगर मॅ'म..",कामिनी अब और ये चाइ नही पी सकती थी,उसने भी अपना कप नीचे रख दिया,"..इस बात का तो बहुत हो-हल्ला मचा होगा शहर मे?"
"अरे नही..",रागिनी जी हँसी,"..मित्तल साहब बहुत समझदार इंसान हैं,उन्होने बेटी के भाग जाने पे भी हाई-तौबा नही मचाई बल्कि चुप-चाप उसे ढूँडने मे लगे रहे.कॉलेज मे शीना & समीर के दोस्तो को भी सारी बात नही पता थी क्यूकी अब देखिए..आजकल के ज़माने मे लड़के-लड़की का ऐसे दोस्ती & प्यार मे पड़ना तो बहुत आम सी बात है..& जहा तक मैं जानती हू अपने घरवालो को उनके रिश्ते पे जो ऐतराज़ था उसका ज़िक्र शायद ही किसी ने दोनो से किया हो."
"थॅंक्स,मॅ'म.आपको शायद अंदाज़ा नही आपने मेरी कितनी मदद की है,थॅंक्स वन्स अगेन!"
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"ये देखिए,मेडम समीर का रेकॉर्ड.",कामिनी 1 बार फिर रवि के साथ बैठी थी.समीर का रेकॉर्ड देखते ही कामिनी को कुच्छ-2 बात समझ मे आने लगी.तभी लाल साहब ने रवि को किसी काम के लिए बाहर भेजा तो कामिनी ने उनकी नज़र बचा के समीर के रेकॉर्ड का प्रिनटाउट निकाल के अपने बॅग मे डाल लिया.
जब रवि वापस आया तो कामिनी ने उस से शीना के बॅच के सभी स्टूडेंट्स की लिस्ट माँगी तो रवि ने उसे फाइनल एअर के रिज़ल्ट का प्रिनटाउट निकाल के दे दिया,कामिनी ने उसपे नज़र दौड़ाई-समीर ने फाइनल एग्ज़ॅम का 1 भी पेपर नही दिया था,हर सब्जेक्ट के आगे 2 ही शब्द लिखे थे:नोट अपीयर्ड.
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"उम्म्म.....क्या कर रहे हैं?..छ्चोड़िए ना..!",चंद्रा साहब होटेल के कमरे मे कामिनी को बाहो मे भर के उसके चेहरे को बेतहाशा चूमे जा रहे थे.कामिनी को भी बहुत अच्छा लग रहा था,उसका इनकार तो बस उसकी ज़ात-यानी लड़कियो की ज़ात की फ़ितरातन हरकत थी.उनके दिल मे तो लड़को से भी कही ज़्यादा चुदने की हसरत होती है,मगर हर कदम पे रोकेंगी & नही-2 करेंगी!
चंद्रा साहब उसकी शर्ट के अंदर हाथ घुसाए उसकी कमर को बेसब्री से मसल्ते हुए उसके होंठो को चूम रहे थे & कामिनी भी उनसे चिपकी उन्हे अपनी ज़ुबान से जवाब दे रही थी.चंद्रा साहब ने जैसे ही अपनी जीभ उसके मुँह मे घुसाइ कामिनी ने उसे ऐसे चूसा की चंद्रा साहब का लंड पूरा तन गया & वो बेचैनी मे पागल हो उसकी कमीज़ उतारने लगे.
कामिनी ने भी उनकी शर्ट निकाल दी.चन्द्रा साहब उसके ब्रा मे क़ैद उभारो के नुमाया हिस्से को चूमते हुए उसे बाहो मे भर के अपने हाथ पीछे ले जाके उसके ब्रा हुक्स खोल रहे थे & कामिनी उनकी पीठ को सहलाए जा रही थी.ब्रा खुलते ही उन्होने उसे निकाल फेंका & कामिनी को बिस्तर पे गिरा दिया & उसके उपर सवार हो उसकी चूचियो को दबाते हुए उन्हे चूमने,चूसने लगे,"...ऊओ....आअहह..!"
कामिनी की मस्ती बढ़ रही थी,वो अपने गुरु के सर से लेके उनकी पूरी नंगी पीठ पे अपने गरम हाथ चला रही थी,चंद्रा साहब जैसे ही उसपे चढ़े थे उसने अपनी टाँगे फैला दी थी & अब जोश से बेचैन हो चंद्रा साहब बिना पॅंट उतारे ही उसकी पॅंट मे क़ैद चूत पे अपने लंड से धक्के लगाने लगे थे,"...उउउंम्म....आआनन्नह...!",कामिनी उनका सर चूमते हुए बेचैनी से अपनी कमर हिला रही थी.टॅक्सी मे उनकी हर्कतो ने उसके अंदर आग भड़का दी थी जोकि कॉलेज मे तो शांत हो गयी थी मगर बुझी नही थी.होटेल रूम मे घुसते ही चंद्रा साहब के उसपे टूट पड़ने से आग इस बार और भी ज़्यादा तेज़ी से भड़क उठी थी.
चंद्रा साहब ने उसके गुलाबी निपल्स को अपने दांतो के बीच पकड़ के खींचा तो कुच्छ दर्द & कुच्छ मज़े से कामिनी करही & उसका दिल उनके लंड के एहसास के लिए मचल उठा.अपनी चूचियो पे जुटे अपने गुरु के सर को उनपे दबाते हुए वो अपना दाया हाथ दोनो जिस्मो के बीच ले जा उनकी पॅंट को खोलने लगी तो चंद्रा साहब झटके से उसके सीने से उठ गये & फटाफट अपनी पॅंट & अंडरवेर को निकाल दिया.
फिर 1 ही झटके मे उन्होने कामिनी की पॅंट को भी खींच कर उसके खूबसूरत जिस्म से अलग कर दिया.अब वो केवल गुलाबी रंग की पॅंटी मे थी जोकि उसकी चूत से गीली हो चिपकी हुई थी.चंद्रा सहब ने उसे हौले खींच कर उसकी टांगो से निकाला & फिर उसकी गीली चूत के रस को चाटने लगे,".....ऊओह...हाईईईई.....सिर्र्र्ररर....अब आ जाइए.....आअन्न्न्नह...",उसने उनके सर के बाल खींच कर अपनी चूत से उन्हे अलग किया,"....अब नही रहा जाता,जल्दी से चोदिए ना!....डालिए अपना लंड मेरी चूत मे अभी!"
उसने उन्हे उपर खींचा तो चंद्रा साहब उसकी बात मानते हुए उपर आए,उसकी टाँगो को हवा मे उठा के अपने कंधे पे रखा & 1 ही झटके मे अपने लंड को उसकी चूत मे दाखिल करा दिया,"..हाआअन्न्नननननणणन्...!",उसके बदन के दोनो तरफ बिस्तर पे हाथ रखे वो उचक-2 के उसकी छूट को चोदने लगे.कंधे पे टांगो के होने की वजह से चूत कुच्छ ज़्यादा ही खिल कर सामने आ गयी थी & हर झटके पे उनका लंड उसकी गहराइयो मे जैसे और ज़्यादा उतर रहा था & उनके अंडे हर धक्के पे उसकी गंद से टकरा रहे थे.कामिनी अब आहे नही भर रही थी बल्कि नीचे से कमर हिलाते हुए चिल्ला रही थी.
चोद्ते हुए चंद्रा साहब अपने घुटनो पे बैठ गये & उसकी भरी हुई गंद की फांको को दबाते हुए उसके पैर की उंगलियो को चूस्ते हुए उसकी चुदाई करने लगे.उनकी इस हरकत को कामिनी बर्दाश्त नही कर पाई & फ़ौरन झाड़ गयी मगर चंद्रा साहब का पानी अभी भी बाँध के पीछे था,उसमे अभी वो उबाल नही आया था जोकि बंद तोड़ देता.झड़ने के कामिनी ने आँखे मूंद ली & अपनी दाई बाँह अपनी आँखो पे रख ली,हर धक्के पे उसकी चूचिया च्चालच्छला जाती तो चंद्रा साहब उन्हे दबोच के मसल देते.
थोड़ी देर बाद कामिनी के अंदर फिर से मस्ती जागने लगी & वो हल्की-2 आहे भरने लगी.चंद्रा साहब ने अपनी चुदाई की रफ़तर थोड़ी तेज़ कर दी तो कामिनी ने दोबारा अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया.चंद्रा साहब ने उसकी टाँगो को अपने कंधो से उतारा & उसके उपर लेट कर अपने बालो भरे सीने तले उसकी चूचियो को दबाते हुए उसे चूमने लगे.कामिनी ने फ़ौरन अपनी टाँगे उनकी कमर पे लपेटी & मस्ती मे बहाल हो अपने नाखूनओ से उनकी नंगी पीठ नोचने लगी.चंद्रा साहब दोनो हाथ उसके कंधो के नीचे लगाके जैसे उसे उठाके खुद से और सताने की कोशिश करने लगे.
कामिनी भी जोश से पागल हो नीचे से कमर हिलाते हुए उचक-2 के उन्हे चूम रही थी.चंद्रा साहब का पानी अब सैलाब की तरह बाँध तोड़ने ही वाला था & कामिनी की चूत मे भी बहुत तनाव बन गया था.चन्द्रा साहब ने उसे बाहो मे भर के बिस्तर से उठाते हुए उसके होंठो पे अपने होंठ कस दिए & जल्दी-2 धक्के लगाने लगे,कामिनी भी उनसे चिपटि,उन्हे खरोंछती उन्हे चूमती हुई नीचे से उनकी ताल से ताल मिलाते हुए कमर हिला रही थी.
तभी चंद्रा साहब के पानी ने बाँध तोड़ा & उनका बदन झटके खाने लगा,ठीक उसी वक़्त कामिनी की चूत का भी तनाव बहुत ज़्यादा बढ़ गया,उसकी चूत ने 1 साथ बहुत सारा पानी छ्चोड़ा जोकि चंद्रा साहब के लंड से निकलते पानी से जा मिला-दोनो के मज़े का ठिकाना नही था,दोनो 1 दूसरे की बाहो मे,1 दूसरे से चिपते हुए थे..मगर मानो 1 दूसरे से जुदा अपनी-2 दुनिया मे थे..दोनो ने 1 दूसरे के होंठो को आज़ाद कर दिया था & ज़ोर-2 से आहे भरते हुए झाड़ रहे थे.दोनो का ध्यान बस अपनी कमर मे हो रहे उस मीठे से दर्द पे था जोकि पानी छूटने के वक़्त बहुत तेज़ था & अब धीरे-2 कम हो रहा था..दोनो उसके 1-1 पल का पूरा लुत्फ़ उठना चाहते थे & बहुत तेज़ी से कमर हिला रहे थे.
आख़िर वो दर्द पूरा ही ख़त्म हो गया..रह गया तो बस दोनो का पानी जो कामिनी की चूत मे धन्से चंद्रा साहब के लंड के बगल से टपक रहा था.दोनो 1 दूसरे की बाहो मे शांत पड़े लंबी साँसे लेते हुए आँखे बंद किए पड़े हुए थे.दोनो के दिल मे बेइंतहा खुशी & चेहरे पे परम संतोष था.
क्रमशः....................................
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