RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
"मिलर्ड,सरकारी वकील ने दलील तो अच्छी दी है मगर इनके पास कोई गवाह है जो ये साबित करे की उस रात शत्रुजीत & नंदिता सिंग मे कोई झगड़ा हुआ था."
"उस रात तो नही मगर मेरे पास 1 गवाह है जो ये बताएगा कि इनके & इनकी पत्नी के बीच मे किस बात को लेके मनमुटाव चल रहा था.मैं गवाह को पेश करने की इजाज़त चाहता हू."
"इजाज़त है."
"शांति,अपना परिचय दो?"
"मैं नंदिता मेडम की मैड थी."
"तुमने उनकी मौत से कुच्छ दिन पहले उन्हे शत्रुजीत जी से क्या बात करते सुना था?"
"जी..साहब कुच्छ कह रहे थे जो शायद मेडम नही मान रही थी.मैने बस इतना सुना की तो तुम नही मनोगी & मेडम ने कहा नही..इसके बाद साहब कमरे से बाहर चले गये."
"आप क्या माँग रहे थे,मिस्टर.सिंग?"
"तलाक़.",कोर्ट मे ख़ुसर-पुसर होने लगी.
"ऑर्डर!ऑर्डर!"
"अब तो केस आईने की तरह सॉफ हो गया मिलर्ड.क़त्ल की 1 जायज़ वजह भी मिल गयी.दट'स ऑल."
विकास के बैठते ही कामिनी खड़ी हुई,"मिलर्ड.मुझे मिस्टर.सिंग से कुच्छ नही पुच्छना है बल्कि मैं 1 दूसरा गवाह पेश करूँगी.आपकी इजाज़त चाहिए."
"गो अहेड."
"मिस्टर.सिंग,आप नंदिता जी के पिता हैं?"
"जी."
"आपको अपने बेटी & दामाद के बीच के रिश्ते की असलियत मालूम थी."
"जी,हां.नंदिता या शत्रु ने हमसे कभी कुच्छ नही च्छुपाया था."
"मिस्टर.सिंग,आपकी बेटी से आपका रिश्ता कैसा था?"
"जैसा 1 बाप & बेटी का होना चाहिए.लगभग हर दूसरे तीसरे दिन हम फोन के ज़रिए 1 दूसरे का हाल तो लेते ही थे,मौका मिलने पे मुलाकात भी होती थी."
"तो कभी आपको आपकी बेटी ने शत्रुजीत जी के तलाक़ माँगने की बात बताई थी."
"नही."
"पॉइंट टू बी नोटेड मिलर्ड,सरकारी वकील साहब के मुताबिक जिस बात के चलते नंदिता जी का खून हो गया,वो उतनी ज़रूरी बात उन्होने अपने पिता तक को नही बताई..उस पिता को जिनसे वो हुमेशा बात करती थी या फिर मिलती थी."
"मिस्टर.सिंग,आप अपने दामाद के बारे मे तो अख़बारो मे पढ़ते ही रहते होंगे?"
"जी."
"उनमे उनकी दूसरी लड़कियो के साथ संबंध होने की भी बाते छपती रहती हैं."
"जी,और वो सच्ची हैं..मैने पहले ही कहा मेरे बेटी-दामाद कभी भी कुच्छ नही छिपाते थे.मुझे शत्रु की ऐसी बाते अच्छी तो नही लगती थी मगर मेरी बेटी को ही जब इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ता था तो फिर मेरी नाराज़गी भी मुझे जायज़ नही लगी."
"अनदर पॉइंट,मिलर्ड.नंदिता जी को शत्रुजीत सिंग के दूसरी औरतो से ताल्लुक़ात से कोई ऐतराज़ नही था.",वो फिर नंदिता के पिता से मुखातिब हुई,"फिर उन्होने तलाक़ वाली बात आपको क्यू नही बताई?"
"ये तो मैं नही जानता."
"वैसे आपको क्या लगता है,क्या दोनो को तलाक़ ले लेना चाहिए था."
"जी,बिल्कुल.ऐसी शादी का कोई मतलब ही नही था."
"तो आपकी बेटी के ना करने की वजह आपको क्या लगती है?"
"मुझे कोई अंदाज़ा नही."
"आपको लगता है की आपका दामाद आपकी बेटी का खून कर सकता है?"
"जी नही,शत्रु को अपने पिता से सच्चाई & ईमानदारी विरासत मे मिली है.इसमे किसी और का हाथ है & मेरे दामाद को फँसाया गया है."
"थॅंक यू,मिस्टर.सिंग.",वो विकास की ओर मूडी,"युवर विटनेस."
"नो क्वेस्चन्स.",नंदिता के पिता के बयान ने पलड़ा शत्रुजीत की तरफ झुका दिया था.
"अब मैं शांति जी से कुच्छ सवालात करना चाहूँगी,मिलर्ड."
"प्लीज़ प्रोसीड."
"शांति जी,आप कब से नंदिता जी के साथ थी?"
"जी,जबसे वो शादी करके साहब के घर आई."
"इतने सालो मे कभी आपके साहब ने आपके साथ कोई बुरा बर्ताव या छेड़खानी की?"
"जी नही."
"क़त्ल वाली रात को आप क़त्ल की जगह पहुँची तो आपने क्या देखा?"
"पूरे घर मे हड़कंप मचा था.गार्ड्स सारे कॉंपाउंड की लाइट्स जला के चप्पा-2 छान रहे थे.मैं भागती हुई नीचे अपने कमरे से उपर साहब-मेडम के कमरे तक पहुँची तो देखा की मेडम की लाश कुर्सी पे पड़ी है & साहब & पाशा साहब खड़े बाते कर रहे हैं."
"क्या बाते कर रहे थे दोनो?"
"पाशा साहब कह रहे थे की भाई आपने ज़मीन से गन क्यू उठाई तो साहब ने बोला की मुझे क्या पता था की वो गन है..अंधेरे मे मुझे कुच्छ दिखा ही नही..फिर पाशा साहब बोले की गन को वापस फर्श पे उसी जगह रख दो पर साहब नही माने."
"शत्रुजीत जी ने आपसे कुच्छ कहा?"
"हां,उन्होने मुझसे पुचछा की मैने मेडम को आख़िरी बार कब देखा था तो मैने बताया की 11 बजे उनका सारा काम करके मैं अपने कमरे मे चली गयी थी.."
"और?"
"..फिर हम सब नौकरो को इकट्ठा करके साहब ने कहा कि हम सब पोलीस को सारी सच बात बताएँगे.ऐसा करने से ही मेडम के खूनी का पता चलेगा."
"थॅंक यू,शांति जी."
"मिलर्ड!किस पति-पत्नी के बीच अनबन नही होती",उसने विकास पे 1 नज़र डाली तो उसने मुँह घुमा लिया,"..हां मेरे क्लाइंट & उनकी बीवी के बीच बहुत ज़्यादा थी मगर मेरे गवाहॉ के बयान ने साबित कर दिया है की मेरे क्लाइंट ने उस अनबन की वजह से अपनी बीवी का क़त्ल नही किया है..पिच्छले 2 दीनो से मेरे मुवक्किल पोलीस की हिरासत मे है.उन्होने अपनी मर्ज़ी से पोलीस को सारी जानकारी दी है.मुझे नही लगता कि उनकी पोलीस रेमांड बढ़ाने की कोई ज़रूरत है.मेरी आपसे गुज़ारिशा है की उनकी ज़मानत की अर्ज़ी मंज़ूर कर ली जाए."
जड्ज कवास थोड़ी अर तक कुच्छ पेपर्स देखते रहे,"अदालत इस नतीजे पे पहुँची है कि मुलज़िम ने पोलीस & क़ानून की 1 अच्छे शहरी की तरह मदद ही की है लेकिन वो अभी भी शक़ के दायरे से बाहर नही हुआ है.साथ ही अदालत को ये भी लगता है की पोलीस के पास अब उसे हिरासत मे रखने की कोई ठोस वजह नही है लिहाज़ा अदालत उसकी ज़मानत की अर्ज़ी मंज़ूर करती है.मुलज़िम को ज़मानत के तौर पे 25000 रुपये अदालत के पास जमा करने होंगे & वो केस की सुनवाई पूरी होने तक बिना अदालत की इजाज़त के शहर या मुल्क के बाहर नही जा सकता."
"..ऐसा करने पे उसकी ज़मानत अपनेआप रद्द हो जाएगी & उसे फ़ौरन हिरासत मे लिया जाएगा.केस की अगली सुनवाई 3 हफ़्तो के बाद होगी."
क्रमशः...........................
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