RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--25
कामिनी करण के बिस्तर मे नंगी पड़ी थी & वो उसकी टाँगो के बीच घुटनो पे बैठा बड़ी तेज़ी से उसकी चूत मे अपना लंड अंदर-बाहर कर रहा था.उसके हाथ कामिनी के घुटनो को मोडे हुए थे & कामिनी के हाथ उसकी जाँघ पे लगे हुए थे & वो बहुत ज़ोर-2 से आहे भर रही थी.
"..ऊऊऊव्व्वव..!",कामिनी ने बदन कमान की तरह मोड़ कर पीठ बिस्तर से उठा दी &आँखे बंद किए हुए सर पीछे झुका के झाड़ गयी मगर करण अभी नही झाड़ा था.करण थोड़ी देर तक वैसे ही उसकी चूत मे लंड को शांत रखे बस प्यार से उसके बालो को सहलाता रहा.
थोड़ी देर बाद कामिनी ने आँखे खोली तो करण ने उसे घूम कर अपने घुटनो पे होने का इशारा किया.मुस्कुराती हुई कामिनी अपने घुटनो पे आ गयी,सहारे के लिए उसने पलंग के हेअडबोअर को थाम लिया.कारण ने अपना तना लंड पीछे से उसकी चूत मे घुसा दिया & 1 बार फिर उसकी चुदाई मे लग गया.थोड़ी देर मे ही फिर से कमरा कामिनी की मदहोश आहो से गुलज़ार हो गया.
उनके मज़े मे खलल डालता हुआ करण का मोबाइल बज उठा तो करण ने वैसे ही अपनी प्रेमिका को चोद्ते हुए 1 हाथ उसकी कमर से हटाया & फोन उठा लिया मगर नंबर देखते ही जैसे उसका जोश हवा हो गया.उसने झट से लंड बाहर खींचा तो कामिनी थोडा झल्ला के पीछे मूडी तो पाया की करण बात करते हुए बिस्तर से उतर गया था.
कामिनी को बहुत बुरा लगा...माना की उसके पिता का फोन थे मगर इस तरह से बीच मे छ्चोड़ कर जाना...हुंग!..."ओके..ठीक है...हां-2 मैं एरपोर्ट पहुँच जाऊँगा...थर्स्डे मॉर्निंग याद है बाबा!ह्म्म...",करण वही कमरे के दरवाज़े पे खड़ा बात कर रहा था & कामिनी पलंग पे मुँह फेरे पड़ी थी,तभी करण कमरे के बाहर चला गया & फिर कोई 1 मिनिट बाद वापस आया.
"आइ'एम सॉरी!..रियली सॉरी!",उसने करवट ले कर लेटी हुई कामिनी को पीछे से बाहो मे भरना चाहा तो कामिनी ने उसे परे धकेल दिया,"प्लीज़ जानेमन!..बुरा मत मानो...मुझे क्या च्छा लगा इस तरह से जाना!..मगर क्या करता..हेड ऑफीस से 1 सीनियर अफ़सर का फोन था..अब उसके चक्कर मे ये वीकेंड बर्बाद होने वाला है...वो यहा आ रहा है & मुझे उसकी खिदमत मे लगा रहना पड़ेगा...अब आ जाओ."
"..तो अभी भी उसी के पास चले जाओ,उसी के साथ अपनी प्यास बुझा लेना!",कामिनी ने तुनक के उसका हाथ झटक दिया.मगर वो कब तक कारण के इसरार को ठुकराती.दो नंगे जवान मर्द & औरत चाहे कितना भी खफा हों,उनके जिस्म तो उन्हे सुलह पे मजबूर कर ही देते हैं.कुच्छ करण की मिन्नतो & कुच्छ उसके जिस्म की गर्मी ने कामिनी को 1 बार फिर उसके घुटनो पे खड़ा कर दिया & करण फिर से अपनी प्रेमिका को डॉगी स्टाइल मे चोदने लगा...मगर कामिनी को इस बार उतना मज़ा नही आ रहा था...उसे ऐसा लगा जैसे की उस फोन के चलते कारण थोड़ा परेशान हो गया था & इसका असर उसकी चुदाई मे भी पड़ रहा था.
उसने सर घुमा कर उसे देखा तो उसे उसका शक़ यकीन मे बदलता नज़र आया-इस वक़्त चुदाई करते हुए भी करण थोड़ा असहज लग रहा था.उसने अपनी प्रेमिका को यू खुद को घूरते देखा तो झुक कर अपना सीने को उसकी पीठ से लगा दिया,फिर दाए हाथ से उसकी चूत & बाए से उसकी चूचियो को मसल उसके होंठ चूमता हुआ उसे चोदने लगा.
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आज शुक्रवार की रात थी & कामिनी अपने बिस्तर मे अकेली पड़ी करवटें ले रही थी.जब से उसके तीनो प्रेमी उसकी ज़िंदगी मे आए थे,शायद ही कोई रात उसने यू तन्हा बिताई हो & वीकेंड या छुट्टी के दिन तो वो जम के चुदाई का लुत्फ़ उठाती थी.मगर आज की रात हालात ही कुच्छ ऐसे बन गये थे.करण अपने अफ़सर के साथ लगा हुआ था & षत्रुजीत सिंग को भी आज कंपनी अकाउन्त के पेपर्स निपटाने थे,अगले हफ्ते से ऑडिटिंग शुरू होने वाली थी...& चंद्रा साहब..वो बेचारे तो बीवी की नज़र बचा के यहा आने से रहे.
रात के 12:30 बज रहे थे & कामिनी अभी भी करवटें बदल रही थी.उसने सोचा की थोडा टीवी देखा जाए.ड्रॉयिंग रूम मे जाके उसने टीवी ओं किया.चॅनेल्स बदलते हुए वो न्यूज़ चॅनेल पे पहुँची.."ब्रेकिंग न्यूज़....बॉर्नीयो मे गोलीबारी..1 शख्स की मौत.",सभी चॅनेल्स पे यही खबर आ रही थी.बॉर्नीयो पंचमहल का काफ़ी पुराना पब था & शायद उसमे ये पहली ऐसी घटना घटी थी....जयंत पुराणिक तो वाहा लगभग रोज़ ही जाते थे...कामिनी को ख़याल आया.उसने चॅनेल्स बदले...1 फिल्म चॅनेल पे 1 अच्छी फिल्म आ रही थी,कामिनी उसे देखने लगी...कोई 10 मिनिट बाद उसमे ब्रेक हुआ तो कामिनी ने वापस न्यूज़ चॅनेल लगाया.ठीक उसी वक़्त उसका मोबाइल भी बज उठा.
"हेलो,",कामिनी ने फोन कान से लगाया.
"का-..का..कामिनी..मा..मैं..करण बोल रहा हू...",वो काफ़ी घबराया हुआ था.
"हां,कारण बोलो..क्या हुआ?ऐसे घबराए क्यू हो?"
"कामिनी..कामिनी.."
"हां,करण बोलो क्या बात है?",अब कामिनी को भी चिंता होने लगी थी.
"मु-..मुझसे खून हो गया है.."
"क्या?!!",ठीक उसी वक़्त कामिनी ने टीवी स्क्रीन की ओर देखा,"..त्रिवेणी ग्रूप के वाइस-प्रेसीडेंट जयंत पुराणिक का खून."
"हां,कामिनी...पता नही कैसे-"
"करण,तुम इस वक़्त कहा हो?"
"पोलीस मुझे थाने ले जा रही है..बड़ी मुश्किल से तुम्हे कॉल करने की इजाज़त मिली है."
"ठीक है..मैं थोड़ी देर मे वाहा पहुँचती हू."
कोई 40 मिनिट बाद कामिनी थाने मे थी,"मेडम,इन्होने ही मिस्टर.पुराणिक का खून किया है,मर्डर वेपन भी हुमारे पास है & चश्मदीद गवाह भी."
"ठीक है,इनस्पेक्टर.क्या मैं 1 बार अपने क्लाइंट से मिल सकती हू?"
"जाइए...हवलदार इन्हे करण मेहरा के पास ले जाओ."
कामिनी लॉक-अप के पास पहुँची तो देखा की 1 खूबसूरत सी लड़की सलाखो के इस तरफ खड़े उनके पीछे खड़े कारण से बाते कर रही है,दोनो ने 1 दूसरे के हाथ थाम रखे थे.लड़की के बॉल बिल्कुल मॉडर्न अंदाज़ मे कंधो तक कटे हुए थे & उसने जीन्स के साथ 1 ब्राउन जॅकेट पहनी हुई थी,पैरो मे ऊँची हील्स के सॅंडल्ज़ थे.लड़की देखने से ही काफ़ी अमीर घराने की लग रही थी.
कामिनी को देखते ही करण ने लड़की का हाथ छ्चोड़ दिया,"आओ..कामिनी..मुझे यहा से निकालो..प्ल..प्लीज़..",उसके चेहरे का रंग बिल्कुल उड़ा हुआ था & इस हल्की ठंड के मौसम मे भी माथा पसीने से भीगा हुआ था.कामिनी ने लड़की की तरफ देखा,"हाई!कामिनी,आइ'एम शीना मित्तल.मैं करण की मंगेतर हू."
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