RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
कामिनी ने अपनी सारी छ्चोड़ दी & बाहे उसके गले मे डाल दी & हवा मे उठी हुई उस से चुदने लगी.उसने अपनी बाहो मे शत्रुजीत की गर्दन को कस के उसके सर पे किस्सस की बौच्हर कर दी.इस तरह खुले मे नंदिता से कुच्छ ही दूरी पे चुदने मे उसे जैसा मज़ा महसूस हो रहा था ऐसा पहले कभी नही हुआ था.
इस पोज़िशन मे शत्रुजीत का लंड उसकी चूत की दीवारो के साथ-2 उसके दाने को भी रगड़ रहा था.शत्रुजीत ने अब तक उसे काई बार चोदा था मगर हर बार वो कामिनी की चूत के कसाव से चौंक जाता था.जब वो झड़ती थी तो चूत उसके लंड को और जाकड़ लेती थी & उस वक़्त जो एहसास उसे होता था,वैसा एहसास उसे किसी लड़की के साथ कभी नही हुआ.
इस वक़्त भी वो वही महसूस कर रहा था,कामिनी झाड़ गयी थी & अपनी आहे दबाने के लिए उसना अपना चेहरा उसकी गारदन मे दबा लिया था.शत्रुजीत का लंड भी उसकी चूत की सिकुड़न को और नही झेल पाया & उसने अपना पानी छ्चोड़ दिया.
जब कामिनी थोड़ा संभली तो शत्रुजीत ने उसे नीचे उतरा,फिर दोनो ने अपने कपड़े ठीक किए & वापस पार्टी मे चले गये.लोगो के बीच घुसते ही कामिनी को ध्यान आया की पॅंटी तो वही पेड़ो के पास रह गयी...अब दुबारा जाने पे भी अंधेरे मे वो उसे कहा ढूंडती फ़िरेगी.उसने बाथरूम जाने की सोची,लॉन के किनारे 1 बिल्डिंग बनी थी जिसमे कुच्छ कमरे & बाथरूमस बने थे.तभी किसी ने कहा की बारात आ गयी तो सारे लोग लॉन के गेट की ओर जाने लगे.उसी भीड़ मे किसी ने कामिनी की बाँह थामी,"अरे करण तुम कब आए?"
"थोड़ी देर पहले.आज तो कहर ढा रही हो.",उसने उसे सर से पाँव तक निहारा.
"अच्छा.",शोखी से मुस्कुराती हुई कामिनी बिल्डिंग की तरफ बढ़ गयी.
"उधर कहा जा रही हो?"
"फ्रेश होने."
"चलो मैं भी चलता हू."
"लॅडीस बाथरूम मे?"
"हां."
"जूते पड़ेंगे!"
"तुम्हारे लिए वो भी खा लेंगे!",दोनो हंसते हुए बिल्डिंग मे दाखिलहो गये.1 लंबे गलियारे के दोनो ओर कमरे बने हुए थे & गलियारे के अंत मे बाई तरफ लॅडीस & दाई तरफ जेंट्स बाथरूम था.कामिनी बाई तरफ घूमने ही वाली थी कि करण ने झटके से जेंट्स बाथरूम मे खींच लिया,"क्या कर रहे हो?"
"आज बड़ी खूबसूरत लग रही हो,जानेमन!ज़रा तुम्हे ढंग से देख तो लू."
"यहा?"
"नही यहा.",करण ने उसे 1 टाय्लेट मे खींच कर दरवाज़ा बंद कर लिया & फिर उसे बाँहो मे भर कर उसे पागलो की तरह चूमने लगा.
"प्लीज़,करण...बाहर चलो ना.".1 बार फिर कामिनी मदहोश होने लगी थी.करण ने पॉट की लीड गिराई & उस पे बैठ गया & कामिनी के पेट को चूमने लगा.उसकी जीभ लपलपाति हुई कामिनी की नाभि को चाटने लगी तो कामिनी का बदन फिर से मस्ती से भर गया.वो झुक कर पेट चूमते हुए करण के सर को पकड़ कर उसके बॉल खींचते हुए उसे चूमने लगी,"..पागल....कही..न्के...च..लो...बह..आर..ऊओफफफ्फ़....!"
करण ने हाथ पीछे ले जाके उसके ब्लाउस के हुक्स खोले & तेज़ी से उसके ढीले ब्लाउस & ब्रा को उपर कर दिया & मज़बूती से उसकी कमर थामे उसकी छातिया चूमने लगा.अब कामिनी बिल्कुल मदहोश हो गयी.शत्रुजीत से चुद्ते वक़्त उसके निपल्स इतने कड़े हो गये थे की उनमे दर्द होने लगा था.करण की ज़ुबान अभी जैसे मरहम का काम कर रही थी.करण के हाथ उसकी कमर से नीचे आ उसकी सारी उठा रहे थे.कामिनी ने आँखे खोली तो देखा की करण की खुली पॅंट मे से उसका लंड झाँक रहा है.उसने कब पॅंट खोली मदहोशी की वजह से उसे पता भी ना चला.
करण ने सारी उठाई तो पाया की कामिनी ने पॅंटी ही नही पहनी है,"वेरी गुड!",वो उसकी तरफ शरारत से मुस्कुराया & उसकी कोमल गंद को सहलाते हुए 1 उंगली उसकी चूत से लगा दी जहा की कामिनी & शत्रुजीत का मिला-जुला पानी अभी भी मौजूद था,"वाउ..तुम इतनी गीली हो.",करण की उंगली भीग गयी थी.उसने फ़ौरन कामिनी की कमर को पकड़ कर अपने उपर आने का इशारा किया.कामिनी फ़ौरन उसकी गोद मे बैठने लगी,"..ऊवन्न्न्नह...",जैसे-2 वो बैठ रही थी,वैसे-2 करण का लंड उसकी चूत मे घुस रहा था.जैसे ही लंड पूरा गया कामिनी ने उच्छल-2 कर चुदाई शुरू कर दी.करण उसकी कमर को थामे उसकी पीठ सहलाता हुआ उसकी चूचिया चूसने लगा.
कामिनी आहे भरते हुए उसके सर को अपने सीने से जकड़े बस उच्छले जा रही थी...ऐसे किसी पब्लिक प्लेस मे जहा की पकड़े जाने का डर हो,वाहा चुदाई करने मे इतना रोमांचित कर देने वाला मज़ा आएगा उसे तो अंदाज़ा ही नही था!करण भी अब नीचे से अपनी कमर हिला रहा था.कामिनी की चूत का तो हाल बुरा था,अचानक कामिनी ने करण को कस के जाकड़ लिया तो करण भी उसकी बाई चूची को मुँह मे भर कर लगातार चूसने लगा,उसकी कमर भी अपनेआप झटके खा रही थी.दोनो 1 साथ झाडे & कामिनी की चूत मे अब उसके पानी के साथ-2 शत्रुजीत & करण-दोनो का पानी मिल गया.
थोड़ी देर तक दोनो वैसे ही बैठे 1 दूसरे को चूमते रहे,फिर उठ कर अपने कपड़े ठीक किए & करण ने सावधानी के साथ दोनो को वाहा से बाहर निकाला.ख़ैरियत थी की उनकी चुदाई के बीच किसी ने भी बाथरूम इस्तेमाल नही किया नही तो दोनो ज़रूर पकड़े जाते.बाहर से बंद का शोर आ रहा था,लग रहा था की बारात दरवाज़े पे आ गयी है.
दोनो बिल्डिंग से बाहर निकल ही रहे थे कि दोनो मिसेज़. & मिस्टर.चंद्रा से टकरा गये,"अरे कामिनी,कैसी हो?"
"ठीक हू आंटी.आप कैसी हैं?",कामिनी ने दोनो को प्रणाम किया & फिर करण से मिलवाया.करण उनसे मिलकर पार्टी मे वापस चला गया,"अरे कामिनी बाथरूम किधर है?",मिसेज़.चंद्रा ने पूचछा.
"आइए आंटी,मैं दिखाती हू."
"अच्छा हुआ तुम मिल गयी.हम दोनो बाथरूम ही ढूंड रहे थे.",चंद्रा साहब ने उसकी तरफ हसरत भारी निगाहो से देखा.मिसेज़.चंद्रा थोड़ा आयेज चल रही थी.इसी बात का फयडा उठा के चंद्रा साहब ने कामिनी की गंद को दबा दिया.कामिनी ने उन्हे बनावटी गुस्से से देखा & फिर मिसेज़.चंद्रा को लड़ीसे बाथरूम मे ले गयी.अंदर मिसेज़.चंद्रा जैसे ही 1 टाय्लेट मे घुसी रेस्टरूम का दरवाज़ा खुला & चंद्रा साहब अंदर घुस आए & कामिनी को बाहो मे भर लिया,".प्लीज़..सर..यहा नही..कही आंटी ने देख लिया तो ग़ज़ब हो जाएगा!"
"उसे बहुत टाइम लगता है,मेरी जान!..और आज तुम इतनी कमाल लग रही हो..फिर इतने दीनो से अपने सर से मिलने भी नही आई इसकी सज़ा तो तुम्हे मिलनी ही चाहिए..",वो फुसफुसते हुए उसके चेहरे,होंठो & गले को चूमते हुए उसकी गंद दबा रहे थे.
"..उउंम्म..क्या करती?आंटी के होते कैसे आऊँ!..आप ही आ जाते मेरे घर..मैं तो अकेली रहती हू..",कामिनी की बात से चंद्रा साहब और जोश मे आ गये.उन्होने कामिनी को घुमाया & उसकी सारी उठाने लगे,"नही..सर...आंटी..",वो इतना ही कह पाई क्यूकी उसकी सारी उठा के चंद्रा साहब ने जीभ उसकी चूत से लगा दी थी,"..तुम तो अभी से ही इतना पानी छ्चोड़ रही हो,कामिनी.",वो उठ खड़े हुए-उस बेचारे को क्या पता था कि ये सिर्फ़ कामिनी का ही नही शत्रुजीत & करण का भी पानी था.
कामिनी वॉशबेसिन के दोनो तरफ हाथ रख के खड़ी थी..पहले शत्रुजीत,फिर करण..& अब चंद्रा साहब-उसका बदन तो आज जैसे मस्ती से बाहर ही नही आने वाला था.चंद्रा साहब ने उसकी सारी को उसकी कमर तक उठा के अटकाया & तुरंत अपना लंड निकाल कर कामिनी की चूत मे घुसा दिया.चूत इतनी गीली थी की लंड सरर से अंदर चला गया,"..ऊओवव..!"
"क्या हुआ कामिनी?",टाय्लेट के अंदर से मिसेज़.चंद्रा की आवाज़ आई.चंद्रा साहब झुकी हुई कामिनी के उपर अपनी छाति उसकी पीठ से सताए झुक के बाए हाथ से उसकी कमर & दाए हाथ से उसकी चूचियो को पकड़ कर उसकी कनपटी चूमते हुए बड़ी तेज़ी से उसे चोद रहे थे.
"कुच्छ नही..आंटी.1 चूहा अचानक आ गया था..अब अपने बिल मे चला गया.",उसने सामने लगे शीशे मे अपने गुरु को देख कर उन्हे चूमने का इशारा किया.कामिनी की नशीली आँखे,मस्ती भरे चेहरे के साथ ऐसी हरकत ने चंद्रा साहब को पागल कर दिया.उन्होने उसका चेहरा घुमा कर उसके होंठो को अपने होंठो की क़ैद मे ले लिया & ऐसे धक्के मारे की कामिनी को भी शक़ हो गया की ये बुद्धा आदमी सच मे बुद्धा है भी या नही!आज दूसरी बार कामिनी 1 मर्द से उसकी अंजान बीवी की मौजूदगी मे चुद रही थी.इस ख़याल ने उसकी मस्ती और बढ़ा दी.उसने 1 नज़र टाय्लेट के बंद दरवाज़े पे डाली & दूसरी शीशे मे दिख रहे अपने आशिक़ पे & उनके लंड का लुत्फ़ उठाने लगी.
उसकी चूत का हाल बाद से बदतर हो गया..वो ज़्यादा देर तक चंद्रा साहब के लंड को बर्दाश्त नही कर पाई & झाड़ गयी.चंद्रा साहब को भी जल्दी थी,उन्हे भी डर था की कही उनकी बीवी बाहर ना आ जाए.उन्होने जल्दी-2 कुच्छ तेज़,गहरे धक्के लगाके अपनी शिष्या की चूत को अपने पानी से भर दिया.
जब मिसेज़.चंद्रा बाहर आई तो कामिनी अकेली वाहा उनका इंतेज़ार कर रही थी & चंद्रा साहब वापस पार्टी मे जा चुके थे.
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ठुकराल लॉन के बाहर पार्किंग मे आया तो माधो उसकी कार को दरवाज़ा खोल खड़ा हो गया.उसकी कार से कुच्छ दूरी पे 1 और कार खड़ी थी जिसका ड्राइवर खड़ा सिगरेट पी रहा था.ठुकराल ने अपनी जेब से पॅकेट निकाल कर 1 सिगरेट निकाली.उसने जेब मे दुबारा हाथ डाला पर लाइटर शायद वो घर भूल आया था,"अरे भाई!ज़रा सुनो.",
वो ड्राइवर पलटा तो ठुकराल ने उसे सिगरेट दिखा के माचिस माँगी.
ड्राइवर पास आया & ठुकराल की सिगरेट जलाने लगा,"सारी बाते हो चुकी हैं.शुक्रवार की रात को काम ठीक से हो जाना चाहिए."
"आप बेफ़िक्र रहे,सर.",टोनी ने सिगरेट जला के माचिस बुझाई & वापस अपने कार की ओर चला गया.ठुकराल सिगरेट पीते हुए अपनी कार मे बैठ गया.अब्दुल पाशा भी पार्किंग ही की तरफ आ रहा था मगर ये कह पाना मुश्किल है की उसने ठुकराल & टोनी को साथ देखा या नही.जो भी हो,शुक्रवार की रात शायद सबकी ज़िंदगी मे उथल-पुथल मचाने वाली थी.
क्रमशः.................
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