Sex Hindi Kahani गहरी चाल
12-31-2018, 04:02 PM,
#55
RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
उस रात शॅरन को एहसास हुआ कि वो आज तक कितनी बड़ी खुशी से महरूम थी.उस दिन से वो जगबीर ठुकराल की मुरीद बन गयी.उसे ठुकराल पे पूरा भरोसा था कि वो उसका काम हो जाने के बाद टोनी को रास्ते से हटा के उसे अपनी बीवी बनाएगा.बेचारी!

इस वक़्त माधो कार को ठुकराल के बंगल के अंदर दाखिल कर रहा था,"माधो.",उसने शॅरन को कार मे बैठे रहने का इशारा किया.

"जी,हुज़ूर."

"लगता है निचली मंज़िल पे कुच्छ लोग बैठे हैं.मैं उतरता हू,तुम मेमसाहब को लेकर बाहर जाओ,फिर उस दूसरी कार मे बिठा के बगल वाले मकान के रास्ते उपरी मंज़िल तक पहुँचा देना."

थोड़ी ही देर बाद शॅरन ठुकराल की ऐषगाह मे अकेली खड़ी वाहा की सजावट देख रही थी,"कैसा लगा मेरी जाना हुमारा आशियाना?",ठुकराल मुस्कुराता हुआ वाहा दाखिल हुआ.

"लगता है यहा हर रोज़ सुहाग रत मनाते थे तुम.",शॅरन उसके करीब आ उसके कोट के बटन्स से खेलते हुए शोखी से मुस्कुराइ.

"मेरी जान!ये सारी सजावट तुम्हारे आने की खुशी मे कराई गयी है..",ठुकराल संजीदा हो गया,"..ये सच है की अब तक मैं कोई संत नही था...ये जिस्म तो कभी-2 बेकरार हो उठता है ना!...तुमसे पहले भी मेरी ज़िंदगी मे लड़किया आई हैं मगर मेरा यकीन करो जब से तुम्हे देखा है बस तुम ही तुम इस दिल मे बस गयी हो.",उसने शॅरन का हाथ कोट के बटन से हटा के अपने दिल पे रख दिया.

"ओह्ह...तुमने तो बात दिल पे ले ली,डार्लिंग!..मैं तो बस तुम्हे छेड़ रही थी.",शॅरन ने उसके गाल पे चूम लिया,अपने प्रेमी को यू परेशान सा देख उसके चेहरे पे भी संजीदगी आ गयी थी.

"वादा करो,शॅरन..मुझे छ्चोड़ के कही नही जयोगी.",ठुकराल ने उसके दोनो हाथ अपने हाथो मे ले लिए,उसकी आँखो मे वही डर था जो किसी नये आशिक़ की आँखो मे होता है क्यूकी उंहे हर वक़्त अपनी महबूबा के बिछड़ जाने का डर जो होता है.

"जगबीर...तू,म्हरी बाहो मे मैने जन्नत पाई है.मर भी गयी तो इतनी खुशी नसीब नही होगी.वादा करती हू अब तुम्हे छ्चोड़ना तो दूर..अब किसी और का ख़याल भी नही आएगा इस दिल मे."

"श!शॅरन.",ठुकारल ने उसे अपने सीने से लगा लिया & उसके होंठो पे वही जानी-पहचानी शैतानी मुस्कान फैल गयी.कितनी आसानी से ये चिड़िया उसके जाल मे फँस गयी थी!...ये सोचती है की वो उसे पाने के लिए टोनी को काम के बहाने रास्ते से हटाएगा,जबकि सच तो ये था की टोनी से सही ढंग से काम करने के लिए उसने इस हसीना को अपने घर मे रखा था क्यूकी वो जानता था की जब तक ये उसके पास है,टोनी भी उसकी नज़रो से ओझल नही होगा.

"डार्लिंग!तुम इतने बड़े मकान मे अकेले रहते हो?",शॅरन ने उसके सीने पे सर रखे-2 अपनी नज़रे उपर की.

"हां,मेरी जान.बस मैं & माधो.",ठुकराल ने अपनी रखैलो को कुच्छ दीनो के लिए बाहर भेज दिया था.अभी सबसे ज़रूरी बात थी षत्रुजीत सिंग की बर्बादी.अगर उसके लिए कुच्छ दीनो तक उसे अपनी अययाशी को कम भी करना पड़े तो उसे कोई शिकवा नही था...और फिर ऐसी मस्त,खूबसूरत बदन की मल्लिका तो थी ही उसका दिल बहलाने के लिए.

"मगर अब इस वीराने मे भी बहार आ जाएगी.",ठुकराल ने उसे गोद मे उठा लिया & बिस्तर की ओर बढ़ गया.

.............................................

पूरा लॉन किसी दुल्हन की तरह सज़ा हुआ था & बड़ी गहमा गहमी थी,होती भी क्यू ना आख़िर जायसवाल साहब की बेटी की शादी थी.कामिनी ने आज 1 काली सारी & स्लीव्ले ब्लाउस पहना था & अपने हुस्न की बिजली से उसने वाहा कयि मर्दो को अब तक घायल कर दिया था.

"हेलो,कामिनी..",कामिनी घूमी तो देखा की षत्रुजीत सिंग नंदिता के साथ खड़ा था.

"हाई!",उसने दोनो से हाथ मिलाया,"आप कैसी हैं,नंदिता जी?",कामिनी को खुद पे हैरत हुई,उसे लगा था की शत्रुजीत के साथ नाता जुड़ जाने पे वो शायद नंदिता का सामना नही कर पाएगी मगर ऐसा कुच्छ नही हुआ था.

"अच्छी हू,आप कैसी हैं?",थोड़ी देर तक कुच्छ रस्मी बात चीत के बाद दोनो आगे किसी और से मिलने को बढ़ गये.

"नमस्ते,कामिनी जी.",इस बार जगबीर ठुकराल खड़ा था.

"नमस्ते,ठुकराल साहब.",कामिनी ने गौर किया की ठुकराल बड़ी सफाई से फिर से उसके बदन की गोलाईयो का जायज़ा ले रहा है,उसकी चूत मे 1 कसक सी उठी...इतना तो तय था की ये आदमी 1 नंबर का आय्याश है!

जायसवाल ने सारा इंतेज़ाम 1 खुले लॉन मे किया था.मौसम खुशनुमा था & ठंडी हवा के झोंके बह रहे थे.ऐसे ही 1 झोंके ने कामिनी की सारी के आँचल को ज़रा उड़ाया तो उसका गोरा पेट नुमाया हो गया & ठुकराल की आँखे उसकी चिकने पेट से जैसे चिपक गयी.ठुकराल के दिल मे भी उस खूबसूरती की मिसाल को अपने बिस्तर मे खींच लेने की तमन्ना जाग उठी थी मगर कामिनी शरण 1 मानी हुई वकील थी,उसके साथ अगर कोई ऐसी-वैसी हरकत की तो वो फँस सकता था.

दोनो ड्रिंक्स काउंटर के पास खड़े बातें कर रहे थे की तभी काउंटर के पीछे खड़े वेटर ने कामिनी को उसका ड्रिंक लेने को कहा.कामिनी जैसे ही घूमी वैसे ही चौंक पड़ी-ठुकराल ने उसकी कमर पे हाथ फिरा दिया था.वो फ़ौरन पलटी,"माफ़ कीजिएगा..मगर ये कीड़ा आपके बदन पे चल रहा था.",ठुकराल ने घास पे पड़े 1 कीड़े की ओर इशारा किया.

"कोई बात नही.",कामिनी ने उसकी ओर थोड़ी कड़ी नज़र से देखा & आगे बढ़ गयी.

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कहा घूम रही हो!इधर आओ..",शत्रुजीत ने उसकी बाँह पकड़ के खींच लिया.

"क्या करते हो!कोई देख लेगा.",लॉन काफ़ी बड़ा था & 1 कोने मे पेड़ो के झुर्मुट के साथ 1 छ्होटा सा तालाब भी बना था.कपड़े के पारटिशन से उस हिस्से को पारट वाले हिस्से से अलग कर दिया गया था & वाहा अंधेरा भी था.पारटिशन के 1 किनारे से निकल के शत्रुजीत उसे वही पेड़ो के झुर्मुट मे ले गया & उसके गले लग गया.

"कही तुम्हारी बीवी ने देख लिया तो?",कामिनी ने उसे बाहो मे भरते हुए उसके सीने मे चेहरा छुपा लिया.जवाब मे शत्रुजीत ने कुच्छ बोलने के बजाय उसके चेहरे को उठा उसके गुलाबी होंठ चूम लिए.कामिनी को भी तो इसी बात का इंतेज़ार था,वो भी बड़ी शिद्दत के साथ उसे वापस चूमने लगी.

"नही..जीत..प्लीज़......ऊहह..!",शत्रुजीत ने उसे चूमते हुए उसकी सारी कमर तक उठा दी थी & पीछे से ही उसकी पॅंटी मे हाथ घुसा के उसकी गंद को मसलने लगा था.वो कामिनी की गर्दन चूम रहा था.कामिनी को मज़ा तो बहुत आ रहा था मगर साथ ही किसी के देख लेने का डर भी था,उसने 15-20 फ्ट की दूरी पे लगे कपड़े के पारटिशन के पार नंदिता का अक्स देखा तो जैसे उसकी चूत की कसक दोगुनी हो उठी...शत्रुजीत की बीवी बस कुच्छ ही दूरी पे खड़ी थी,इस बात से बेख़बर की कामिनी उसके पति की बाहो मे है.उसने नंदिता की ओर देखते हुए शत्रुजीत के दाए कान पे हौले से काट लिया.

"हाई..रा..आमम..पागल हो गये हो!...नही पॅंटी नही...!",उसकी बातो को अनसुना करते हुए शत्रुजीत ने उसकी पॅंटी खींच के उतार दी & फिर बाए हाथ से उसकी सारी को वैसे ही कमर तक उठाए हुए दाए हाथ से अपनी पॅंट की ज़िप खोल अपने लंड को बाहर निकाल लिया.

"तुम सच मे पागल हो गये हो!यहा कैसे करेंगे?!",कामिनी फुसफुसाई.शत्रुजीत ने मुस्कुराते हुए उसे पीछे के पेड़ से सटा दिया,फिर उसे सारी पकड़ने को कहा.कामिनी के दिल मे चाहे जितना भी डर हो,उसकी चूत तो बस लंड की आस मे गीली हुए जा रही थी.

कामिनी टाँगे फैला के पेड़ से सॅट के खड़ी हुई तो शत्रुजीत ने थोडा झुक के लंड को उसकी चूत मे दाखिल करा दिया,"..उउंम्म...!",कामिनी ने सारी थामे हुए आँखे मूंद कर, सर पीछे कर लिया.ऐसा करने से उसकी गोरी,लंबी गर्दन शत्रुजीत के सामने उभर आई.उसने अपने हाथ उसकी जाँघो के भीतर से उसकी गंद की फांको के नीचे लगाके उसे उठा लिया & फिर गर्दन चूमते हुए 1-2 धक्को मे पूरा का पूरा लंड अपनी प्रेमिका की चूत मे घुसा दिया.
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