RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--21
"बेटा,टोनी के बारे मे पता कर लिया?",षत्रुजीत सिंग अपने ऑफीस मे बैठा अपने कंप्यूटर पे कुच्छ काम कर रहा था,शायद पाशा ने उसकी बात नही सुनी थी.शत्रुजीत ने कंप्यूटर से नज़रे उठा कर अपने मूहबोले भाई की ओर देखा...ना जाने वो किन ख़यालो मे गुम था,"अब्दुल!"
"हुन्न....हाँ.",जैसे वो नींद से जागा.
"क्या सोच रहा है भाई?"
"कुच्छ नही...बस ऐसे ही."
"टोनी के बारे मे पता चल गया?"
"हां,भाई.उसने सारी बातें सच ही कही थी."
"तो उसे रखे रहते हैं ड्राइवर की नौकरी पे,क्यू?",नत्थू राम को सज़ा मिल गयी थी,साथ ही वो मकान बेचने को भी तैय्यार हो गया था.शत्रुजीत ने इसके बाद टोनी को हॉस्पिटल से छुट्टी मिलते ही अपने ड्राइवर की नौकरी पे रख लिया था.
"हां.रखे रहते हैं..",पाशा फिर से अपने ख़यालो मे डूब गया.
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नंदिता बिस्तर पे लेटी हुई थी,कमरे मे अंधेरा था.उसके बगल मे उसका पति भी लेटा था,वो जानती थी की वो भी उसी की तरह जगा हुआ था.उसने गर्दन घुमाई,ठीक उसी वक़्त शत्रुजीत भी मुड़ा & दोनो 1 दूसरे की बाहो मे आ गये.थोड़ी ही देर मे दोनो बिल्कुल नंगे हो चुके थे & शत्रुजीत अपनी बीवी के उपर चढ़ उसकी चूचिया चूस रहा था.
मगर आज दोनो की चुदाई मे वो गर्मी नही थी,शत्रुजीत नंदिता के बदन मे कामिनी का अक्स ढूंड रहा था...उसने जैसे ही उसके निपल को जीभ से छेड़ा,उसे अपनी प्रेमिका के गुलाबी रंग के निपल याद आ गये & वो उसे बाहो मे भरने को बेताब हो उठा...कामिनी कैसी मस्त आहे भरते हुए उसका साथ देती थी....नंदिता को भी आज वो मज़ा,वो मस्ती महसूस नही हो रही थी.
उसने शत्रुजीत का सर अपनी छाती से उठाया तो शत्रुजीत उसके उपर से उठ कर बैठ गया.कमरे मे काफ़ी देर तक खामोशी च्छाई रही.फिर शत्रुजीत ने ही चुप्पी तोड़ी,"नंदिता..."
"नंदिता....मुझे लगता है की हमे अब अलग हो जाना चाहिए..."
"नंदिता ने कोई जवाब नही दिया,उसे अपने पति की बात ज़रा भी बुरी नही लगी थी...शायद उसे राहत ही महसूस हुई थी.उनके रिश्ते मे सेक्स को छ्चोड़कर शायद ही कुच्छ अच्छा था & आज तो वो भी ख़त्म ही हो गया था.उसने करवट बदली & चादर से अपने नंगे बदन को ढँका & नींद के आगोश मे चली गयी.शत्रुजीत बैठा अपनी सोती हुई बीवी को देख रहा था.
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"सर."
"हां,टोनी.",टोनी कार चला रहा था & शत्रुजीत उसके साथ वाली सीट पे बैठा अख़बार पलट रहा था.
"सर,प्लीज़ मुझे 1 हफ्ते की छुट्टी दे सकते हैं?",शत्रुजीत ने अख़बार से सर उठाकर उसे सवालीयो नज़रो से देखा,"..सर,मैं 1 बार गोआ जाके अपने मा-बाप की कब्रो पे फूल चढ़ाना चाहता हू &..",टोनी चुप हो कर ड्राइव करने लगा.
"और क्या,टोनी?अपनी बात पूरी करो."
"..और शायद मेरे बीवी-बच्चे का भी कुच्छ पता चल जाए."
"ह्म्म...ठीक है,टोनी.कब जाना चाहते हो?"
"हफ्ते के आख़िर मे,सर."
"ठीक है.चले जाओ."
"थॅंक यू,सर.",शत्ृजीत ने सर हिलाया & वापस अख़बार पलटने लगा.
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"कल रात तुमने मेरी बात का कोई जवाब नही दिया था,नंदिता.",शत्रुजीत बिस्तर पे अपनी बीवी के बगल मे लेटा हुआ था.
"इतने दीनो से तुम्हे ये बात नही सूझी,फिर अचानक अब क्यू तलाक़ की बात कर रहे हो?"नंदिता छत की तरफ देख रही थी.
"इतने दीनो तक पिताजी का लिहाज करके मैं चुप था...मगर अब मैं ऐसे नही रह सकता."
"तुम कितने मतलबी हो,शत्रु!तुम्हारे पिता अब इस दुनिया मे नही हैं मगर मेरे माता-पिता दोनो अभी हैं & मैं ये रिश्ता तोड़ कर उनका दिल नही दुखाऊँगी."
"नंदिता!तुम क्यू बात को उलझा रही हो?!!...हम दोनो जानते हैं की हुमारे बीच कैसा रिश्ता है...ये दोनो के लिए 1 मौका है अपनी ज़िंदगी को फिर से नये सिरे से शुरू करने का..."
"तुमको क्या फ़र्क पड़ता है की मैं तुम्हारी बीवी रहू या नही!तुम मेरे होते हुए भी तो अययाशिया कर रहे हो...फिर अचानक ये तलाक़ की बात कहा से तुमहरे दिमाग़ मे आ गयी...मैने तुम्हे आज तक किसी बात से रोका या फिर कभी तुम्हारे साथ झागड़ी?नही ना!फिर अलग होने की क्या ज़रूरत है!..."
"यानी तुम तलाक़ नही दोगि."
"नही."
"ठीक है.",शत्रुजीत कमरे से बाहर जाने लगा तो देखा की नंदिता की नौकरानी दरवाज़े पे खड़ी है.उसे आता देख वो 1 किनारे हो गयी & शत्रुजीत कमरे से बाहर चला गया.
आवंतिपुर-पंचमहल से कोई 150-200 किमी की दूरी पर बसा वैसा ही बड़ा शहर मगर यहा का मौसम पंचमहल से ज़्यादा अच्छा था.इसका कारण था वो पहाड़ जिनके कदमो मे आवंतिपुर बसा हुआ था.इन पहाड़ो मे कयि छ्होटे शहर & कस्बे थे जोकि गर्मियो मे सैलानियो से भरे रहते थे.इन्ही मे से 1 छ्होटी सी जगह थी क्लेवर्त.
क्लेवर्त नाम किसी अँग्रेज़ अफ़सर के नाम पे पड़ा था जिसने उस जगह को बसाया था.क्लेवर्त के आस-पास कोई 7-8 बोरडिंग स्कूल थे & इन्ही स्कूल्स की बदौलत वाहा के लोगो की रोज़ी-रोटी चलती थी.इन्ही मे से 1 स्कूल के मेन गेट से 1 काली फ़ोर्ड एंडेवर निकली.
कार माधो चला रहा था & पीछे की सीट पे 3 लोग बैठे थे-1 लगभग 26 बरस की लड़की,जगबीर ठुकराल & आंतनी डाइयास,"आपका कैसे शुक्रिया अदा करू,समझ मे नही आता सर!"
"टोनी,कैसी बाते कर रहे हो!",लड़की बीच मे बैठी थी & दोनो मर्द उसके दोनो तरफ बैठे बाते कर रहे थे,"..तुम भी तो मेरे लिए इतना बड़ा ख़तरा मोल ले रहे हो...वैसे अब बात थोड़ी आसान हो गयी है...क्यू?"
"जी!सर,वो तो है..मगर फिर भी कोई किसी के लिए इतना नही करता जितना आपने किया है!"
"टोनी,तुम मुझे शर्मिंदा कर रहे हो..",उसने खिड़की से बाहर देखा,"..लगता है वो जगह आ गयी,टोनी.",माधो ने कार रोक दी मगर टोनी बैठा ही रहा.ठुकराल ने उसकी तरफ सवालिया नज़रो से देखा,"..सर,वो ज़रा..",टोनी ने कुच्छ झेन्प्ते हुए कहा.
"ओ...हां-2.",ठुकराल दरवाज़ा खोल कर उतरा & माधो को भी बाहर निकलने का इशारा किया.उनके उतरते ही टोनी ने उस लड़की को बाहो मे भर लिया,लड़की भी उस से लिपट गयी & दोनो 1 दूसरे को चूमने लगे.टोनी उसे पागलो की तरह चूम रहा था,"..बस कुच्छ ही दीनो की बात है,शॅरन....फिर हम तीनो साथ रहेंगे-मैं तुम & हमारा बेटा.",वो शॅरन के चेहरे & गले को चूमे जा रहा था.
"..आअहह...बस टोनी,डार्लिंग.अब जाओ...बाहर दोनो खड़े हैं...अच्छा नही लगता."
"ओके,डियर.",टोनी उतरने लगा,"..और हां,शॅरन.हर सनडे को चर्च ज़रूर जाना."
"ओके.बाइ,टोनी.टेक केर.",शॅरन उसकी बात सुनके मुस्कुरा दी.उसके उतरते ही माधो & ठुकराल वापस कार मे बैठ गये.कार थोड़ा आगे बढ़ी तो ठुकराल ने शॅरन की ओर देखा,शॅरन भी उसे देख शरारत से मुस्कुरा रही थी.ठुकराल ने उसे सीट पे गिरा दिया & उसके उपर चढ़ कर उसके गुलाबी गाल चूमने लगा.जवाब मे शॅरन ने उसके बालो को खींच कर उसके होंठो को अपने गुलाबी होंठो से सटा लिया.
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