RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
सुबह चूत मे कुच्छ महसूस होने पे कामिनी की नींद खुली,उसने देखा कारण उसके पेट पे हाथ फेरते हुआ उसकी चूत चाट रहा है.कल रात को वो करण के साथ उसके घर आ गयी थी & उसके बाद दोनो ने पूरी रात जम कर चुदाई की थी.उसने प्यार से उसके सर पे हाथ फेरा तो करण की जीभ उसकी चूत के दाने को छेड़ने लगी,"..उउम्म्म्मम...!"
विवेक उसे कभी भी सुबह को नही चोद्ता था,दोनो को काम पे जाने की इतनी जल्दी होती थी कि वो उठ के बस तैय्यार हो कोर्ट पहुँचने की हड़बड़ाहट मे रहते थे.मगर उसके तीनो आशिक़ तो जैसे उसे बस दिन हो या रात अपने बिस्तर मे अपनी बाहो मे सुलाए रखना चाहते थे!
उसकी चूत गीली हो चुकी थी & उसमे वही मीठा तनाव बन चुका था जोकि उसे झड़ने के पहले महसूस होता था.उसने करण के बाल पकड़ कर हल्के से खींचा,करण उसका इशारा समझ गया.वो उसकी चूत से मुँह हटा उसके पेट को चूमते हुए उपर आने लगा.कामिनी ने टांगे फैलाते हुए उसे बाहो मे भर लिया.
करण उसकी चूचियो के कड़े हो चुके निपल्स को चूसने के बाद उसके चेहरे को हाथो मे ले चूमने लगा.कामिनी भी गर्मजोशी से उसकी किस का जवाब देने लगी.उसकी बेचैनी बहुत बढ़ गयी थी,उसने अपना बाया हाथ करण की पीठ पे ही रखा & दाए को दोनो के जिस्मो के बीच ले जाके उसके लंड को पकड़ अपनी चूत का रास्ता दिखाया.
"..ऊओउउइई...!",करण ने 1 ही झटके मे पूरा का पूरा लंड उसकी गीली चूत मे घुसा दिया.कामिनी के हाथ उसके सर से ले के उसकी गंद तक फिसलने लगे.करण कभी उसके चेहरे को चूमता तो कभी चूचियो को.उसके हाथ तो बदस्तूर उन बड़ी गोलैयो को दबाए जा रहे थे.
दोनो की ही मस्ती अब बहुत बढ़ गयी थी.कामिनी के नाख़ून करण की गंद पे निशान छ्चोड़ रहे थे तो करण के धक्के भी बड़े गहरे हो गये थे.कामिनी ने अपनी टांगे उसकी कमर पे कस दी & उसकी गंद मे नाख़ून धँसते हुए उठाते हुए करण के बाए कान मे पागलो की तरह जीभ फिराने लगी,उसकी चूत करण के लंड पे और कस गयी थी.करण समझ गया की उसकी प्रेमिका अपनी मंज़िल तक पहुँच गयी है,उसने उसी वक़्त अपने गाढ़े पानी को उसकी चूत मे छ्चोड़ दिया & अपना सफ़र भी पूरा कर लिया.
झड़ने के बाद दोनो वैसे ही 1 दूसरे को बाहो मे कसे प्यार से 1 दूसरे के चेहरे को चूम रहे थे की कामिनी का मोबाइल बजा,"हेलो!",दूसरी तरफ षत्रुजीत सिंग था.
"कामिनी,क्या तुम कोर्ट जाने से पहले सिटी हॉस्पिटल आ सकती हो?"
"हॉस्पिटल!सब ठीक है ना?",करण अभी भी उसके उपर चढ़ा उसके बाए निपल पे जीभ फिरा रहा था.
"हां-2,घबराने की कोई बात नही है...शायद हमे अपने केस के लिए 1 बड़ा अहम गवाह मिल गया है."
"ओके.मैं आ जाऊंगी.",कामिनी ने मोबाइल किनारे रखा,"..चलो हटो अब...ऑफीस नही जाना?"
"दिल तो नही कर रहा.",करण ने मुँह हटाया तो हाथ को निपल पे लगा दिया.
"मगर फिर भी जाना तो पड़ेगा!".कामिनी ने मुस्कुरा के उसके हाथ को अपनी छाती से अलग किया & उसे अपने उपर से उतार बाथरूम मे चली गयी.
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"ये आदमी 14 तारीख को बहार गूँज के 1 होटेल मे था,मैने अपनी आँखो से देखा है,सर.",आंतनी डाइयास उर्फ टोनी हॅयास्पिटल बेड पे लेटा शत्रुजीत से मुखातिब था.कामिनी & अब्दुल पाशा गौर से उसकी बात सुन रहे थे.शत्रुजीत पाशा के साथ जब सवेरे उसे देखने आया तो वो टीवी पे न्यूज़ देख रहा था & उसी मे जब नत्थू राम वाली खबर मे नत्थू राम के चेहरा दिखाया गया तो वो चौंक पड़ा.
"..मैं रेलवे स्टेशन से निकल कर इधर-उधर भटक रहा था.अब बहार गूँज कैसा बदनाम इलाक़ा है ये तो आप सब मुझसे बेहतर जानते होंगे-आख़िर आप सब तो यही के हैं.14 तारीख को वही के 1 फूटपाथ के किनारे अख़बार बिच्छा के पड़ा हुआ था.उसी वक़्त ये आदमी सामने के होटेल से निकला & शराब की दुकान पे गया.1 बॉटल खरीद के उसने कुर्ते की जेब मे डाल ली & फिर बगल मे खड़े अंडे के ठेले से उबले अंडे खरीदने लगा.."
"..अंडे वाले को पैसे देने के लिए उसने जेब से पैसे निकाले तो 1 हवा का झोंका आया & नोट उसके हाथो से उड़ गये,1 50 का नोट मेरे पास भी आया.मैने वो उठा के उसे वापस किया तो वो बाकी पैसे भी सड़क से उठा अंडे वाले को उसकी कीमत चुकाने के बाद मुझे शुक्रिया अदा कर चला गया."
क्रमशः.........................
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