RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--18
सवेरे कामिनी की नींद खुली तो उसने देखा की षत्रुजीत सिंग अभी तक वही उसके बगल मे सो रहा था.उसने घड़ी देखी,अभी थोड़ा वक़्त था & वो 1 बार और इस तगड़े लंड का लुत्फ़ उठा सकती थी.शत्रुजीत उसकी दाई तरफ लेटा था,कामिनी ने करवट लेकर अपनी बाई टांग उसके उपर चढ़ा दी & बाए हाथ से उसके लंड को हिलाते हुए उसके चेहरे को चूमने लगी.
शत्रुजीत की आँख खुली तो उसने मुस्कुराते हुए करवट ली & कामिनी से लिपट गया.उसका दाया हाथ उसकी बाई जाँघ की लंबाई पे घूम रहा था & उसका मुँह कामिनी की छातियो से चिपका हुआ था.कामिनी करवट ले अपनी पीठ के बल हो गयी तो शत्रुजीत उसका इशारा समझ गया,उसने फ़ौरन उसकी फैली टाँगो के बीच उसकी चूत मे अपना लंड घुसा दिया,"..य्याहह..!"
कामिनी उसे जकड़े हुए आहे भरते हुए चुदने लगी,तभी शत्रुजीत का मोबाइल बजा.उसने वैसे ही उसे चोद्ते हुए फोन उठा के नंबर देखा,"हां,बेटा...क्या?!!..मैं फ़ौरन नीचे आता हू.",उसने फोन किनारे रख कामिनी की चुदाई जारी रखी,"क्या...हू..आ..जे..ईत्त्त.
..आनह...उउउन्न्ह...?"
"कुच्छ नही...अभी तुम बस अपने मज़े पे ध्यान दो..",शत्रुजीत ने धक्के लगते हुए अपने होंठ उसकी चूची पे कस दिए तो कामिनी ने भी आँखे बंद कर ली & नशे के समंदर मे गोते लगाने लगी.
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नत्थू राम मिल गया था.पोलीस ने उसे पंचमहल के बाहर शत्रुजीत के फार्महाउस मे पाया था.जैसे ही अब्दुल पाशा को ये बात पता चली उसने तुरंत शत्रुजीत को फोन कर दिया था.इस वक़्त न्यूज़ चॅनेल्स & अख़बार वालो की भीड़ त्रिवेणी ग्रूप के दफ़्तर & शत्रुजीत के घर के बाहर खड़ी थी.उन्हे पता नही था की शत्रुजीत कामिनी के साथ होटेल ऑर्किड से निकल कर सीधा उसके कोर्ट के चेंबर मे चला गया था,जयंत पुराणिक & पाशा भी वाहा मौजूद थे.
"समझ मे नही आता,वो फार्महाउस कैसे पहुँच गया!",पाशा कमरे मे चहल कदमी कर रहा था.
"बेटा,केर्टेकर से बात हुई तेरी."
"हां,भाई.उसे कुच्छ नही पता.वो तो अपने परिवार के साथ आउटहाउस मे सो रहा था,जब सुबह कोई 4 बजे पोलीस वाहा पहुँची.उसने उसी वक़्त मुझे फोन किया.तब तक पोलीस अंदर घुस के नत्थू राम को ढूंड चुकी थी."
"केर्टेकर ने देखा था उन्हे नत्थू राम को घर से निकलते?",पुराणिक 1 कुर्सी पे बैठे काफ़ी गहरी सोच मे डूबे थे.
"हां,अंकल.पोलीस ने उसे फार्महाउस की लॉबी का गेट खोलने को कहा,फिर वो उनके साथ अंदर गया तो 1 बंद कमरे को भी उसी ने चाभी से खोला वही नत्थू राम बैठा मिला.उसके बाद से केर्टेकर पोलीस हिरासत मे है."
"नत्थू राम का कहना है कि कुच्छ नकाब पोश गुन्दो ने उसे उसके घर & बाज़ार के बीच पड़ने वाली 1 सुनसान गली से उठाया & फार्महाउस पे ले गये.उसने किसी की शक्ल तो नही देखी पर वो बार-2 शत्रुजीत का नाम ले रहे थे.",सभी मर्द कामिनी की बात सुन रहे थे.
"..ये गुत्थी तो हम बाद मे सुलझायेंगे.फिलहाल मैने आंटिसिपेटरी बैल की अर्ज़ी दाखिल करा दी है,मुझे यकीन है मुकुल थोड़ी देर मे बैल मंज़ूरी के काग़ज़ ले के आता ही होगा."
"कामिनी,वो ग़रीब केर्टेकर बेवजह मुसीबत मे फँसा हुआ है,उसे भी बाहर निकालो प्लीज़."
"देखो,शत्रुजीत.हमे पक्का यकीन नही की वो केर्टेकर बिल्कुल बेगुनाह है & तुम्हे बैल मिल गयी तो फिर पोलीस उसे कभी नही छ्चोड़ेगी.अभी उनका शक़ सबसे ज़्यादा उसी के उपर होगा,क्यूकी वो वाहा मौजूद था जब गुमशुदा बरामद हुआ.आख़िर उन्हे भी तो ये केस सुलझाना है."
"मॅ'म,ज़मानत मंज़ूर हो गयी,लेकिन 12 बजे कोर्ट मे पेशी है.",मुकुल चेंबर मे दाखिल हुआ.
"ओके,मुकुल.पेशी से तो हम निबट लेंगे लेकिन सवाल ये है की आख़िर नत्थू राम वाहा पहुँचा कैसे?"
"उस से भी बड़ा सवाल ये है कामिनी,की उसे वाहा पहुचने वाला कौन है?",पुराणिक अभी भी वैसे ही बैठे थे.
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इस सवाल का जवाब था जगबीर ठुकराल के पास,जोकि इस वक़्त शैतानी मुस्कुराहट लिए अपने बड़े टीवी स्क्रीन पे न्यूज़ देख रहा था.उसका प्लान शुरू हो चुका था,शत्रुजीत अब उसके रास्ते से हटने ही वाला था.उसने 1 लड़की को इशारा किया तो वो फोन लेकर आई & सोफे पे उस से सॅट के बैठ गयी,ठुकराल ने भी अपनी बाई बाँह के घेरे मे उसे ले लिया,"माधो?"
"जी,हुज़ूर."
"बहुत बढ़िया काम किया है तुमने.",लड़की उसके सीने के बालो मे उंगलिया घुमा रही थी.
"शुक्रिया,हुज़ूर."
"अब आज आगे का प्लान भी इसी तरह बढ़ाना है."
"बिल्कुल हुज़ूर.मैं नज़र रखे हुए हू,जैसे ही मौका मिलेगा हम दूसरी सीढ़ी भी पार कर लेंगे.",लड़की का हाथ ठुकराल के पाजामे मे घुस चुका था.
"बहुत अच्छे,माधो.अपना ख़याल रखना."
"आप बेफ़िक्रा रहें हुज़ूर.",ठुकराल ने फोन रख दिया,"अभी नही,डार्लिंग.",उसने लड़की का हाथ अपने अंडरवेर से निकाला,"..आज बहुत काम है.",वो तैय्यार होने चला गया.
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