RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
शाम को कामिनी पार्टी के लिए तैय्यार हो खुद को 1 आख़िरी बार शीशे मे देख रही थी.बँधे बॉल & उसके ब्लाउस की वजह से उसकी पीठ & कमर लगभग नंगे ही थे.झीनी सारी के पार से उसका क्लीवेज भी झलक रहा था.उसने सारी को थोड़ा ठीक किया & फिर पार्टी के लिए निकल पड़ी.
ऑर्किड होटेल बस कुच्छ महीने पहले ही खुला था.उसकी 21 मंज़िला इमारत बड़ी शानदार थी.कामिनी जैसे ही होटेल मे दाखिल हुई 1 स्ट्वर्डेस उसकी तरफ आई,"मिस.शरण?"
"एस."
"आप प्लीज़ इधर आइए.",वो उसे 1 लिफ्ट की ओर ले गयी.उसने कुच्छ बटन्स दबाए,"..ये लिफ्ट आपको सीधा मिस्टर.सिंग की पार्टी वाले फ्लोर पे ही छ्चोड़ेगी,मॅ'म."
"थॅंक्स.",लिफ्ट के दरवाज़े बंद हो गये.
"वेलकम कामिनी!",लिफ्ट खुलते ही कामिनी 1 आलीशान से सूयीट के ड्रॉयिंग एरिया मे दाखिल हुई...मगर उसे हैरत हो रही थी...पूरा कमरा खाली था.
"हैरानी हो रही है ना?..आप सोच रही हैं कि बाकी लोग कहा हैं..?",कामिनी बस सर हिला दी.
"कामिनी,आप मेरे लिए मुक़दमे लड़ती हैं & उनमे जीतने पे खुशी या तो आपको होगी या मुझे...तो मैने सोचा की इस खुशी का जश्न भी केवल हम दोनो ही मनाए.",उसने वाइन का ग्लास कामिनी की ओर बढ़ाया जिसे कामिनी ने मुस्कुराते हुए थाम लिया..ये तो पासा ही पलट गया था....आज तो शत्रुजीत ने पूरी तैय्यारि की हुई थी उसे सिड्यूस करने की...ठीक है...अगर वो खेल खेलना चाहता है तो वो भी..कोई कम तो नही थी...,"अच्छा!लेकिन मुझे आपके इरादे कुच्छ ठीक नही लगते,मिस्टर.सिंग!",उसने 1 घूँट भरा.
"मेरे इरादे तो हुमेशा नेक रहते हैं,कामिनी & ये आप मुझे हमेशा मिस्टर.सिंग कह के क्यू बुलाती हैं...शत्रु कहिए.मेरे सारे दोस्त मुझे शत्रु ही बुलाते हैं."
"कैसे दोस्त हैं जो आपको दुश्मन कहते हैं!",कामिनी ने 1 और घूँट भरते हुए उसकी तरफ शोखी से देखा & फिर ग्लास मेज़ पे रख दिया & फिर खिड़की के पास जाकर उसके बाहर देखने लगी.नीचे पंचमहल की बत्तियाँ जगमगा रही थी & उपर आसमान मे तारे-बड़ा ही दिलकश नज़ारा था.
"तो फिर आप क्या कह के बुलाएँगी?"
"मैं आपकी दोस्त कहा हू!",कामिनी ने उसी शोख मुस्कान के साथ उसे पलट के देखा.शत्रुजीत की नज़रे उसकी मखमली पीठ का मुआयना कर रही थी,"..तो दुश्मन भी तो नही हैं!"
उसने रिमोट से म्यूज़िक ऑन किया,"शल वी डॅन्स?"
उसने आगे बढ़ कामिनी का दाया हाथ अपने बाए हाथ मे थामा & उसे कमरे के बीच मे ले आया & फिर अपना दाया हाथ उसकी पतली,नंगी कमर मे डाल उसके साथ डॅन्स करने लगा.कामिनी के जिस्म मे सनसनाहट सी दौड़ गयी.शत्रु का बड़ा सा हाथ उसकी कमर से चिपका हुआ था & उसकी उंगलिया बहुत हल्के से बीच-2 मे उसे सहला रही थी.
"आप सभी लड़कियो को ऐसे ही इंप्रेस करने की कोशिश करते हैं?",कामिनी का बाया हाथ उसके दाए कंधे पे था.
"सभी को नही,सिर्फ़ आपको.",शत्रुजीत ने उसके हाथ & कमर को 1 साथ बड़े हल्के से सहलाया तो कामिनी सिहर उठी & उसकी चूत मे कसक सी उठने लगी.
"मुझपे इतनी मेहेरबानी की कोई खास वजह?",उसने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला हुआ था..उसका जी तो कर रहा था की अभी,इसी वक़्त इस आदमी के चौड़े सीने मे अपना चेहरा च्छूपा ले & वो उसे बस अपनी बाहो मे कस ले.
"आप तो है ही खास!अब इस से खास कोई वजह हो सकती है भला?"
"आपने मुझे अपना वकील भी इसी लिए बनाया था ना की मेरे करीब आ सकें?",शत्रुजीत के माथे पे शिकन पड़ गयी.
"कामिनी,मुझे पता है कि मेरे बारे मे तुम क्या सोचती हो..",उसकी आवाज़ संजीदा हो गयी थी,"..लेकिन मैं अपने काम के साथ कभी भी खिलवाड़ नही करता.तुम्हे अपना वकील बनाने के पीछे बस 1 ही कारण था-तुम्हारी काबिलियत.",दोनो ने डॅन्स करना बंद कर दिया था मगर कामिनी का 1 हाथ अभी भी उसके कंधे पे & दूसरा उसके हाथ मे था.
"..हां,मैं चाहता हू तुम्हारे करीब आना..तुम्हे वैसे प्यार करना जैसे केवल 1 मर्द 1 औरत को कर सकता है..मगर इसके लिए मैं तुम्हारी झूठी तारीफ कर तुम्हारी तौहीन नही करूँगा.आज तक मैने तुम्हारी जितनी भी तारीफ की है तुम उसकी हक़दार हो.तुम जानती हो मुझे तुम मे सबसे ज़्यादा क्या अच्छा लगता है?",कामिनी ने बस आँखो से इशारा किया मानो पुच्छ रही हो की क्या.
"..तुम्हारा खुद पे विश्वास.तुम बहुत खूबसूरत हो & तुम्हारे इस बदन ने तो मुझे पहले दिन से ही दीवाना किया हुआ है मगर जो बात कामिनी शरण को कामिनी शरण बनाती है & मुझे तुम्हारी ओर खींचती है वो यही है-तुम्हारा अपने उपर भरोसा..तुम अगर अभी मुझे ना कह दो तो मैं इसी वक़्त तुम्हारे जिस्म से अपने हाथ खींच लूँगा..",दोनो बड़ी गहरी नज़रो से 1 दूसरे को देख रहे थे,"..मैं पूरी ज़िंदगी तुम्हारा इंतेज़ार कर सकता हू,कामिनी..पूरी ज़िंदगी."
"तुम्हारी इतनी अच्छी बीवी है,फिर भी तुम दूसरी औरतो के पीछे क्यू भागते हो?",कामिनी आज शत्रुजीत नाम की इस पहेली को सुलझा ही लेना चाहती थी.
"नंदिता बहुत अच्छी है पर शायद हम दोनो 1 दूसरे के लिए नही बने हैं."
"अगर वो और मर्दो के साथ सोए तो?"
"उसकी मर्ज़ी..मगर वो ऐसा करेगी नही.ऐसा करेगी तो उसमे & मुझमे कोई फ़र्क नही रहेगा & मेरे जैसा बनना उसे कभी भी मंज़ूर नही होगा.",उसने कामिनी के हाथ को छ्चोड़ा तो कामिनी ने अपना दूसरा हाथ भी उसके दूसरे कंधे पे रख दिया,अब शत्रुजीत दोनो हाथो से उसकी कमर थामे हुए था.
"..वैसे भी किसी को बाँधने से क्या मिलता है!पता है,कामिनी मैं क्या सोचता हू?..अगर कोई औरत & मर्द 1 दूसरे को चाहते हैं तो उन्हे कभी भी शादी नही करनी चाहिए."
"क्यू?"
"चाहत का मतलब 1 दूसरे को बाँधना नही,आज़ाद छ्चोड़ना है."
"तो आज रात के बाद भी तुम मेरी ज़ाति ज़िंदगी से जुड़ा मुझसे कोई सवाल नही करोगे?"
"नही.अगर तुम खुद बोलो तो अलग बात है...मैं तुम्हारा पूरा ख़याल रखूँगा,दिल से चाहूँगा की तुम्हे कोई तकलीफ़ ना हो,मगर तुमपे कभी हक़ जता के तुम्हारी मर्ज़ी से नही रोकुंगा..देखो अगर हम दोनो 1 दूसरे के साथ खुश रहेंगे तो अपने आप ही हम 1 दूसरे की पसंद-नापसंद का ख़याल रखेंगे..अब ज़बरदस्ती तो कोई किसी को नही चाह सकता ना..तो अगर मैं तुम्हे किसी बात से तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ रोकू तो फिर रिश्ते मे कड़वाहट आ जाएगी!"
"मेरा तो मानना है,कामिनी की जितने भी दिन हम साथ रहे हैं..बस हंसते-खेलते गुज़ारदे...1 पल के लिए भी कड़वाहट हो ही क्यू ज़िंदगी मे!",कामिनी को लगा जैसे वो खुद को बोलते हुए सुन रही हो.वो अपने पंजो पे उचकी & शत्रुजीत की गर्दन को अपनी बाहो मे क़ैद करते हुए अपने रसीले होंठ उसके होंठो से सटा दिए.
|