RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--14
गतान्क से आगे...............
देर शाम कामिनी जैसे ही काली टी-शर्ट & टेन्निस खिलाड़ियो जैसी काली मिनी स्कर्ट मे चंद्रा साहब के घर मे दाखिल हुई उन्होने उसे बाहो मे जाकड़ लिया,"कितनी देर कर दी तुमने!",उन्होने उसके रसीले होंठ चूम लिए.
"क्या कर रहे हैं,सर!छ्चोड़िए ना...इतना वक़्त तो है हमारे पास..ऊओव....",उन्होने अपना बाया हाथ उसकी शर्ट मे घुसा उसकी पीठ से लगा दिया & दाए को नीचे से उसकी स्कर्ट मे घुसा उसकी गंद पे चिकोटी काट ली थी.वो कामिनी की गर्दन पे चूम रहे थे & अब हाथ उसकी गंद से नीचे उसकी जाँघ पे ले आए थे.उन्होने ड्रेसिंग गाउन पहना हुआ था & उसके भीतर से उनका खड़ा लंड कामिनी की चूत पे दस्तक दे रहा था.उन्होने उसकी दाई जाँघ के नीचे हाथ लगा उसकी टांग को उठा लिया & हल्के-2 अपनी कमर हिलाने लगे,"..प्लीज़...सर..छ्च..ओडीए ना..पहले कुच्छ खा..ने के लिए बन..लू..फिर का..रें..गे.."
चंद्रा साहब ने उसकी उठाई हुई जाँघ को कस के मसला,"..कुच्छ बाहर से मंगवा लेंगे..",तभी उनका मोबाइल बजा तो उन्होने चौंक के अपना सर उसकी गर्दन से उठा लिया,कामिनी को मौका मिल गया & उसने उन्हे परे धकेल दिया,"..नही,वैसे भी कल से आप बाहर का कुच्छ ज़्यादा ही खा रहे हैं.",उसने उनकी तरफ शोखी से मुस्कुराते हुए देखा.
उसके इस दोहरे मतलब वाली बात से चंद्रा साहब थोड़े और जोश मे आ गये पर मोबाइल उठना भी ज़रूरी था.वो मोबाइल की तरफ बढ़े & कामिनी किचन मे घुस गयी.कोई 15 मिनिट तक चंद्रा साहब फोने पे बात करते रहे,इस बीच कामिनी ने चूल्हे पे खाना चढ़ा दिया था.
"हन्न्न..!",कामिनी चौंक गयी,चंद्रा साहब ने उसे अचानक पीछे से बाहो मे भर लिया था,उन्होने हाथ का मोबाइल वही चूल्हे के बगल मे किचन के काउंटर पे रख दिया & अपना बाया हाथ उसकी शर्ट मे घुसा उसके पेट को सहलाने लगे,कामिनी आँखे बंद कर पीछे हो उनके बदन के सहारे खड़ी हो गयी.
उसने अपनी बाई बाँह पीछे ले जा उनके गले मे डाल दी & उनके बॉल सहलाने लगी.उसकी गर्दन चूमते हुए चंद्रा साहब ने अपना हाथ थोड़ा उपर ले जाके उसकी चूचियो को ब्रा मे से निकाल लिया & उन्हे दबाने लगे,उनका दाया हाथ कामिनी की स्कर्ट मे उपर से घुस चुका था & अब उसकी पॅंटी मे दाखिल हो उसकी चूत की तरफ बढ़ रहा था,"..आआहह...",उनकी उंगलिया जैसे ही उसकी चूत मे घुसी कामिनी मज़े से कराही.
चंद्रा साहब की उंगलिया उसकी चूत मे अंदर-बाहर हो रही थी & उसकी मस्ती बढ़ती जा रही थी.उसने अपना दाया हाथ पीछे ले जा गाउन के उपर से ही उनके लंड को दबोच लिया & मसल्ने लगी.चंद्रा साहब उसके बाए गाल को चूमते हुए उसकी चूचियो को मसल रहे थे,तभी उनकी उंगली कामिनी की चूत के दाने से टकराई & उन्होने उसे ज़ोर से रगड़ दिया,"..ऊहह..!"
कामिनी जैसे ये सह ही ना पाई & घूम के अब अपने गुरु के सामने आ गयी.उन्होने उसकी कमर पकड़ उसे चूल्हे के बगल मे काउंटर पे बिठा दिया & 1 झटके मे उसकी टी-शर्ट निकल दी.सामने उसकी गोरी,बड़ी चूचिया कड़े,गुलाबी निपल्स के साथ छलक पड़ी.उनके नीचे उसका काला ब्रा फँसा हुआ था.कामिनी ने 1 नज़र चूल्हे पे चढ़े खाने पे डाली,उसे डर था कही उनके इस मस्ताने खेल मे कही वो जल ना जाए.
चंद्रा साहब उसकी टाँगो के बीच खड़े हो गये & उसे अपनी बाँहो के घेरे मे ले लिया,फिर उसे चूमते हुए अपने हाथो से उसके ब्रा हुक्स खोल कर उसे उसके जिस्म से अलग कर दिया.वो झुके & उसकी नंगी चुचियो को अपने मुँह मे भर लिया,"...उउउम्म्म्मम..",उसने अपना दाए हाथ से उनके सर को पकड़ लिया.उनका गाउन से ढका लंड उसकी चूत पे दबा हुआ था.कामिनी मस्ती मे उड़ती हुई अपना हाथ नीचे ले जाके गाउन की डोरी को खींचा & हाथ अंदर घुसा दिया.
कामिनी का हाथ सीधे चंद्रा साहब के नंगे बालो भरे सीने से टकराया,उन्होने गाउन के नीचे कुच्छ पहना ही नही था.कामिनी उनके सर को चूमते हुए उनकी छाती को सहलाने लगी.चंद्रा साहब उसकी बाई चुचि के निपल को अंगूठे & 1 उंगली के बीच मसलते हुए उसकी दाई चूची को चूस रहे थे.
कामिनी ने हाथ नीचे ले जा उनके लंड को पकड़ लिया & हिलाने लगी.चंद्रा साहब मस्ती मे भर गये & उसके सीने से सर उठा के उसके होंठो को पागलो की तरह चूमने लगे.कामिनी ने पानी जीभ उनकी जीभ से लड़ानी शुरू कर दी.वो उनके बालो भरे आंडो को अपने हाथो मे भर उन्हे दबा रही थी.
उसने आँखो के कोने से देखा की खाना जलने वाला था,उसने उन्हे परे धकेला & काउंटर से उतार के खाने को देखने लगी,"सत्यानाश हो जाता इसका आपके चक्कर मे!",चंद्रा साहब ने अपना गाउन उतार दिया & उसके सामने बिल्कुल नंगे खड़े हो गये & अपना लंड हिलाते हुए फिर से उसके पीछे आ गये,"..ना अभी नही!पहले इसे बनाने दीजिए."
चंद्रा साहब घूमे तो उसे लगा उन्होने उसकी सुन ली,"..हन्न्न्न्न्न्न्न्न..",वो हैरत से चीखी.अपने घुटनो पे बैठ चंद्रा साहब ने 1 झटके मे ही उसकी स्कर्ट & पॅंटी खींच के फेंक दिया था & उसकी कमर थाम अपना मुँह उसकी गंद की फांको के बीच घुसा दिया था.
कामिनी ने चूल्हा बंद किया & किसी तरह उनके चंगुल से छूटने की कोशिश करने लगी.किसी तारह वो चूल्हे के सामने से हटी पर चंद्रा साहब ने उसे बड़ी मज़बूती से कमर से पकड़ा हुआ था & अपनी जीभ को उसकी चूत के लगातार अंदर-बाहर कर रहे थे.वो बस बेबस सी मच्चली की तरह तड़प रही थी.वो किचन काउंटर पे झुक सी गयी & उनकी जीभ से मस्त होने लगी.
चंद्रा साहब खड़े हुए & उसकी दाई टांग को घुटने से मोड़ काउंटर पे चढ़ा दिया.ऐसा करने से उसकी चूत उनकी नज़रो के सामने और उभर आई थी.वो उसे निहारने लगे,कामिनी की गुलाबी उसी के रस से भीगी कसी चूत बड़ी प्यारी लग रही थी.कामिनी ने गर्दन घुमा के कंधे से उन्हे नशीली आँखो से ऐसे देखा मानो कह रही हो की देखते ही रहेंगे क्या.
चंद्रा साहब आगे बढ़े & 1 ही झटके मे अपना लंड उसकी चूत मे घुसा दिया,"..उउम्म्म्मम..",चंद्रा साहब की झांते उसकी चूत के आस पास के हिस्से पे गुदगुदी सी कर रही थी & उसे बहुत मज़ा आ रहा था.
चंद्रा ने दाए हाथ से उसकी कमर को थामा & बाए हाथ से उसके बूब्स को पकड़ उसे चोदने लगे.कामिनी ने अपना बदन काउंटर से उपर उठा लिया & आहे भरते हुए उनसे चूड़ने लगी.चंद्रा साहब ने हाथ उसकी चूचियो से खींच कर उसकी कमर पे रख लिए & उसकी पीठ & गंद को सहलाते हुए ज़ोर के धक्के लगाने लगे.
"..ऊऊव्व्व..!",कामिनी चिहुनक गयी,चंद्रा साहब ने अपनी 1 उंगली उसकी गंद के छेद मे डाल दी थी.कल से जिस तरह से वो उसकी गंद पे ध्यान दे रहे थे,उसे इस बात का थोडा तो अंदाज़ा हो गया था.उसने गर्दन घुमा के उन्हे थोड़ी नाराज़गी से देखा पर वो तो बस उसे चोद्ते हुए सूकी गंद मे उंगली किए जा रहे थे,"..कामिनी.."
"ह्म्म.."
"यहा भी करू?"
"क्या सर?",कामिनी ने अंजान बनने का नाटक किया.
"तुम्हारी गंद मे भी डालु अपना लंड?".चंद्रा साहब झुक के उस से बिल्कुल सॅट गये & उसके कान मे फुसफुसाए.कामिनी की गंद आज तक कुँवारी थी,विकास ने बहुत कोशिश की थी पर उसने उसे भी कभी नही करने दिया था.
"..उम्म..नही..बहुत दर्द होगा.."
"कोई दर्द नही होगा,देखो..कितनी आसानी से उंगली अंदर बाहर हो रही है.."
"पर वो तो उंगली से इतना ज़्यादा बड़ा है!"
"क्या बड़ा है?..ज़रा नाम तो लो.."
"आपका लंड..",कामिनी ने धीरे से कहा तो चंद्रा साहब जोश से भर गये & गहरे धक्के लगाने लगे.
"प्लीज़..कामिनी...कोई तकलीफ़ नही होगी..मैं बहुत आराम से करूँगा..प्लीज़..",वो किसी बच्चे की तरह ज़िद कर रहे थे.
"ठीक..है..पर ज़रा भी तकलीफ़ होगी तो आपको निकलना होगा.."
"हां-2..",उन्होने इधर-उधर देखा तो उन्हे अपने काम की 1 चीज़ नज़र आई,मक्खन का पॅकेट.उन्होने उसे उठाया & थोड़ा मक्खन ले के कामिनी की गंद मे भर दिया.फिर उसे अपनी उंगली से अंदर मलने लगा.उंगली & कामिनी के जिस्म की गर्मी से पिघल कर मक्खन उसकी गंद की दीवारो से चिपक गया.चंद्रा साहब ने लंड चूत से बाहर खींचा.
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