RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
कामिनी का हाल बुरा हो गया,ये दोनो मर्द उसके जिस्म से खेल रहे थे & उसकी चूत मे कसक उठने लगी थी.तभी चंद्रा ने 1 ऐसी हरकत की उसकी चूत ने बस पानी छ्चोड़ दिया.वो फाइल देखने के बहाने मुड़ते हुए झुके & अपने हाथ को उसकी सारी के नीचे किए हुए उसकी बाई छाती की बगलो को हल्के-2 दबाने लगे,वो भी इस तरह की विकास को भनक भी ना लगी.कोर्ट पहुँचते-2 कामिनी पागल सी हो गयी.जैसे ही कार रुकी वो भाग कर कोर्ट के बाथरूम मे गयी & अपनी उंगली से खुद को शांत किया.
उसके विरोध ना करने की वजह से चंद्रा साहब का हौसला और बढ़ गया था.1 दिन देर शाम ऑफीस मे लाइट चली गयी.चंद्रा साहब ने विकास को बाहर जा कर देखने को कहा की जेनरेटर क्यू नही शुरू हुआ.उसमे कुच्छ खराबी थी & विकास मेकॅनिक के साथ लग गया.इस कम मे 15 मिनिट लगे.
कॅबिन मे घुप अंधेरा था & उसका फयडा उठा कर चंद्रा साहब उठ खड़े हुए & खड़ी हुई कामिनी को पीछे से दबोच लिया.उनका 1 हाथ उसके पेट पे फिसलते हुए उसकी नाभि को कुरेदने लगा तो दूसरा उसकी ब्लाउस मे क़ैद चूचियो को उपर से ही मसल्ने लगा.दोनो बिल्कुल खामोश थे,कामिनी बस खड़ी हुई उनकी हर्कतो का मज़ा ले रही थी कि तभी विकास की आवाज़ आई,"हां..अब ऑन करो.",चंद्रा साहब ने फ़ौरन उसे छ्चोड़ दिया & अपनी कुर्सी पे चले गये.
तभी बत्ती भी आ गयी & वो ऐसे बैठे रहे जैसे कुच्छ हुआ ही ना हो.इसके बाद ही उन्होने उसे & विकास को अपनी प्रॅक्टीस शुरू करने को कहा था..शायद उन्हे खुद पे भरोसा नही था & अगर वो हमेशा उनके सामने रहती तो वो ज़रूर और हदो को भी पार कर जाते.
कामिनी के नज़रो मे उनकी इज़्ज़त और बढ़ गयी-वो ग़लती कर रहे थे,अपनी असिस्टेंट के साथ ये सब उन्हे शोभा नही देता था पर वक़्त रहते उन्होने खुद को संभाल लिया था.कोई और वकील होता तो अब तक उसे अपने बिस्तर मे घसीट चुका होता और फिर शायद उसकी विकास से शादी भी नही हुई होती.
अच्छा ही होता!..वो आज इस अकेलेपन,इस तन्हाई से तो बच जाती....पर वो फिर ऐसे क्यू सोच रही थी..2 जवान खूबसूरत मर्दो से उसका परिचय हुआ था & अगर किस्मत ने उसका साथ दिया तो वो किसी 1 के साथ या फिर दोनो के साथ फिर से अपनी राते रंगीन करेगी.ये ख़याल आते ही उसका हाथ अपनी नाइटी के नीचे नंगी चूत पे चला गया & उस से खेलने लगा.
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रात के 1 बजे शत्रुजीत अपने बेडरूम मे दाखिल हुआ.अंदर अंधेरा था & खिड़की से आती हल्की चाँदनी मे उसने देखा की नंदिता छ्होटी सी नेग्लिजी मे लेटी हुई है.वो उसकी तरफ ही देख रही थी.शत्रुजीत ने अपने कपड़े उतारे & पूरा नंगा हो उसके बगल मे चादर मे घुस गया पर उसने पत्नी को छुने की कोई कोशिश नही की ना ही नादिता ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया.दोनो को आज तक ये बात समझ मे नही आई थी-दोनो जवान & खूबसूरत थे,1 जैसे फॅमिली बॅकग्राउंड से थे,किसी और को चाहते भी नही थे फिर आख़िर क्यू उन्हे 1 दूसरे से प्यार नही हुआ था...बस अपनी भूख मिटाने के लिए दोनो चुदाई करते थे.उसमे भी बहुत मज़ा आता था उन्हे पर प्यार-प्यार उस वक़्त भी नही होता था उनके बीच.
शत्रुजीत ने गर्दन घुमाई तो पाया की नंदिता उसे देखा रही है.नज़रे मिलते ही जैसे कोई चिंगारी भड़की & दोनो घूम कर 1 दूसरे से चिपक गये.नंदिता ने खुद ही अपनी नेग्लिजी निकाल दी,उसने नीचे कुच्छ भी नही पहना था & शत्रुजीत उसके बदन को चूमने,चाटने लगा.हर बार ईयसे ही होता था दोनो ऐसे प्यार करते जैसे वक़्त ही ना हो उनके पास,ये आख़िरी रात हो उनके जीवन की.
शत्रुजीत उसकी चूचियो को चूस्ते हुए उसकी टाँगो के बीच आ रहा था की नादिता ने खुद अपनी जंघे फैला दी.शत्रुजीत ने 1 झटके मे अपना लंड अपनी बीवी की चूत मे उतार दिया.दोनो आहे भर रहे थे,1 दूसरे को चूम रहे थे,खरोंच रहे थे...पर 1 बार भी 1 दूसरे का नाम नही लिया..बस जैसे दो अजनबी 1 साथ 1 रात के लिए साथ हुए हो.पर वो अजनबी भी कुच्छ तो प्यार जताएंगे.
शत्रुजीत बस धक्के लगाए जा रहा था,बीवी की कसी चूत उसे हुमेशा पागल कर देती थी पर उसने कभी उसे ये नही बताया था.नंदिता भी पति की मर्दानगी की कायल थी.कितना भी थका हो जब तक वो ना झड़ती वो रुकता नही था.उसने हुमेशा उसे खुश किया था पर उसने भी कभी उसकी इस बात की तारीफ नही की थी.
"आहह....आअहह...",नंदिता अपने पति से चिपकी झड़ने लगी तो शत्रुजीत ने भी अपना वीर्या उसकी चूत मे गिरा दिया.फिर वो उसके उपर से अपना लंड निकाल कर उतर कर अपनी जगह पे लेट गया.नंदिता थोड़ी देर पड़ी रही फिर उठ कर बाथरूम चली गयी,अपनी चूत सॉफ करने के लिए.शत्रुजीत उसके लौटने का इंतेज़ार करने लगा ताकि फिर वो बाथरूम जा अपना लंड सॉफ कर सके.
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