RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
"अभी-2 खबर मिली है कि पार्टी ने अमरजीत जी के बाद तुम्हे ही लोक सभा एलेक्षन का टिकेट देने का फ़ैसला किया है.थोड़ी देर मे मिश्रा जी तुम्हे फोन करेंगे." "ओके." "देखो बेटा मैं जो कहूँगा उसका बुरा मत मानना & मुझे ग़लत मत समझना.मैं चाहता हू कि तुम अपनी ज़ाति ज़िंदगी को ज़ाति ही रखो.मुझे तुम्हारी समझदारी पे पूरा यकीन है पर बेटे,अब मीडीया & ऑपॉस्षन पार्टी ही नही बल्कि तुम्हारी अपनी पार्टी के कुच्छ लोग तुम्हारी 1-1 हरकत पे नज़र रखेंगे & इस ताक मे रहेंगे कि कब तुम्हे नीचे लाया जा सके." "हमारी अपनी पार्टी के लोग अंकल?" "हां,बेटा." "कौन हैं वो,अंकल?" "बेटा,1 का नाम तो मैं दावे के साथ ले सकता हू-जगबीर ठुकराल." ------------------------------------------------------------------------------- पंचमहल 1 तेज़ी से बढ़ता हुआ शहर था जहा रोज़ नयी-2 कॉलोनीस बस रही थी.इन्ही मे से 1 थी विकास खंड,इस विकास खंड का सेक्टर-52 पंचमहल की सबसे नयी पॉश कॉलोनी थी.इसमे दाखिल होते ही चारो तरफ 1 से बढ़कर 1 आलीशान बंगल दिखाई देते मगर कोई इंसान नही,लगता मानो किसी वीरान बस्ती मे आ गये हैं.यहा बसने वाले या तो इन सुनहरी दीवारो के पीछे रहते & अगर कही बाहर जाना भी पड़ता तो गहरे काले शीशो से ढँकी गाडियो मे जाते.दिखते तो बस उनकी दौलत की हिफ़ाज़त करने वाले गार्ड्स. इसी कॉलोनी मे 1 2-मंज़िला बहुत बड़ा आलीशान बुंगला था जगबीर ठुकराल का.बंगल की दोनो मंज़िले जैसे ठुकराल की दोहरी ज़िंदगी की निशानी थी.निचली मंज़िल पे रहता था पॉलिटीशियन ठुकराल तो उपरी पे अय्याश.उस से मिलने-जुलने वालो से वो निचली मंज़िल पे ही मिलता था.सबको यही लगता था कि उपरी मंज़िल बंद पड़ी है.उपरी मंज़िल पे जाने की सीढ़िया नीचे घर के पीछे थी.उन सीढ़ियो की चाभी बस ठुकराल के पास थी.ठुकराल का बुंगला 2 प्लॉट्स को मिला कर बने 1 बड़े प्लॉट मे बना था.मगर साथ का 1 प्लॉट भी उसी का था जोकि इस उपरी मंज़िल के राज़ को राज़ रखने के लिए था.उस उपरी मंज़िल पे रहने वालो को अगर कभी बाहर जाने की ज़रूरत पड़ती तो वो सीढ़ियो से नीचे आ कर 1 छिपे गलियारे से होते हुए उस तीसरे प्लॉटे मे पहुँचते जहा की 1 छ्होटा सा घर बना था.वाहा गाड़िया खड़ी रहती थी & उनमे बैठ वो उस तीसरे प्लॉट से बाहर निकल जाते दुनिया को लगता कि वो लोग इस तीसरे प्लॉट मे रहते हैं ना की ठुकराल के बुंगले मे. लोग तो ये समझते थे की ठुकराल निचली मंज़िल पे अकेला रहता था पर हक़ीक़त ये थी कि वो उपरी मंज़िल वीरान नही थी,बल्कि हुमेशा हुस्न की परियो से गुलज़ार रहती थी.ये उपरी मंज़िल ठुकराल की ऐषगाह थी,जिसकी देखभाल का पूरा ज़िम्मा केवल लड़कियो के हाथ मे था. ठुकराल को अगर कोई भी लड़की पसंद आ जाती तो वो उसे अपने बिस्तर तक लाके ही दम लेता-अब चाहे वो लड़की अपनी मर्ज़ी से आए या फिर ज़बरदस्ती.ज़बरदस्ती लाई गयी लड़की को वो अपनी हवस पूरी करने के बाद मौत की नींद सुला देता क्यूकी उसे डर रहता था कि कही उसका ये घिनोना रूप दुनिया के सामने ना आ जाए.और जो लड़की खुशी-2 उसकी बात मान लेती थी उसे वो पैसो से तोल देता था. इनमे से कुच्छ लड़कियाँ उसे इतनी पसंद आती थी कि उन्हे वो अपनी इस ऐषगाह मे ले आता जहा वो उसके जिस्म की भूख भी मिटती & साथ-2 ऐषगाह की देखभाल भी करती.इसके ऐवज मे इन लड़कियो को 1 मोटी रकम हर महीने दी जाती थी.जब किसी लड़की से ठुकराल का मन ऊब जाता तो वो उसे बहा से चलता कर देता पर जाते वक़्त भी उस लड़की की झोली नोटो से भर देता.इस वक़्त भी ऐसी 5 लड़कियाँ उसके हरम मे मौजूद थी. ठुकराल के इस हरम के बारे मे उसके & इन लड़कियो के अलावा वाहा आने वाली हाइ-क्लास कल्लगिर्ल्स & उन्हे हॅंडल करने वाले दलाल & मेडम्स को पता था.पर ये कभी भी उसके इस राज़ के बारे मे नही बोलते थे-लड़कियो & कल्लगिर्ल्स को पैसे मिल रहे थे तो वो क्यू किसी पचदे मे पड़ अपनी कमाई खटाई मे डालती!..& मेडम्स & दलाल इतने बढ़िया ग्राहक को नाराज़ कर अपने पैरो पे आप कुल्हाड़ी क्यू मारते! बंगले के उपरी मंज़िल पे 8 कमरे थे जिनमे से 5 मे वो लड़किया रहती थी & 1 बहुत ही बड़ा हॉल था जो था ठुकराल की ऐषगाह.उसे पहली बार देखने वालो की आँखे चौंधिया जाती थी.इटॅलियन मार्बल की टाइल्स से सजे फर्श पे ईरानी गाळीचे बिछे हुए थे.1 दीवार की पूरी लंबाई से लगा 1 बहुत ही लंबा गद्देदार सोफा रखा था.इस सोफे की उपर की पूरी दीवार पे खजुराहो की मूर्तियो की नकल बना के लगाई गयी थी-पर इन पत्थर की मूर्तियो को सोने से मढ़ा गया था.सोफे की ठीक सामने की दीवार से लगा 1 बड़ा एल्सीडी टीवी रखा था & उसके नीचे होमे थियेटर सिस्टम का डिस्क प्लेयर.होमे थियेटर के स्पीकर्स पूरे हॉल मे छुपे हुए थे.टीवी के अगल बगल के शेल्व्स मे हर तरह की ब्लू फिल्म्स की डिस्क्स भरी पड़ी थी..सोफे & टीवी के बीच मे 1 शीशे की मेज़ थी जिसके पैर नंगी लड़कियो के आकार मे तराशे हुए थे.सोफे के बाद 1 कोने मे 1 फ्रिड्ज रखा था & उसी के बगल मे बार भी था.वाहा से थोड़ा हट के 1 शीशे की डाइनिंग टेबल थी & उसके पैर भी उस छ्होटी मेज़ की तरह ही थे. दूसरे कोने मे 1 जक्यूज़ी टब लगा हुआ था जिसमे 1 साथ 5 लोग आराम से बैठ सकते थे.उसी के बगल मे 1 शवर क्यूबिकल भी बना हुआ था.कोई भी दीवार खाली नही थी.हर दीवार पे नंगी लड़कियो की अकेले या फिर किसी मर्द के साथ प्यार करते हुए नज़रो की बड़ी खूबसूरत पेंटिंग्स सजी थी. पर 2 चीज़े थी जोकि इस हॉल मे दाखिल होते ही किसी का ध्यान अपनी ओर सबसे पहले खींचती थी..पहली चीज़ थी 1 10फ्ट जे 6फ्ट की पैंटिंग जिसमे 1 नंगी लड़की झरने मे नहा रही थी.गौर से देखने पे पता चलता था कि जहा पे लड़की की चूत थी वाहा पे 1 छेद मे 1 बटन लगा था जिसे दबाने पे पैंटिंग बीच से 2 हिस्सो मे बँट जाती.दरअसल वो 1 वॉर्डरोब का दरवाज़ा थी जिस वॉर्डरोब के अंदर लड़कियो की पोशाके भरी पड़ी थी-मिनी स्कर्ट्स.माइक्रो मिनिस,बूस्तिएर्स,ट्यूब टॉप्स,नाइटी,बिकीनिस,सारिया-कोई भी ऐसा कपड़ा जिसमे 1 लड़की सेक्सी लग सके & जिसे पहने उस लड़की को देखने की ठुकराल की तमन्ना हो. और दूसरी चीज़ थी 1 गोल किंग साइज़ पलंग जिसपे तकिये & कुशान्स पड़े हुए थे & जो हुमेशा फूलो से ढँका रहता था. क्रमशः..............
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