RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
सवेरे वो पंचमहल स्पोर्ट्स कॉंप्लेक्स के जॉगिंग ट्रॅक पे टी-शर्ट & शॉर्ट्स मे जॉगिंग कर रही थी.उसकी गोरी टांगे & भारी मखमली जाँघो को देख शायद ही वाहा के किसी मर्द-जवान या बुड्ढे,के दिल मे उसकी जाँघो के बीच मे अपना लंड धसने का ख़याल ना आया हो. "हेलो,कामिनी." "हाई!करण.आ गये टूर से?कैसा था?" "बढ़िया.",रोज़ की साथ-2 की जॉगिंग ने दोनो की जान-पहचान को दोस्ती मे तब्दील कर दिया था.दोनो इधर-उधर की बातें करते हुए जॉगिंग करने लगे. "मुझे तो इस खेल का कुच्छ सर-पैर ही नही समझ आता!",दोनो कॉंप्लेक्स के मिनी गोल्फ कोर्स की बगल से गुज़र रहे थे. "क्यू?ऐसा क्या मुश्किल है इस खेल मे?..देखो,18 होल्स हैं.अब उनमे जो खिलाड़ी सबसे कम शॉट्स मे गेंद डाल देता है,वो जीत जाता है." "फिर भी...मुझे समझ नही आता." "तो आओ मैं समझाता हू..",करण ने उसका हाथ थामा & भागते हुए कोर्स मे दाखिल हो गया. 1 कॅडी को बुलाकर उसके बॅग मे से 1 क्लब लिया & उसे बॉल रखने को कहा,फिर 1 होल खेलने लगा,"..ये देखो.अब इसमे क्या है ऐसा जो समझ मे ना आए..",उसने गेंद को होल मे गिरा दिया,"..आओ तुम भी ट्राइ करो.ये लो." कामिनी ने क्लब ले कोशिश की पर उसकी बॉल होल तक पहुँच ही नही पाई,उसके शॉट्स आड़े-टेढ़े लग रहे थे.उसका खेल देख करण को हँसी आ गयी,"तुम तो बिल्कुल अनारी हो,यार!लाओ मैं बताता हू कैसे खेलते हैं.",करण हंसते हुए उसके पास आ गया. "पहले इस तरह खड़े हो..",उसके पीछे आ उसकी कमर पे हाथ रख उसने उसे सही तरीके से खड़ा किया,"..अब टांगे थोड़ी फैलाओ..हाँ!बस इतनी..",कारण ने झुक कर अपने हाथो से उसकी नंगे घुटनो को थाम टांगो को तोड़ा फैलाया तो कामिनी सिहर उठी.फिर कारण उसके ठीक पीछे खड़ा हो गया & उसके दाए कंधे के उपर से अपना चेहरा लाकर झुकते हुए अपनी बाहें उसकी बाहो से सटा दी & उसके गोल्फ क्लब थामे हाथो को उपर से थाम लिया,"..अब लगाते हैं शॉट." कामिनी तो जैसे होश मे ही नही थी,1 जवान मर्द का मज़बूत जिस्म उसे पीछे से बाहों मे भरे हुए था,उसके दिल की धड़कन वो अपनी पीठ पे महसूस कर रही थी,उसने अपने सख़्त हाथो मे उसके नाज़ुक हाथ कसे हुए थे-ऐसे हालात मे तो कोई बुढ़िया भी गरम हो जाए,फिर वो तो 1 जवान लड़की थी जिसके खूबसूरत जिस्म की आरज़ुएँ भी जवान थी. "हां..ऐसे..",करण ने उसके हाथो को थामे हुए शॉट लगाया तो कामिनी तो बस मस्ती मे डूब गयिक्युकि शॉट लगते वक़्त करण का निचला जिस्म उसके निचले जिस्म से टकराया & उसकी भारी गंद पे उसके लंड का दबाव पड़ा...कितने दीनो बाद उसने 1 लंड का एहसास किया था.कामिनी की आँखे मूंद गयी & वो बस करण के सहारे खड़ी हो गयी. "क्या हुआ कामिनी?तुम्हारी तबीयत तो ठीक है?",वो जैसे नींद से जागी,"ह्म्म...हा-हां..",वो उसके बदन से अलग हुई,"..अब चलना चाहिए वरना मुझे कोर्ट के लिए देर हो जाएगी..",करण उसे गहरी निगाहो से देख रहा था,शायद अपनी दोस्त का हालत का अंदाज़ा उसे हो गया था. ---------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------- "एमेस.शरण,मैं पंचमहल जिम्कआना & रिक्रियेशन क्लब का सेक्रेटरी बोल रहा हू.मुझे आपको ये बताते हुए काफ़ी खुशी हो रही है कि क्लब ने आपकी मेंबरशिप की अर्ज़ी को मंज़ूर कर लिया है." "थॅंक यू,मिस्टर.भाटिया." "मेडम,अगर आप फ्री हो तो आज शाम को क्लब आकर अपना मेंबरशिप कार्ड ले लें & मैं आपको क्लब के बाकी मेंबर्ज़ से भी मिलवा दूँगा." "ठीक है,मैं 9 बजे वाहा पहुँच जाऊंगी." "ओके,मेडम." "हेलो..हेल्लू..",कामिनी क्लब सेक्रेटरी भाटिया के साथ क्लब मेंबर्ज़ से मिल रही थी,"तो मेडम,मैने यहा रिक्रियेशन रूम मे बैठे मेंबर्ज़ से तो आपको मिलवा दिया & आपको यहा के बारे मे सारी बातें & यहा के नियम भी बता दिए.तो अगर आपकी इजाज़त हो तो मैं अपने ऑफीस जाऊं,थोड़ा काम है." "ऑफ कोर्स,भाटिया जी.ज़रूर जाइए & थॅंक्स फॉर इंट्रोड्यूसिंग मे तो एवेरिवन हियर." क्लब काफ़ी बड़े एरिया मे फैला था.सामने बड़ा सा लॉन था जहा गर्मियो मे शाम को कुर्सिया & मेज़ें डाल दी जाती थी.क्लब के पीच्चे 1 स्विम्मिंग पूल भी था,वाहा भी मेंबर्ज़ के बैठने का इंतेज़ाम था,वही साथ ही 1 स्क्वॉश कोर्ट भी था.उपरी मंज़िल पे जिम था & 1 पूल रूम जहा बिलियर्ड्स टेबल्स लगी हुई थी..च्चत को 1 ओपन एर रेस्टोरेंट की शक्ल दी गयी थी.मेंबर्ज़ यहा सवेरे 6 बजे से लेके रात 12 बजे तक आ सकते थे.ज़्यादातर मेंबर्ज़ को अगर कभी भी खाना खाना होता तो वो रिक्रियेशन रूम का ही इस्तेमाल करते थे पर कुच्छ मेंबर्ज़ अच्छे मौसम के दीनो मे लॉन या छत पे भी खाना खाते थे. रिक्रियेशन मे कयि कार्ड टेबल्स लगी थी जिनका इस्तेमाल मेंबर्ज़ ताश खेलने के लिए करते थे.1 कोने मे 1 बार था & 1 तरफ बुक शेल्व्स लगी थी जिनके साथ ही रीडिंग रीडिंग एरिया भी था. कामिनी ने पहली मंज़िल पे जिम देखा जोकि इस वक़्त बिल्कुल खाली था & पूल रूम भी जहा कुच्छ मेंबर्ज़ खेल रहे थे.इसके बाद कामिनी छत पे चली गयी,"ओह!हेलो,कामिनी.वॉट आ प्लेज़ेंट सर्प्राइज़!" "हाई!मिस्टर.सिंग.",षत्रुजीत सिंग मुस्कुराता हुआ उसके करीब आया.कामिनी ने आज 1 घुटनो तक की सफेद ड्रेस पहनी थी जिसपे छ्होटे-2 गुलाबी फूल बने हुए थे.ड्रेस की छ्होटी बाँह से निकलती उसकी गोरी बाहें & हाथ क्लब की लाइट्स मे चमक रहे थे.मौसम बड़ा अच्छा था & ठंडी हवा के 1 झोंके ने उसकी ज़ूलफे उड़ा कर उसके चेहरे पे ला दी तो उसने उन्हे अपने हाथो से पीछे किया. "मैने आपको यहा पहली बार देखा है.",शत्रुजीत ने उसके हुस्न को सर से पाँव तक 1 नज़र भर कर देखा. "मैने आज ही क्लब जाय्न किया है.",उसे ऐसा लगा जैसे की शत्रुजीत नज़रो से ही उसकी ड्रेस उतार रहा है. "दट इस ग्रेट!वेलकम टू दा क्लब...आइए,बैठिए.",छत की रेलिंग से सटकर कुच्छ कुर्सिया लगी थी.दोनो उन्ही पे आमने-सामने बैठ गये,"इसी खुशी मे आज का डिन्नर आप मेरे साथ कीजिए." "थॅंक यू,मिस्टर.सिंग पर प्लीज़ बेवजह तकल्लूफ ना करें." "अरे इसमे तकल्लूफ कैसा?कौन सा मुझे अपने हाथो से खाना बनाना है..",उसकी इस बात से कामिनी को हँसी आ गयी,"..वैसे आपके लिए खाना बनाने मे मुझे कोई तकलीफ़ होगी नही.",उसने गहरी निगाहो से कामिनी को देखा.कामिनी का दिल धड़कने लगा & उसने उसकी निगाहो से निगाह मिलने से बचने के लिए अपनी पोज़िशन थोड़ा बदलते हुए अपनी बाई टांग पे अपनी दाई टांग चढ़ा के बैठ गयी,"प्लीज़,आज नही.फिर कभी...वैसे भी अब तो हम मिलते ही रहेंगे." "ठीक है.जैसी आपकी मर्ज़ी.पर कम से कम 1 लेमनेड तो पी सकती हैं मेरे साथ?" "जी! ज़रूर.".शत्रुजीत ने इशारा किया तो 1 वेटर ने 1 छ्होटी तिपाई बगल मे रख दी & उनके लेमनेड के ग्लास उन्हे थमा दिए.तभी हवा का 1 झोंका आया & उसने कामिनी की ड्रेस को थोडा उठा दिया & शत्रुजीत की नज़रे उसकी मखमली दाई जाँघ पे पड़ी.कामिनी को फिर से लगा की जैसे उसने अपने हाथो से उसकी जाँघ च्छू ली हो.उसने लेमनेड ख़तम कर ग्लास तिपाई पे रखा,"अच्छा..अब मैं चलती हू.",वो खड़ी हुई. हवा का 1 झोंका अपने साथ थोड़ी धूल ले आया & उसी धूल का 1 ज़ररा कामिनी की आँख मे घुस गया,"आउच..!",उसका हाथ अपनी आँख पे चला गया. "क्या हुआ?",शत्रुजीत खड़ा हो गया. "लगता है आँख मे कुच्छ पड़ गया." "लाइए,मैं देखता हू.",उसने उसका हाथ हटाया & फिर उसके चेहरे को हाथो मे भर उसकी पलके फैला कर फूँक मार कर ज़र्रे को निकालने की कोशिश करने लगा.कामिनी की टाँगो मे तो जैसे जान ही ना रही.शत्रुजीत उसके बहुत करीब खड़ा था & जब वो आगे झुक कर फूँक मारता तो उसका चौड़ा सीना उसकी चूचियो से टकरा जाता,"..लो निकल गया." मदहोश कामिनी के पैर लड़खड़ा गये तो शत्रुजीत ने उसकी कमर को घेरते हुए अपनी बाहो मे थाम लिया & थामते ही उसकी चूचिया शत्रुजीत के सीने से पीस गयी,"क्या हुआ?" "का-कुच्छ नही..ज़रा पैर फिसल गया...",कामिनी उस से अलग हुई तेज़ कदमो से चलती हुई वाहा से निकल गयी. उसके जाते ही शत्रुजीत का मोबाइल बजा,उसने नंबर देखा & मुस्कुरा कर कॉल रिसीव की,"हेलो,अंकल जे." "हेलो!सोन.कहा हो?क्लब मे?" "जी.और आप?वही बॉर्नीयो मे?",बॉर्नीयो पंचमहल का सबसे पुराना पब था & जयंत पुराणिक वाहा लगभग रोज़ ही जाते थे.
|