RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--6
"गुड ईव्निंग,कामिनी.",त्रिववणी ग्रूप की ऑफीस बिल्डिंग के कान्फरेन्स हॉल मे कामिनी के मुकुल के साथ दाखिल होते ही षत्रुजीत सिंग ने आगे बढ़ के मुस्कुराते हुए उस से हाथ मिलाया.उसकी उंगलिओ के छुते ही कामिनी के बदन मे फिर से वही जाना-पहचाना मदहोशी का एहसास दौड़ गया,"हेलो..",वो बस जवाब मे इतना ही कह पाई. "आइए..",शत्रुजीत ने अपने दाए हाथ मे उसका हाथ थामे हुए बाया उसकी ब्लाउस के नीचे से झलकती नंगी कमर पे रखा & उसे टेबल की ओर ले चला जहा जयंत पुराणिक के साथ 5 और लोग बैठे थे.शत्रुजीत के हाथ मे हाथ होने से पहले ही कामिनी का हाल बुरा था & अब कमर पे हाथ रखने के बाद तो उसकी टांगे भी काँपने लगी.किसी तरह वो टेबल तक पहुँची & 1 कुर्सी पे बैठ गयी. "कामिनी,अंकल जय से तो आप पहले ही मिल चुकी हैं..",कामिनी ने उनकी तरफ देख कर मुस्कुरा के सर हिलाया तो उन्होने भी जवाब मे अपना सर हिलाया,"..& ये मेरी बाकी की टीम है जोकि त्रिवेणी को चलाती है..",शत्रुजीत ने उसका परिचय सभी से करवाया तो कामिनी ने भी उन सबको मुकुल से मिलवाया. कामिनी ने आँखो के कोने से देखा की कान्फरेन्स टेबल से थोड़ा हट के 1 कुर्सी पे अब्दुल पाशा बैठा है & उसकी ठंडी नज़रे बड़े गौर से उन सब को देख रही हैं....आख़िर क्यू उसकी आँखे ऐसी खून जमा देने वाली थी? कामिनी ने अपना ध्यान उसकी ओर से हटाया & शत्रुजीत की बातो पे लगाया,"..ये वो केसस हैं कामिनी जोकि ऑलरेडी कोर्ट मे हैं & ये वो हैं जोकि कोर्ट मे जा सकते हैं..",शत्रुजीत ने अपनी सेक्रेटरी से 2 फोल्डर्स ले कर उसकी ओर बढ़ाए. "मिस्टर.सिंग.कयि लोग समझते हैं कि 1 वकील आपको आपकी की हुई ग़लती से मिलने वाली सज़ा से बचाता है-उनका ये मानना सही भी है,पर कयि लोग जान बुझ कर ग़लतियाँ करते हैं & फिर वकील के पास जाते हैं उस सज़ा से बचने जिस से बचने का उन्हे कोई हक़ नही होता.मैं इन केसस को हाथ लगाने से पहले 1 बात सॉफ कर देना चाहती हू,मैं केवल उन लोगो के केसस को हाथ लगाती हू जोकि जान बुझ कर ग़लतियाँ नही करते...वो क्लाइंट्स जो मुझ से झूठ बोलें या फिर बातें च्छुपाएँ,मुझे बिल्कुल पसंद नही." "कामिनी..",शत्रुजीत उसके सामने टेबल की दूसरी ओए बैठा था,वो उठा & आकर उसके पास टेबल पे बैठ गया & उसकी आँखो से आँखे मिला दी,"..ये बिज़्नेस मैं अपनी एमबीए की डिग्री के बूते पे नही चलाता बल्कि अपने पिता की नसीहतो के बूते पे चलाता हू..",कामिनी की सारी का आँचल थोड़ा 1 तरफ था & शत्रुजीत जिस तरह से बैठा था,वो उसके ब्लाउस के गले से झँकते उसके हल्के से क्लीवेज & दोनो छातियो के बीच की गहरी दरार को सॉफ-2 देख सकता था,"..& उनकी दी हुई ऐसी ही 1 नसीहत जिसे मैं हमेशा मानता हू.उन्होने मुझ से कहा था कि इंसान को अपने डॉक्टर & वकील से कभी कुच्छ भी नही छिपाना चाहिए.." शत्रुजीत की नज़रे 1 पल को उसके सीने से टकराई तो कामिनी को यू लगा जैसे उसने उसे अपने हाथो से वाहा पे च्छुआ हो.शत्रुजीत ने अपनी नज़रे तुरंत उपर की & 1 बार फिर उसकी नज़रो से मिला दी,"आप बेफ़िक्र रहिए,मैं आपको कभी भी ऐसी शिकायत का मौका नही दूँगा." "ओके,मिस्टर.सिंग.तो मुझे भी आपके साथ काम करने मे कोई ऐतराज़ नही है.",कांट्रॅक्ट पेपर्स साइन कर दोनो ने फिर से हाथ मिलाया & 1 बार फिर उसका बदन रोमांच से सिहर उठा. ------------------------------
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