RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--5
जगबीर ठुकराल भी उसी पार्टी का मेंबर था जिसके टिकेट पे अमरजीत सिंग चुनाव लड़ते थे.शुरू मे उसने बहुत कोशिश की,कि उनकी जगह उसे लोक सभा चुनाव का टिकेट मिले पर अमरजीत सिंग के होते ये नामुमकिन था.अमरजीत सिंग 1 शरीफ इंसान थे & उन्होने राजनीति मे कदम रखने से पहले 1 समाज सेवक के तौर पे काफ़ी नाम कमाया था,दूसरे वो 1 कामयाब बिज़्नेसमॅन थे & उनके पास पैसे की कमी नही थी.अब 1 ऐसा इंसान जिसे आवाम पसंद करती हो & जिसके पास पैसे भी हो-उसे कौन सी पार्टी एलेक्षन का टिकेट नही देती. ठुकराल चाहता तो वो कोई दूसरी पार्टी भी जाय्न कर सकता था-पर उसने ऐसा नही किया क्यूकी वो जानता था कि अमरजीत सिंग के रहते वो कभी भी कोई चुनाव नही जीत सकता.उसने बड़ी चालाकी से राज्य की असेंब्ली के एमलए का चुनाव लड़ा & जीत गया,फिर तो उसने कभी वो सीट नही हारी.पूरे पंचमहल मे अमरजीत सिंग के नाम से उनकी पार्टी को जाना जाता था-पार्टी के नाम से अमरजीत सिंग को नही.इसी बात का फ़ायदा पंचमहल के उनकी पार्टी के सारे एलएलए को होता था.वो सारे अच्छे काम करते थे & ये एमएलए चुपचाप उनका साथ देते थे & हर बार चुनाव जीत जाते थे. अमरजीत सिंग की मौत के बाद ठुकराल को उम्मीद की 1 किरण दिखाई दी थी पर षत्रुजीत सिंग ने उस किरण को भी बुझा दिया था.पर ठुकराल इतनी आसानी से हार मानने वाले मे से नही था.उसने उपरी तौर पे तो पार्टी हाइ कमॅंड की बात मान ली थी पर उसका शैतानी दिमाग़ शत्रुजीत को रास्ते से हटाने की तरकीब सोच रहा था. पिच्छली रात से ले के आज सवेरे पंचमहल की फ्लाइट पकड़ने से पहले तक उसने दोनो कल्लगिर्ल्स-रानी & सोना को 3-3 बार चोद कर अपना मूड ठीक कर लिया था.औरत का जवान,खूबसूरत जिस्म उसकी कमज़ोरी या कह लीजिए की उसका शौक था.शायद ही कोई ऐसी रात जाती हो जब उसका तगड़ा लंड किसी चूत मे घुस उसकी जम कर चुदाई ना करता हो.पर आज तक किसी को उसके इस रूप की झलक भी नही दिखी थी.सब जानते थे कि वो पैसे कमाने के लिए उल्टे-सीधे हथकंडे अपनाता रहता है,पर किसी को भी ये नही पता था कि वो औरतो का इतना बड़ा रसिया है. प्लेन पे बैठे-2 ठुकराल के खुरापाति दिमाग़ ने अपना एंपी बनाने का सपना पूरा करने का 1 प्लान तैय्यार कर लिया था.बेख़बर शत्रुजीत को पता नही था की उसका 1 दुश्मन खड़ा हो गया है.1 ऐसा दुश्मन जो शातिर,चालक,मतलबी & वासना & हवस का पुजारी है & जो शायद उसकी जान लेने मे भी नही हिचकिचायगा. ------------------------------
------------------------------------------------- सवेरे दफ़्तर के लिए तैय्यार होते वक़्त कामिनी के ज़हन कल रात चंद्रा साहब & उनकी बीवी से हुई बाते घूम रही थी.चंद्रा साहब से बात करने के बाद भी कामिनी को यकीन नही हो रहा था कि शत्रुजीत केवल उसकी काबिलियत के चलते उसे अपना लीगल आड्वाइज़र बनाना चाहता था.उसके मन के किसी कोने मे ये शुभा था कि वो ऐसा उसके नज़दीक आने के लिए कर रहा है...आख़िर उसकी अय्याशि के किस्से पूरे शहर मे माशूर थे!पर चंद्रा सर ने तो कहा था कि वो अपनी ज़ाति ज़िंदगी को अपने काम से बिल्कुल अलग रखता है & आम लोगो की नज़रो मे चाहे उसकी जो भी तस्वीर हो,उसके रिवल्स & दोस्त अच्छी तरह जानते थे कि वो कितना समझदार & सुलझा हुआ बिज़्नेसमॅन है.उसका सबूत थी आज के अख़बार मे छपी उसके ग्रूप की क्वॉर्टर्ली रिपोर्ट जिसमे सॉफ लिखा था कि इस बार ग्रूप का मुनाफ़ा पिच्छली बार के मुक़ाबले 5% ज़्यादा था. फिर भी कामिनी को यकीन नही हो रहा था,वो केवल 1 वकील ही नही 1 जवान लड़की भी थी & हर लड़की के पास वो ताक़त होती थी जिस से वो मर्दो के पाक-नापाक इरादे भाँप लेती है.और यही ताक़त उसके मन मे ये शुभा पैदा कर रही थी...पर अगर वो उसके जिस्म को पाने के लिए ऐसा कर रहा है तो इसमे बुराई क्या है?शत्रुजीत के छुने भर से ही उसके बदन मे बिजली दौड़ जाती है....अगर वो उसके साथ हुमबईस्तर होगी तो कैसा लगेगा? ये शरारती ख़याल आते ही उसकी चूत मे कसक सी उठी & उसने ड्रेसिंग टेबल सामने बैठे-2 अपनी जाँघो को भींच लिया...अगर शत्रुजीत ये खेल खेलना चाहता है तो वो भी तैय्यार है...उसने फोन उठाया & उसका नंबर डाइयल किया,"हेलो..मिस्टर.सिंग?..गुड मॉर्निंग!मैं कामिनी बोल रही हू...मुझे आपका ऑफर मंज़ूर है...थॅंक यू...ठीक है,मैं आज शाम अपने असिस्टेंट के साथ आपके दफ़्तर आऊँगी.ओके.सी यू." -------------------------------------------------------------------------------
|