RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट--3
पंचमहल स्पोर्ट्स कॉंप्लेक्स के जॉगिंग ट्रॅक पे सवेरे 7 बजे कानो मे इपॉड लगाए कामिनी भागी जा रही थी.उसने काले रंग की टी-शर्ट & ट्रॅक पॅंट पहनी थी,जोकि उसके बदन से चिपकी हुई थी.इस लिबास मे उसके बदन की गोलाइयाँ कुच्छ ज़्यादा उभर रही थी & सवेरे की सैर कर रहे बूढ़े & बाकी जॉगर्स को ललचा रही थी. उनकी निगाहो से बेपरवाह कामिनी जॉगिंग कर रही थी कि तभी उसके बगल मे जॉगिंग करते 1 शख्स ने उसके कंधे पे हाथ रखा,"हेलो!" कामिनी ने भागते हुए गर्दन घुमाई & उसके रसीले होंठो पे मुस्कान खिल उठी,उसने कान से इपॉड के प्लग्स निकाले,"हेलो!मिस्टर.मेहरा.",पा
र्टी की रात को 1 हफ़्ता बीत चुका था & कामिनी को ये मलाल था कि उसने करण से उस दिन ज़्यादा बातचीत क्यू नही की-हो सकता था ऐसा करने से अगली मुलाकात का कोई रास्ता खुल जाता.इसीलिए करण को देख उसे बहुत खुशी हुई. "प्लीज़,ये मिस्टर.मेहरा मत कहिए केवल करण कहिए,कामिनी जी.लगता है जैसे जॉगिंग नही,ऑफीस मे बैठा कोई मीटिंग कर रहा हू!" "ओके.तो आप भी मुझे कामिनी जी नही,केवल कामिनी कह के पुकारेंगे.",कामिनी हंस पड़ी. "ओके.डन!",उसने अपना हाथ कामिनी की ओर बढ़ाया & कामिनी ने अपना हाथ आगे कर उस से हाथ मिला लिया. "कामिनी,आपको पहले यहा नही देखा?" "मैं कभी-कभार ही आती थी,पर अभी 3 दिन पहले तय किया की रोज़ आऊँगी,कुच्छ वर्ज़िश तो होनी चाहिए ना!वरना तो दिन भर कुर्सी पे बैठे रहो." "बिल्कुल सही सोचा है आपने.अगर बिज़्नेस टूर पे ना राहु,तो मैं तो यहा रोज़ आता हू." "यानी की अब आप से रोज़ मुलाकात होगी ?" "बिल्कुल." ------------------------------------------------------------------------------- आज किसी केस की सुनवाई नही थी,इसीलिए कामिनी अपने ऑफीस जाने के लिए तैय्यार हो रही थी.काली पॅंट पे नीले रंग की धारियो वाली फॉर्मल शर्ट डाल कर वो आईने मे देखती हुई उसके बटन लगा रही थी.उसकी निगाह तो शीशे पे थी पर दिमाग़ मे सवेरे कारण से हुई मुलाकात घूम रही थी. कारण टी-शर्ट & शॉर्ट्स मे जॉगिंग करने आया था & उस से बाते करते वक़्त कामिनी चोर निगाहो से उसकी पुष्ट जंघे & बालो भारी टाँगो को देख रही थी.1 बार जब कारण उस से थोडा आगे हो गया तो उसकी नज़र उसकी कसी गंद पे पड़ी तो उसके दिमाग़ मे अचानक 1 तस्वीर उभरी की वो उसकी चूत मे अपना लंड घुसाए उसके उपर पड़ा है & वो उसकी गंद को अपने हाथो से मसल्ते हुए अपने नाख़ून उसमे गढ़ा रही है. शर्ट का आख़िरी बटन लगाते ही उसका मोबाइल बजा & वो अपने सपने से बाहर आई & उसकी निगाह शीशे मे अपने अक्स से जा मिली & शर्म की लाली उसके चेहरे पे फैल गयी-कैसी,कैसी बाते सोच रही थी वो! अपनेआप पे मुस्कुराते हुए उसने मोबाइल उठा कर देखा,उसकी सेक्रेटरी रश्मि फोन कर रही थी,"हेलो,रश्मि.कहो क्या बात है?" "गुड मॉर्निंग,मॅ'म.अभी मिस्टर.षत्रुजीत सिंग की सेक्रेटरी का फोन आया था,वो अपने बॉस के लिए इम्मीडियेट अपायंटमेंट माँग रही थी.मैने तो कह दिया कि अभी तो 2-3 दीनो तक मुश्किल है पर वो मान ही नही रही.वैसे अगर चाहे,मॅ'म तो आज दोपहर 12 बजे का टाइम मैं उन्हे दे सकती हू.अब बताएँ क्या करना है?" "ह्म्म..ज़रा सोचने दो..",आख़िर ये शत्रुजीत सिंग को उस से क्या काम आन पड़ा?..& वो भी इतनी अर्जेन्सी किस बात की है..?,"..रश्मि.." "जी,मॅ'म." "उन्हे आज 12 बजे का टाइम दे दो." "ओके,मॅ'म." "..& मुकुल आ गया?" "जी,अपनी टेबल पे कुच्छ काम रहा है." "ठीक है.उस से कहना विद्या खन्ना वाले केस की डीटेल्स रेडी रखे.मैं बस आधे घंटे मे पहुँचती हू." "ओके,मॅ'म.मैं अभी कह देती हू." -------------------------------------------------------------------------------
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