RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
कामिनी नहा कर बाथरूम से निकली,उसने अपने जिस्म पे लपेटा तौलिया उतारा & अपने कपबोर्ड से कपड़े निकालने के लिए उसे खोला कि अचानक कपबोर्ड पे लगे आदम कद शीशे मे अपने अक्स को देख ठिठक गयी.उसने कपबोर्ड का दरवाज़ा बंद किया & शीशे मे अपने नंगे बदन को निहारने लगी. क्या कमी थी उसमे?आख़िर क्यू विकास ने उसे छ्चोड़ दिया...वो भी...वो भी..उस सीमी के लिए जोकि खूबसूरती के मामले मे कामिनी के पैर की छ्होटी उंगली के नाख़ून के बराबर भी नही थी!उसने अपनी 38डी साइज़ की छातियो को दबाया,बिना ब्रा के भी कैसी तनी हुई खड़ी थी,अभी तक ज़रा भी नही झूली थी उसकी चूचियाँ...& उसका सपाट पेट....28 इंच की कमर के नीचे 36 इंच की भरी मगर पुष्ट गंद तो लोगो को दीवाना कर देती थी.1 भरा शरीर होने के बावजूद कही से भी माँस की कोई परत झूलती नही दिखाई दे रही थी-ऐसी कसी,गदराई जवानी को छ्चोड़ विकास उस सुखी सी सीमी के पास कैसे चला गया? उसने आज तक ये सवाल विकास से नही पुचछा था.वो 1 बहुत स्वाभिमानी लड़की थी-वो उसके सामने रो कर गिड़गिदकर उसके सामने कमज़ोर नही पड़ना चाहती थी.कमर को मोड़ उसने शीशे मे अपनी गंद को निहारा & जैसे उसे जवाब मिल गया...विकास सीमी की गंद के पीछे पागल हो गया था.सीमी छ्होटे कद की पतली-दुबली लड़की थी मगर उसकी गंद बहुत मस्त थी...उस दिन ऑफीस मे विकास उसे पीछे से चोद रहा था,आज भी उसकी गंद पे उसके हाथ पागलो की तरह मचल रहे थे.... हुन्ह..!तो बस 1 गंद के लिए उसने अपनी बीवी से बेवफ़ाई की!वो नंगी ही अपने बिस्तर पे लेट गयी..क्या यही गहराई थी उनके प्यार मे?उसने विकास के अलावा कभी किसी और के बारे मे नही सोचा...उसे अपने तन,मन से पूरी तरह टूट कर चाहा & विकास..लेकिन क्या सिला मिला इस अच्छाई का,इस वफ़ा का उसे?जिसने ग़लती की थी वो तो आज भी मज़े से गुलच्छर्रे उड़ा रहा था & वो यहा विधवाओं जैसा जीवन बिता रही थी. पर अब ऐसा नही होगा.वो भी अपनी ज़िंदगी का पूरा मज़ा उठाएगी.अब वो ऐसे उदास नही रहेगी.1 विकास चला गया तो क्या हुआ?कल कोई और आएगा जोकि फिर से उसका अकेलापन दूर करेगा...& ऐसा क्यू नही होगा-वो खूबसूरत थी,जवान थी....पर इस बार वो प्यार & रिश्तो के पचदे मे नही पड़ेगी,केवल अपने जिस्म की ज़रूरतो को पूरा करेगी.....अगर कोई मर्द स्वार्थी हो केवल अपने मज़े के बारे मे सोच सकता है तो 1 औरत क्यू नही?...आज 4 महीनो मे पहली बार उसे 1 मर्द के बदन की ज़रूरत महसूस हुई थी,लेकिन ऐसा भी नही था कि वो जिस किसी के भी साथ सो जाने को तैय्यार हो गयी थी,उसने तय कर लिया था की वो केवल उस मर्द के साथ हमबिस्तर होगी जो उसकी कद्र करेगा & जिसमे उसे अपने बिस्तर तक ले जाने का हौसला होगा,हिम्मत होगी. पहले तो उसे कल की पार्टी मे जाने का दिल नही था पर अब उसने सोच लिया कि कल वो ज़रूर जाएगी & पार्टी को पूरी तरह से एंजाय करेगी.वो पहले वाली,आत्मा-विश्वास से भारी,ज़िंदाडिल कामिनी लौट आई थी & इस बार उसके दिल मे ज़िंदगी का लुत्फ़ उठाने की उमंग और भी ज़्यादा थी. नीले रंग की सारी & स्लीव्ले ब्लाउस मे खुले बालो वाली कामिनी शायद पार्टी मे सबसे खूबसूरत लग रही थी.पार्टी बड़ी शानदार थी,ऐसा लगता था जैसे जायसवाल ने पूरे पंचमहल को बुला रखा था. "..ये मिस्टर.शर्मा हैं,मेडम & शर्मा जी,कामिनी जी को तो आप जानते ही हैं.ये नही होती तो मैं तो लूट ही गया था,साहब!",जब केस जीतने के बाद जायसवाल ने पहली बार ये बात कही थी तो कामिनी को अच्छा लगा था,कल फोन पे पार्टी का इन्विटेशन देते वक़्त उसने ये बात कुच्छ ऐसे दोहराई थी कि कामिनी को शर्मिंदगी महसूस हुई पर आज शायद ये पचसवाँ मेहमान था जिस से वो ये बात कह रहा था & अब कामिनी को कोफ़्त होने लगी थी.वो बहाने से दोनो के पास से हटी & 1 गुज़रते हुए वेटर की ट्रे से मोकक्थाइल का ग्लास उठा कर 1 कोने मे खड़ी हो पीने लगी. "आपका मुँह दर्द कर रहा होगा ना?",कामिनी ने चौंक कर गर्दन घुमाई तो पाया कि लगभग उसी की उम्र का एक 6 फ्ट का लंबा,गोरा,क्लीन-शेवन,हॅंडसम शख्स खड़ा है & उसके चेहरे पे 1 शरारत भरी पर भली मुस्कान सजी है. "जी?!" "मैं काफ़ी देर से देख रहा हू,मिस्टर.जायसवाल आपको हर गेस्ट से 1 ही बात कह के इंट्रोड्यूस करवा रहे हैं & आपको ज़बरदस्ती मुस्कुराना पड़ रहा है.अब ऐसे मे मुँह तो दुखेगा ही ना!",उसने आख़िरी लाइन कुच्छ इस अंदाज़ मे कही की कामिनी को हँसी आ गयी,"आपकी तारीफ?" "करण मेहरा",उसने अपना हाथ कामिनी की तरफ बढ़ाया,"..& मेरा भी हाल कुच्छ-2 आप ही के जैसा है." "वो कैसे?",कामिनी ने उस से हाथ मिलाया. "मैं प्लेक्ट्रॉनिक्ष कंपनी के सेल्स & मार्केटिंग डिविषन का रीजनल मॅनेजर हू & जायसवाल साहब 8हमारे बड़े डीलर्स मे से 1 हैं.अब उनको नाराज़ करना तो अपने पैरो पे खुद कुल्हाड़ी मारने जैसा होता तो मुझे इस पार्टी मे आना पड़ा.आपकी तरह मैं भी यहा आए काफ़ी लोगो को नही जानता हू.आपको ज़बरदस्ती मुस्कुराना पड़ रहा है & मुझे अकेले बोर होना पड़ रहा है!",दोनो हंस पड़े. "मैं कामिनी शरण हू." "अब आपके बारे मे कौन नही जानता-आप नही होती तो जायसवाल साहब तो लुट गये होते!",दोनो 1 बार फिर खिलखिला उठे.तभी कारण ने हँसी रोक कर संजीदा शक्ल बना ली,"लीजिए,आपका शुक्रगुज़ार फिर से आपको ढूंढता चला आ रहा है.",कामिनी ने परेशानी से आँखे उपर की & फिर मुस्कुराते हुए घूमी. "मेडम,आइए आपको अपंहे सबसे खास मेहमान से मिलवाऊं." "एक्सक्यूस मी.",कामिनी ने करण से कहा & जायसवाल के साथ चली गयी. "इनसे मिलिए,मेडम मिस्टर.शत्रुजीत सिंग & उनकी पत्नी.",सामने 6'3" का 1 कसरती बदन वाला सांवला सा हॅंडसम शख्स खड़ा था...तो ये था शत्रुजीत सिंग,अमरजीत सिंग का बेटा.अमरजीत सिंग पंचमहल के एंपी थे & त्रिवेणी ग्रूप के मालिक & अभी 3 महीने पहले ही उनका देहांत हुआ था.त्रिवेणी ग्रूप कन्स्ट्रक्षन,आइरन ओर एक्सपोर्ट,ऑटो पार्ट्स,सेमेंट मॅन्यूफॅक्चरिंग के बिज़्नेस से जुड़ा 1 काफ़ी बड़ा नाम था.शत्रुजीत सिंग की तस्वीरे कामिनी को हुमेशा अख़बारो के पेज 3 मे छप्ने वाली हाइ प्रोफाइल पार्टीस की तस्वीरो मे नज़र आती रहती थी.उसकी इमेज 1 प्लेबाय की थी. "..ये नही होती तो मैं तो लुट ही गया था!",जायसवाल फिर से वही बात कह रहा था. "आपने ऐसा कैसे सोच लिया था,जायसवाल साहब?ये संतोष चंद्रा साहब की शागिर्द हैं.जब इन्होने आपका मुक़दमा लड़ने की हामी भरी थी,आपको तो तभी निश्चिंत हो जाना चाहिए था कि अब आप केस ज़रूर जीतेंगे.",उसने कामिनी की तरफ हाथ बढ़ाया. "आपको कैसे पता कि मैं चंद्रा सर की असिस्टेंट थी?",कामिनी ने हाथ मिलाया,शत्रुजीत की बड़ी सी हथेली मे उसका नाज़ुक सा कोमल हाथ जैसे खो सा गया.शत्रुजित ने उसके हाथ को हल्के से दबाया तो कामिनी के बदन मे झुरजुरी सी दौड़ गयी.वो बेबाक निगाहो से उसकी आँखो मे झाँक रहा था.रीमा को उसका हाथ दबाना 1 प्लेबाय की हरकत लगी पर उसकी आँखो मे कही भी छिछोरपन नही था. "चंद्रा साहब हुमारे ग्रूप के लीगल आड्वाइज़र थे & हमारे सारे केसस वही हॅंडल करते थे.अब उनकी तबीयत कुच्छ ठीक नही रहती सो उन्होने काम करना कम कर दिया है & अब वो हमारे केस नही देखते.",कामिनी को थोड़ी शर्म आई की वो अभी तक अपने गुरु का हाल पुच्छने 1 बार भी नही गयी थी.उसने उसकी पत्नी की तरफ हाथ बढ़ाया,"हेलो!आइ'एम कामिनी शरण." "हाई!आइ'एम नंदिता.",उस खूबसूरत महिला ने उस का बढ़ा हाथ थाम लिया.दोनो मिया-बीवी की उम्र 35 के करीब होगी पर दोनो 29-30 बरस से ज़्यादा के नही लगते थे. "चलिए,खाना खाते हैं.",जायसवाल सबको खाने की टेबल की तरफ ले गया. ---------------------------
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