RE: Sex Hindi Kahani गहरी चाल
गहरी चाल पार्ट -2
उस रात कामिनी अपने पेयिंग गेस्ट अयमोडेशन पे नही गयी,बल्कि विकास के साथ उसके फ्लॅट पे गयी जिसे वो 3 और दोस्तो के साथ शेर करता था.वो तीनो होली के मौके पे अपने-2 घर गये हुए थे,सो फ्लॅट पूरा खाली था.वैसी होली कामिनी ने कभी खेली थी & आगे ना फिर कभी खेली.बाहर लोग 1 दूसरे को अबीर-गुलाल से रंग रहे थे & फ्लॅट के अंदर दोनो प्रेमी 1 दूसरे के रंग मे रंग रहे थे. इसके कुच्छ 3 महीने बाद दोनो ने शादी कर ली & उसके कुच्छ ही दीनो के बाद 1 रोज़ शाम को काम ख़त्म होने के बाद चंद्रा साहब ने दोनो के अपने कॅबिन मे बुलाया & ये सलाह दी कि अब दोनो अपनी-2 प्रॅक्टीस शुरू कर दे. "मगर सर,इतनी जल्दी?" "हां,बेटा.मैं समझ रहा हू,तुम दोनो को लग रहा है कि तुम अभी तैय्यार नही हो पर मेरी बात मानो,तुम दोनो अब अपनी प्रॅक्टीस के लिए रेडी हो.बस जैसे यहा 1 टीम की तरह काम करते थे,वैसे ही आगे भी करना.बेस्ट ऑफ लक!" दोनो ने चंद्रा साहब की बात मान ली.शुरू मे तो काफ़ी परेशानी हुई,पर धीरे-2 दोनो को केसस मिलने लगे.पहले की ही तरह दोनो अपने-2 केसस को 1 दूसरे से डिसकस करते थे.इसका नतीजा ये हुआ कि दोनो का केस जीतने का रेकॉर्ड बाकी वकिलो से कही ज़्यादा अच्छा हो गया & 2 साल होते-2 दोनो के पास केसस की भरमार हो गयी. अब दोनो अपने पेशे मे इतने माहिर हो चुके थे कि पहले की तरह 1 दूसरे से अपने-2 केसस के बारे मे सलाह-मशविरे की ज़रूरत भी उन्हे नही पड़ती थी.कामयाबी के साथ-2 दौलत & ऐशो-आराम ने भी उनकी ज़िंदगी मे कदम रखा पर उनके पास 1 चीज़ की कमी हो गयी-वो थी वक़्त.वही वकालत के पेशे मे भी दोनो थोड़ा अलग राहो पे चल रहे थे,जहा कामिनी को प्राइवेट केसस ज़्यादा मिलते थे वही विकास को सरकारी केसस यानी कि वो काई मुक़ादंमो मे सरकारी वकील की हैसियत से खड़ा होता था. आज से कोई 4 महीने पहले की बात है,कामिनी ने फिर 1 जीत हासिल की थी & आज उसका दिल किया ये खुशी पहले की तरह अपने हमसफर की बाहो मे उसके साथ चुदाई करके मनाने का.उसने विकास को खबर देने के लिए अपना मोबाइल उठाया,पर फिर सोचा की क्यू ना दफ़्तर जाकर उसे सर्प्राइज़ दे तो वो कोर्ट से सीधा अपने ऑफीस के लिए रवाना हो गयी.दोनो ने 1 ही इमारत को 2 हिस्सो मे बाँट कर अपने-2 ऑफीस बनाए थे. उस इमारत मे घुस वो तेज़ कदमो से विकास के कॅबिन की ओर बढ़ने लगी.शाम के 8 बज रहे थे & इस वक़्त ऑफीस बिल्कुल खाली था.तभी उसके कानो मे विकास के कॅबिन से कुच्छ अजीब सी आवाज़े आती सुनाई दी तो वो ठिठक गयी.फिर दबे पाँव वो दरवाज़े तक पहुँची & बहुत धीरे से उसे खोला.दरवाज़ा खोलते ही सामने का नज़ारा देख कर उसके होश उड़ गये & वो जैसे बुत बन गयी. उसकी तरफ पीठ किए खड़ा विकास अपनी असिस्टेंट सीमी को चोद रहा था.सीमी डेस्क को पकड़ कर खड़ी थी,उसकी स्कर्ट को कमर तक उठाए उसका पति पीछे से उसकी चूत मे अपना लंड अंदर-बाहर कर रहा था.विकास की पॅंट उसके टख़नो के पास मूडी पड़ी थी & वो सीमी को पकड़ कर बड़े तेज़ धक्के लगा रहा था.सीमी भी आहे भर रही थी.तभी सीमी थोड़ा सीधी हुई & 1 हाथ पीछे ले जाकर उसने विकास के गले मे डाल दिया & उसके होठ से अपने होठ सटा दिए.विकास ने भी 1 हाथ उसकी कमर से उठाया & उसकी चूचियो पे रख दिया. थोड़ी देर के बाद कामिनी जैसे नींद से जागी & उसकी आँखो मे आँसू छल्छला आए.वो मूडी & वाहा से सीधा अपने घर आ गयी.वो चाहती तो दोनो को बीच मे रोक सकती थी पर ऐसा करना उसकी गैरत के खिलाफ होता.उस रात विकास घर लौटा तो उसने उसे बता दिया कि शाम को उसने क्या देखा था. "ओह्ह,तो तुम्हे पता चल ही गया.मैं तुम्हे बताना चाहता था पर...खैर,चलो." "मुझे तलाक़ चाहिए,विकास." "ओके.",विकास कुच्छ पल उसे देखता रहा & फिर कमरे से बाहर चला गया. 1 वकील के ऑफीस मे ही कामिनी का प्यार पुख़्ता हुआ था & आज 1 वकील के ऑफीस मे ही उस प्यार के टुकड़े-2 हो गये थे.तलाक़ के वक़्त विकास ने उसे उनका बंगला & ऑफीस रखने को कहा था पर उन जगहो से जुड़ी यादें उसे चैन से जीने नही देती.उसने मना कर दिया & अपने दूसरे बंगल शिफ्ट हो गयी & अपना 1 अलग ऑफीस भी ले लिया. ड्राइवर ने ब्रेक लगाया तो कामिनी यादो से बाहर आई,कार 1 ट्रॅफिक सिग्नल पे खड़ी थी.उसने शीशे से बाहर देखा तो सड़क के बगल की पार्किंग मे 1 जानी-पहचानी सी कार रुकती दिखी...ये तो विकास की कार थी.कार का दरवाज़ा खुला & विकास सीमी के साथ बाहर आया.दोनो सामने वाले रेस्टोरेंट मे जा रहे थे.विकास का हाथ सीमी की कमर से चिपका हुआ था.तभी उसने सड़क पे खड़े लोगो की नज़र बचा कर टाइट पॅंट मे कसी सीमी की गंद पे चिकोटी काट ली.सीमी ने बनावटी गुस्से से उसे 1 मुक्का मारा & फिर दोनो 1 दूसरे की बाँह थामे रेस्टोरेंट के अंदर चले गये.कामिनी ने उड़ती-2 खबर सुनी थी की आजकल दोनो बिना शादी किए 1 साथ रह रहे हैं,पर डाइवोर्स के बाद आज पहली बार उसने दोनो को देखा था. कामिनी का मिज़ाज थोडा और खराब हो गया.बत्ती हरी हुई तो कार आगे बढ़ गयी.तभी उसका मोबाइल बजा,"हेलो." "नमस्कार,मेडम.मैं जायसवाल बोल रहा हू." "नमस्कार,जायसवाल साहब.कहिए क्या बात है?" "मेडम,कल शाम 8 बजे मेजेसटिक होटेल मे मैं 1 पार्टी दे रहा हू & आपको वाहा ज़रूर आना है." "जायसवाल साहब,बुरा मत मानीएगा पर मैं..-" "मेडम,आप नही आएँगी तो पार्टी कॅन्सल कर दी जाएगी.ये पार्टी मैं अपने केस जीतने की नही बल्कि आपके सम्मान मे दे रहा हू.आपको कल आना ही पड़ेगा!",जायसवाल ने उसकी बात बीच मे ही काट दी. "आप मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं.मैं किसी सम्मान की हक़दार नही हू." "बिल्कुल हैं.आप ना होती तो माइन तो इस बुढ़ापे मे बेगुनाह होते हुए भी जैल की सलाखो के पीच्चे होता.प्लीज़ मेडम,मैं हाथ जोड़ कर आपसे गुज़ारिश करता हू..-" "प्लीज़,जायसवाल साहब अबके आपने मुझे सचमुच शर्मिंदा कर दिया.आप मेरे पिता की उम्र के हैं,इसीलिए ऐसी बाते ना करे.मैं कल ज़रूर आऊँगी." "शुक्रिया,मेडम.बहुत-2 शुक्रिया!",उसका पार्टी मे जाने का बिल्कुल भी मन नही था पर जायसवाल साहब ने ऐसी बात कह दी थी कल अब उसे बेमान से ही जाना ही पड़ेगा. कार उसके क्लाइव रोड के बंगल मे दाखिल हो चुकी थी. ------------------------------
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