RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
दर्शन कुत्ते के पिल्ले जैसा उसके आगे पीछे घूमता, उसे खुश करने की कोशिश करता. वह चालाक युवती उसे बस लटकाकर रखती, करीब करीब उसे अपना गुलाम जैसा बना लिया था.
एक दोपहर को प्राची और शोभा शॉपिंग करके वापस आई. जब वे गयी तब दर्शन अपने घर मे पढ़ रहा था और नेहा सो रही थी. वापस आने पर प्राची अपने घर मे चली गयी. शोभा ने भी अपने घर का दरवाजा खोला. अंदर बेडरूम से उसे कुछ आवाज़े आई. दर्शन की चप्पले भी वही बाहर पड़ी थी.
शोभा समझ गयी कि अंदर दर्शन और नेहा मे कुछ चल रहा है. उसे आश्चर्य हुआ क्योंकि नेहा कभी दर्शन के साथ अकेली नही रहती थी. अपनी मा और प्राची के साथ ही रति करते हुए दर्शन को थोड़ी बहुत मस्ती करने देती थी. शोभा बाहर आई. उसने देखा कि प्राची भी दरवाजे पर खड़ी है
"अरे शोभा, ये दर्शन ना जाने कहाँ गया. कब से ज़रा मन मचल रहा था. सोच रही थी कि घर जाकर अपने बेटे को बाहों मे ले लूँगी पर वह तो ..."
शोभा ने उसे चुप रहने का इशारा किया और अंदर बुलाया. दोनो दबे पाँव नेहा के बेडरूम तक गयी और हल्के से दरवाजा ज़रा सा खोल कर अंदर देखने लगी.
दर्शन बिल्कुल नंगा नेहा के बिस्तर पर पट्ट पड़ा था. उसके हाथ पैर रिबनो से बँधे हुए थे. नेहा एक काला डिल्डो बाँधते हुए बाजू मे खड़ी थी और एक पैर दर्शन के मुलायम नितंबों पर रखकर उन्हे पैर से दबा रही थी. डिल्डो पर क्रीम लगाते हुए बोली "बस हो गया दर्शन, इतना उतावलापन ठीक नही"
"मैं कहाँ उतावला हूँ नेहा, तुम ही ज़बरदस्ती कर रही हो. प्लीज़ नेहा, धीरे से करना. इतना बड़ा डिल्डो है, मेरी फट ना जाए. आराम से डालना ज़रा, प्लीज़" दर्शन सहमी आवाज़ मे बोला.
"अरे हाँ, कितना घबराता है. ऐसा डरपोक पति तो मुझे बिल्कुल नही चलेगा" नेहा ने पैर के अंगूठे से दर्शन के नितंबों के बीच कुरेदते हुए कहा.
" नेहा, तुम जो कहोगी मैं करूँगा, मुझे दर्द हो या मेरी जो भी हालत हो. बस एक बार और कह दो कि तुम मुझसे शादी को तैयार हो. मुझे अब भी विश्वास नही होता कि तुम मान गयी हो. अभी जब आधे घन्टे पहले तुमने हां कहा तो मुझे लगा कि मैं सपना तो नही देख रहा" दर्शन ने सिर मोड़कर नेहा की ओर देखते हुए कहा. उसकी आँखों मे असीम आसक्ति और भक्ति थी.
नेहा बोली "अरे हां रे भोन्दु, मैने कहा ना हां. पर अभी दो तीन साल है शादी को. और चिंता ना कर. प्यार से धीरे धीरे मारूंगी, आख़िर अपने होने वाले पति की गान्ड मैं क्यों फाड़ूँगी. पर एक बात समझ ले दर्शन, मैं अब भी कह रही हूँ कि मुझे मर्दों मे ज़रा भी दिलचस्पी नही है, मुझे मज़ा नही आता. पर तू है बहुत क्यूट, एक पप्पी जैसा. और तेरे साथ काफ़ी कुछ करने का मौका मिलेगा मुझे." पैर नीचे रखकर दर्शन की गान्ड मे अपनी उंगली घुसेड़ती हुई वह बोली. "बहुत अच्छि मुलायम गान्ड है तेरी. मैं मर्द होती तो मर जाती इस पर. वैसे दर्शन, तुझे दर्द होता है तो मुझे अच्छ लगता है. सब औरतों की तरफ से मैं मर्दों से बदला ले रही हूँ ऐसा लगता है. अब मैं घन्टे भर तेरी मारूंगी. मा और मौसी गये है बाजार, वे शाम तक वापस नही आएंगी."
"ठीक है नेहा, पर प्लीज़ वही छोटा सफेद वाला डिल्डो यूज़ करो ना, ये काला मुझे बड़ा लगता है"
"अरे बस छह इंच का तो है, और अब से घबरा गया? मैं और मम्मी रोज यूज़ करते है वह तो आठ इंच का है. मैं तो वही आज निकालने की सोच रही थी. और हमारे पास एक दस इंच का भी है, दोडाई इंच मोटा. मैने सुहागरात के लिए रख छोड़ा है. तब चिल्लाना मत की पहले नही बताया. बोलो, तैयार हो ना? नही तो अभी बोल दो और घर जाओ, उसके बाद शादी की बात नही करना मुझसे."
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