RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
अपने बच्चों की यह उठापठक देख कर शोभा और प्राची ने भी आपस मे चूमा चाटी शुरू कर दी और धीरे धीरे वे एक दूसरे की बुर पर मूह लगाकर लेट गयी. उन्हे यह सन्तोष था कि चलो, किसी भी तरह क्यों ना सही, नेहा और दर्शन का मिलन तो हुआ.
इसके बाद महने भर बाद की बात है. तब तक दोनो परिवार अपनी इस मादक दिनचर्या मे पूरे व्यस्त हो गये थे. बिल्कुल सधे हुए तरीके से उनकी रति पूरी जोरों पर चल रही थी. किसी को भनक ना पड़े इस तरह से वे दोनो परिवार आपस मे घुल मिल गये थे.
नेहा ने उस दिन के बाद बस एकाध बार और दर्शन की गांद मारी थी पर और कुछ नही किया था. अपनी चूत का रस पिलाना भी बहुत कम कर दिया था, बहुत मिन्नते करने पर भीख दे रही हो ऐसी मुद्रा बना कर दस एक मिनिट वह दर्शन को अपनी चूत चूसने देती.
शोभा की गान्ड अब दर्शन कई बार मारता था. हफ्ते मे कम से कम एक बार वह उसे अपनी गान्ड ज़रूर मारने देती. चस्का लगने पर दर्शन को अब चैन नही पड़ता था. जब शोभा ने रोज मराने से सॉफ इनकार कर दिया था 'मुझे दुखता है बाबा' तब से दर्शन की नज़र अपनी मा की गान्ड पर थी. प्राची की गोरी मुलायम चौड़ी गान्ड उसे बहुत सताने लगी थी. एक दो बार उसने प्राची से कहा भी. शोभा मौसी मारने देती है तो मा, तुम भी मारने दो ना उसके इस आग्रह को प्राची ने डाँट कर नजर अंदाज कर दिया था. जब दर्शन बहुत सताने लगा और बार बार मिन्नते करने लगा तो प्राची ने उसे कहा "दर्शन बेटे, मुझे दुखेगा, मैं नही मराऊंगी, शोभा का ठीक है, वह हर बात मे चालू है. मुझे तो उंगली डालने पर भी दर्द होता है. हां अगर तू नेहा को शादी के लिए राज़ी कर ले तो मैं तू कहेगा वह करने को तैयार है. वह लड़की अब भी तुझे घास नही डालती. इतनी सुंदर है, मुझे बहुत इच्छ है कि वह मेरी बहू बन जाए. माना तुझसे उमर मे काफ़ी बड़ी है पर तुझे ऐसी ही बहू चाहिए जो तुझे काबू मे रखे, तू बहुत शैतान हो गया है"
उसने एक बार शोभा से कहा भी "अरी शोभा, यह लड़का मानता ही नही, मेरी गांद के पीछे लगा है. मैने तो शर्त देकर चुप करा दिया कि नेहा शादी को मानेगी तब मराऊंगी. वैसे शोभा, दुखाता है ना बहुत? मुझे बड़ा डर लगता है"
शोभा बोली "हां, दुखता तो है पर उसमे एक अजीब सा आनंद भी है. तेरा ही तो बेटा है. उसका वह जवान सख़्त लंड गान्ड मे लेकर तुझे मज़ा भी आएगा. पर उसे इसी तरह टरकाती रहा. उसकी इस इच्छ का उपयोग ट्रंप कार्ड जैसा कर.
वैसे ही वह गान्ड का दीवाना है, ऊपर से अपनी मा की गान्ड! तुझे अंदाज़ा नही है कि अपनी मा की गान्ड मारने की इच्छा कितना सताती है दर्शन को, वह तो तेरा गुलाम हो जाएगा. उससे कुछ भी करा ले. अपनी सब इच्छाये उससे मनवा ले."
अब तक नेहा और दर्शन को अच्छि तरह से पता चल गया था कि उनकी माओं की इच्छा है कि वे शादी के लिए तैयार हो जाएँ. दर्शन तो एकदम तैयार था, नेहा ही मुकर रही थी. ठीक से ना भी नही कहती और हां भी नही कहती.
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