RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
नेहा चुप रही. पहले वह फिर उसे एक डाँट लगाने वाली थी पर अचानक उसके दिमाग़ मे एक नटखट शैतानी से भरी हुई बात आ गयी. "दर्शन उठ और ज़रा मेरे सामने खड़ा हो जा."
नेहा की बात पर दर्शन तुरंत उठ बैठा. अपना लंड पकड़कर उसे दिखाता हुआ उसके सामने आकर खड़ा हो गया "देखो नेहा, कितनी ज़ोर से खड़ा है, सच कहता हूँ एक चांस दो, तुम्हे खुश कर दूँगा."
"घूम कर खड़े हो, मेरी ओर पीठ करो" नेहा ने आज दी. दर्शन चुपचाप उसकी ओर पीठ करके खड़ा हो गया. उसके गोरे कसे हुए नितंबों को नेहा ध्यान से देख रही थी. हाथ बढ़ाकर उसने दर्शन के चूतड़ दबाए और फिर उन्हे अलग किया. बीच का ज़रा सा सकरा गुलाबी छेद दिखने लगा.
"दर्शन, तेरी गान्ड बहुत अच्छि है. कम लोगों की ऐसी होती है, औरतों की भी इतनी अच्छि नही होती. तेरे पीछे कभी तेरा कोई मित्र या और कोई मनचला जवान नही लगा क्या? ऐसी गान्ड मारने को तो मेरे ख़याल से काफ़ी पुरुष मचल उठेन्गे. जैसे हम औरते औरते भी एक दूसरे की बुर की पूजा करती है, मज़ा लूटति है, वैसे तूने कभी कुछ किया है क्या?" नेहा ने उत्सुकता से पूछा.
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