RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
शोभा हँसकर बोली "अरे लाख रुपये की सोने से जवानी है उसकी, कुछ नही होगा. उसे मज़ा करने दे, यही तो उमर है. हां ज़्यादा करे तो कभी कभी बहाना बना लिया कर कि तेरी तबीयत ठीक नही है, उसका भी आराम हो जाएगा. और मेरे आभार मानने की ज़रूरत नही है, बस ऐसे ही मुझे और नेहा को भी चांस दिया कर अपने इस सुंदर बदन को भोगने का. और दर्शन को भी कह की अपनी इस मौसी की भी कभी कभी खबर ले लिया करे" "अरी तेरे पीछे तो वह दीवाना है, मुझे कहते नही भूलता कि आंटी क्या सेक्सी है, बार बार तेरे रसीले बदन के गुण गाता है. मुझसे ज़्यादा तेरा अधिकार है उस लड़के पर, जब मन हो बुला लिया कर" प्राची शोभा को लिपट कर बोली.
दोनो परिवारों का कामसमबंध इसी तरह चलता रहा. पर एक दिन शोभा ने दर्शन को किए वायदे को पूरा किया और दोनो परिवारों के समबन्ध को एक नयी दिशा मिल गयी. उस रात सब फिर साथ साथ थे. महफ़िल रंग लाने लगी थी. एक राउन्ड हो भी गया था. दर्शन ने शोभा को मन लगाकर घन्टे भर चोदा था और नेहा और प्राची ने एक घन्टे भर लंबे सिक्सटि नाइन का मज़ा लिया था. उसके बाद प्राची ने शोभा की चूत मे से अपने लाडले का वीर्य चाटने की इच्छा प्रकट की थी. दोनो एक दूसरी की बुर मे मूह डाल कर लेट गयी थी. नेहा उनकी ये रति क्रिया देख रही थी, एक आराम कुर्सी मे बैठ कर झूलते हुए अपनी बुर को सहला सहला कर मज़ा ले रही थी. दर्शन उसके सामने नीचे बैठ कर उससे गप्पें मार रहा था. असल मे वह उसका मन रिझाने की कोशिश कर रहा था, उससे प्रेम की भीख माग रहा था. अब तक नेहा ने उसे हाथ भी लगाने नही दिया था, और कुछ करना तो दूर रहा. इतनी सुंदर युवती से दूर रहना दर्शन को गवारा नही था. असल मे वह अब उसपर मरने लगा था. नेहा मेरी प्रेमिका बन जाए, यही वह मनाता रहता था.
"नेहा, प्लीज़, एक किस तो दे सकती है ना! तुमने मुझे एक भी बार चोदने नही दिया. मा और आंटी के साथ लगी रहती हो तो मुझमे ऐसी क्या खराबी है. मैं तो दीवाना हूँ तुम्हारा. गुलाम बनकर रहूँगा, सच कहता हूँ, बस एक चांस दे दो नेहा,प्लीज़"
नेहा नाक भौं सिकोड़कर हंस कर बोली "सोचना भी नही कभी इस बारे मे. मेरी किस सिर्फ़ मेरी मा और प्राची मौसी के लिए है. मुझे छूने की कोशिश भी की तो ऐसा चान्ट मारूंगी कि सब भूल जाओगे"
"प्लीज़ नेहा, चोदना ना सही, कम से कम अपनी बुर का स्वाद तो दिला दो एक बार. इतनी खूबसूरत गोरी गोरी चूत मैने आज तक नही देखी, प्लेबाय मे भी नही. मैं अब बुर अच्छे से चाटता हूँ, माँ या आंटी से पूछ लो. अब बहुत तजुर्बा है मुझे, आख़िर शोभा आंटी ने ही सिखाया है. तुम आँखे बंद कर लो और कल्पना करो कि माँ बर चूस रही है. आख़िर इसमे हर्ज ही क्या है. इतनी खूबसूरत चूत के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ नेहा, तू जो कहे वह मानूँगा" दर्शन ने याचना के स्वर मे कहा.
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