RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
पड़ोसन का प्यार – भाग 6
(लेखक – कथा प्रेमी)
शोभा ने सुबह चुपचाप उनके कमरे मे झाँका. माँ और बेटे नंगे एक दूसरे को चिपट कर गहरी नींद सोए थे. काफ़ी थके हुए लग रहे थे पर दोमों के चेहरे पर एक अपूर्व तृप्ति थी. 'रात भर लगे रहे होंगे दोनो, पलंग तो ऐसे चरमरा रहा था कि पूरी
बिल्डिन्ग के लोगों ने सुना होगा' मन ही मन शोभा ने सोचा. हँसकर वह बाहर आई और घर के काम मे लग गयी. नेहा भी गहरी नींद सोई थी. उसने भी बेचारी ने बड़ी मेहनत की थी रात भर अपनी सौतेली मा की सेवा मे. अपनी मा की इतनी खूबसूरत सेवा करने वाले लड़के और लड़किया मिलना यह सिर्फ़ कामदेव की कृपा से ही हो सकता है ऐसा नटखट विचार शोभा के मन मे आया. प्राची और दर्शन की यह मा बेटे की जोड़ी जमाने मे खुद की भूमिका का भी उसे बहुत अभिमान था.
उस दिन प्राची और दर्शन वापस अपने फ्लॅट मे रहने चले गये. एक रात की बात ठीक है पर रोज ऐसे एक दूसरे के यहाँ सोना अगर बाकी फ्लॅट वालों को पता चल गया तो ज़रूर कुछ दाल मे काला है यह सोचने लगेंगे. उन्होने निश्चय
कर लिया कि रोज कुछ घंटों के लिए मिला करेंगे और हफ्ते मे एकाध रात साथ बिताएँगे.
प्राची और दर्शन की प्रेमलीला पूरे निखार पर थी. दोनो ऐसे कामक्रीड़ा मे लगे रहते जैसे नयी नयी शादी हुई हो. दर्शन के बदन मे तो मानों दस पुरुषों का ज़ोर आ गया था. वह थकता ही नही था, और हमेशा अपनी मा से लगा रहता था, उसे छोड़ता ही नही था. जब मन चाहे, मौका देख कर किसी पति जैसा अधिकार जताता हुआ प्राची को ज़बरदस्ती बेडरूम ले जाता और चढ़ बैठता.
प्राची बहुत सुख मे थी. उसे लगता था जैसे वह फिर सोलह साल की हो गयी हो. दर्शन उसके शरीर का दीवाना था, हर अंग को चूमता, चूसता और चोदता. अपना मझली उमर का शरीर इस लड़के को इतना अच्छ लगता है यह उसके लिए बड़ी अभिमान की बात थी. दर्शन के कॉलेज जाने पर प्राची रोज शोभा को उसके नये नये कारनामों के बारे मे बताती. बार बार उसको आभार प्रडर्शन करती. "शोभा, तेरे इतने उपकार है मुझ पर, पता नही कैसे चुकाऊँगी. तेरे कारण मुझे इतना यौन सुख मिला, तूने और नेहा ने तो दिया ही, मेरे इस लाड़ले बेटे को मेरा दीवाना बना दिया. कैसे तेरा ये उधार चुकाऊं, समझ मे
नही आता. अरे कल तो दर्शन ने कमाल ही कर दिया, सुबह एक बार, दोपहर को कॉलेज से भाग कर वापस आकर एक बार और रात को एक बजे तक लगातार तीन बार, ऐसे कुल मिलाकर पाँच बार मुझे चोदा इस पगले ने. मैने कहा अरे
बीमार पड़ना है क्या तो बोला कि मा, तेरी सेवा मे मर भी जाऊं तो हर्ज नही पर मैं रोक नही सकता अपने आप को, तुझे देखते ही मेरा लंड ऐसा सनसनाता है कि पागल सा कर देता है. अच्छ बाकी समय खाली बैठे, आराम करे ऐसा भी नही. या तो चूत चूसने लगता है या मेरी चून्चिया मूह मे लेकर चबा जाता है. पागल हो गया है मेरे पीछे. मुझे सच मुच डर लगता है कि अपनी तबीयत ना खराब कर ले ये लड़का" एक दिन उसने कहा.
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