RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
प्राची किलक कर दो बार झड़ी और आख़िर तृप्ति की एक सिसकारी भरकर शांत हो गयी. कुछ देर बाद वह दर्शन के बाल प्यार से सहलाती हुई बोली "दर्शन बेटे, कितना स्वाद है रे बेटे तेरे वीर्य मे! इस शोभा ने पूरा ताव मारा होगा मेरी गैर हाज़िरी मे. अब यह खजाना मैं सिर्फ़ अपने लिए रखूँगी. शोभा मौसी को चाहे जितना चोद लेना मेरे राजा, बस झड़ना मेरे मूह मे. इस मलाई की एक बूँद भी मेरे पेट के सिवाय और कही जाए यह मुझा गवारा नही होगा"
दर्शन उठ बैठा और प्राची के स्तनों से खेलने लगा. अपने सामने पड़ी अपनी मा की कंचन काया देखकर उसे समझ मे नही आ रहा था कि कैसे इस वरदान का उपभोग ले. "मम्मी, तुम कितनी सुंदर हो! मुझे अब तेरे सिवाय और कोई नही चाहिए. मैं कुछ भी करूँगा मा तुम्हारे लिए, तेरी हर इच्छा को पूरा करूँगा. तुम बस बताती जाओ कि मुझे क्या करना है" कहकर
दर्शन झुक कर प्राची के बदन को जगह जगह पर चूमने लगा. उसकी इन बातों से और उसके होंठों के मुलायम स्पर्ष से प्राची को रोमाच हो आया. अनजाने मे उसकी टांगे अलग अलग हो गयी जैसे अपने बेटे को आमन्त्रण दे रही हों. प्राची की बुर का एक चुंबन ले कर दर्शन ने उसे धीरे से पलट और उसकी पीठ और गर्दन को चूमने लगा. फिर वह नीचे खिसक कर प्राची के नितंबों पर आया. अब तक उसका लंड फिर से सिर उठाने लगा था. मन भर कर उसने अपनी मा के उन गोरे चिकने चूतडो को देखा, उनपर प्यार से हौले हौले अपनी हथेलियाँ फेरी और फिर झुक कर उनके बीच मे अपना चेहरा छिपा दिया.
चूतडो के बीच की गहरी लकीर मे नाक घुसेड कर उस सौंधी सौंधी सुगंध का आनंद लेते हुए वह सोच रहा था. 'क्या मा कभी इस खजाने का मज़ा मुझे लेने देगी? अब तक तो शोभा आंटी ने भी गान्ड मारने नही दी थी. सिर्फ़ वायदा किया था. अगर मा तैयार हो जाए तो?' इस कल्पनासे ही वह ऐसा बहका कि उसे और रुकना असंभव हो गया. लंड अब पूरा खड़ा था.
'यहाँ अभी तक मा को चोदा भी नही है और उसकी गान्ड मारने की कल्पना मैं कर रहा हूँ. मा बेचारी कब से प्यासी है, सालों हो गये होंगे ठीक से चुदाये, उसे और तरसाना ठीक नही है' सोच कर दर्शन ने प्राची को फिर सीधा किया और उसके स्तनों को चूमते हुए एक उंगली उसकी बुर मे डाल दी.
बुर एकदम गीली थी. उंगली से वह अपनी मा की चूत चोदने लगा. प्राची ने उसे कस कर भींच लिया. अपनी एक चून्चि उसके मूह मे ठूंस दी. उसे ऐसा लग रहा था कि पूरा स्तन अपने बेटे के मूह मे दे दे और वह उसे खूब चूसे और चबाए. पर दर्शन अचानक अपने आप को छुड़ा कर उठ बैठा. प्राची कुछ कहे इसके पहले ही दर्शन ने उसपर चढ़ कर सपाक से
अपना लंड पूरा उसकी बुर मे गाढ दिया. फिर वैसे ही झुके झुके चोदने लगा.
प्राची को यह अनपेक्षित था. वैसे वह राह ही देख रही थी कि कब उसका लाड़ला अपने उस मतवाले तन्नाए लंड से उसकी चूत की प्यास बुझाता है. चूत मे लंड लेने को वह कब की प्यासी थी. पर जिस खूबी से दर्शन ने अचानक उसकी बुर मे अपना लंड पेल दिया था उससे वह भोंचक्की से रह गयी थी "अरे अरे ये क्या कर रहा है बेटे आहह ज़रा आराम से धीरे ऑश्फह..." वह और कुछ कहे इसके पहले दर्शन ने झुक कर उसका मूह अपने मूह से बंद कर दिया और उसके होंठ चूसता हुआ सपासप चोदने लगा. प्राची कुछ देर वैसे ही पड़ी रही फिर उसने अपनी टांगे अपने बेटे के बदन के इर्द गिर्द लपेटी और नीचे से धक्के मारकर दर्शन के धक्कों का प्रतिसाद देने लगी. दर्शन की इस ज़ोर ज़बरदस्ती और जल्दबाजी से उसका मन खुशी मे भीग उठा था. एक जवान लड़का मुझपर इस उम्र मे भी इतना रीझ जाए इतनी सुंदर मैं हूँ यह विचार बहुत सुखदायक था.
बुर मे लंड का दबाव उसे सुख के सागर मे गोते दिलवा रहा था! कितने दिन हो गये ... इतना बड़ा और इतना तन्नाया हुआ लंड चूत मे लिए कितने दिन हो गये ... आज मिला भी तो इतना प्यारा इतना जवान लंड ..... वह भी बेटे का ....इतने दिन प्यासे रहने की सारी कसर पूरी हो गयी थी.
"चोद बेटे, चोद मेरे लाल, आज रात भर चोद मेरे लाडले अपनी मा को, मैं तेरी ही हूँ मेरे बच्चे ... ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .... उईईई माँ" कहकर सिसकती हुई प्राची नीचे से कमर उछाल उछाल कर ज़ोर से धक्के लगाने लगी. दर्शन के जोरदार धक्कों से अब पलंग भी चरमरा रहा था. मा बेटे का यह अनोखा मिलन पूरे ज़ोर मे आ गया था.
- भाग 5 समाप्त –
|