RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
दर्शन को होती मीठी पीड़ा के बावजूद वह तैयार था. अपनी इस मौसी के लिए वह कुछ भी कर सकता था. शोभा ने दोपहर के खाने की तैयारी की. चावल का कुकर लगा दिया और अपनी अलमारी से और मॅगज़ीन ले आई "आ जा दर्शन बेटे, अब आगे की पढ़ाई करना है. अभी बहुत कुछ सीखना है तुझे" वह बड़े लाड़ से दर्शन को गोद मे लेकर बैठ गयी. उसे अपना स्तनपान कराते हुए बाकी मॅगज़ीन दिखाई. उसमे हर तरह के संभोग के दृश्यह थे. एक चित्र मे गुदा संभोग बिल्कुल पास से दिखाया गया था. एक गोरी मासल गान्ड को चीरते हुए अंदर घुसे बड़े लंड को देखकर दर्शन को शोभा के बड़े बड़े नितंबों की याद आ गयी जो उसने कल रात उसे पीछे से डॉगी स्टाइल मे चोदते हुए देखे थे. कल उसने बस उन चूतडो का एक चुंबन भर लिया था, आगे कुछ नही किया था.
शोभा के उन मतवाले साँवले चूतडो मे अपना लंड घुसेडने की सिर्फ़ कल्पना से उसका लंड और उछलने लगा. धीरे से शोभा को वह बोला "मौसी, अब चलो ना चुदाने, रहा नही जाता. कल रात को पीछे से चोदा था वैसे चोदू आपको? आपको भी मज़ा आया था ना?"
शोभा समझ गयी थी कि वह क्यों पूछ रहा है. पर उसने कुछ दर्शाया नही, वही सोफे पर झुक कर तैयार हो गयी. दर्शन उसके पीछे खड़ा हो गया. उसे शोभा के चूतडो के बीच का गुदा का छेद और चूत एक साथ दिख रही थी. उसने चूतडो को दबाते हुए पीछे से शोभा की चूत मे जीभ लगाई. फिर उससे ना रहा गया और उसने जल्दी से शोभा की गुदा का एक
चुंबन ले लिया. शोभा की गान्ड को पाने के लिए वह मरा जा रहा था. गान्ड के छेद का यह चुंबन असल मे शोभा से उसकी एक मूक प्रार्थना थी. अब वह बारी बारी से धीरे शोभा की चूत और गान्ड को बार बार चूमा और चाट रहा था.
शोभा को उसकी यह हरकत बहुत प्यारी लगी. वह समझ गयी कि बिना किसी हिचक के जब यह लड़का उसकी गुदा मे मूह डाल रहा है तो उसे इसकी कितनी गहरी आसक्ति होगी. उसने दर्शन को एक मीठ उलाहना दिया "दर्शन, कितनी देर लगाएगा बेटे? अब चूमा चाटि बंद कर और अपना काम कर"
"मौसी, मैं आपकी .... याने .... प्लीज़ मौसी मुझे अपनी ...." शरमाता हुआ हकलाकार वह बोला.
"गान्ड मारने दो यही कहा रहा था ना? अरे बोल, शरमाता क्यों है"
"हां मौसी, प्लीज़, मारने दो ना मुझे, आप जो कहोगी मैं करूँगा" दर्शन रिरियाता हुआ बोला.
"आज नही. आगे देखूँगी. वादा नही कर सकती. मेरी कितनी सेवा करता है और मुझे कितना खुश करता है यह देखकर बताऊँगी. अब चल, जल्दी चोद डाल मुझे, और कस के ज़ोर से चोद जैसा मैने सिखाया था कल रात को" शोभा ने उसे
हुक्म दिया.
दर्शन ने मन लगा कर शोभा को चोदा, अपनी पूरी ताक़त लगाकर लंड ज़ोर ज़ोर से पेला. शोभा मौसी ने मना नही किया याने कभी न कभी वह गान्ड मारने देगी इस आशा से उसका उत्साह दुगना हो गया था. शोभा उस जवान लंड के धक्कों से एकदम तृप्त हो गयी. दर्शन बेचारा अब भी अपना फनफनाया लंड ले कर बैठा था, शोभा का कहना मान कर उसने अपने आप को झड्ने नही दिया था. शोभा को उसपर दया आ गयी और इनाम स्वरूप शोभा ने उसका लंड चूस कर उसे झाड़ा दिया.
दोनो ने थोड़ी देर आराम किया. एक झपकी के बाद दर्शन की नींद खुली तो शोभा बिस्तर पर नही थी. दर्शन के लंड मे फिर मीठी कसक होने लगी थी. बार बार उसे शोभा का वह पीछे से दिखता बदन याद आ रहा था. शोभा की चूत का स्वाद फिर से लेने की भी इच्छा हो रही थी. वह उठ कर वैसा ही नंगा बाहर आया. बाहर ड्राइंग रूम मे शोभा आराम कुर्सी मे पसरी
हुई पेपर पढ़ रही थी. दर्शन उसके सामने जमी पर बैठ गया और उसकी गोद मे सिर रख दिया. शोभा समझ गयी कि वह क्या चाहता है. "क्यों रे बेटे, भूख लगी है? या प्यास लगी है? खाने के पहले कुछ पिएगा?" हँसते हुए बोली.
फिर उसने अपना गाउन ऊपर किया और दर्शन को अंदर ले लिया "मौसी का रस भा गया तुझे लगता है, चल अच्छा है कि तू खुद ही आ गया, मुझे बहुत अच्छा लगा. बस ऐसे ही जब भी कोई इच्छा हो, आ जाया कर, शरमाना नही, जब मन हो
तो सीधे घुस जाया कर मेरी बुर मे, बिना पूछे. बहुत रस है मेरे इस खजाने मे, तू कभी प्यासा नही रहेगा." दर्शन का सिर अपनी साँवली गुदाज मासल जांघों मे दबोच कर उसने उसका मूह अपनी बुर पर दबा लिया और आगे पीछे होती हुई आराम कुर्सी मे झूलने लगी. दो बार झाड़ कर उसने अपना पानी दर्शन को पिलाया और फिर उसे अपने कमरे मे भेज दिया क्योंकि नौकरानी आने का समय हो गया था.
दोपहर को खाना खाने के बाद संभोग फिर शुरू हुआ. दर्शन को अपने ऊपर ले कर शोभा बिस्तर पर लेट गयी और बोली "अब आराम से धीरे धीरे खूब देर चोद मुझे. जल्दबाजी नही करना. ऐसे हौले हौले चुदने मे भी बड़ा मज़ा आता है." उसकी एक घून्डि मूह मे लेकर दर्शन शुरू हो गया. कुछ देर से शोभा सिसक कर बोली "ओह अह्ह्ह ओह हाईईइ कितनी ज़ोर से चूस रहा है मेरे बच्चे. दूध निकालने का इरादा है क्या?"
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