RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
दर्शन भी नीचे से धक्के लगाने लगा. क्या मस्त वेक अप काल दिया मौसी ने. वह बोला कुछ नही, बस हाथ मे शोभा के स्तन पकड़ लिए. उसकी आँखों मे ऐसा भाव था जैसे कोई कुत्ते का पिल्ला अपनी मालकिन की ओर देख रहा हो. सम्पूर्ण आत्मसमर्पण का वह भाव शोभा को बहुत प्यारा लगा.
दर्शन के उछलते लंड के दबाव से शोभा जान गयी कि लड़के का क्या हाल है "धीरे धीरे आराम से मेरे राजा, मुझे ज़रा झाड़ जाने दे, फिर तू जो चाहे कर लेना, अब इसके बाद सिर्फ़ रात को मिलेगा चोदने को. मैं तो अभी भी नही छोड़ने वाली थी पर तुझे जगाने को आई और ये तेरा मस्त तन्नाया हुआ लंड देखा तो रहा नही गया मुझसे. आख़िर इतना प्यारा चिकना छोकरा हाथ लगा है मेरे, मैं तो पूरा मज़ा लूँगी" कहकर वह पूरी दर्शन पर चढ़ कर लेट गयी और उसके होंठ चूसते हुए ज़ोर ज़ोर से छोड़ने लगी.
दर्शन की आँखों के सामने कल की मधुर रात के दृश्य घूम रहे थे. कल मौसी ने बहुत देर उससे अपनी चूत चटवायि और चुसवाई थी. मूह और जीभ से बुर पूजा की पूरी शिक्षा दी थी. अपने शिष्य से अपनी पूरी सेवा करवा ली थी. दो तीन बार स्खलित होकर दर्शन को खूब सारा रस पिलाया था. उस चूत के रस का थोड़ा नमकी कसैला पर बेहद मादक स्वाद अब भी उसकी जीभ पर था.
फिर जब दर्शन बेहद उत्तेजित हो गया तो शोभा ने उसे चोदने की इजाज़त दे दी थी. पहली बार बेचारा पाँच मिनिट भी नही टिक पाया था. शोभा की मखमली तपती बुर ने उसे ज़्यादा टिकने नही दिया था. उसे काफ़ी बुरा लगा कि इतनी जल्दी झाड़ गया पर शोभा ने उसकी साँत्वना की थी और उसे पकड़ कर रखा था. जल्द ही दर्शन का फिर खड़ा हो गया था और फिर उसने शोभा की इच्छा नुसार उसे खूब चोदा था, आसान बदल बदल कर चुदाई की थी.
मॅगज़ीन मे दिखा दिखा कर उसे सब आसान सिखाए थे. उनमे से पीछे से डॉगी स्टाइल वाले आसन मे ख़ास कर दर्शन को बहुत मज़ा आया था. पीछे से एक साथ दिखती शोभा मौसी की चूत और वे विशाल नितंबों ने जैसे उसके लंड को लोहे जैसा कड़ा कर दिया था. सामने आईने मे दिखते शोभा मौसी के इधर उधर डोलते उरोजो ने उसकी वासना की आग मे घी का काम किया था. आख़िर जब लास्ट होकर दर्शन बिस्तर पर गिर पड़ा था तब रात के तीन बज चुके थे.
कल रात की खूमारी को याद करते हुए उसने अभी अपने आप को किसी तरह से संभाला और बिना झाडे शोभा से चुदवाता रहा. शोभा जब आख़िर झड कर तृप्ति की साँसे भरते हुए उसके बदन पर लेट गयी तब उसने पलट कर शोभा को अपने नीचे लिया और हचक हचक कर चोद डाला. कुछ देर के बाद शोभा उठ बैठी और उसे भी उठाया. "बहुत प्यारा चिकना लड़का है तू दर्शन, मेरा मन ही नही भरता. अपनी इस मौसी को बहुत सुख देगा तू. चलो अब नहा लें. अब ज़रा अपने इस बदमाश को बोल कि कंट्रोल मे रहे. आज दिन भर मस्ती करना है इसके साथ. आज तेरी छुट्टि है ना? आज पढ़ाई मत कर, बाद मे कर लेना. तेरी पढ़ाई ज़रूरी है, तुझे इंजीनियर बनना है पर ये दो दिन अपनी मौसी के लिए बचा कर रख."
दोनो साथ साथ नहाए. एक दूसरे को साबुन लगाया, अंग अंग की मालिश की, खूब चुंबन लिए. दर्शन का फिर से कस कर खड़ा था पर उसे अब बहुत अच्छा लग रहा था, खुद पर कंट्रोल कर के भी. अपनी मौसी के लिए वह कुछ भी करने को तैयार था. नहाने के बाद शोभा ने उसे कपड़े नही पहनने दिए "अरे ऐसा ही रह आज, अपने कमरे मे बैठ रह. कोई आया तुझे पूछने तो कह दूँगी कि बाहर गया है. तुझे ऐसा नंगा मेरी सेवा मे हमेशा तैयार देखकर मुझे बहुत अच्छा लगता है. तुझे मालूम है, पुराने जमाने मे वे रोमन रानियाँ अपने साथ अपने चहेते गुलाम रखती थीं, ऐसे ही. आज मुझे लगता है जैसे मैं एक रानी हूँ जिसके पास ये खूबसूरत गुलाम है, उसकी हर इच्छा पूरी करने को"
नहा कर शोभा ने सिर्फ़ गाउन पहना, ब्रा और पैंटी रहने दी. चाय नाश्ते के बाद यह खेल फिर शुरू हुआ. शोभा को अब चुदाई का चस्का लग गया था, बहुत दिनों के बाद ऐसा प्यारा जवान शिश्न उसे नसीब हुआ था. उसने मन भर के चुदवाया, अपनी चूत की पूरी कुटाई करवा ली उस जवान लड़के से. हां उसे अपनी चूत मे झड़ने नही दिया. मन भर कर चुदने के बाद उसने दर्शन को आराम करने दिया. उसका वह फनफनाया शिश्न देखकर उसने मुस्करा कर पूछा "तकलीफ़ हो रही है
बेटे? वैसे अगर तू सब्र करेगा तो अच्छा होगा. मैं नही चाहती कि तू ज़्यादा झाडे, आज मुझे तेरा पूरा स्वाद लेना है. बोल करेगा ना मेरे लिए इतना?"
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