RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
एक घन्टे के बाद प्राची बेचारी पागल होने को आ गयी थी. योनि मे से इतनी मादक टीस उठ सकती है यह उसने कभी सोचा भी नही था. उसने इस युवती के काम कौशल के आगे घुटने टेक दिए थे. इस एक घन्टे मे नेहा ने उसे बस एक बार झड़ाया था. बाकी समय उसने बड़ी चालाकी के साथ प्राची को मीठी तलवार की धार पर टाँग रखा था. प्राची की बुर को बहका बहका कर वह उसमे से रस निकाल रही थी और पी रही थी. जब इस सुख को ना सह पाने के कारण प्राची रोने को आ गयी तब नेहा ने उसका क्लिट होंठों मे लिया और एक मिनिट मे उसे झाड़ा दिया. एक हल्की सी चीख के साथ प्राची वही कुर्सी मे ढेर हो गयी. उसका स्खलन इतना तीव्र था कि वह करीब करीब बेहोश हो गयी और सिसकने लगी. नेहा बेरहमी से उसकी बुर से अपना इनाम वसूल करती रही.
दस मिनिट बाद जब नेहा ने उठाकर उसके हाथ पैर खोले और उसे उठाया तो प्राची से खड़ा भी नही हुआ जा रहा था. उसके हाथ पैरों मे मानों जान ही नही थी. नेहा उसे सहारा देकर बिस्तर तक लाई. बिस्तर पर लेटकर प्राची ने आँखे बंद कर ली. अब भी उसके बदन मे बीच बीच मे एक झटक सा लगता था. नेहा उसके पास उससे लिपट कर लेट गयी.
कुछ देर मे आँखे खोल कर प्राची ने नेहा को बाहों मे भर लिया "नेहा रानी, तुझे क्या कहूँ अब? गाली दूं या थैक यू कहूँ? क्या हालत कर दी तूने मेरी! इतना आनंद मुझे कभी नही आया! लगता था कि अब मैं पागल हो जाऊंगी. कहाँ से सीखी ये सब इतनी सी उमर मे? और तू खुद भी घन्टे भर से नही झड़ी, तेरी चूत भी तुझे बहुत तकलीफ़ दे रही होगी! चल मैं
चूस देती हूँ"
"मुझे बहुत अनुभव है मौसी, शौक भी है, बहुत दिनों से कर रही हूँ यह सब. मम्मी से मिलने के पहले भी. पर तुम पड़ी रहो, मुझे मालूम है तुम्हारी हालत, तुमसे अभी कुछ होगा नही. मैं ही करती हूँ जो करना है. तुम बस पड़ी रहो और मैं जैसा कहती हूँ वैसा करती रहो." कहकर नेहा उठकर अपने घुटने प्राची के सिर के दोनो ओर टेक कर बैठ गयी. उसकी
रसीली जवान चूत अब प्राची के चेहरे के ऊपर थी. इतनी गीली थी कि रस टपकने को आ गया था. जांघे भी गीली थी. नेहा हौले से प्राची के मूह पर बैठ गयी. उसके निचले होंठ प्राची के होंठों पर आ टिके. नेहा झुक कर एक तकिया अपनी छाती के नीचे लेकर सो गयी और अपनी कमर हिला हिला कर धीरे धीरे प्राची के मूह को छोड़ने लगी. "प्राची मौसी, ये अब
मैं रात भर करूँगी. चलेगा ना? नींद नही होगी ठीक से पर चलेगा. सुबह देर से सो लेना. प्रोग्राम तो बारह बजे है. अब अपनी जीभ निकालो और मेरी चूत मे डालो. चूसो और अपनी जीभ से चोदो मुझे. और मैं जब तक नही कहूँ, जीभ ऐसे ही बाहर रहने देना. नही तो क्या हाल करती हूँ तेरा तू ही देखना" इस मीठी धमकी के आगे प्राची ने चुपचाप अपनी जीभ बाहर
निकाली और उस मखमली बुर मे डाल दी. थकि हुई थी पर फिर भी उसे फिर से जोश आ गया था. इस सुंदर कन्या की चाहे जितनी गुलामी करने को वह तैयार थी.
अचानक उसके दिमाग़ मे आया कि वहाँ दर्शन के साथ क्या हो रहा होगा!
सुबह दर्शन की नींद देर से खुली वह भी तब जब उसे अपने बदन पर काफ़ी वजन महसूस हुआ. आधी नींद मे उसे पता नही चल रहा था कि क्या हो रहा है, हां लंड मे फिर बड़ी मीठी मस्ती आ गयी थी, लंड फिर किसी गीली गरम नरम गिरफ़्त मे था. अचानक किसी ने उसके मूह पर अपना मूह रख कर ज़ोर का चुंबन लिया. "अब उठ जा बेटे, कितना सोएगा? नौ बज गये!" शोभा का प्यार भरा स्वर उसके कान मे पड़ा और वह जाग उठा.
शोभा उसपर चढ़ कर उसके प्यार भरे चुंबन लेते हुए उसे चोद रही थी. दर्शन को जगा देख कर हंस कर बोली "जाग गया तू? मज़ा आया कल रात? कैसी लगी अपनी शोभा मौसी की आव भगत?"
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