RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
शोभा साँस रोके देख रही थी कि यह कमसिन युवक अब क्या करता है.
दर्शन ने उंगली को सूँघा और फिर मूह मे लेकर चूसने लगा. शोभा का दिल खिल उठ. 'इसे कहते है रसिक बालक! ज़रा भी नही हिचकिचाया पठ्ठा. लड़का हीरा है हीरा' "अच्छ लगा बेटे? और दूं?"
गर्दन दुलाकर दर्शन ने हां कहा. वह उंगली मूह से निकालने को ही तैयार नही था. शोभा ने तकिया नीचे रखा और उसे अपने चुतडो के नीचे रख कर लेट गयी "ले, मैने खजाना ही खोल दिया है तेरे लिए. अब तुझे जो करना है कर, उसे
देख, छू, चाट, चूस .. कुछ भी कर, मैं कुछ नही बोलूँगी. ये सिर्फ़ तेरे लिए है."
दर्शन लपक कर शोभा की जांघों के बीच झुक गया. पास से उस रसीली बुर का नज़ारा देखा. "मौसी ये बड़ा लाल अंगूर सा क्या है उपर की ओर? उस मॅगज़ीन मे नही है ऐसा" उसने हैरान हो कर पूछा.
"वह मेरा क्लिट है बेटे, मेरा ज़रा बड़ा है. सबका होता है पर ज़रा सा, अनार के दाने से छोटा इसलिए नही दिखता. तुझे सब
बताउन्गि, पहले तू मन भर के सब देख ले" शोभा ने उसके रेशमी बालों मे उंगलियाँ चलाते हुए प्यार से कहा.
दर्शन ने बाल बाजू मे करके एक उंगली डरते डरते अंदर डाली जैसे शेरनी के मूह मे डाल रहा हो, काटती तो नही है! उस
मखमली बुर के गीले तपते स्पर्ष से उसका हौसला और बढ़ गया. उसने दो उंगलियों से बुर खोली और अंदर देखने लगा.
'आंटी की बुर किसी मायने मे उस मॅगज़ीन वाली बुर से कम नही है, कितनी गुलाबी और गीली है! लगता है मूह मे भर लूँ और खा जाउ' उसके मन मे आया. अब तक वह अपनी शरम पूरी तरह से खो चुका था. नीचे झुक कर उसने जीभ निकाली और बुर को चाटने लगा.
दर्शन की जीभ चूत पर लगते ही शोभा ने राहत और सुख की साँस छोड़ी. 'इसे बोलना नही पड़ा, खुद ही मन लगाकर कितने
प्यार से चाट रहा है. बेचारा नौसीखिया है, सिखाना पड़ेगा पर इसी मे तो असली मज़ा है'
"बहुत अच्छ कर रहा है दर्शन बेटे, ऐसे ही चाट, ज़रा अपनी जीभ पूरी लगा, ऐसे सिर्फ़ नोक से मत चाट. पूरी जीभ से रगड़ कर
उपर से नीचे तक चला. ओह ओह हाईई बस ऐसे ही मेरे बच्चे. अब बीच बीच मे वो जो उपर लाल लाल अंगूर है ना, मेरा क्लिट, उसे चाट लिया कर प्यार से. यही तो सारे फ़साद की जड़ है बेटे, ये तेरी मौसी का जितना रसीलापन है, जितनी मस्ती है मेरे बदन मे, सब इस बदमाश की वजह से है. इसे खुश रखेगा तो बहुत मीठ फल पाएगा. चल, उसे छूना ज़रा, और चाहे तो जीभ मेरी बुर के अंदर घुसा सकता है बेटे. हां अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ऐसे ही. अब ऐसा कर ..."
शोभा अपने शागिर्द को सिखाने लगी.
दर्शन ने अचानक उसके भगोष्ठ अपने मूह मे भर लिए और चुसते हुए उन्हे दाँतों से हल्के हल्के चबाने लगा, बिना सिखाए. शोभा मस्ती से सिसकारियाँ भरने लगी. "कितने प्यार से कर रहा है, मन से नये नये तरीके ढुन्ढ रहा है मेरी बुर की पूजा के.' इस विचार से कि इस चिकने किशोर को उसकी चूत इतनी प्यारी लगी कि वह अब उसे मूह मे लेकर खा जाने की कोशिश कर रहा है, शोभा का मन खुशी से भर उठ. 'है ही मेरी बुर इतनी रसीली, हज़ारों मे एक है' उसने गर्व से सोचा. दर्शन के सिर को अपनी बुर पर दबा कर वह अब हौले हौले धक्के मारने लगी. 'अभी इसे कटोरि भर रस पिलाती हूँ, कैसा बहकेगा देखना' अचानक उसके दिमाग़ मे यह बात आई कि उधर नासिक मे क्या हो रहा होगा! वह अपनी लाडली बेटि के कामुक स्वाभाव को अच्छि तरह से पहचानती थी. "अभी वो बदमाश लड़की इस बच्चे की
मा का रस निचोड़ रही होगी" उसके मन मे शैतानी भरा ख़याल आया.
कंटिन्यूड…
- भाग 3 समाप्त –
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