RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
पूरा वीर्य चूस कर ही शोभा ने लंड मूह से निकाला. 'क्या मलाई थी, जवानी का असली स्वाद उसमे था.' वह सोच रही थी. हान्फते हुए लास्ट पड़े दर्शन को उसने फिर बाहों मे लिया और अपना निपल उसके मूह मे दे दिया. "ले अब आराम से चूस. इतना गरम हो गया तू अपनी मौसी के आगोश मे? इतनी अच्छि लगी मैं तुझे मेरे बच्चे? और क्यों रे नटखट? बीच मे ओह मा & क्या बोल रहा था? मा की याद कैसे आ गयी तुझे बीच मे, वह भी ऐसे वक्त? वैसे तेरी मा सच मे बहुत सुंदर है"
मूह मे ठूँसे स्तन के कारण दर्शन कुछ बोल तो नही पाया, बस आँखे बंद करके चूंची चुसता रहा. 'क्या चुसती है मौसी, मुझे सीधा स्वर्ग पहुँचा दिया. पर ऐसे क्या कह रही थी मा के बारे मे.' सोचते हुए उसने नज़र उठाकर शोभा की ओर देखा. उसकी नज़र मे इतनी क्रितग्यता और समर्पण का भाव भरा था कि शोभा ने मचल कर उसे और कस के अपनी बाहों मे
भींच लिया मानों पीस डालेगी. शोभा की चूत अब इतनी गीली हो गयी थी कि टपकने को आ गयी थी. इस लड़के से अब अपनी सेवा कराउन्गि ऐसा वह सोच रही थी. उसके पहले दर्शन को फिर मस्त करना ज़रूरी था. उसने मॅगज़ीन उठाई और पीछे सिरहाने से टिक कर बैठ गयी "आ बेटे, मैने भी बहुत दिन से ये देखी नही है, चलो दोनो मिल कर देखते है"
मॅगज़ीन देखते देखते शोभा ने दर्शन के मुरझाए लंड को प्यार से हथेली मे पकड़ रखा था. जल्द ही उसकी हथेली मे पड़ा शिश्न सिर उठाने लगा. शोभा से अब रहा नही जा रहा था. उसने दर्शन को पन्ने पलटने को कहा और खुद अपने दूसरे हाथ की एक उंगली अपनी चूत मे डालकर हौले हौले हस्तमैंतुन करने लगी 'इतनी गीली है, जल्द इसका कुछ कर मेरे बच्चे. पर खुद ही कर, मैं नही ज़बरदस्ती करूँगी, उसमे क्या मज़ा है' उसने सोचा.
रति मे मग्न उन सुंदर स्त्रियों के चित्र देख कर दर्शन फिर से मस्ती मे आ गया था. एक क्लोज़प चित्र मे दिखती गुलाबी रसीली बुर और उसमे जीभ डालकर चाटति एक युवती को देखकर उससे नही रहा गया. "मौसी, क्या मज़ा ले रही है यह औरत. कितनी प्यारी है यह चू ... मेरा मतलब है ....."
"अरे बोल ना, क्या कहते है, शरमाता क्यों है" शोभा ने उसे उकसाया.
"चूत आंटी. बहुत अच्छि दिख रही है"
"तूने नही देखी क्या अब तक? अपनी गर्ल फ्रेंड की?" शोभा ने पूछा.
दर्शन ने सिर हिलाकर ना कहा. शोभा उसके गाल को चूमते हुए बोली. "मेरी देखेगा? बोल? पास से, बिल्कुल बालकनी सीट से. बहुत रस निकलता है इसमे से, मेरी उंगली देख" और उसने बुर से अपनी उंगली निकालकर दर्शन को दिखाई. उसपर सफेद शहद जैसा गाढ़ा रस लगा था. दर्शन उसे बड़े ध्यान से देख रहा था.
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