RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
एक घन्टे के बाद शोभा ने उसे आवाज़ दी कि खाना तैयार है. दो बार बुलाने पर भी जब वह नही आया तो वह उसके कमरे का दरवाजा धकेल कर अंदर चली आई. बेचारे दर्शन की हालत खराब थी. मॅगज़ीन अंदर रखने के बावजूद उसे बार बार शोभा मौसी के गाउन मे से दिखती उसकी ब्रा और पैंटी याद आ रहे थे. वैसे ही स्टूल पर चढ़कर उपर से क्या व्यू देखा था मौसी के मम्मों का! उसका लंड पाजामे मे तंबू बनाता हुआ फिर कस कर खड़ा हो गया था. इसलिए शोभा ने आवाज़ दी तो वह तंबू को दबाने की कोशिश कर रहा था. शोभा को अंदर आया देखकर बेचारा कुर्सी पर से उठ कर खड़ा भी ना हो सका, मौसी को तंबू दिख जाएगा तो? "मौसी मैं आया, तुम चलो, ये एक चप्टर पूरा कर लूँ" किसी तरह शोभा को वहाँ से भगाने को वह बोला.
शोभा कमर पर हाथ रख कर खड़ी रही "कुछ नही, मैं नही सुनूँगी, चल मेरे साथ, कब से आवाज़ दे रही हूँ, इतनी क्या पढ़ाई करता है की खाने पीने की भी फुरसत नही है!" दर्शन की हालत देख कर उसे बड़ा मज़ा आ रहा था.
बेचारे दर्शन ने किसी तरह से कुरते से अपने पाजामे के उभार को ढका और शोभा के साथ बाहर आया. शोभा मूह दबा कर हंस रही थी, दर्शन थोड़ा तिरछा चल कर किसी तरह अपने लंड के उभार को छिपाने की कोशिश कर रहा था.
उसकी इस हालत को देख कर जहाँ शोभा को मज़ा आ रहा था वही वह भी काफ़ी उत्तेजित हो गयी थी. मेरे कारण इस बालक की यह हालत है, यह सोच कर उसे अपने मादक बदन पर बड़ा गर्व हो रहा था. शोभा की काली ब्रा और पैंटी अब उस सफेद गाउन मे आँख मिचौली खेल रहे थे. वह ज़रा भी हिलती डुलति तो उसके उन्मत्त उरोज गाउन के उपर के खुले हुक के कारण मानों आधे बाहर निकल आने को करते. उसका इस रूप की आँच उस कमसिन युवक को सहन नही हो रही थी.
शोभा डिनर टेबल पर उसके बाजू मे बैठी थी. बार बार उसे आग्रह करके खुद परोसती. परोसते समय जब वह हाथ लंबेकरके थोड़ा झुकती तो उसके विशाल स्तन लटक कर आधे गाउन मे से बाहर आ जाते.
दर्शन बेचारा गर्दन झुकाए खाना खा रहा था. हां नही मे जवाब दे रहा था. शोभा जान बूझकर उससे उसकी गर्ल फ्रेंड्स के बारे मे पुछ रही थी. उसके जवाब देते समय दर्शन उसकी ओर देखता तो शोभा की आँखों मे दिखते कामुक आमन्त्रण से वह बेचारा और परेशान हो जाता. किसी तरह खाना ख़तम करके दर्शन वहाँ से भागा. जाते जाते भी उसके पाजामे मे से उसके खड़े लंड का उभार दिख रहा था.
शोभा ने समझ लिया कि अब ज़्यादा देर रुकना ठीक नही है. शोभा के मादक लावण्य का मारा वह छोकरा जाते ही क्या करेगा यह उसे मालूम था. उसे इस तरह ज़्यादा तरसाना भी ठीक नही है. उसने जल्दी जल्दी टेबल सॉफ किया और हाथ धोकर सब दरवाजे और खिड़कियाँ बंद की. फिर लाइट बुझाकर दर्शन के बेडरूम का दरवाजा बिना खटखटाये वह सीधे अंदर घुस गयी.
|