RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
ऐसा घर पर अक्सर होता था जब दर्शन या प्राची टवल भूल जाते थे तो एक दूसरे को कहते थे. इसलिए उसे इस बात मे कुछ ख़ास नही लगा. "अभी देता हूँ मौसी' कहकर वह उठकर शोभा के कमरे मे गया और अलमारी खोली. बीच के शेल्फ पर एक पतला पारदर्शक सफेद गाउन रखा था. देख कर उसे रोमाच हो आया. शोभा मौसी यह पहनेगी! इसमे से तो सब दिखता है! वह यह सोच ही रहा था तभी उसकी नज़र बाजू मे रखे शोभा के अंतर्वस्त्रों (अनडरवेर्ज़) पर गयी. ब्रेसियार और पैंटी की पाँच छः जोड़ियाँ पड़ी थी, काली सफेद, स्किन कलर की, नाइलॉन और पतले अच्छे कॉटन की एकदम बारीक कपड़े की लेस लगी हुई. दर्शन को ऐसा लग रहा था जैसा अली बाबा को खजाना देखने पर लगा होगा.
उसने कुछ ब्रा और पैंटी उठायी और नाक के पास लाकर उन्हे सूँघा. सेंट के साथ साथ उनमे शोभा के बदन की भी खुशबू थी. दर्शन का लंड खड़ा होने लगा. किसी तरह उसने अपने आप को संभाला. उसका मन तो यही हो रहा था कि एक दो
साथ मे ले जाए, रात के लिए पर शोभा मौसी को ज़रूर पता चल जाएगा. किसी तरह मन मारकर उसने उन्हे नीचे रखा. तभी उसकी नज़र उसी शेल्फ मे पीछे छुपाकर रखी एक मॅगज़ीन पर गयी. मॅगज़ीन पर पतले कागज का कवर था पर उसमे से आपस मे चूमा-चाटि करती दो नंगी औरतों की तस्वीर दिखी थी. एक क्षण का भी विचार ना करके उसने वह मॅगज़ीन उठा ली और अलमारी लगा दी.
जल्दी से अपने कमरे मे उसने मॅगज़ीन छिपाई और बाथरूम पर गया. ज़रा सा दरवाजा खुला था जिसमे से शोभा की बाँह निकली हुई थी. शोभा के हाथ मे उसने गाउन दिया. शोभा ने बड़े मीठे अंदाज मे "थॅंक यू" कहा और बाँह अंदर खींच ली.
दरवाजा वैसा ही ज़रा सा खुला रहा. पर दर्शन भाग कर "नो प्राब्लम आंटी" कहकर अपने कमरे मे आ गया. शोभा की मासल चिकनी बाँह को वह बार बार याद कर रहा था. 'क्या मस्त है मौसी का कंपेक्स्षन, सांवला है पर एकदम चिकना. जब उसने हाथ बाहर निकाला, तब मौसी ज़रूर नंगी होगी. कैसी लगती होगी शोभा मौसी, नंगी अवस्था मे? अगर मैं अंदर
घुस जाता तो मौसी क्या करती? चिल्लाति और डान्टति? या मुझे बाहों मे ले लेती, आख़िर मुझे हमेशा कैसे प्यार की नज़र से देखती है! उसने बाथरूम का दरवाजा भी बाद मे अंदर से बंद नही किया, बस उधका लिया था. कही ये इशारा तो नही था मेरे लिए अंदर आने का? और मैं मूरख जैसा वहाँ से भाग आया"
बेचारे दर्शन की यह सोच कर हालत खराब हो गयी, कुछ समझ मे नही आ रहा था. हां, वह बहुत उत्तेजित था, उसका लंड
अब शोभा की उस नंगी बाँह को याद करके खड़ा हो गया था. उसने अपने बेडरूम का दरवाजा लगाया और फिर वह मॅगज़ीन
देखने लगा. पढ़ाई तो अब होने से रही. दो मिनिट मे उसका लंड ऐसा खड़ा हो गया कि उसे लगने लगा कि अगर उसने मुठ्ठ नही मारी तो झाड़ जाएगा. मॅगज़ीन के अंदर सब लेस्बियान रति क्रीड़ा के चित्र थे.
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