RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
शोभा कुछ बोली नही, बस मुस्कराती रही. उसके मन मे एक मस्त प्लान था. रात को खाना खाने के बाद दोनो मा बेटी चिपट कर सोफे पर बैठकर टीवी देखते हुए चूमा चाटी कर रही थीं, तभी बेल बजी. नेहा ने दरवाजा खोला. प्राची थी. वह ऐसे ही पूछने आई थी कि नेहा की ट्रिप कैसी रही. इसी बहाने शोभा से भी मिलना चाहती थी, भले ही दूर से, अब शोभा के बिना उसे चैन नही पड़ता था. शोभा के साथ हुई पिछले दिनों की उन्मत्त रति ने मानों उसे शोभा की दासी बना दिया था. इसलिए कम से कम शोभा को देख तो सकेगी और उससे गप्पें मार सकेगी इस इरादे से वह आई थी. भले ही नेहा वहाँ थी.
उसे अब शोभा और नेहा के आपसी संबंध के बारे मे मालूम था पर बड़े कौशल से उसने अपने चेहरे पर शिकन तक ना आने दी. आँखों आँखों मे शोभा से भी सवाल किया कि नेहा को कुछ बताया तो नही. शोभा ने हल्के से गर्दन हिला कर जब कह कि नही तब उसकी जान मे जान आई.
उधर नेहा प्राची के बदले रूप को आश्चर्यचकित होकर देख रही थी. प्राची आज जानबूझकर सलवार कुरती पहनकर आई थी. सलवार तंग और चूड़ीदार थी जिसमे से उसकी सुडौल टाँगों का आकार दिख रह था. चौड़े कूल्हे और चौड़े लग रहे थे पर सेक्सी दिख रहे थे. उसने दुपट्टा भी नही लिया था. लो कट कमीज़ के सामने के खुले भाग मे से प्राची के गोरे गुदाज
स्तनों का ऊपरी भाग और उनमे की खाई दिख रही थी. आज उसने शोभा जैसा स्टाइलीश जूड़ा बाँधा था. पैर मे ऊँची एडी के सैंडल थे.
नेहा उसकी ओर घूर रही है यह देखकर प्राची ने नेहा से पूछा "क्या देख रही है नेहा? नयी ड्रेस? तुझे अच्छी लगी क्या, अभी कल की लाई हूँ" नेहा किसी तरह अपने आप को संभालते हुए बोली "प्राची मौसी, क्या लग रही हो आज! एकदम सेक्सी! कितना अच्छा ड्रेस है! पर ड्रेस से ज़्यादा तुम अच्छी लग रही हो. हमेशा क्यों नही पहनती सलवार कमीज़?"
प्राची हँसकर बोली "तुझे अच्छा लगा? पहनूँगी अब हमेशा, ख़ास कर तेरे सामने. वैसे मुझे साड़ी ज़्यादा अच्छा लगती है. क्यों शोभा दीदी?"
नेहा की आँखों मे झलक आई कामुकता को देखकर शोभा खुश थी. आख़िर प्राची का रूप उसीने बदला था. नेहा को भी प्राची के प्रति आकर्षण लगने लगा था. उसे जैसा चाहिए था वैसा ही हो रहा था. वह प्राची से सहज मे बोली. "अरे प्राची, नेहा को दो दिन के लिए नासिक जाना है. मैं जा नही सकती, कॉलेज मे ज़रूरी मीटिंग है. तुम चली जाओ ना. ये अकेली जाएगी नही. मैं भी निश्चिंत रहूंगी की कोई उसके साथ है"
नेहा ने भी आग्रह किया. प्राची का नया रूप देखकर उसे आशा बँध गयी थी कि प्राची मौसी के साथ अब कुछ करने की गुंजाइश है. "मौसी चलो ना, प्लीज़. मज़ा करेंगे दो दिन" उसकी बात मे छिपे अर्थ ने प्राची की चूत मे कुलबुली मचा दी. उसे समझ मे आ गया कि शोभा क्यों ऐसा कह रही है. वह खुद भी इस बात के लिए तैयार थी. शोभा के साथ हुई चुदाई ने उसके मन के सब बाँध तोड़ दिए थे.
नेहा उस समय बस एक टॉप और स्कर्ट पहने थी. स्कर्ट घुटने तक थी, घुटने के नीचे नेहा की गोरी चरहरी टांगे, पिंडलियाँ और नाज़ुक पाँव दिख रहे थे. टॉप मे से उसके यौवन के प्रतीक, तने कड़े उरोज जैसे बाहर आने को कर रहे थे. सेब है सेब, वैसे ही कड़े भी होंगे, प्राची ने सोचा. नेहा का सुंदर चहरा, उसके वे पतले गुलाबी होंठ.... उनका स्वाद कैसा होगा?..... उसके वे बाब काट रेशमी बाल, जब नेहा का सिर मेरी जांघों के बीच होगा तो इनका स्पर्श कैसा लगेगा ... सोच कर और नेहा के दमकते रूप को देखकर वह कल्पना कर रही थी कि इसके साथ अगर वह सब करने को मिले जो शोभा के साथ किया था तो !
प्राची ने किसी तरह अपनी इच्छा को लगाम दी और बोली "पर दर्शन है ना. वह अकेला रहेगा."
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