RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
पड़ोसन का प्यार – भाग 2
मैं नेहा को तब से जानती हूँ जब से वह स्कूल मे थी और मैं उसी स्कूल के जूनियर कॉलेज मे मैथ पढ़ाती थी. तब वह काफ़ी छोटी थी. पर मुझे वह तब से बहुत अच्छी लगती थी. सच कहती हूँ प्राची, मैं उसे देखती थी तो मेरी चूत गीली हो जाती थी. बचपन से मैं बहुत सेक्सी हूँ और मुझे दूसरी स्त्रियाँ और लड़किया बहुत अच्छी लगती है. इसलिए शादी करने की मैने कभी सोची भी नही थी.
किसी तरह मन मारकर मैने दिन काटे, वैसे कॉलेज की दूसरी बड़ी लड़किया थी मेरी ख़ास सहेलिया, एक दो लेडी प्रोफ़ेसर भी थीं, मैं मज़े मे थी. पर नेहा की बात और थी. कभी मन हुआ कि उस कमसिन बच्ची को ही फँसा लूँ पर फिर सोचा कि बहुत प्यारी लड़की है, ठीक से धीरे धीरे उसे बस मे करना पड़ेगा कि किसी को कुछ पता ना चले. इसलिए वह जूनियर कॉलेज मे आने तक मैं रुकी.
जब वह जूनियर कॉलेज मे आई, मैने उसपर नज़र रखना शुरू कर दिया. मुझे पता चला कि वह एक दो लड़कियों के साथ रहती थी हमेशा, उनके साथ होस्टल मे समय बिताती थी, जब कि उसका घर यही था कॉलेज के पास. वो लड़किया किस टाइप की थीं, मुझे मालूम था, सब लेस्बियन थी. वैसे मैं उनके साथ इन्वोल्व नही थी पर यह बात मुझे पता चल गयी कि नेहा भी शायद उसी टाइप की हो. इस बात से मुझे बहुत राहत मिली.
मैने किसी तरह से उसे अपनी क्लास मे ट्रान्स्फर करवा लिया. मैं मैथ सिखाती थी. बार बार उसकी ओर देखती, क्या मस्त लड़की थी. वह भी मेरी ओर देखती, उसकी नज़रों मे एक अजीब सा भाव होता. जब हमारी नज़र मिलती तो वह झेंप कर
इधर उधर देखने लगती. एक दिन मैने फ़ैसला किया कि अब आगे कदम बढ़ाया जाए. एक दिन जब उसे मैथ मे कम मार्क्स आए तो मैने उसे डांटा. वह रोने को आ गयी. क्लास के बाद मैने उस प्यार से समझाया कि अगर कोई डिफीकाल्टी हो आकर मेरे घर मे मिले.
मैने कॉलेज के पास ही एक छोटा फ्लॅट किराए पर ले रखा था. मुझे बहुत खुशी हुई जब मैने उसे उसी शाम को अपने घर के सामने वेट करते हुए पाया. मेरी ओर देखकर वह झेंप गयी और सिर नीचे करके बोली कि उसे एक दो मैथ के सवाल पूछना है. मैं उसे अपने घर ले गयी. बिठाया, चाय पिलाई और फिर मत समझाए, उसका तो सिर्फ़ बहाना था, उसका ध्यान नही थी, वह बस बार बार मेरी ओर देखती और शरम सी जाती.
मैने जाल डाला, जानबूझ कर अपना पल्लू गिराया और उसे पास बिठाकर एक प्राब्लम सॉल्व करने लगी. वह बार बार मेरी उस छाती को देखती. उसकी साँसे भी ज़ोर से चल रही थी. मैने सोच लिया कि समय आ गया है. उसे बाहों मे लेकर मैने चूम लिया. मुझे टेंशन था कि क्या कहेगी पर वह तो शायद तैयार बैठी थी. उसने मेरी गर्दन मे बाहे डालकर मुझे ऐसा चूमा कि मैं भी अचंभे मे आ गयी.
उस दिन मैने पहली बार उससे रति की. जल्दी मे की गयी वह रति मुझे हमेशा याद रहेगी, उस दिन पहली बार मैने उस षोड़शी की जवानी का रस चखा. मेरी अपेक्षा के अनुसार नेहा मेरे लिए एक अप्सरा ही थी, बिल्कुल स्वर्गिक आनंद देने
वाली. उसने भी जिस अधीरता से मेरे शरीर के हर भाग को प्यार करने की कोशिश की, उससे मुझे पता चल गया कि मैं उसे कितनी अच्छी लगती हूँ. बाद मे शरमाते हुए उसने स्वीकार किया कि वह कब से मुझे देखती थी. उसने यह भी बताया कि उसे बस लड़कियों और ख़ास कर बड़ी औरतों के प्रति बहुत यौन आकर्षण होता है.
हमारा अफेर शुरू हो गया और बहुत दिन चला. उसने अपने पिता से कहकर मेरी ट्यूशन ही लगवा ली जिससे वह खुले आम रोज दो तीन घंटे मेरे घर पर आ सके. शनिवार रविवार को तो वह दिन भर रहती थी. कभी कभी पढ़ाई के बहाने से वह मेरे घर रात को भी रुक जाती थी. पढ़ने मे वह होशियार थी, मैने उसे सचमुच मे मैथ ओर फ़िज़िक्स सिखाया. बाकी समय मे मैं उसे कामकला सिखाती थी, प्रॅक्टिकल करा करके. उसकी कामुकता देख कर मैं हैरान रह गयी. क्या गरम लड़की थी, मुझे भी पीछे छोड़ देती थी, मैं थक जाती थी, वह नही थकती थी. मुझे बार बार कहती कि मा की उम्र की औरते
उसे बहुत अच्छी लगती थी. मुझपर तो वह मरने लगी थी, अब और कही नही जाती थी, बस जितना समय मिले मेरे साथ बिताने की कोशिश करती थी.
नेहा का मा बचपन मे ही गुजर गयी थी और वह यहाँ अपने डॅडी के साथ रहती थी. एक साल हमारा यह प्रेम प्रकरण एकदम ठीक से चला. पर एक दिन उसके डॅडी मुझसे मिलने आए. मेरा माथा ठनका. कुछ इधर उधर की बाते करने के बाद अचानक वे मुझसे पूछ बैठे कि क्या उनकी बेटी नेहा के साथ मेरे यौन संबंध है. मैं घबरा गयी और सॉफ मना कर दिया. उन्हे बाहर जाने को भी कहा कि आप ने ऐसी बाते ही कैसे की.
वे शांति से मेरी बाते सुनते रहे और फिर बोले की मैं उन्हे ग़लत समझ रही हूँ, उन्हे इस बात पर कोई आपत्ति नही है बल्कि खुशी है कि कम से कम नेहा किसी बड़ी रिस्पांसिबल औरत के साथ है. उन्हे नेहा के बारे मे मालूम था और वे बस ये चाहते थे कि वह बिगड़ ना जाए. उन्होने मुझे आग्रह किया कि मैं खुद नेहा का ख़याल रखूं, एक मा की तरह भी.
मैं बहुत खुश हुई. उस दिन से मैने नेहा का पूरा जिम्म ले लिया. वह अक्सर मेरे साथ रहने भी लगी. मैं अब नेहा को मा का प्यार भी देती थी और एक प्रेमिका का भी. दो साल के बाद जब नेहा सेकेंड ईयर मे पहूंची तो वे एक बार फिर मेरे
पास आए. बोले कि उन्हे बाहर दुबई मे बहुत अच्छी नौकरी मिल रही है पर नेहा के बारे मे चिंता है कि वह यहाँ अकेले कैसे रहेगी. फिर एक दो मिनिट के बाद वे बोले कि क्या मैं उनसे शादी कर सकती हूँ? मैं चकरा गयी. उन्हे मालूम तो था कि मैं किस तरह की औरत हूँ याने लेस्बियन हूँ.
वे बोले कि शादी नाम मात्र की होगी, बस इसीलिए कि मैं उनके साथ नेहा की मा की तरह रह सकूँ. खुद उन्होने भी बता दिया कि उन्हे भी औरतों मे कोई दिलचस्पी नही है. मैं तैयार हो गयी. शादी के बाद हमने ये फ्लॅट ले लिया और यहाँ रहने आ गये. शादी के एक महने के अंदर वे दुबई चले गये. अब नेहा मेरे पास दिन रात होती है. क्या बताऊं प्राची कितने सुख मे हूँ मैं. और अब तुम भी मिल गयी हो, मेरे तो भाग्य खुल गये......
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