RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
"पर तेरे पति तो तुझे चोदते होंगे ना, याने अभी वे नही हैं पर जब यहाँ थे तब. तेरे जैसी गरमागरम औरत पर तो वे रोज चढ़ते होंगे, उन्हे डिल्डो की क्या ज़रूरत है?" प्राची ने पूछा. डिल्डो देख कर उसकी चूत और पसीजने लगी थी. उधर शोभा ने जिस आसानी से आठ इंच का एक भाग आराम से बिना रुके पूरा अपनी चूत मे घुसेड लिया था उससे प्राची सोचने लगी कि
क्या गहरी होगी छोभा की चूत, बिना रुके इस डिल्डो को खा गयी. शोभा ने उसे मुठ्ठी मे पकड़ा कर हौले हौले आगे पीछे कर रही थी जैसा मर्द हस्तमैथुन के समय करते है. बिलकुल ऐसा लगता था कि जैसे उसका लंड ऊग आया हो.
"नही रानी, उन्होने तो एक बार भी नही चोदा आज तक, असल मे वे ज़रा अलग किस्म के आदमी हैं, मुझे या किसी और औरत को चोदने मे उन्हे कोई रूचि नही है. तू समझ तो गयी उन्हे क्या अच्छ लगता है, बस मेरी और तेरी कहानी है
समझ ले उलटे किस्म की. हमारी शादी तो बस एक दिखावा है, हमने मिल कर सोच समझ कर की है कन्वीनियेन्स के लिए. वे भी खुश और मैं भी खुश. इसलिए उन्होने आराम से दुबई की नौकरी पकड़ ली. चल बहुत बाते हो गयीं, लेट नीचे और अपने नीचे वह तकिया ले ले. अब तुझे दिखाती हूँ कि चोदना क्या होता है"
वह प्राची की फैली हुई टाँगों के बीच घुटनों पर बैठ गयी. बिलकुल मर्द के अंदाज मे डिल्डो पकड़कर उसने उसका गोल सिरा प्राची की चूत पर रगड़ कर गीला किया और फिर चूत के मूह पर रखकर पेलने लगी. प्राची की तपती चूत के लिए वह नकली लंड मानों एक वरदान था. उसने आँखे बंद कर ली और लंड अंदर घुसने का आनंद लेने लगी. छः इंच डिल्डो आराम से अंदर गया फिर रुक सा गया. शोभा ने किसी सधे चोदु के जैसे प्राची की कमर पकड़कर एक धक्का मारा और बाकी बचा भाग भी सप्प से प्राची की बुर मे समा गया. शोभा अब उसे सपासप चोदने लगी. वेदना और सुख की मिली जुली अनुभूति से प्राची चीख पड़ी. पर वह इतनी मस्ती मे थी कि अपनी टांगे उसने प्राची शोभा की कमर के इर्द गिर्द लपेट ली और उससे चिपट कर नीचे से अपने चूतड़ उछालने लगी.
शोभा अब शातिर चोदु जैसी उसे चोद रही थी, बिलकुल एक मर्द की तरह. कस कस के डिल्डो अंदर पेलति और अचानक रुक कर हौले हौले उसे अंदर बाहर करती. फिर हचक हचक कर चोदने लगती. प्राची को उसने अपने रति कौशल से पाँच मिनिट मे खलास कर दिया.
प्राची उससे लिपट कर चूमते हुए बोली. "शोभा, क्या मस्त चोदति हो तुम! मेरे पति ने भी आज तक ऐसा नही चोदा
मुझे. लगता है काफ़ी प्रैक्टिस है तुझे"
शोभा उसे फिर से चोदने लगी थी. प्राची के होंठों को चूमते हुए बोली "हां, बार बार करके मुझे अच्छि प्रैक्टिस हो गयी है"
प्राची को कुछ समझ मे नही आ रहा था. कुछ देर वह कमर उछाल कर चुदने का आनंद लेती रही फिर शोभा के गालों को अपनी हथेलियों मे पकड़कर बड़ी उत्सुकता से पूछा. "शोभा बता ना. किसके साथ प्रैक्टिस करती है? मेरी तो कुछ समझ मे नही आ रहा है, तेरे पति यहाँ है नही, उनके साथ वैसे भी ये डिल्डो बेकार है, तुझे कही ज़्यादा आते जाते नही देखा कि छिप कर किसी से मिलने जाती हो, किसी औरत को तेरे यहाँ आते भी नही देखा. यहाँ अकेली रहती है अपनी बेटि के साथ, फिर तुझे मौका ही कब मिलता है डिल्डो से प्रैक्टिस करने का?"
शोभा हँसने लगी. उसने उठ कर अपने हाथ प्राची के दोनो बाजू मे टेके और ज़ोर ज़ोर से डिल्डो पेलते हुए बोली "यह देख, अब इस तरह चोदति हूँ, इसमे धक्के ज़ोर के लगते हैं. हां तो तू पूछ रही थी कि प्रैक्टिस कब करती हूँ. अरे भाई करीब करीब रोज रात को करती हूँ, वीक एन्ड मे तो दोपहर को भी मौका मिलता है"
"अरे पर नेहा रात मे और वीक एन्ड मे दोपहर को घर मे रहती है तब तू कैसे ...." कहते कहते प्राची रुक गयी. शोभा के चेहरे के नटखट भाव को देख कर वह चुप हो गयी. सहसा उसके दिमाग़ मे बिजली सी कौंध गयी.
"शोभि दीदी! याने नेहा तो नही! उई मा ये कैसा छिछोरापन है! ये तो उसकी मा है ना? सौतेली भले ही सही?"
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